"हमें नेताजी सुभाष की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है" : PM


नेताजी सुभाषचंद्र बोष की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण पर PM मोदी बोले- 
महान हस्तियों के इतिहास को सीमित करने की गलतियों को सुधार रहा देश 
नेताजी कहते थे- "कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके।" 
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देखें- हम सब देशवासियों के लिए गर्व का ये क्षण... 
धर्म नगरी / DN News

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-राजेश पाठक 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "पराक्रम दिवस" पर (23 जनवरी) को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया। पीएम मोदी ने इसके बाद स्थापना समारोह में वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2022 के लिए सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी प्रदान किए। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उपस्थित रहे।

जो PM ने कहा
[शब्दश:]-
भारत मां के वीर सपूत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्मजयंती पर पूरे देश की तरफ से कोटि-कोटि नमन... जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आज़ाद सरकार को स्थापित किया था, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा आज डिजिटल स्वरूप में इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम प्रतिमा के स्थान पर ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा भी लगेगी
...

आपदा से निपटने के लिए गुजरात इस तरह का कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना। बाद में केंद्र सरकार ने, गुजरात के कानून से सबक लेते हुए, 2005 में पूरे देश के लिए ऐसा ही Disaster Management Act बनाया
... लेकिन 2001 में गुजरात में भूकंप आने के बाद जो कुछ हुआ, उसने आपदा प्रबंधन के मायने बदल दिए। हमने तमाम विभागों और मंत्रालयों को राहत और बचाव के काम में झोंक दिया। उस समय के जो अनुभव थे, उनसे सीखते हुए ही 2003 में Gujarat State Disaster Management Act बनाया गया...

हमारे देश में वर्षों तक आपदा का विषय एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के पास रहा था। इसका मूल कारण ये था कि बाढ़, अतिवृष्टि, ओले गिरना, इनसे बनी स्थितियों से निपटने का जिम्मा कृषि मंत्रालय के पास था। देश में आपदा प्रबंधन ऐसे ही चल रहा था
...

हमने Relief, Rescue और Rehabilitation पर जोर देने के साथ ही Reform पर भी बल दिया है। हमने NDRF को मजबूत किया, उसका आधुनिकीकरण किया, देश भर में उसका विस्तार किया। स्पेस टेक्नालजी से लेकर प्लानिंग और मैनेजमेंट तक, best possible practices को अपनाया गया
... NDMA की ‘आपदा मित्र’ जैसी स्कीम्स से युवा आगे आ रहे हैं। कहीं कोई आपदा आती है तो लोग विक्टिम्स नहीं रहते, वो वॉलंटियर्स बनकर आपदा का मुकाबला करते हैं। यानी, आपदा प्रबंधन अब एक सरकारी काम भर नहीं है, बल्कि ये ‘सबका प्रयास’ का एक मॉडल बन गया है...

दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच में, सेनाओं के बीच में हमने Joint Military Exercise बहुत देखी है
... लेकिन भारत ने पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए Joint ड्रिल की परंपरा शुरू की है... नेताजी कहते थे- "कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो भारत को झकझोर सके।" आज हमारे सामने आज़ाद भारत के सपनों को पूरा करने का लक्ष्य है। हमारे सामने आज़ादी के सौंवे साल से पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है...

स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं
... लेकिन आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है, ठीक कर रहा है... आज़ादी के अमृत महोत्सव का संकल्प है कि भारत अपनी पहचान और प्रेरणाओं को पुनर्जीवित करेगा। ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का काम किया गया...
सुनें-
...ये मेरा सौभाग्य है कि पिछले वर्ष, आज के ही दिन मुझे कोलकाता में नेताजी के पैतृक आवास भी जाने का अवसर मिला था। जिस कार से वो कोलकाता से निकले थे, जिस कमरे में बैठकर वो पढ़ते थे, उनके घर की सीढ़ियां, उनके घर की दीवारें, उनके दर्शन करना, वो अनुभव, शब्दों से परे है...

...मैं 21 अक्टूबर 2018 का वो दिन भी नहीं भूल सकता जब आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष हुए थे। लाल किले में हुए विशेष समारोह में मैंने आजाद हिंद फौज की कैप पहनकर तिरंगा फहराया था। वो पल अद्भुत है, अविस्मरणीय है... नेताजी सुभाष कुछ ठान लेते थे तो फिर उन्हें कोई ताकत रोक नहीं पाती थी... हमें नेताजी सुभाष की ‘Can Do, Will Do’ स्पिरिट से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है...।

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पढ़ें संबधित समाचार-
"पराक्रम दिवस" : होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण आज, लगेगी ग्रेनाइट की 28 फीट ऊंची, 6 फीट चौड़ी नेताजी की प्रतिमा...
http://www.dharmnagari.com/2022/01/Parakram-Diwas-today.html
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प्रतिमा की विशेषता-
होलोग्राम प्रतिमा को 30,000 लुमेन 4के प्रोजेक्टर द्वारा संचालित किया जाएगा। एक अदृश्य, हाई गेन, 90 प्रतिशत पारदर्शी होलोग्राफिक स्क्रीन इस तरह से लगाई गई है, कि यह यहां आने वाले लोगों को दिख नहीं रहा है। होलोग्राम का सटीक प्रभाव उत्पन्न करने उस पर नेताजी की 3-डी चित्र लगाई जाएगी। होलोग्राम प्रतिमा 28 फीट ऊंची और 6 फीट चौड़ी है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा...
 ...भारत मां के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जन्म जयंती पर पूरे देश की तरफ से मैं आज कोटि-कोटि नमन करता हूं। ये दिन ऐतिहासिक है। ये कालखंड भी ऐतिहासिक है। और ये स्थान जहां हम सब एकत्रित है, वो भी ऐतिहासिक है। भारत के लोकतंत्र के प्रतीक हमारी संसद पास में है। हमारी क्रियाशीलता और लोकनिष्ठा के प्रतीक अनेक भवन भी पास हैं। हमारे शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल भी पास है...

...इस मौके पर हम इंडिया गेट पर महोत्सव मना रहे हैं और नेताजी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि दे रहे हैं। नेताजी ने हमें संप्रभु भारत का विश्वास दिलाया, जिन्होंने बड़े गर्व के साथ, बड़े आत्मविश्वास, साहस के साथ अंग्रेजी सत्ता के सामने कहा था- मैं स्वतंत्रता की भीख नहीं लूंगा। मैं इसे हासिल करूंगा। जिन्होंने भारत की धरती पर पहली आजाद सरकार को स्थापित किया, हमारे उन नेताजी की भव्य प्रतिमा इंडिया गेट के समीप स्थापित हो रही है। जल्द ही इस होलोग्राम की जगह ग्रेनाइट की विशाल प्रतिमा लगेगी।

...नेताजी की यह प्रतिमा हमारी लोकतांत्रिक संस्था, पीढ़ियों और कर्तव्य का बोध कराएगी। आने वाली और वर्तमान पीढ़ी को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी। पिछले साल से देश ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया है। नेताजी कहते थे कि कभी भी स्वतंत्र भारत के सपने का विश्वास मत खोना, दुनिया की कोई ताकत नहीं है, जो भारत को झकझोर सके। आज हमारे सामने आजाद भारत के सपनों को पूरा करने के लक्ष्य हैं। हमारे सामने आजादी के सौंवें साल से पहले यानी 2047 के पहले नए भारत के निर्माण का लक्ष्य है। नेताजी को देश पर जो विश्वास था, उनके इन भावों के कारण मैं कह सकता हूं कि दुनिया की कोई ताकत नहीं है, जो भारत को इस लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सके।
सुनें- 
...ये दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ कई महान हस्तियों की याद को मिटाने का काम किया गया। उनके इतिहास को सीमित करने की कोशिश की गई। लेकिन आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर सुधार रहा है। आप देखिए बाबासाहेब अंबेडकर से जुड़े पंचतीर्थों के विकास का काम देश में जनभागीदारी से हो रहा है। सरदार पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हमने भारतवासियों को समर्पित की। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को "जनजातीय दिवस" के तौर पर मनाने की शुरुआत हमने कर दी है।

...नेताजी बोस के जीवन से जुड़ी हर विरासत को देश पूरे गौरव से संजो रहा है। अंडमान में तिरंगा लहराने की घटना के 75वें वर्ष पर वहां एक द्वीप का नाम नेताजी के नाम पर रखा गया है। इस बार नेताजी के साथ इंडियन नेशनल आर्मी के साथ एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। नेताजी बोस कुछ ठान लेते थे, तो उन्हें कोई ताकत नहीं रोक सकती थी। हमें नेताजी की कैन डू, विल डू के मंत्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें उनकी इस बात से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें राष्ट्रवाद को जिंदा रखना है। हम मिलकर नेताजी बोस के सपनों का भारत बनाने में सफल होंगे।
सुनें- 

...आज इस अवसर पर सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार भी दिए गए हैं। नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेकर ही इन पुरस्कारों को देने का फैसला लिया गया। जिन्हें आज सम्मान का अवसर मिला है, उन्हें मैं बधाई देता हूं। साथियों हमारे देश में आपदा प्रबंधन को लेकर जिस तरह का रवैया रहा है। उस पर एक कहावत सटीक बैठती है। जब प्यास लगी तो कुआं खोजना। यानी जब आपदा सिर पर आ जाती थी, तो उससे बचने के उपाय खोजे जाते थे।

...इतना ही नहीं एक और हैरान करने वाली व्यवस्था थी, जिसके बारे में कम ही लोगों को पता है। हमारे देश में कई साल तक आपदा का विषय कृषि विभाग के पास था। इसकी वजह थी कि ओले गिरना जैसे मामले कृषि विभाग के पास थे। देश में आपदा प्रबंधन इसी तरह से चलता था। लेकिन 2001 में गुजरात में भूकंप आने के बाद देश को नए सिरे से सोचने पर मजबूर होना पड़ा। अब उसने आपदा प्रबंधन के मायने बदल दिए हैं। हमने तमाम विभागों को राहत-बचाव कार्यों में झोंक दिया है। उनसे सीखते हुए 2003 में गुजरात आपदा प्रबंधन कानून बनाया। इस तरह का कानून बनाने वाला गुजरात पहला राज्य था। इसके बाद गुजरात सरकार से सीखते हुए केंद्र सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट बनाया।

...डिजास्टर मैनेजमेंट को प्रभावी बनाने के लिए 2014 के बाद से हमारी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर चौतरफा काम किया। हमने रिहैबिलिटेशन पर ध्यान देने के साथ ही रिफॉर्म पर भी काम किया। हमने एनडीआरएफ को मजबूत किया, उसे पूरे देश में फैलाया और आधुनिक किया। हमारे एनडीआरएफ के साथ ही एसडीआरएफ और सुरक्षा बलों के जवान एक एक व्यक्ति को बचाते हैं। इसलिए आज ये पल इस प्रकार से जान की बाजी लगाने वालों के लिए ये उनके प्रति आभार प्रकट करने का वक्त है।

...अगर हम अपनी व्यवस्थाओं को मजबूत करते चलें, तो आपदा से निपटने की क्षमता दिनों दिन बढ़ती चली जाती है। कोरोना महामारी के दौरान ही देश के सामने कई परेशानियां आईं। कई जगहों पर भूकंप आए, बाढ़ आई। ओडिशा से लेकर आंध्र प्रदेश तक साइक्लोन आए। एक ही चक्रवात में सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। इसलिए हम इन आपदाओं में ज्यादा से ज्यादा जान बचाने में सफल हो रहे हैं। आज अंतरराष्ट्रीय संस्थान भारत की इन्हीं कोशिशों की तारीफ कर रहे हैं।

...बाढ़, सूखा और इन सभी आपदाओं के लिए वॉर्निंग सिस्टम में सुधार किया गया। डिजास्टर विद एनालिसस के लिए केंद्र बनाए गए। डिजास्टर रिस्क मैप बनाए गए। इसका लाभ सभी राज्यों को मिल रहा है। सबसे अहम आपदा प्रबंधन आज देश में जनभागीदारी और जनविश्वास का विषय बन गया है। एनडीएमए की आपदा मित्र जैसे अभियान के जरिए युवा आगे आ रहे हैं। कहीं आपदा आती है तो लोग विक्टिम नहीं होते, वे वॉलंटियर बनकर आपदा का मुकाबला करते हैं। अब आपदा प्रबंधन सरकारी काम नहीं है, अब ये सबका प्रयास बन गया है।

...हमने अपने एजुकेशन सिस्टम में कई बदलाव किए। जितने भी इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर के कोर्स होते हैं, उन्हें आपदा प्रबंधन से जोड़ा गया है। सरकार ने डैम सेफ्टी कानून भी बनाया है। आपदा में आर्थिक और जानमाल के नुकसान की चर्चा की जाती है, लेकिन इसमें जो इन्फ्रास्ट्रक्चर की तबाही होती है, वो भी अनुमान से ज्यादा होती है। इसलिए हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐसा होना चाहिए, जो आपदा भी झेल सके। जिन क्षेत्रों में आपदा का खतरा ज्यादा रहता है, वहां पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घरों में भी इसका ख्याल रखा जाता है। उत्तराखंड में जो घर बन रहे हैं उनमें यह ख्याल रखा जाता है। आपात स्थिति में ये एक्सप्रेस-वे विमान उतरने के काम आ सकें, इसका भी ख्याल रखा जा रहा है। यही नया भारत है और नए भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर है।

... भारत की इस पहल में ब्रिटेन हमारा प्रमुख साथी बना है। आज दुनिया के 35 देश इससे जुड़ चुके हैं। दुनिया की सेनाओं के बीच हमने सैन्य अभ्यास काफी देखे हैं। लेकिन भारत ने पहली बार आपदा प्रबंधन के लिए सैन्य अभ्यास का प्रावधान किया है। हमने कई देशों में आपदा प्रबंधन में सेवाएं दी हैं। जब नेपाल में भूकंप आया, तो भारत ने मित्र के तौर पर मदद में जरा भी देरी नहीं की। आपदा प्रबंधन में हमारा अनुभव सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए काम किया है...

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा- 
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि संसद में 15वीं लोकसभा के दौरान 15 मार्च 2010 को जॉर्ज पंचम की मूर्ति की जगह किसी भारतीय महापुरुष की मूर्ति की स्थापना हेतु अनुरोध किया था। मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद देता हूं कि आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है।
 
सात लोगों का सम्मान-
पीएमओ के मुताबिक, इस कार्यक्रम के दौरान कुल मिलाकर सात पुरस्कार प्रदान किए गए। केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत में विभिन्न लोगों और संगठनों द्वारा प्रदान किए गए अमूल्य योगदान की सराहना और सम्मानित करने के लिए वार्षिक सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार की शुरुआत की है। हर साल 23 जनवरी को इस पुरस्कार की घोषणा की जाती है। इस पुरस्कार के तहत किसी संस्था के मामले में उसे 51 लाख रुपये का नकद पुरस्कार एवं एक प्रमाण पत्र और किसी व्यक्ति के मामले में उसे 5 लाख रुपये एवं एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। 

संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में पुष्‍पांजलि-
नेताजी की 
 125वीं जयंती पर आज सुबह गृहमंत्री अमित शाह, सूचना और प्रसारणमंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बैनर्जी ने भी श्रद्धाजंलि अर्पित की। पीएम  नरेन्‍द्र मोदी, लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिडला और राज्‍यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस के चित्र पर पुष्‍पांजलि अर्पित की।

पश्चिम बंगाल में "देश नायक दिवस"-
पश्चिम बंगाल सरकार नेताजी की जयंती को देश नायक दिवस के रूप में मना रही है। राज्‍य सरकार नेताजी की स्‍मृति में अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग से जय हिन्‍द विश्‍वविद्यालय स्‍थापित कर रही है। राज्‍य सरकार ने नेताजीकी जयंती को राष्‍ट्रीय अवकाश घोषित करने का अनुरोध भी केंद्र सरकार से किया है। पश्चिम बंगाल में भाजपा मुख्‍यालय में भी नेताजी की जयंती मनाई गई। वाम मोर्चे ने आज के दिन को देश प्रेम दिवस के रूप में मनाया।

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आज 23 जनवरी रविवार : प्रमुख समाचार पत्रों की "हेड लाइन्स" व महत्वपूर्ण संक्षिप्त समाचार
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नेताजी और नेहरू का कद -@Sudharaje 
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Letter written by Subhas Chandra Bose on 22.04.1921 tendering his resignation.
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To be updated later 

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