Parliament : लोकसभा से अपराधियों की पहचान की प्रक्रिया से जुड़ा बिल पारित, गृहमंत्री...
अमित शाह ने कहा- वक्त की जरूरत
राज्यसभा की कार्यवाही पेट्रोलियम पदार्थों को लेकर हंगामे के कारण दिनभर के लिए स्थगित
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इस विधेयक / बिल में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो को यह रिकॉर्ड एकत्र करने, इन्हें सुरक्षित रखने और इन्हें साझा करने या नष्ट करने का अधिकार दिया गया है। विपक्ष की आशंकाओं को व्यर्थ बताते (खारिज़ करते) हुए गृह मंत्री अमित शाह इस बिल को बदलते समय की आवश्यकता बताते हुए कहा, कि अपराध की जांच थर्ड डिग्री के आधार पर नहीं, बल्कि तकनीक एवं सूचना के आधार पर हो, ऐसे में थर्ड डिग्री से मुक्ति (निजात) दिलाने यह विधेयक लाया गया है। अब बिल को राज्यसभा भेजा जाएगा।
संसद में आज (4 अप्रैल) की कार्यवाही की समीक्षा...
बिल पर लोकसभा में ज़ोरदार बहस हुई। विपक्षी सांसदों का ये भी कहना था, कि बिल प्राइवेसी के अधिकार के विरुद्ध है। गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा, कि सरकार को सबसे पहले पीड़ितों के मानवाधिकारों की चिंता है। चर्चा के समय सदन में कुछ हल्के-फुल्के पल भी देखने को मिले, जब बिल पर चर्चा के आरम्भ में अमित शाह अपनी बात रख रहे थे, तब टीएमसी के सांसद ने उनसे कहा कि अमित शाह जिस अंदाज में बात करते हैं उससे डर लगता है। इसपर अमित शाह ने तपाक से जवाब देते हुए कहा, कि वो कभी डराते नहीं बल्कि उनकी आवाज़ थोड़ी ऊंची है। अमित शाह ने मजाकिया अंदाज़ में कहा, कि उनमें मैन्यूफैक्चरिंग डिफैक्ट है।
गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा, यह विधेयक 1920 के कैदी पहचान अधिनियम की जगह लेगा और इससे सबूत एकत्र करने और छानबीन के काम में बहुत सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा- एक इसके साथ-साथ हमने सारे ई-प्रयासों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के लिए हमने एक स्कीम इंटर ऑपरेटेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) बिल लाए है और उसके माध्यम से सारे इनिसिएटिव को एक साथ जोड़ दिया जाएगा और ICJS में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ब्लॉक चेन, एनालिटिकल टूल, फिंगर प्रिंट्स सिस्टम और पुलिस स्टेशन तक ये सारे सिस्टम का उपयोग होकर एनालिसिस होकर हर थाने में कौन सा अपराध ज्यादा है। हर थाने के अफसर की किस अपराध की नाबूती में दक्षता होनी चाहिए। इसकी ट्रेनिंग किस प्रकार की होनी चाहिए। हर जिले में इस प्रकार के अपराधों को रोकने की व्यवस्था करने की जरूरत है।
सुनें -
श्री शाह ने सदस्यों से आग्रह किया, वे इस विधेयक को अलग करके नहीं बल्कि आने वाले जेल अधिनियम नियमावली के संदर्भ में देखें। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक लाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए मांग की कि लागू करने से पहले इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए स्थायी समिति को सौंपा जाए। डीएमके सदस्य दयानिधि मारन ने भी कहा कि विधेयक स्थायी समिति को भेजा जाए।
कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन विश्वास और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टीके विनय विश्वम ने पेट्रोलियम पदार्थों और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी पर चर्चा के लिए कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। सभापति एम वेंकैया नायडू ने यह कहते हुए इन नोटिसों को निरस्त कर दिया, कि सदस्यों को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरानइन मुद्दों को उठाने का मौका मिल चुका है इसलिए अब उन्हें शून्यकाल की कार्यवाही चलने देनी चाहिए, क्योंकि शून्यकाल में कई सदस्य जनहित के मुद्दे उठाना चाहते हैं।
कांग्रेस के दीपेन्द्र हुड्डा ने पंजाब विधान सभा द्वारा केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ को पंजाब के अधिकार क्षेत्र में लाने से संबंधित प्रस्ताव पर चर्चाकराने के लिए कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया था जिसे भी सभापित ने अस्वीकार (नामंजूर) कर दिया।
भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो उप सभापतिसस्मित पात्रा ने श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव से श्रम मंत्रालय के कामकाजपर हुई बहस का जवाब देने को कहा। इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा किकई वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को इस सप्ताह सदन में लाने और पारित करानेकी मांग की है। श्री यादव ने इस पर कहा कि सदस्य जिस नियम के तहत यह मामला उठा रहेहैं वह यहां प्रासंगिक नहीं है।
उपसभापति ने श्री भूपेन्द्र यादव से अपना जवाब शुरू करने के लिएकहा लेकिन इसी बीच कांग्रेस, तृणमूलकांग्रेस तथा वामदलों के सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। उप सभापति ने विपक्षीसदस्यों से अपनी जगहों पर लौटने तथा कार्यवाही चलने देने की बार बार अपील की,लेकिन इसका असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिएस्थगित कर दी। बजट सत्र के दूसरे चरण में यह पहला मौका है जब विपक्ष के हंगामे के कारणसदन की कार्यवाही दिन भर नहीं चली और कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका।
इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने छह सदस्यों को उच्च सदनकी सदस्यता की शपथ दिलाई। इनमें से दो असम, तीन केरल और एक असमसे निर्वाचित हुए हैं।
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श्री शाह ने सदस्यों से आग्रह किया, वे इस विधेयक को अलग करके नहीं बल्कि आने वाले जेल अधिनियम नियमावली के संदर्भ में देखें। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने विधेयक लाने की मंशा पर सवाल उठाते हुए मांग की कि लागू करने से पहले इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए स्थायी समिति को सौंपा जाए। डीएमके सदस्य दयानिधि मारन ने भी कहा कि विधेयक स्थायी समिति को भेजा जाए।
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भारतीय जनता पार्टी के विष्णु दयाल राम ने कहा, कि इस विधेयक को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। राष्ट्रवादी कांग्रेस पाटी की सदस्य सुप्रिया सुले ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पर आपत्ति है। बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली ने आरोप लगाया, कि इस विधेयक में पुलिस को बहुत छूट दी गई है और वह ऐसे व्यक्ति के भी आंकड़े एकत्र कर सकती है जिसका अपराध से कोई लेना-देना न हो और फिर उन आंकड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी की भी नहीं होगी।
विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा, कि सरकार ने आश्वासन दिया है कि विधेयक के प्रावधानों का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। भाजपा के डॉ. सत्यपाल सिंह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा, कि देश में केवल 14% अभियुक्त ही दोषी ठहराए जाते हैं जबकि सबूत के अभाव में कई लोग बरी हो जाते हैं।
राज्यसभा में कार्यवाही (4 अप्रैल, सोमवार)...
राज्यसभा की कार्यवाही पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में वृद्धि के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दल और डीएमके पार्टी के सदस्य ये मुद्दा उठाते हुए सदन के बीचो-बीच आ गए। हंगामे के बीच उपसभापति ने प्रश्नकाल चलाने का प्रयास किया, लेकिन हंगामा जारी रहा।सदन की कार्यवाही दोबार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। इसके कारण शून्यकाल, प्रश्नकाल तथा अन्य विधायी कामकाज नहीं हो सका। सदन में विधायी कामकाज के एजेन्डे के अनुसार आज श्रम और रोजगारमंत्री भूपेन्द्र यादव को गत 30 मार्च को एम शनमुगम द्वारा श्रम और रोजगार मंत्रालय के कामकाज पर शुरू की गई चर्चा का उत्तर देना था। इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चार्टर्ड अकाउटेंट , लागत और संकर्म लेखापाल और कंपनी सचिव (संशोधन)विधेयक-2022 विचार तथा पारित किये जाने के लिएपेश करना था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को भी संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक-2022 विचार तथा पारित करने के लिए प्रस्तुत करना था। विपक्ष के हंगामे के कारण ये विधायी कामकाज नहीं हो सके।
कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के अबीर रंजन विश्वास और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टीके विनय विश्वम ने पेट्रोलियम पदार्थों और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी पर चर्चा के लिए कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। सभापति एम वेंकैया नायडू ने यह कहते हुए इन नोटिसों को निरस्त कर दिया, कि सदस्यों को वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरानइन मुद्दों को उठाने का मौका मिल चुका है इसलिए अब उन्हें शून्यकाल की कार्यवाही चलने देनी चाहिए, क्योंकि शून्यकाल में कई सदस्य जनहित के मुद्दे उठाना चाहते हैं।
कांग्रेस के दीपेन्द्र हुड्डा ने पंजाब विधान सभा द्वारा केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ को पंजाब के अधिकार क्षेत्र में लाने से संबंधित प्रस्ताव पर चर्चाकराने के लिए कार्यस्थगन का प्रस्ताव दिया था जिसे भी सभापित ने अस्वीकार (नामंजूर) कर दिया।
भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो उप सभापतिसस्मित पात्रा ने श्रम और रोजगार मंत्री भूपेन्द्र यादव से श्रम मंत्रालय के कामकाजपर हुई बहस का जवाब देने को कहा। इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा किकई वर्षों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को इस सप्ताह सदन में लाने और पारित करानेकी मांग की है। श्री यादव ने इस पर कहा कि सदस्य जिस नियम के तहत यह मामला उठा रहेहैं वह यहां प्रासंगिक नहीं है।
उपसभापति ने श्री भूपेन्द्र यादव से अपना जवाब शुरू करने के लिएकहा लेकिन इसी बीच कांग्रेस, तृणमूलकांग्रेस तथा वामदलों के सदस्य आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। उप सभापति ने विपक्षीसदस्यों से अपनी जगहों पर लौटने तथा कार्यवाही चलने देने की बार बार अपील की,लेकिन इसका असर न होते देख उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिएस्थगित कर दी। बजट सत्र के दूसरे चरण में यह पहला मौका है जब विपक्ष के हंगामे के कारणसदन की कार्यवाही दिन भर नहीं चली और कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका।
इससे पहले, सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने छह सदस्यों को उच्च सदनकी सदस्यता की शपथ दिलाई। इनमें से दो असम, तीन केरल और एक असमसे निर्वाचित हुए हैं।
दण्ड प्रक्रिया पहचान विधेयक-2022
लोकसभा में सोमवार को Criminal Procedure (Identification) Bill-2022 दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक-2022) पारित बिल में प्रावधान है, जिससे किसी सज़ायाफ्ता या किसी अपराध के आरोप में गिरफ़्तार किए गए व्यक्ति के शरीर का नाप लिया जा सकेगा। नाप में व्यक्ति का फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट, आंखों की आयरिश का नमूना, उसकी तस्वीर, जैविक सैम्पल जैसे खून का नमूना, उसके हस्ताक्षर आदि शामिल होगा।
मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ये नमूने लिए जा सकेंगे। किसी पुलिस स्टेशन का थानाध्यक्ष या हेड कॉन्स्टेबल और जेल के हेड वार्डर से ऊपर रैंक का पुलिस अफ़सर नमूना ले सकेगा। नमूने से प्राप्त आंकड़े या डेटा को सुरक्षित रखने का दायित्व (ज़िम्मेदारी) राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की होगी।
75 सालों तक इन आंकड़ों को सुरक्षित रखा जा सकेगा, जिसके बाद इसे खत्म कर दिया जाएगा।यद्यपि सज़ा पूरी होने या कोर्ट से बरी होने की स्थिति में डेटा को पहले भी ख़त्म किया जा सकेगा।
नया बिल 1920 के Identification of Prisoners Act को ख़त्म कर नया क़ानून बनाने के लिए लाया गया है। विपक्ष ने आशंका व्यक्त किया, कि जैविक सैम्पल लेने के बहाने सरकार डीएनए सैम्पल इकठ्ठा करने की कोशिश करेगी, जो क़ानून के विरुद्ध है। सरकार का कहना है, कि अपराध की जांच और उसे रोकने की दृष्टि से बिल में किए गए प्रावधान अत्यंत आवश्यक हैं।
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Lok Sabha passes Criminal Procedure (Identification) Bill-2022
Lok Sabha today passed Criminal Procedure (Identification) Bill-2022. The bill seeks to authorise for taking measurements of convicts and other persons for the purposes of identification and investigation in criminal matters and to preserve records. It provides for legal sanction for taking appropriate body measurements of persons who are required to give such measurements which include finger-impressions, palm-print and foot-print impressions, photographs, iris and retina scan, physical, biological samples and their analysis among others. It will make the investigation of crime more efficient and expeditious and will also help in increasing the conviction rate.
The legislation also empowers the National Crime Records Bureau of India to collect, store and preserve the record of measurements and for sharing, dissemination, destruction and disposal of records. The bill provides for empowering police or prison officer to take measurements of any person who resists or refuses to give measurements.
Replying to a debate on the bill, Union Home Minister Amit Shah said, the only motive behind bringing the bill is to enhance the conviction rates in the country as well as bringing down the crime rates. The aim is also to spread a stern message in the society by ensuring conviction in criminal cases. Giving data of conviction rates, Mr Shah mentioned that as per data of National Crime Records Bureau (NCRB) in 2020, the conviction rates in case of the murder only stands at 44% while it is 24% in attempt to murder cases. He said, adequate safeguards are available in the bill to ensure data privacy.
Mr Shah said, the Criminal Procedure (Identification) Bill will act as defender of human rights of crores of law-abiding citizens. He mentioned that due to lack of evidence 7.50 lakh criminal cases are closed every year in India. The new bill will strengthen the criminal justice system of the country. He also said, the government will bring a model Act for jail reforms which is under finalisation. He said when finalised the Model Act will be sent to the states. Under it, there will be a provision of counselling for jail inmates.
Earlier moving the bill in the Lok Sabha, Amit Shah said, the bill will replace the Identification of Prisoners Act-1920 and would strengthen collection of evidence and further help the investigation. He informed, the government has held extensive discussion with States before putting forth the bill. Mr Shah asked the members to not look into the bill in isolation but along with the upcoming Prison Act Manual.
Initiating the discussion on the bill, Manish Tewari of Congress raised questions over the intents of the bill and demanded for referring it to the Standing Committee of Parliament for wider consultations. He stressed that the government should come out with this bill by making improvements after holding consultations with the civil society groups. DMK member Dayanidhi Maran said that the bill should be sent to standing committee. Vishnu Dayal Ram of BJP said, this legislation should be seen beyond the politics. The legislation when passed will help the investigating officers to increase the conviction rate. NCP member Supriya Sule said, her party supports the bill but has concerns against some provisions of it.
BSP member Danish Ali alleged that the bill gives immense liberty to police who can collect data related to common man and nobody is responsible for the security of that particular data. Opposing the bill, Congress member Gaurav Gogoi said, no assurance has been given by the government that weather the provisions of the bill will not be abused. Speaking in the support of the bill, BJP member Dr Satyapal Singh said that presently the conviction rate in India is only 14% and many accused walk away on account of lack of evidence. He said, this bill will not only help in collecting evidence and conducting the scientific investigation but will also safeguard the human rights. Other Members including Mahua Moitra and Saugata Roy of TMC, Bahtruhari Mahtab of BJD and ET Maohammed Basheer of IUML also participated in the discussion.
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