स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक 5जी नेटवर्क से अब विमानों के आसमान में टकराने का खतरा !


हमारे रहन-सहन में नाटकीय बदलाव की संभावना
सभी चित्र- प्रतीकात्मक  #साभार सोशल_मीडिया  
धर्म नगरी / DN News

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अब तक 5जी के आने से हमारे स्वास्थ्य के प्रभावित होने एवं रहन-सहन का तौर-तरीकों में नाटकीय बदलाव देखने का खतरा बताया जा रहा था। परन्तु, अब नेटवर्क एवं मोबाइल टावर्स की 5जी तरंगो (Frequency) से विमानों के उड़ान प्रभावित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इससे हजारों करोड़ रुपए हर वर्ष एयरलाइन्स कंपनियों को हानि होगा, जिससे भारत की विमानन कंपनियां भी अछूती नहीं हैं। अभी अमेरिका में ही हजारों फ्लाइट्स रद्द होने से अरबों के नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है 5जी नेटवर्क, रेडियो फ्रीक्वेंसी क्षेत्र में बढ़ जाता है शरीर का तापमान
विशेषज्ञों का मानना है कि 5जी के आने से हमारे रहन-सहन का तौर-तरीकों में नाटकीय बदलाव देखने को मिल सकता है।

इंटरनेट की दुनिया में सबसे तेज 4जी नेटवर्क के बाद अब 5जी अर्थात पांचवीं पीढ़ी के नेटवर्क बढ़ती मांग के कारण 4जी नेटवर्क अब ओवरलोडिंग का शिकार हो रहा है। इससे निपटने 5जी को लाया जा रहा है। जबकि, विशेषज्ञों का मानना है, रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) विकिरण के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। रेडियो फ्रीक्वेंसी क्षेत्र में शरीर का तापमान बढ़ जाता है। मतलब, 5जी के आने से हमारे रहन-सहन का तौर-तरीकों में नाटकीय बदलाव की पूरी संभावना है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, आरएफ के परिक्षेत्र में आने से शरीर का ताप बढ़ता है। यद्यपि तापमान में मामूली वृद्धि लोगों के स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित नहीं करती है। 5जी नेटवर्क के शुरू होने पर मोबाइल टावरों की संख्या भी बढ़ेगी और आरएफ सिग्नल की ताकत बहुत अधिक होगी या होती है।
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अमेरिका में उड़ानों में कटौती-
अमेरिका में 19 जनवरी से लॉन्च हुई 5G सेवाओं को देखते हुए एयर इंडिया ने अमेरिका के लिए अपनी उड़ानों में कटौती की है। कई अमेरिकी एयरलाइंस पहले से एयरलाइंस पर प्रभाव पड़ने की बात कहते हुए 5G की लॉन्चिंग को टालने की अपील कर रही थीं। इस अपील का मुख्य कारण 5जी और विमान के समय लैंडिंग हेतु जमीन से दूरी नापने में प्रयोग किए जाने वाले तरंगों (Frequency) में लगभग समानता है।

विमान के रेडियो अल्टीमीटर लैंडिंग के समय ग्राउंड से दूरी नापने के लिए 4.2 से 4.4 गीगा हर्ट्ज (GHz) तरंगे (Frequency) प्रयोग करते हैं, जबकि अमेरिका में 5जी की तरंगे 3.7 से 3.98 गीगा हर्ट्ज होगी। अर्थात, विमान के लैंडिंग के समय एवं 5जी की फ्रीक्वेंसी लगभग एक ही रेंज में होने से विमानों के प्रभावित होने की संभावना है.

अरबों के हानि की संभावना-
अमेरिका में 5G सेवाओं के शुरू होने से कम से कम 40 बड़े एयरपोर्ट पर रेडियो ऑल्टीमीटर का प्रयोग नहीं हो पाएगा। ये बयान बीते माह यूनाइटेड एयरलाइंस CEO स्कॉट किर्बी ने दिया था. न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इससे प्रतिदिन औसतन 1000 फ्लाइट्स रद्द या डाइवर्ट अथवा देर करना पड़ेगा। स्वाभाविक है, इससे हजारों यात्री प्रभावित होंगे। अगर ऐसा होता है, तो इससे अमेरिकी एविएशन इंडस्ट्री और यात्रियों को हर वर्ष लगभग 12 हजार करोड़ रु के नुकसान की संभावना है।

विमानों के हवा में टकराने का खतरा-
दरअसल, माना जा रहा है कि 5G सेवाओं की लॉन्चिंग से विमानों की ऊंचाई को मापने वाला अल्टीमीटर प्रभावित होगा। इससे हवा में दो विमानों के आपस में टकराने का खतरा रहेगा। दरअसल, रोड पर गाड़ियां जैसे दाएं-बाएं होकर ट्रैफिक नियंत्रण करती हैं, वैसे ही हवा में विमान एयर ट्रैफिक कंट्रोल से मिलने वाली सूचना के जरिए एकदूसरे से टकराने से बचने के लिए ऊपर-नीचे होते हैं। लेकिन 5G की वजह से उन्हें जमीन से ऊंचाई के बारे में बताने वाले अल्टीमीटर डेटा के प्रभावित होने पर ये जानकारी नहीं मिल पाएगी, जिससे विमानों के हवा में आपस में टकराने का खतरा बढ़ जाएगा।

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उल्लेखनीय है, 5G सेवाएं रेडियो सिग्नल पर आधारित होती हैं। अमेरिका में 5G के लिए जिस रेडियो फ्रीक्वेंसी का प्रयोग हो रहा है, उसे C-बैंड के नाम से जाना जाता है। अब अमेरिका ने 2021 में अपनी मोबाइल कंपनियों के लिए 5G के मिड-रेंज बैंडविड्थ (3.7-3.9 GHz) की फ्रीक्वेंसी की नीलामी की। जबकि, विमान के ऑल्टीमीटर रेडियो सिग्नल भी लगभग इसी रेंज वाली फ्रीक्वेंसी (4.2-4.4 GHz) का प्रयोग करते हैं। 5G की फ्रीक्वेंसी और जहाज के ऑल्टीमीटर की फ्रीक्वेंसी लगभग एक ही रेंज में होने की वजह से ही जहाजों की सेफ्टी और उसके ट्रैवल रूट, यानी नेविगेशन को खतरा पहुंचने की आशंका होती है।

5 जी और विमान का उड़ान-

- ऑल्टीमीटर जमीन से कितनी ऊंचाई पर विमान उड़ रहा है, ये मापने के साथ उसकी सुरक्षा एवं नेविगेशन सिस्टम के लिए भी डेटा उपलब्ध करता है।- ऑल्टीमीटर का उपयोग जहाज की ऊंचाई बताने के अतिरिक्त ऑटोमैटिक लैंडिंग में करते हैं।
- 5G ट्रांसमिशन प्लेन के ऑल्टीमीटर जैसे यंत्रों के ठीक से काम करने में बाधा डाल सकते हैं, इससे प्लेन की लैंडिंग प्रभावित होने का खतरा होता है।
- ऑल्टीमीटर का डेटा विमानों के लिए खतरनाक माने जाने वाले विंड शीयर बताता है। विंड शीयर वातावरण में शॉर्ट डिस्टेंस पर हवाओं की स्पीड/या दिशा में अंतर के बारे में आगाह करने में भी काम आता है।
- ऑल्टीमीटर के प्रभावित होने से खराब मौसम, बादलों, या कोहरे के दौरान विमान केवल विजुअल डेटा पर निर्भर रहने को मजबूर होंगे, जिससे लैंडिंग और टेक ऑफ प्रभावित होगा।
- विमान के रेडियो ऑल्टीमीटर के प्रभावित होने से विमान के ऑटोमेशन सिस्टम या पायलट के जमीन के निकट पहुंचने पर सही-सही अनुमान न लगा पाने से दुर्घटना की आशंका अधिक रहेगी।
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