जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ब्रह्मलीन, कल परमहंसी गंगा आश्रम में दी जाएगी समाधि
महाराजश्री को कल परमहंसी गंगा आश्रम में दी जाएगी समाधि
-राजेश पाठक- अवैतनिक संपादक 9752404020
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महाराजश्री के प्राकट्य दिवस (जन्मोत्सव) हरियाली तीज (भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया) के दिन उनका मनाई जाती है। बीते हरियाली तीज (30 अगस्त, 2022 ) को परमहंसी गंगा आश्रम में महराजश्री का 99वां जन्मदिन महाया गया। कांग्रेस के अनेक नेताओं सहित अन्य भक्तों ने उनके जन्मदिन पर बधाई दी थी। महाराजश्री ने परमहंसी गंगा आश्रम में माइनर हार्ट अटैक आने के पश्चात आज दोपहर 3:30 बजे उन्होंने अंतिम श्वास ली। महाराजश्री वरिष्ठतम सन्यासी एवं सनातन धर्म के सर्वोच्च पद पर विराजित रहे।
महराजश्री लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। बीते दिनों वे आश्रम लौटे थे। शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।
अल्पायु में धर्म यात्रा पर निकले
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म मध्यप्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता ने बचपन में इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। महज 9 साल की उम्र में इन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो काशी पहुंचे और यहां इन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली।
19 साल में बने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
महाराजश्री 19 साल की आयु में एक क्रांतिकारी साधु के रूप में प्रसिद्ध हुए, जब 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा हुई। फिर वः आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उन्हें वाराणसी में 9 महीने और मध्यप्रदेश की जेल में 6 महीने कैद रखा गया।
1981 में "शंकराचार्य" पद पर पट्टाभिषेक-
स्वामी स्वरूपानंद 1950 में दंडी संन्यासी बनाए गए थे। ज्योर्तिमठ पीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे। उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली।
शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि न्यास के नाम पर विहिप और भाजपा को घेरा था। उन्होंने कहा था- अयोध्या में मंदिर के नाम पर भाजपा-विहिप अपना ऑफिस बनाना चाहते हैं, जो हमें मंजूर नहीं है। हिंदुओं में शंकराचार्य ही सर्वोच्च होता है। हिंदुओं के सुप्रीम कोर्ट हम ही हैं। मंदिर का एक धार्मिक रूप होना चाहिए, लेकिन यह लोग इसे राजनीतिक रूप देना चाहते हैं जो कि हम लोगों को मान्य नहीं है।
वासुदेवानंद सरस्वती से विवाद-
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को जगह देने पर भी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने चार फैसलों में वासुदेवानंद सरस्वती को न शंकराचार्य माना और न ही सन्यासी माना है। ज्योतिर्मठ पीठ का शंकराचार्य मैं हूं। ऐसे में प्रधानमंत्री ने ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य के रूप में वासुदेवानंद सरस्वती को ट्रस्ट में जगह देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है।
शंकराचार्य ने कहा था कि भगवान राम महापुरुष नहीं, भगवान हैं। उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन पर भी सवाल उठाया था। पैसे जमा करने से लेकर आंदोलन की बात लिखने तक पर विश्व हिंदू परिषद को घेरा था। उन्होंने कहा था कि केवल भगवा पहन लेने मात्र से कोई सनातन धर्म को मानने वाला नहीं बन जाता है।
कोरोना पर- कोरोना संक्रमण को लेकर महाराजजी ने कहा था, कि जहां पर भी दूषित खाना और दूषित जल है, वहां बीमारी का प्रसार हुआ है। केंद्र सरकार की "नमामि गंगे" कार्यक्रम पर वे लगातार निशाना साधते थे। उन्होंने कहा, कि केवल विभाग बना देने से काम नहीं चलेगा। गंगा जल को शुद्ध करने पर काम नहीं हुआ है। कल्पवासी क्षेत्र (त्रिवेणी संगम क्षेत्र) में गंगा के किनारे रहने वाले लोग अब बोतलबंद पानी पी रहे हैं।
बेटियों को तर्पण का अधिकार- बेटियों को तर्पण का अधिकार दिए जाने के महाराजजी खिलाफ थे। एक बार उन्होंने कहा था, कि लड़कियां अपने माता- पिता की संपत्ति पर अपना हक जताने के लिए उनका दाह संस्कार और पिंडदान करती हैं। लड़कियों के लिए ऐसे कर्मकांड हिंदू धर्म शास्त्रों के खिलाफ हैं। बेटियों की ओर से इस प्रकार के कर्मकांड से घरों में विवाद बढ़ा है। उन्होंने कहा था, कि पितरों को तृप्ति तब मिलती है, उनका पुत्र या पौत्र या फिर पुत्री का बेटा उनका दाह-संस्कार और तर्पण करता है। वैसे माता-पिता, जिनकी बेटियां अंतिम संस्कार करती हैं, उन्हें तृप्ति नहीं मिलती। मोक्ष नहीं मिलता है।
पीएम मोदी पर निशाना- शंकराचार्यजी PM मोदी को भी निशाने पर खूब लेते थे। उन्होंने कहा था, कि जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वे आरएसएस के मूल स्वरूप को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। आरएसएस के हिंदुओं की बात करने और ईद मिलन समारोह के आयोजन जैसे मसलों पर करारा हमला बोला था।
ताजमहल के नीचे शिवलिंग- शंकराचार्य ने 2015 में आगरा में ताजमहल के नीचे शिवलिंग होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था, ताजमहल के नीचे भगवान शिव का मंदिर है। इसे भक्तों के लिए खोला जाना चाहिए। उन्होंने ताजमहल के नीचे के दो मंजिलों को खोलने की बात कहते हुए उन्होंने कहा था, कि हिंदू भक्त दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकें, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।महाराजश्री का जन्म सिवनी जिले (मध्य प्रदेश) में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। मात्र नौ साल की आयु में ही उन्होंने घर छोड़ दिया और आध्यात्मिक यात्रा आरंभ कर दी। देश के विभिन्न हिंदू तीर्थ-स्थलों का भ्रमण करने के बाद वह काशी (वाराणसी) पहुंचे। यहां उन्होंने ब्रह्मलीन धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों और धर्म की शिक्षा ग्रहण की।
बेटियों को तर्पण का अधिकार- बेटियों को तर्पण का अधिकार दिए जाने के महाराजजी खिलाफ थे। एक बार उन्होंने कहा था, कि लड़कियां अपने माता- पिता की संपत्ति पर अपना हक जताने के लिए उनका दाह संस्कार और पिंडदान करती हैं। लड़कियों के लिए ऐसे कर्मकांड हिंदू धर्म शास्त्रों के खिलाफ हैं। बेटियों की ओर से इस प्रकार के कर्मकांड से घरों में विवाद बढ़ा है। उन्होंने कहा था, कि पितरों को तृप्ति तब मिलती है, उनका पुत्र या पौत्र या फिर पुत्री का बेटा उनका दाह-संस्कार और तर्पण करता है। वैसे माता-पिता, जिनकी बेटियां अंतिम संस्कार करती हैं, उन्हें तृप्ति नहीं मिलती। मोक्ष नहीं मिलता है।
पीएम मोदी पर निशाना- शंकराचार्यजी PM मोदी को भी निशाने पर खूब लेते थे। उन्होंने कहा था, कि जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से वे आरएसएस के मूल स्वरूप को बिगाड़ने में लगे हुए हैं। आरएसएस के हिंदुओं की बात करने और ईद मिलन समारोह के आयोजन जैसे मसलों पर करारा हमला बोला था।
ताजमहल के नीचे शिवलिंग- शंकराचार्य ने 2015 में आगरा में ताजमहल के नीचे शिवलिंग होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था, ताजमहल के नीचे भगवान शिव का मंदिर है। इसे भक्तों के लिए खोला जाना चाहिए। उन्होंने ताजमहल के नीचे के दो मंजिलों को खोलने की बात कहते हुए उन्होंने कहा था, कि हिंदू भक्त दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकें, इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।महाराजश्री का जन्म सिवनी जिले (मध्य प्रदेश) में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ था। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा था। मात्र नौ साल की आयु में ही उन्होंने घर छोड़ दिया और आध्यात्मिक यात्रा आरंभ कर दी। देश के विभिन्न हिंदू तीर्थ-स्थलों का भ्रमण करने के बाद वह काशी (वाराणसी) पहुंचे। यहां उन्होंने ब्रह्मलीन धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज से वेद-वेदांग, शास्त्रों और धर्म की शिक्षा ग्रहण की।
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Hindu religion top most saint Shankaracharya Swaroopanand Saraswati ji Maharaj passed away today after prolonged illness. His disciples started the Samadhi process in his Narsinghpur Ashram, Madhya Pradesh.
Swami SwaroopanandSaraswati (1924-2022) — the Shankaracharya of Dwarka Sharada Peetham & Jyotir Math was also a freedom fighter. At 19, he joined Quit India movement. Known as Revolutionary Sadhu, he was imprisoned once for 9 months and again for 6 months.
प्रतिक्रियाएं-
द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति! -@narendramodi Prime Minister (6:04 PM · Sep 11, 2022)
द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। शोक के इस समय में उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। ओम शांति! -@narendramodi Prime Minister (6:04 PM · Sep 11, 2022)
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द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएँगे। उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें। ॐ शांति -@AmitShah Union Minister (6:12 PM · Sep 11, 2022)
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भगवान शंकराचार्य द्वारा स्थापित पश्चिम आम्नाय श्रीशारदापीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्राणांत की सूचना अत्यंत दुःखद है। पूज्य स्वामी जी सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे। -ChouhanShivraj CM, Madhya Pradesh (5:40 PM · Sep 11, 2022)
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श्री द्वारका-शारदा पीठ व ज्योतिर्मठ पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य श्रद्धेय स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का ब्रह्मलीन होना संत समाज की अपूरणीय क्षति है।
प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने परमधाम में स्थान व शोकाकुल हिंदू समाज को यह दुःख सहने की शक्ति दें।
ॐ शांति! -@myogiadityanath CM, Uttar Pradesh (5:38 PM · Sep 11, 2022)
-पूज्यपाद ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार दुःखद है।
उन्होंने हमेशा धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता दिखाया। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।
सादर श्रद्धांजलि। -@RahulGandhi
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के महाप्रयाण का समाचार सुनकर मन को भारी दुख पहुंचा। स्वामी जी ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
साल 2021 में प्रयागराज में गंगा स्नान के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर देश व धर्म की...1/2
...उदारता व सद्भावना पर उनके साथ चर्चा करने का मौका मिला। स्वामी जी ने मेरे पिता के रहते हुए 1990 में हमारी गृहप्रवेश की पूजा कराई थी।
ये पूरे समाज के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि इस कठिन समय में स्वामी जी के अनुयायियों को कष्ट सहने का साहस दें।
ॐ शांति! -@priyankagandhi General Secretary, Congress (5:21 PM · Sep 11, 2022)
हमारे पूज्य गुरुदेव जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के देवलोक गमन की खबर मेरे लिए गहरे आघात जैसी है और बड़ी व्यक्तिगत क्षति है। वे मेरे मार्गदर्शक तो थे ही, मेरे बहुत बड़े शुभचिंतक भी थे। मैं उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ। ॐ शांति। -@digvijaya_28 Ex CM, MadhyaPradesh (5:51 PM · Sep 11, 2022)
श्री द्वारका के शारदा पीठ के शंकराचार्य पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का शरीर पूर्ण होने पर पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत और मा. सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी की विनम्र श्रद्धांजलि : -@RSSorg (6:16 PM · Sep 11, 2022)
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