"बीटिंग रिट्रीट" में क्यों बजता रहा शोक गीत 'एबाइड विद मी' ? क्यों प्रिय थी ऐसी धुन गांधी को ?
आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20220129
- एक फिल्म अभिनेता का जनता को ऐसा संदेश, जो बॉलीवुड से नहीं मिलता
- 'एबाइड विद मी' की धुन हटाकर कैसे हुआ गांधी का अपमान ?
- क्यों गाते रहे अब तक इस "शोक गीत" को ? मेरी प्रतिक्रिया...
- 'एबाइड विद मी' की धुन हटाकर कैसे हुआ गांधी का अपमान ?
- क्यों गाते रहे अब तक इस "शोक गीत" को ? मेरी प्रतिक्रिया...
- बजट : मोदी काल में टूटी परंपराएं, कुछ अंग्रेजों के जमाने से की थीं
- सपने में देखा, कौन जीतेगा उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 (व्यंग)
- यूनियन बजट ऐप से जान सकेंगे स्पीच व हाइलाइट्स
- CM बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म पुरस्कार को क्यों ठुकराया ?
- "बीटिंग द रिट्रीट" पहली बार लगभग 1000 ड्रोन द्वारा लाइट-शो एवं
- सुनें "बीटिंग द रिट्रीट" में मधुर प्रस्तुतियाँ का आज (29 जनवरी)
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धर्म नगरी / DN News
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, शुभकामना, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)
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एक फिल्म अभिनेता जनता को सबसे सुंदर संदेश क्या दे सकता है ?
पुष्पा के मालिक का नाम "कोंडा रेड्डी" था। जिस डीएसपी ने पुष्पा को पकड़ा था उसका नाम "गोविंदम" था।
जिस थानेदार ने पुष्पा के साथ इंट्रोगेशन किया उसका नाम "कुप्पाराज" था। पुष्पा के सबसे बड़े दुश्मन का नाम "मंगलम श्रीनू" था। जो पुष्पा को मारना चाहता था, श्रीनू का साला उसका नाम "मोगलिस" था।
डॉन कोंडा रेड्डी के विधायक दोस्त मंत्रीजी का नाम "भूमिरेड्डी सिडप्पा नायडू" था।
लाल चंदन का सबसे बड़ा खरीददार "मुरुगन" था।
फ़िल्म मुझे इसलिए भी अच्छी लगी क्योंकि इसमें कैरेक्टर वाइज कोई न सलीम था न कोई जावेद था। न रहम दिल अब्दुल चिच्चा थे। न पांच वक्त का नमाजी सुलेमान था। न अली-अली था न मौला-मौला था। न दरगाह थी, न मस्जिद थी, न अजान थी। न सूफियाना सियापा था।
बस माथों पर लाल चंदन के तिलक थे। मंदिर थे। मंत्र थे। संस्कृत के श्लोक थे।
काम शुरू करने से पूर्व देवी की पूजा थी। नए दूल्हा-दुल्हन के चेक पोस्ट से गुजरने पर उन्हें भेंट देने की प्रथा थी। पत्तल में खाना था। देशज वेशभूषा थी। अपनी प्रथाओं, परंपराओं का सम्मान था।
बस यही सब बातें थी जो मैं बॉलीवुड में बहुत मिस करता हूँ और मेरी तरह बहुत से लोग करते होंगे। साउथ सिनेमा की ओर बॉलीवुड के दर्शकों का झुकाव होने एक कारण यह भी है। ऐसी फिल्में देखने के बाद अनुभव होता है, हां हम अपने ही देश में है...
We feel such "feeling" that yes, we are living our 'own' country... सनातनी भारत भूमि पर ही हैं...। #साभार इन्टरनेट
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10 साल हमारे टैक्स पर दुनिया घूमें, हमारे देश के कारण सम्मान मिला, बदले में क्या दिया ?
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http://www.dharmnagari.com/2022/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Friday-28-January-2022.html
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बीटिंग रिट्रीट से 'एबाइड विद मी' की धुन हटाकर...
ये बहुत बढ़िया निर्णय है। कोई विदेशी धुन गांधी को पसंद थी, तो 1950 से अब तक पूरे देश पर थोप दी गई! अब साफ सफाई की जा रही है। वैसे और भी कई धुनें थी जो ब्रिटिश आर्मी की नकल के तौर पर प्रयोग (इस्तेमाल) होती थी,उनको भी धीरे-धीरे हटा दिया गया था।
अभी आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, इसलिए विदेशी धुनों को हटाकर हिंदुस्तानी धुनें लाई जा रही हैं। एबाइड विद मी को हटाकर "ए मेरे वतन के लोगों" गीत की धुन बजेगी। मुझे तो वैसे भी अंग्रेज़ी गाने समझ नही आते तो ये निर्णय सही ही लगता है।
कल एक झांकी के दौरान आज़ाद हिंद फौज का गाना"कदम कदम बढ़ाए जा" बज रहा था, रोंगटे खड़े हो गए थे। "ऐ मेरे वतन के लोगों" ये गाना नेहरू को भी पसंद था, तो क्या समस्या है ? 😂
गांधी कहते थे "जितना हो सके विदेशी चीजों का बहिष्कार करो"👍 मोदी सरकार गांधीवादी ही है 😂
ये अंग्रेज़ी गाने के बोल हैं, मेरे तो कुछ पल्ले न पड़े। धुन तो क्या खाक समझ आती 😥Abide with me, fast falls the eventide
The darkness deepens Lord, with me abide
When other helpers fail and comforts flee
Help of the helpless, oh, abide with me
Swift to its close ebbs out life's little day
Earth's joys grow dim, its glories pass away
Change and decay in all around I see
O Thou who changest not, abide with me
I fear no foe, with Thee at hand to bless
Ills have no weight, and tears no bitterness
Where is death's sting?
Where, grave, thy victory?
I triumph still, if Thou abide with me
Hold Thou Thy cross before my closing eyes
Shine through the gloom and point me to the skies
Heaven's morning breaks, and earth's vain shadows flee
In life, in death, o Lord, abide with me
Abide with me, abide with me
देखें- (भारतीय वायु सेना की प्रस्तुति)-
क्यों गाते रहे अब तक ऐसे "शोक गीत" को ? ...मेरी प्रतिक्रिया
बीटिंग रिट्रीट गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी से शुरू होकर 29 जनवरी को खत्म होने वाले चार-दिवसीय समारोह का अंतिम कार्यक्रम होता है, जो "विजय चौक" पर आयोजित किया जाता है।
मैं पिछले कुछ सालों से तब कार्यक्रम देखती आई हूं। घर बैठे इस तरह के अच्छे प्रसारण मुफ्त में देखने को मिलते हैं तो मैं छोड़ती नहीं। इस कार्यक्रम को देखते हुए जो धुन समझ में आती, तो उन धुनों के साथ गुनगुनाना स्वाभाविक रहता था। परन्तु, जो नहीं समझ आती उनको सेना की धुन समझ लेती थी। अब, तीन-चार दिन पहले समाचार से पता चला, मोदी सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर कुछ बदलाव किए हैं, जिनमें बीटिंग रिट्रीट में से Abide with me धुन को हटाया जाएगा।
तब इस के बारे में जानने की इच्छा हुई कि यह क्या है ?
फिर जब इसके बारे में पढ़ा तो पता चला, कि यह पश्चिम का लोकप्रिय ईसाई भजन है, जिसे दुख के अवसर पर गाया जाता है। यह पढ़कर अजीब लगा। इस भजन के पीछे की कहानी है कि जिसने ये भजन लिखा था वो अपने मित्र के अंतिम समय में उससे मिलकर गया था, वापस आने के बाद वो बहुत दुःखी था। उसी दु:ख में उसने यह भजन लिखा। यानि यह शोक के अवसर पर गाया जाने वाला गीत है। बाद में लोकप्रिय ईसाई भजन के रूप में चर्च में अपनाया गया। टाइटेनिक जहाज के डूबने के बाद भी इसे बजाया गया।
लेकिन चूंकि गांधीजी को यह भजन पसंद था इसलिए 1950 से यह "बीटिंग रिट्रीट" में भी बजाया जा रहा था, लेकिन इस साल से यह भजन हटाने का निर्णय किया गया, क्योंकि यह माना गया कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय धुन सबसे अनुकूल है। इसके स्थान पर "ऐ मेरे वतन के लोगों..." को शामिल किया गया है।
पहले "एबाईड विथ मी" सबसे अंत में बजाया जाता था, अब "सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा" से बीटिंग रिट्रीट का समापन होगा।
सरकार के इस निर्णय पर कांग्रेस ने आपत्ति करके विरोध किया, क्योंकि उनका कहना है कि "यह महात्मा गांधी का प्रिय भजन है। जो अब ईसाई भजन न होकर धर्मनिरपेक्षता का भजन बन गया है। केंद्र सरकार को इसको हटाने का फैसला गलत सोच है।"
मुझे लगता है Abide with me को हटाने का फैसला सही है क्योंकि यह दूसरे देश का भजन है। उसको बजाने वाले हमारे सैनिक शायद इसके अर्थ को भी पूरा नहीं समझ पाते होंगे, लेकिन वो अपने फर्ज, कर्म को पूरा करते हैं...पूरी लगन से बजाते हैं।
हमारे यहां इतने सारे अच्छे राष्ट्र भक्ति के गीत हैं, जिनका अर्थ हर भारतीय समझ सकता है, आसानी से जुड़ सकता है जिनकी भावनाएं जानते हैं, वो हमारे ह्रदय से जुड़ते हैं। इसलिए जब हमारे राष्ट्र भक्ति वाले, भावनाओं वाले गीत बीटिंग रिट्रीट में बजाने वाले हमारे सैनिकों के हृदय से जुड़ेगा तो वो उतना अच्छा लगेगा।
इसका विरोध करने वाले विपक्षी नेताओं को सरकार के कदमों को "सिर्फ विरोध करने के लिए ही विरोध करना "आवश्यक नहीं है। वे नेता शायद स्वयं भी इस "एबायड विथ मी" गीत के अर्थ को समझते नही होंगे। कभी- कभी कुछ बातों को समझ कर देश और सेना के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। चूँकि, मोदी सरकार अपने कार्यकाल के शुरू से ही गांधी जी के उपदेश, आदर्शो को लेकर चलकर रही है, तो उनके इस फैसले के विपरीत जाना निरर्थक है।
हालांकि, जब सरकार ने गांधी के आदर्शो पर आधारित स्वच्छता अभियान शुरू किया, तब भी विपक्ष ने उनका विरोध किया था। इसलिए कुछ मुद्दे पर विपक्ष के ऐसे विरोध मुझे सही नहीं लगते। वैसे अब हमारी सेना द्वारा "सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा..." के साथ "ए मेरे वतन के लोगों..." गीत बजाया जायेगा, तो सेना के जवानों के साथ बीटिंग रिट्रीट देखने, सुनने वाले सभी उत्साह से भर जायेंगे, क्योंकि वो हमारे देश के गीतकारों द्वारा लिखे गीत हैं, जिनको हम सभी देशवासियों ने कभी न कभी गाया है... । - भावना जोशी* (विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में स्नातकोत्तर) वर्तमान में Melbourne, Victoria, Australia में निवासरत हैं।
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सपने में देखा, कौन जीतेगा उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 (व्यंग)
कल्लू बड़ा खुश है. उसको 300 यूनिट बिजली फ्री जो मिली है. उसको लग रहा है, सर से एक बोझ सा उतर गया है. अब बिजली का सोचना ही नही है ! शाम को आराम से अपनी चारपाई पे लेटा सुख का अनुभव कर रहा है…
कुछ देर बीती तो आवाज लगा पूछा सीमा घर आई क्या? अंदर से पत्नी ने कहा नही.. आज तो लेट हो गई लड़की, और लाइट भी कट गई है. तभी कल्लू की लड़की रोते हुए घर आई. कारण पूछा गया तो पता चला चौराहे पर लड़को ने छेड़ा है. और शरीर भी छू लिया !
कल्लू गुस्से में चौराहे की तरफ दौड़ता है तो देखता है लड़का तो सपा कार्यकर्ता है, और वोट भी मांगने आया था. कल्लू गुस्से से लड़के की ओर लपकता है, और दो चार थप्पड़ जमा देता है. तब तक बाकी लड़के कल्लू पर टूट पड़ते है, और कल्लू की जम कर पिटाई कर देते है.
कल्लू दौड़ता हुआ पुलिस स्टेशन पहुंच जाता है और लड़को की शिकायत करता है. पुलिस कल्लू को ही डांट के भगा देती है. क्योंकि लड़का जाना माना गुंडा और सपा कार्यकर्ता जो ठहरा. ऊपर से जेहादी, जो टोंटीचोर के खास वोटर है, दरोगा #%दव जी थे !
अब कल्लू हताश हो कर विधायकजी के पास जाता है, जो कल्लू की अपनी जाति वाले है.. वहां से कल्लू को बहुत उम्मीद थी कि कल्लू को जाति के नाम पर मदद तो जरूर मिलेगी.. लेकिन विधायक जी ने भी हाथ खड़ा कर दिया. बोला यादव और जेहादियों के विषय में कोई सुनवाई नहीं होगी.. अपनें से सुलट लो…
अब कल्लू को 300 यूनिट बिजली महंगी लगने लगी. जब रात मे बल्ब जलता, कल्लू को लगता उसकी रोशनी उसको जला रही है, मुँह चिढ़ा रही है…
फिर अचानक से अलार्म बजता है और कल्लू की नींद टूटती है... मोबाइल पर डेट देखता है- दिनांक 14 फ़रवरी 2022... कल्लू उठता है मुंह धुलता है, और अपने गालों पर थपेड़े मारता है… साला बहुत भयानक सपना था...!
कल्लू इस खौफनाक सपने को ईश्वर द्वारा गलत जगह मतदान करने पर भविष्य में होने वाली दुर्घटना की चेतावनी मानता है...
.
अब वह अपने सभी रिश्तेदारों, शुभचिंतकों को फोन कर रहा है. और उनसे मिलने जा रहा है... योगी बाबा / भाजपा के 5 वर्ष के सुशासन को समझा रहा है... गलत जगह मतदान करने पर आने वाले भविष्य के प्रति आगाह भी कर रहा है...
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| Budget Session will begin on Monday with President Ram Nath Kovind's address to both the Houses of Parliament. Economic Survey 2021-22 will be tabled on the same Day in Parliament. |
यूनियन बजट ऐप से जान सकेंगे स्पीच व हाइलाइट्स
एक फरवरी को केन्द्रीय बजट 2022-23 पिछले साल की तरह ही पेपरलेस होगा। जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रस्तुत करेंगी। इसबार पारंपरिक "हलवा सेरेमनी" कार्यक्रम कोरोना महामारी के कारण नहीं हुआ, जो हर साल बजट की फाइनल प्रक्रिया के पहले आयोजित होता था।
सरकार के अनुसार, "हलवा सेरेमनी" के स्थान पर कोर कर्मचारियों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मिठाई दी गई। ये वो कर्मचारी हैं, जो बजट के बनाने की प्रक्रिया में रहते हैं और बजट को गोपनीय रखने इन्हें भी एक तरह से नजरबंद रखा जाता है। फिर केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट प्रस्तुत करने के बाद ही ये अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों के संपर्क में आते हैं।
ऐप से भी देख सकेंगे बजट
बजट को पेपलेस कर दिया गया है और यह इस साल भी जारी रहेगा। सांसदों और आम जनता को बजट के आवश्यक डॉक्यूमेंट आसानी से मिल सके, इसके लिए 'यूनियन बजट मोबाइल ऐप' भी लॉन्च किया गया था। पिछले साल की तरह इस बार भी ऐप पर बजट के डॉक्यूमेंट रहेंगे। मोबाइल ऐप अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषा में है। जो एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगा।
बजट को यहां से करें डाउनलोड
आम जनता के लिए बजट दस्तावेज केंद्रीय बजट वेब पोर्टल (www.indiabudget.gov.in) पर भी डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होंगे। ऐप को केंद्रीय बजट वेब पोर्टल (www.indiabudget.gov.in) से भी डाउनलोड किया जा सकता है। यदि आप एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर ऐप डाउनलोड करना चाहते हैं, तो आपको प्ले स्टोर में यूनियन बजट (union budget) सर्च करना होगा। जिसे इन्स्टॉल करना होगा।
ऐप (इंस्टॉल करने के बाद) के फीचर
बजट डॉक्यूमेंट
बजट हाइलाइट्स
बजट स्पीच
बजट की झलक
एनुअल फाइनेंस स्टेटमेंट
फाइनेंस बिल जैसै ऑप्शन का लाभ ले सकेंगे।
बजट : मोदी काल में टूटी परंपराएं, कुछ अंग्रेजों के जमाने से की थीं
Budget 2022 : प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 से देश की जिम्मेदारी संभाली है. तब से लेकर अब तक उन्होंने अलग-अलग तरह की कई परंपराओं को बदला है. ऐसी ही कुछ परंपराएं आम बजट (Union Budget) से जुड़ी हैं, इन्हें भी पीएम मोदी के कार्यकाल में बदला गया. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 को देश का आम बजट पेश करने वाली हैं. ऐसे में बात करते हैं बजट की बदली हुई परंपराओं के बारे में...
अंग्रेजों के जमाने से बजट हर साल 28 फरवरी को प्रस्तुत किया जाता था, लेकिन फिर इसे एक फरवरी को प्रस्तुत किया जाता है. पीएम मोदी के कार्यकाल में साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया तो यह 1 फरवरी को पेश किया गया. इस बदलाव की वजह यह थी कि बजट से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले पूरा कर लिया जाए।
पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे. लेकिन 2016 में 1924 से चली आ रही यह परंपरा बदल गई. पहले इसे संसद में आम बजट से पहले रखा जाता था. लेकिन 2016 से रेल बजट भी यूनियन बजट का ही हिस्सा होता है।
आजाद भारत में 1947 में पहली बार वित्त मंत्री आर सी के एस चेट्टी ने बजट पेश किया तो वह दस्तावेजों को चमड़े से बने ब्रीफकेस में लेकर संसद पहुंचे थे. लेकिन 5 जुलाई 2019 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लाल कपड़े के एक बस्ते (बही खाते) में बजट के कागजात लेकर पहुंचीं. कोरोना महामारी के चलते वह 2021 में टैबलेट लेकर पहुंची थी, यह डिजिटल बजट था।
मोदी सरकार ने 2015 में योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग का गठन किया. इसके साथ ही देश में बनने वाली पंच वर्षीय योजनाएं भी खत्म हो गईं. ये योजनाएं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय से चली आ रही थीं. लेकिन 2017 में इनका समापन हो गया.
कोविड महामारी के कारण साल 2022 में बजट की छपाई शुरू होने से पहले होने वाली हलवा सेरेमनी की रस्म भी नहीं हुई. मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि हलवा सेरेमनी के बजाय कोर स्टॉफ को उनके कार्यस्थलों पर 'लॉक-इन' से गुजरने के कारण मिठाई प्रदान की गई।
पूर्व CM बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म पुरस्कार को क्यों ठुकराया ?
भारत में अधिकांश वामपंथी मानसिक बीमार या विकृत मानसिकता के शिकार हुए व्यक्ति होते हैं. (कोरा के वामपंथी लेखक इसका अपवाद है, क्योंकि वे बुद्धिमत्ता की पराकाष्ठा पार कर महान बन चुके हैं)। बुद्धदेव भट्टाचार्य भी इसके अपवाद नहीं है। पुरस्कार हेतु उनका नाम शामिल करने के लिए उनकी स्वीकृति ली गई थी, जिसे उनकी पत्नी ने फोन करके पुष्टि भी की थी। उनका आचरण बेहद शर्मनाक है, जिससे उनकी विकृत मानसिकता का पता चलता है। यह सही है, उन्होंने पुरस्कार लेने से इनकार पार्टी के दबाव में किया है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है, कि इस बात की जानकारी सीताराम येचुरी ने ट्वीट करके दी।
मुझे समझ में नहीं आता कि किन उपलब्धियों के कारण उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार दिया जा रहा था? मोदी सरकार ने पुरस्कार के लिए उनका चयन करके जो गलती थी, उसका सुधार बुद्धदेव भट्टाचार्य ने स्वयं कर दिया. वास्तव में ऐसे व्यक्ति किसी भी राष्ट्रीय सम्मान के योग्य नहीं होते।
एक और वामपंथी नेता हुए- ज्योति बसु जो लंबे समय तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे. 1996 में उन्हें प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला, लेकिन पार्टी के दबाव में उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. बाद में बहुत पछताये और इसे ऐतिहासिक भूल करार दिया।
अब वामपंथी हैं, तो गलती भी हिमालय सरीखी ही करेंगे, बेशर्मी और बेहयाई की सिद्धांत वादिता ओढ़कर देश और समाज को शर्मसार करेंगे और फिर कहेंगे कि इतिहास रच दिया।
-शिव मिश्रा (आर्थिक, सामाजिक और समसामयिक विषयों के लेखक), अहमदाबाद
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| Beating Retreat Ceremony begins as President Ram Nath Kovind arrives at Vijay Chowk. |
See-
| "बीटिंग द रिट्रीट" समारोह में पहली बार लगभग 1000 ड्रोन द्वारा लाइट शो का आज (29 जनवरी) प्रदर्शन। Beating Retreat ceremony at Vijay Chowk, Delhi. Nearly 1000 drones dazzle the sky above Delhi for 1st time ever, as part of a drone show, which highlight of of Beating Retreat Ceremony. |
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आज 29 जनवरी शनिवार : प्रमुख समाचार पत्रों की "हेड लाइन्स" व महत्वपूर्ण संक्षिप्त समाचार
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