#Holi : होलिका दहन, राशि अनुसार पूजन व रंग का प्रयोग, होली के अचूक उपाय व टोटके, होली की वैज्ञानिकता...


होलिका दहन के दिन किसका करें दान 
धर्म नगरी / DN News 
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होली से पूर्व रात को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन का दिन भक्तों को प्रह्लाद और होलिका की याद दिलाता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं होनी चाहिए। भद्रा के समय होलिका दहन करने से अनहोनी की आशंका रहती है। जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, ग्रहों की स्थिति-

होलिका दहन पर ग्रहों की स्थिति-
17 मार्च 2022 दोपहर एक बजकर 29 मिनट तक चतुर्दशी तिथि रहेगी। इसके बाद पूर्णिमा तिथि लगेगी। शुक्रवार (18 मार्च) तड़के 1:09 बजे तक शूल-योग रहेगा। फिर गण्ड-योग लगेगा। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योग को शुभ नहीं मानते। इस समय चंद्रमा सिंह व सूर्य मीन राशि पर गोचर करेगा। सूर्य नक्षत्र पूर्व भाद्रपद व सूर्य नक्षत्र पद पूर्व भाद्रपद रहेगा।

होलिका दहन से पूर्व होलिका माई की पूजा करने का विधान है। पूजा के समय फूल, हल्दी, बताशे, एकाक्षी नारियल, गन्ना, गेहूं की बाली आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है। होलिका दहन मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है जिसे नारद पुराण से लिया गया है। इस कथा में बताया गया है कि कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। कैसे भक्त प्रहलाद हर कष्टों से छुटकारा पाकर  नरसिंह भगवान का आशीर्वाद पाता है।

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होलिका दहन की पौराणिक कथा-
नारद पुराण के अनुसार, आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस था। वही किसू देवी-देवता को ना मानकर खुद को ही भगवान मानाचा था। वह चाहता था कि हर कोई उनकी पूजा करें। इसी कारण उसके राज्य में हर कोई दैत्यराज हिरण्यकश्यप की ही पूजा करते थे। परन्तु राक्षस हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था। दैत्यराज के लिए उसका पुत्र ही सबसे बड़ा शत्रु बनता जा रहा था, क्योंकि वह सोचता था कि अगर घर का पुत्र की मेरी पूजा नहीं करेगा तो किसी दूसरे से क्या अपेक्षा रखेंगे। इसलिए वह हमेशा इसी चिंता में रहता, कि आखिर वह अपने पुत्र को कैसे विष्णु की भक्ति करने से रोके ? वह प्रहलाद से खुद की पूजा करने के लिए कहते थे, लेकिन वह जरा सी भी बात नहीं सुनता था। ऐसे में हिरण्यकश्यप से त्रस्त होकर अपने पुत्र को कष्ट देने शुरू कर दिया। उसे हाथी से कुचलने, खाई से गिराने की कोशिश की लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वह असफल रहा। 

प्रहलाद को लंबे समय तक काल कोठरी पर बंद करके विभिन्न तरह की यातनाएं देता रहा। थक हार के हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद की गुहार लगाई, जिसे भगवान शंकर से ऐसा वरदान मिला था जिसके अनुसार आग उसे जला नहीं सकती थी। इसके बाद दोनों से मिलकर तय किया कि प्रहलाद को आग में जलाकर खत्म किया जाए। इसी कारण होलिका प्रहलाद को अपनी गोदी में बिठाकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और प्रहलाद जीवित बच गए। इस बात से हिरण्यकश्यप बहुत दु:खी हुआ। इसी कारण हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को अग्नि जलाकर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है।

राशि अनुसार पूजन करके खेलें होली-
चैत्र मास का आरंभ रंगों के पर्व होली से होती है 17 मार्च 2022 गुरुवार से यह शुभ दिन है प्रारंभ हो रहे हैं, रंगों का ज्योतिष से भी विशेष संबंध है। रंग प्रेम के परिचायक होते हैं, इन प्यार के रंगों को वही व्यक्ति स्वीकार करता है, जिनके मन में अनुराग और अपनत्व की भावना होती है, अपनी राशि के अनुसार अपने इष्ट का ध्यान करें। सभी राशि के जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर होली पूजन के उपरांत ये करें-
मेष- मंदिर जाकर शिवालय के दर्शन करें तत्पश्चात होली के रंगों में रंगने के लिए लाल गुलाल का प्रयोग करें। वहीं, होली खेलने हेतु अनुकूल रंग है गहरा लाल
वृषभ- कन्या पूजन करें तत्पश्चात होली के रंगों में रंगने के लिए हल्के पीले रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है श्वेत (सफेद)।
मिथुन- भगवान गणपति के दर्शन करें, फिर होली के रंगों में रंगने के लिए हरे रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है हरा। 
कर्क- शिव-परिवार का पूजन करके होली खेलने सफेद कपड़े धारण करें और केवल गुलाल से ही होली खेलें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है श्वेत (सफेद)।
सिंह- भगवान सूर्य नारायण का पूजन करके होली के रंगों में रंगने के लिए गुलाल एवं मैरून रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है नारंगी या लाल
कन्या- गणपतिजी और धन के देवता कुबेरजी के दर्शन करके होली खेलने हेतु टेसू रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है हरा।
तुला- मां दुर्गा का पूजन करें, फिर होली के रंगों में रंगने के लिए लाल और पीले रंग का प्रयोग करें।होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है श्वेत (सफेद)।
वृश्चिक- भगवान गणपति, उनकी पत्नियों रिद्धि-सिद्धि का पूजन करके होली खेलने हेतु गुलाबी रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है नारंगी या लाल
धनु- भगवान दत्तात्रेय (गुरु महाराज) का पूजन करें, फिर होली के रंगों में रंगने पीले रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है पीला
मकर- भगवान श्रीराम और उनके प्रिय भक्त हनुमान जी के दर्शन करके होली खेलने हेतु हल्का गुलाबी और पीला रंग प्रयोग में लाएं। होली खेलने के लिए शुभ रंग है नीला
कुंभ- श्रीराम भक्त हनुमानजी का पूजन करके होली के रंगों में रंगने के लिए हरे और सिंदूरी रंग का प्रयोग करें। होली खेलने के लिए शुभ रंग है नीला
मीन- वृहस्पति देव का पूजन करें तत्पश्चात होली के रंगों में रंगने के लिए पीले रंग का प्रयोग करें।होली खेलने के लिए अनुकूल रंग है पीला।

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होलिका दहन के दिन किस वस्तु का करें दान-
मेष- मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुएं जैसे- लाल दाल (मसूर दाल), सौंफ और जौ का दान करें। घर से कांसे की पुरानी वस्तुओं को हटा सकते हैं। 
वृषभ- होलिका दहन के दिन गुरुदेव वृहस्पति से संबंधित वस्तुओं का दान करें। इसमें चना दाल, हल्दी (हल्दी) और शहद सम्मिलित हैं। एक पुरानी किताबें दान कर सकते हैं जो वर्तमान में किसी काम की नहीं हैं। 
मिथुन- आपको शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे सरसों का तेल या काले चने (उरद की दाल)। साथ ही पुराने जूतों और चमड़े की चीजों को भी घर से बाहर निकाल दें। 
कर्क- आपको शनि ग्रह से संबंधित वस्तुएं जैसे चायपत्ती या लोहे का दान करें। किसी पुराने काले कपड़े या कंबल से छुटकारा पाएं।  
सिंह-  गुरुदेव बृहस्पति से संबंधित वस्तुओं जैसे गाय का घी या केसर का दान करें। पुराने कपड़े या अनउपयोगी सामान को बाहर निकाल दें। 
कन्या- आपको मंगल ग्रह के उपाय करने चाहिए। खंड, केसर और तांबे या बताशे (भारतीय मिठाई) जैसी वस्तुओं का दान करें। किसी लाल कपड़े की पुरानी वस्तुओं से छुटकारा पाएं। 
तुला- शुक्र से संबंधित वस्तुएं जैसे चावल के दाने, बूरा (कच्ची चीनी) या पनीर का दान करें। पुराने इत्र से छुटकारा पाएं।  
वृश्चिक-  बुध ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे कपूर या हरी मिर्च। होलिका दहन के दिन पुराने समाचार पत्र या लेखन सामग्री जैसे पेन या पेंसिल जैसी चीजों का दान करना चाहिए।  
धनु- होलिका दहन के दिन आपको चंद्रमा से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे दूध, चावल के दाने या सफेद मिठाई। इसके अलावा, किसी भी पुराने शंख या चंदन की लकड़ी का दान करें। 
मकर- आपको सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। इनमें गेहूं के दाने या गुड़ शामिल हैं। इस दिन पुराने तांबे की वस्तुओं को घर से बाहर कर दें। 
कुंभ- बुध से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे साबुत मूंग या हरे फल। पुराने खिलौनों का जो उपयोग में नहीं हैं, उन्हें घर से बाहर कर दें।  
मीन- आपको शुक्र से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे कपास, दही, चावल या चीनी। सफेद कपड़े जो अब किसी काम के नहीं रहे, उन्हें घर से बाहर कर दें।  

  ... होलिका उत्सव की "धर्म नगरी" व DN News की ओर से सभी हिन्दुओं एवं हिंदुत्व में आस्था रखने वालों को शुभ-मंगलकामनाएं.. बधाई ! .

होली के अचूक उपाय और टोटके-
सुख-समृद्धि- घर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए परिवार के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता चढ़ाएं। इसके साथ होली की 11 परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति दें।
मनोकामना- होली पर किसी गरीब को भोजन अवश्य कराएं। इससे आपकी मनोकामना पूरी होगी। 
पुण्य की प्राप्ति- होलिका दहन के समय होलिका की सात बार परिक्रमा करें। इससे अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
व्यापार या नौकरी- व्यापार या नौकरी में उन्नति नही हो रही है या व्यवधान हो, तो 21 गोमती-चक्र लेकर होलिका दहन की रात में शिवलिंग पर चढ़ा दें। इससे व्यापार में लाभ होने लगेगा।
राहु का प्रभाव- राहु जनित समस्या है या आपका राहु प्रतिकूल चल रहा है, तो एक नारियल का गोला लेकर उसमें अलसी का तेल भरकर, थोड़ा सा गुड़ डालें। इस गोले को जलती हुई होलिका में डाल दें। इससे राहु का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाएगा।
- होली की रात्रि सरसों के तेल का चौ-मुखी दीपक घर के मुख्य द्वार पर लगाएं व उसकी पूजा करें। इसके बाद भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। ऐसा करने से हर प्रकार की बाधा का निवारण होता है।
धन हानि- यदि आपको लगातार धन हानि हो रही है, तो आगे इससे बचने के लिए होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर दो-मुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धन हानि से बचाव की कामना अवश्य करें। दीपक के बुझने पर उसे होली की अग्नि में डाल दें। यह क्रिया पूर्ण श्रद्धा के साथ करें।
टोटका- अगर किसी ने आप पर कोई टोटका किया है तो होली की रात जहां होलिका दहन हो, उस जगह एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमंत्रित कौड़ियां दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर अपने घर की मिट्टी के साथ नीले कपड़े में बांधकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। जो भी तंत्र क्रिया आप पर किसी ने की होगी वह नष्ट हो जाएगी।
भूत-प्रेत का साया - यदि आपको लगता है कि आपके घर में किसी भूत-प्रेत का साया है, तो होली जलने  के पश्चात, तब आप होलिका की थोड़ी-सी अग्नि अपने घर ले आएं और अपने घर के आग्नेय कोण में उस अग्नि को तांबे या मिट्टी के पात्र में रखें। सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस उपाय से आपकी परेशानी दूर हो जाएगी। या, होलिका दहन के दूसरे दिन होलिका की राख को घर लाकर उसमें थोड़ी सी राई व नमक मिलाकर रख लें। इस प्रयोग से भूत-प्रेत या नजर दोष से मुक्ति मिलती है।
बेरोजगार- यदि आप या कोई बेरोजगार है, तो होली की रात 12 बजे से पहले एक नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसके चार टुकड़े कर चारों दिशाओं में फेंक दें। वापिस घर आ जाएं किन्तु ध्यान रहे, वापिस आते समय पीछे मुड़कर न देखें।
पैसा वापस मिलना- यदि आपका पैसा कहीं फंसा है तो, होली के दिन 11 गोमती चक्र हाथ में लेकर जलती हुई होलिका की 11 बार परिक्रमा करते हुए धन प्राप्ति की प्रार्थना करें। फिर एक सफेद कागज पर उस व्यक्ति का नाम लाल चन्दन से लिखें, जिससे पैसा लेना है फिर उस सफेद कागज को 11 गोमती चक्र के साथ में कहीं गड्ढा खोदकर दबा दें। इस प्रयोग से धन प्राप्ति की संभावना बढ़ जाएगी।
अज्ञात भय- यदि आपको कोई अज्ञात भय बना रहता है, तो होली पर एख सूखा जटा वाला नारियल, काले तिल व पीली सरसों एक साथ लेकर उसे सात बार अपने सिर के ऊपर उतार कर जलती होलिका में डाल देने से अज्ञात भय समाप्त हो जाएगा।
शत्रुओं से मुक्ति- शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन के समय 7 गोमती चक्र लेकर भगवान से प्रार्थना करें, कि आपके जीवन में कोई शत्रु बाधा न डालें। प्रार्थना के पश्चात पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ गोमती चक्र जलती हुई होलिका में डाल दें।
शीघ्र विवाह- शीघ्र विवाह के लिए होली के दिन किसी शिव मंदिर जाएं और अपने साथ 1 साबूत पान, 1 साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ रख लें। पान के पत्ते पर सुपारी और हल्दी की गांठ रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद पीछे देखे बिना अपने घर लौट आएं। यही प्रयोग अगले दिन भी करें। इसके साथ ही समय-समय पर शुभ मुहूर्त में यह उपाय करते रहें। शीघ्र विवाह के योग बनने लगेंगे।
मनोकामना- होली के दिन "बजरंग बाण" का पाठ आरंभ करें और 40 दिन तक नियमित पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है।
बुरी नज़र से रक्षा- अपने हाथों से गोबर के कंडे बनाएं और इन कंडो को बहनें अपने भाई के ऊपर से 7 बार वार (घुमा) लें। इसके बाद ये कंडें होलिका दहन में डालें, इससे भाई की बुरी नज़र से रक्षा होगी।
स्वास्थ्य लाभ- होलिका दहन के समय जो अंगार जलती है, उसमें पापड़ सेंककर खाएं। इससे शरीर को कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
रोग से मुक्ति- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ रहता है, तो होली के दिन सुबह आटे की दो लोई बनाकर उसमें गीले चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्टी को दबाकर रोगी के ऊपर से सात बार उतार कर गाय को खिला दें। फिर होली का पूजन कर घर लौट आएं। होली के उपरांत लगातार तीन  गुरुवार ये टोटका करें, आपको इसके प्रभाव को स्वयं पता चलेगा। 

गरीबी- गरीबी दूर करने हेतु भी होलिका दहन के समय उपाय है। एक काला कपडा लें और उसमें काले तिल, 7 लौंग, 3 सुपारी, 50 ग्राम सरसों और किसी स्थान की मिट्टी लेकर एक पोटली बना लें। इसे खुद पर से 7 बार वार लें और होलिका दहन में डालें। 9 नींबूओं की माला बनाएं और भैरव महाराज को चढ़ाएं। उडद की दाल के दही बड़े और जलेबी बनाएं और सात सफाई कर्मियों को बाटें।

होली पर्व की वैज्ञानिकता-
ऋषि मुनियों के देश भारत में सदैव से ऋषि-मुनि का वैज्ञानिक सार, चिंतन- दर्शन विज्ञान की कसौटी पर खरा-परखा रहा है, प्रकृति से सामंजस्य स्थापित करता रहा है। अज्ञानतावश पश्चिम के लोग भारत को भूत-प्रेत व सपेरों का देश कहते हैं, मगर वही लोग जब भारत आते हैं, तो भौचक्के हो जाते  है,यहां के पर्व-त्यौहार मेले को देखकर मानो अपना देश भूल जाते  हैं और भारत की मिट्टी से लोटपोट से होने लगते  हैं।

विश्व में भारत ही एक मात्र देश है जिसके सारे पर्व-त्यौहार, पूजा-पाठ, चिंतन-दर्शन सब विज्ञान की कसौटी पर खरा- परखा है। हमारे ऋषि-मुनियों ने विज्ञान व धर्म का ताना-बाना बुना और ताने-बाने से निर्मित इस चदरिया को त्योहारों व पर्वों के नाम से समाज के अंग-अंग में प्रचलित किया। भारत का होली पर्व भी विज्ञान पर आधारित है। इसकी प्रत्येक क्रिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव स्वास्थ्य और शक्ति को प्रभावित कराती है। 

एक रात में ही संपन्न होने वाला होलिका दहन, जाड़े और गर्मी की ऋतु संधि में फूट पड़ने
वाली चेचक, मलेरिया, खसरा तथा अन्य संक्रामक रोग कीटाणुओं के विरुद्ध सामूहिक अभियान है । स्थान -स्थान पर प्रदीप्त अग्नि आवश्यकता से अधिक ताप द्वारा समस्त वायुमंडल को उष्ण
बनाकर सर्दी में सूर्य की समुचित उष्णता के अभाव से उत्पन्न रोग कीटाणुओं का संहार कर देती है।

होलिका प्रदक्षिणा के दौरान 140 डिग्री फारनहाईट तक का ताप शरीर में समाविष्ट होने से मानव
के शरीरस्थ समस्त रोगात्मक जीवाणुवों को भी नष्ट कर देता है। होली के अवसर पर होने वाले नाच-गान, खेल-कूद, हल्ला-गुल्ला, विविध स्वांग, हंसी -मजाक भी वैज्ञानिक दृष्टि से लाभप्रद
हैं। शास्त्रानुसार बसंत में रक्त में आने वाला द्रव आलस्यकारक होता है । बसंत ऋतु में निंद्रा की अधिकता भी इसी कारण होती है। यह खेल-तमाशे इसी आलस्य को भगाने में सक्षम होते हैं।
महर्षि सुश्रुत ने बसंत को कफ पोषक ऋतु माना है- 
कफश्चितो हि शिशिरे बसन्तेअकार्शु तापित: ।
हत्वाग्निं  कुरुते  रोगानातस्तं त्वरया जयेतु ।।
अर्थात शिशिर ऋतु में इकट्ठा हुआ कफ, बसंत में पिघलकर कुपित होकर
जुकाम, खांसी,श्वास , दमा आदि रोगों की सृष्टि करता है और इसके
उपाय के लिए ---
तिक्ष्नैर्वमनस्याधैर्लघुरुक्षैश्च भोजनै:।
व्यायामोद्वर्तघातैर्जित्वा श्लेष्मान मुल्बनं।।

अर्थात, तीक्ष्ण वमन, लघु रुक्ष भोजन, व्यायाम, उद्वर्तन और आघात आदि काफ को शांत करते हैं । ऊँचे स्वर में बोलना, नाचना, कूदना, दौड़ना-भागना सभी व्यायामिक क्रियाएं हैं जिससे कफ कोप शांत हो जाता है। 
होली के रंगों का हमारे शारीर और स्वास्थ्य पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है। पलाश अर्थात ढाक के फूल यानी टेसुओं का आयुर्वेद में बहुत ही महत्व पूर्ण स्थान है। इन्ही टेसू के फूलों का रंग मूलत: होली में प्रयोग किया जाता है। टेसू के फूलों से रंगा कपड़ा शारीर पर डालने से हमारे रोम कूपों द्वारा स्नायु मंडल पर प्रभाव पड़ता है और यह संक्रामक बीमारियों से शरीर को बचाता है ।
यज्ञ मधुसुदन में कहा गया है-
एतत्पुष्प  कफं  पितं  कुष्ठं दाहं तृषामपि ।
वातं स्वेदं रक्तदोषं मूत्रकृच्छं च नाशयेत।।
अर्थात ढाक के फूल कुष्ठ ,दाह ,वायु रोग तथा मूत्र कृच्छादी रोगों की महा औषधी है। दोपहर तक होली खेलने के पश्चात स्नानादि से निवृत होकर नए वस्त्र धारण कर होली मिलन का भी विशेष महत्त्व है। इस अवसर पर अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, उंच-नीच , का कोई भेद नहीं माना जाता है
यानी सामजिक समरसता का प्रतीक बन जाता है होली का यह त्यौहार।
शरद और ग्रीष्म ऋतू के संधिकाल पर आयोजित होली पर्व का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक आधार है। हमारे सभी पर्व -त्यौहार विज्ञान की कसौटी पर खरे-परखे है। आवश्यकता है उसकी मूल भावना को समझने की। वर्तमान समय में होली पर्व भी बाजारवाद की भेंट चढ़ता जा रहा है। विभिन्न रासायनिक रंगों के प्रयोग ने लाभ के स्थान पर स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालने का प्रयास किया है। कुछ व्यक्तियों द्वारा होली के हुडदंग में शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करके वातावरण खराब करने का प्रयास किया जाता है। जो पर्व आपसी भाई-चारे एवं वर्ष भर के
मतभेदों को भुलाकर एक होने का है।
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