सर्वपितृ अमावस्या : कुछ उपाय, जिससे घर-परिवार की सुख-शांति...
...समृद्धि से लेकर वंश-वृद्धि सभी बढ़ाओं के निवारण
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)
-रा.पाठक अवैतनिक संपादक 9752404020
पितरों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करने, उनको प्रसन्न करने, अपने पूर्वज या पितरों की कृपा और आशीर्वाद से घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि से लेकर वंश-वृद्धि सब कुछ हो पता है। पितृ पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या, जिसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं, (25 सितंबर, 2022 ) सोमवार को है। इस तिथि पर उन मृत लोगों के लिए पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि आपको ज्ञात नहीं होती, भूल गए या भुला दिया जाता है। इस दिन अपने पूर्वजो का श्राद्ध, श्रद्धा के साथ करें, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए करें। यदि कोई तीर्थों पर श्राद्ध करने में सक्षम नहीं है, तो इस दिन एकल श्राद्ध (सभी के लिए) परिवार में सभी मृतक आत्माओं को संतुष्ट/प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त है। यदि पितरों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है।
अमावस्या श्राद्ध
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।।
अर्थात, देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा और स्वाहा को मेरा सर्वदा नमस्कार है...!
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।।
अर्थात, देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा और स्वाहा को मेरा सर्वदा नमस्कार है...!
-अवैतनिक सम्पादक पाक्षिक "धर्म नगरी" / DN News
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या की विशेषता-
- अमावस्या को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या का दिन पितरों को विदा करने का अंतिम दिन होता है। एक पक्ष (15 दिन) तक पितर या पुरखे घर में विराजते हैं एवं उनके वंशज- हम सब उनकी सेवा करते हैं।- सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुढ़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है।
- इस दिन ( सर्वपितृ अमावस्या) जो पितर नहीं आ पाते हैं, जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
- श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।
- शास्त्रानुसार, "पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः" जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृ दोषों से मुक्ति दिलाता है। कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। प्रात:काल देवताओं का पूजन और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं।
- इस दिन गृह कलह करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
- सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
----------------------------------------------
सदस्यता लें / सदस्य्ता का नवीनीकरण कराएं-
यदि "धर्म नगरी" की सदस्यता पूरी होने को है, तो कृपया इसका नवीनीकरण कराएं। यदि अबतक सदस्य नहीं है, सदस्यता लें और अपना शुभकामना संदेश या विज्ञापन निःशुल्क (FREE) प्रकाशित करवाकर अपने नाम से अपनों को या जिसे भी व्यक्तिगत रूप से भिजवाएं। ध्यान दें, "धर्म नगरी" का प्रकाश केवल धर्म व हिंदुत्व हेतु अव्यावसायिक रूप (Non-commercial) से बिना लाभ-हानि के जनवरी 2012 से किया जा रहा है। इसलिए अपनी सदस्यता राशि कृपया "धर्म नगरी" के QR कोड को स्कैन कर या नीचे "धर्म नगरी" के करेंट बैंक खाते में सीधे भेजकर रसीद या स्क्रीन शॉट हमे भेजें /बताएं वाट्सएप-6261868110, 8109107075,
"धर्म नगरी" में आपकी सदस्यता राशि के बराबर आपका फ्री विज्ञापन / शुभकामना आदि एक या अनेक बार में प्रकाशित होता है, क्योंकि प्रकाशन पूर्णतः अव्यावसायिक है।
----------------------------------------------
जिस जातक की कुंडली में पितृ-दोष होता है, उसे आर्थिक तंगी से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से पीड़ित जातक की उन्नति में बाधा रहती है। अगर किसी के जीवन में कोई समस्या हो, तो सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन इन उपायों को अवश्य करें, जिससे पितृदोष का प्रभाव कम होने लगता है या समाप्त हो जाता है, पुरखे प्रसन्न होते है, जिससे समस्याओं का समाधान होने लगता है-- घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों के चित्र लगाकर, उस पर हार चढ़ाकर, उनका ध्यान करते यह कहें कि हम आपके ही अंश है, आपकी ही संतान हैं, आशीर्वाद मांगे।
- सायंकाल एक सरसों के तेल या गाय के घी का दीपक दक्षिण-मुखी लौ करके पितृ के निमित्त जलावें। घर के आंगन में शाम के समय पांच दीपक अवश्य जलावें।
- सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितृ-सूक्त के पितृ गायत्री का संपुट लगाकर के अधिक से अधिक पाठ करें या करवाये।
------------------------------------------------
Disclaimer- उक्त लेख में जानकारियां एवं सूचना ज्योतिर्विदों एवं पुस्तकों से साभार लिया गया है। इनको करने से पूर्व कर्मकांडी ब्राह्मण या विद्वान से संपर्क करें।
नवरात्रि से पूर्व विशेष आग्रह (एक अपील आपसे)- ब्राह्मण या विद्वान से किसी भी पूजा-पाठ के लिए यथासंभव सम्मानपूर्वक दक्षिणा देकर संतुष्ट करें, क्योंकि उसने कर्मकांड की शिक्षा ली है, आपके पूजा-पाठ के लिए समय-ऊर्जा दे रहा है, यह उसकी आजीविका है या परिवार के भरण-पोषण का माध्यम भी है -प्रबंध सम्पादक
------------------------------------------------
- पितृ गायत्री मन्त्र-
ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।। इस मंत्र का जप करने से पितृ दोष समाप्त होता है।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।। इस मंत्र का जप करने से पितृ दोष समाप्त होता है।
- संभव हो तो सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराये और यथोचित ससम्मान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
- विपन्न या सुपात्र ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में मृत आत्मा की कम से कम एक प्रिय की वस्तु अवश्य बनाएं।
- प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाएं और आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
- गरीब कन्या का विवाह या बीमारी में सहायता करने पर लाभ मिलता है।
- ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराने से पितृ पक्ष में भूलवश कोई श्राद्ध करने से छूट गया हो, तो उसकी पूर्ति अमावस्या को हो जाती है।
- पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करने से भी पितरों को शांति मिलती है, दोष निष्प्रभावी होने लगता है।
- पितरों के नाम पर निर्धन विद्यार्थियों की सहायता करें तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है।
- संभव हो तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।
- पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
- सायंकाल दीप जलाएं, नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
- सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन गाय, कुत्ते, चीटियों, और कौआ को भी भोजन खिलावें।
- सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन श्रीमद्भागवत महापुराण का मूल पाठ तथा श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है।
- विपन्न या सुपात्र ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में मृत आत्मा की कम से कम एक प्रिय की वस्तु अवश्य बनाएं।
- प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाएं और आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
- गरीब कन्या का विवाह या बीमारी में सहायता करने पर लाभ मिलता है।
- ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराने से पितृ पक्ष में भूलवश कोई श्राद्ध करने से छूट गया हो, तो उसकी पूर्ति अमावस्या को हो जाती है।
- पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करने से भी पितरों को शांति मिलती है, दोष निष्प्रभावी होने लगता है।
- पितरों के नाम पर निर्धन विद्यार्थियों की सहायता करें तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है।
- संभव हो तो अपनी सामर्थ्यानुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।
- पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
- सायंकाल दीप जलाएं, नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
- सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन गाय, कुत्ते, चीटियों, और कौआ को भी भोजन खिलावें।
- सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन श्रीमद्भागवत महापुराण का मूल पाठ तथा श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है।
----------------------------------------------
संबंधित लेख-
पितृ_पक्ष : न भूले अपने पितरों को ... क्यों करते हैं विधिवत श्राद्ध ? पितृ दोष के संकेत, उपाय...
☟
http://www.dharmnagari.com/2019/09/SraddhKyaHaiKyonKare.html
पितृ पक्ष : "पितृ-सूक्तम्" के पाठ से जुड़ा है आपकी प्रगति-समृद्धि, सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या करें ? पितरों की आरती का है महत्व
☟
http://www.dharmnagari.com/2022/09/Pitra-paksh-Pitra-Sukt-se-juda-hai-aapki-pragati-Sarv-Moksh-Amavasya-ke-Upay-Pitaron-ki-Aarati-kyo-kare.html
श्राद्ध पक्ष में ध्यान रखें... श्राद्ध के प्रकार, पितृ-पक्ष की सावधानियां...
☟
http://www.dharmnagari.com/2020/09/Sraddh-Paksha-Me-Inka-Rakhen-Dhyan.html
श्राद्ध के प्रकार, पितृ-पक्ष की सावधानियां...
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/09/Sraddh-Paksha-Me-Inka-Rakhen-Dhyan.html
बैंक का डिटेल "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से लेख / कॉलम / इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु है। ध्यान रखें, आपके सहयोग से हम आपके ही नाम से "धर्म नगरी" की प्रति आप जहाँ चाहते हैं, भिजवाते / बटवाते हैं। -प्रसार प्रबंधक 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com |
----------------------------------------------------
पितरों, पुरखों की स्मृति में कथा हेतु सम्पर्क करें-
व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में भी सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News
-स्कन्द पुराण, पद्म पुराण भविष्य पुराण में...
स्कन्द पुराण के अनुसार, अमावस्या के जल अथवा शाक द्वारा भी श्राद्ध करने से पितृगण तृप्तिलाभ करते हैं। अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूपेण द्वार पर आकर मानवों से श्राद्ध की प्रार्थना करते हैं एवं सूर्यास्त होने पर निराश होकर दु:खी अन्त:करण हो, दीर्घ नि:श्वास छोड़ते तथा वंशधरों की निन्दा करते-करते वापस चले जाते हैं।
पद् पुराण के अनुसार, पितरों का तर्पण किए बिना वस्त्र को न निचोड़े। मनुष्य के शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोंये होते हैं। उन सब से जल गिरता है। अतएव उन सबको पोछना नहीं चाहिए। शिर के जल को देवता पीते हैं। दाढ़ी के जल को पितृगण, नेत्रों से गिरने वाले जल को गन्धर्व और नीचे के रोओं से गिरे जल को दूसरे सभी जीव पीते हैं। देवता, पितृगण, गन्धर्व तथा दूसरे जीव केवल स्नान कर लेने से तुष्ट हो जाते हैं। अतएव स्नान कर लेने से पाप नहीं रह जाता है। जो प्रतिदिन स्नान करते हैं, वह मनुष्य उत्तम पुरुष हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार, माता-पिता की सेवा करने से ब्रह्मा की प्राप्ति होती है। जो अपने माता-पिता का तर्पण नहीं करता, उसकी गुरु वन्दना व्यर्थ हो जाती हैं। उनके जीवित रहने पर तर्पण करना अनुचित है। गंगा में प्राणान्त होने पर भी तर्पण आवश्यक नहीं है। -डॉ. अल्प नारायण त्रिपाठी "अल्प" पूर्व प्राचार्य- श्री महानिर्वाणी वेद महाविद्यालय, प्रयागराज, लेखक- "व्यास उवाच" व सलाहकार (धर्म आध्यात्म) धर्म नगरी / DN News
पद् पुराण के अनुसार, पितरों का तर्पण किए बिना वस्त्र को न निचोड़े। मनुष्य के शरीर में साढ़े तीन करोड़ रोंये होते हैं। उन सब से जल गिरता है। अतएव उन सबको पोछना नहीं चाहिए। शिर के जल को देवता पीते हैं। दाढ़ी के जल को पितृगण, नेत्रों से गिरने वाले जल को गन्धर्व और नीचे के रोओं से गिरे जल को दूसरे सभी जीव पीते हैं। देवता, पितृगण, गन्धर्व तथा दूसरे जीव केवल स्नान कर लेने से तुष्ट हो जाते हैं। अतएव स्नान कर लेने से पाप नहीं रह जाता है। जो प्रतिदिन स्नान करते हैं, वह मनुष्य उत्तम पुरुष हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार, माता-पिता की सेवा करने से ब्रह्मा की प्राप्ति होती है। जो अपने माता-पिता का तर्पण नहीं करता, उसकी गुरु वन्दना व्यर्थ हो जाती हैं। उनके जीवित रहने पर तर्पण करना अनुचित है। गंगा में प्राणान्त होने पर भी तर्पण आवश्यक नहीं है। -डॉ. अल्प नारायण त्रिपाठी "अल्प" पूर्व प्राचार्य- श्री महानिर्वाणी वेद महाविद्यालय, प्रयागराज, लेखक- "व्यास उवाच" व सलाहकार (धर्म आध्यात्म) धर्म नगरी / DN News
Post a Comment