श्रीदुर्गा सप्तशती में भगवती ने बताया है महामारी, रोग का मन्त्र
श्री दुर्गा सप्तशती में महामारी की स्थिति में भगवती दुर्गा का कथन
"उपसर्गानशेषांस्तु महामारी समुद्भवान्। तथा त्रिविध मुत्पात माहात्म्यं शमयेन्मम "
अर्थात,
"मेरी महिमा का पाठ महामारी और तीन प्रकार के दुष्ट अंशों से उत्पन्न सभी आपदाओं को शांत करने में सक्षम है।" (अध्याय-12) श्री दुर्गा सप्तशती
धर्म नगरी / DN News (6261868110)
देवी महात्म्य (श्री दुर्गा सप्तशती के नाम से भी जाना जाता है) में माँ (बारहवें अध्याय के अनुसार) कहती है- देवी महात्म्यम के अध्यायों का पाठ सभी प्रकार की महामारियों को शांत करने में सक्षम है और अत्यधिक खतरे की स्थितियों में भक्तों की रक्षा करता है। हम समझते हैं कि आज दुनिया Covid -19 वायरस के कारण अभूतपूर्व खतरे से गुजर रही है, देखभाल और सावधानियों के साथ, आपकी भक्ति भी अपने और दूसरों के लिए एक सुरक्षा बन सकती है। वर्तमान में #भारत सहित विश्व चीन के घातक "कोरोना वायरस" के कारण पूर्णतः प्रभावित है। सनातन हिन्दू ग्रंथों, मन्त्रों में सभी समस्याओं से मुक्ति हेतु मंत्र-जाप, साधना, पूजा-आराधना का विधान हैं। जिस प्रकार "कोड नम्बर से आपका मोबाइल या तिजोरी खुलती है" , उसी प्रकार हमारे वैज्ञानिक सम्मत सनातन धर्म के प्रत्येक देवी-देवताओं हेतु विशेष मंत्र हैं, जिनके जपादि से संबंधित देवी-देवता प्रसन्न होकर अपनी कृपा प्रदान करते हैं।
हम देवी के सभी भक्तों से अनुरोध करते हैं कि वे अपना कुछ समय समर्पित करें और कोरोना नाम की इस महामारी से मानव जाति को बचाने के लिए श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
ॐ नमः चण्डिकाय...!
रोग से बचने का मंत्र (करें जाप)-
श्री दुर्गा सप्तशती में "सप्तश्लोकी दुर्गा" मंत्र है। नाम से विदित हो रहा है, कि इसमें सात श्लोक है देवीजी के। इनमे एक मन्त्र (छठवां मंत्र) रोग से रक्षा हेतु है-
रोगनशेषानपहंसि तुष्टा,
रुष्टा तू कमान सकलानभीष्टान।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां,
त्वमानश्रिता ह्रयाश्रयतां प्रयान्ति।।
अर्थात,
देवी ! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उनपर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में से हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं। (इस मंत्र का प्रतिदिन श्रद्धा-विश्वास के साथ करने का प्रभाव होता है। ये अनुभव है -संपादक "धर्म नगरी" मो. 6261868110)
महामारी दूर करने का मंत्र
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
वसन्ते च प्रकर्तव्यं तथैव प्रेमपूर्वकम् ।
द्वावृतू यमदंष्ट्राख्यौ नूनं सर्वजनेषु वै ।।
शरद्वसन्तनामानौ दुर्गमौ प्राणिनामिह ।
तस्माद्यत्नादिदं कार्यं सर्वत्र शुभमिच्छता ।।
वसन्तशरदावेव सर्वनाशकरावुभौ ।
तस्मात्तत्र प्रकर्तव्यं चण्डिकापूजनं बुधैः ।।
देवीभागवतपुराण 03/26/4-6
"व्यासजी कहते हैं- वसंत ऋतु के नवरात्र में भी विधिपूर्वक (शरद काल के नवरात्रि की तरह) प्रेम पूर्वक व्रत एवं पूजा करनी चाहिए। समस्त प्राणियों के लिए शरद और वसन्त- दोनों ऋतुएँ यमदंष्ट्र नाम से कही गई है । यह दोनों ऋतुएँ प्राणियों के लिए महान कष्टप्रद है तथा मनुष्य को रोगी बनाने में कुशल है । इसके प्रभाव से बहुत से प्राणी प्राणों से हाथ धो बैठते हैं । अतः कल्याण कामी पुरुष यत्नपूर्वक दुर्गार्चन में तत्पर हो जाय। इन ऋतुओं के आने पर विद्वानों को भगवती चण्डी की आराधना में संलग्न हो जाना चाहिये।
"उपसर्गानशेषांस्तु महामारी समुद्भवान्। तथा त्रिविध मुत्पात माहात्म्यं शमयेन्मम "
अर्थात,
"मेरी महिमा का पाठ महामारी और तीन प्रकार के दुष्ट अंशों से उत्पन्न सभी आपदाओं को शांत करने में सक्षम है।" (अध्याय-12) श्री दुर्गा सप्तशती
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श्री दुर्गा सप्तशती |
देवी महात्म्य (श्री दुर्गा सप्तशती के नाम से भी जाना जाता है) में माँ (बारहवें अध्याय के अनुसार) कहती है- देवी महात्म्यम के अध्यायों का पाठ सभी प्रकार की महामारियों को शांत करने में सक्षम है और अत्यधिक खतरे की स्थितियों में भक्तों की रक्षा करता है। हम समझते हैं कि आज दुनिया Covid -19 वायरस के कारण अभूतपूर्व खतरे से गुजर रही है, देखभाल और सावधानियों के साथ, आपकी भक्ति भी अपने और दूसरों के लिए एक सुरक्षा बन सकती है। वर्तमान में #भारत सहित विश्व चीन के घातक "कोरोना वायरस" के कारण पूर्णतः प्रभावित है। सनातन हिन्दू ग्रंथों, मन्त्रों में सभी समस्याओं से मुक्ति हेतु मंत्र-जाप, साधना, पूजा-आराधना का विधान हैं। जिस प्रकार "कोड नम्बर से आपका मोबाइल या तिजोरी खुलती है" , उसी प्रकार हमारे वैज्ञानिक सम्मत सनातन धर्म के प्रत्येक देवी-देवताओं हेतु विशेष मंत्र हैं, जिनके जपादि से संबंधित देवी-देवता प्रसन्न होकर अपनी कृपा प्रदान करते हैं।
हम देवी के सभी भक्तों से अनुरोध करते हैं कि वे अपना कुछ समय समर्पित करें और कोरोना नाम की इस महामारी से मानव जाति को बचाने के लिए श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
ॐ नमः चण्डिकाय...!
रोग से बचने का मंत्र (करें जाप)-
श्री दुर्गा सप्तशती में "सप्तश्लोकी दुर्गा" मंत्र है। नाम से विदित हो रहा है, कि इसमें सात श्लोक है देवीजी के। इनमे एक मन्त्र (छठवां मंत्र) रोग से रक्षा हेतु है-
रोगनशेषानपहंसि तुष्टा,
रुष्टा तू कमान सकलानभीष्टान।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां,
त्वमानश्रिता ह्रयाश्रयतां प्रयान्ति।।
अर्थात,
देवी ! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उनपर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में से हुए मनुष्य दूसरों को शरण देने वाले हो जाते हैं। (इस मंत्र का प्रतिदिन श्रद्धा-विश्वास के साथ करने का प्रभाव होता है। ये अनुभव है -संपादक "धर्म नगरी" मो. 6261868110)
महामारी दूर करने का मंत्र
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।
वसन्ते च प्रकर्तव्यं तथैव प्रेमपूर्वकम् ।
द्वावृतू यमदंष्ट्राख्यौ नूनं सर्वजनेषु वै ।।
शरद्वसन्तनामानौ दुर्गमौ प्राणिनामिह ।
तस्माद्यत्नादिदं कार्यं सर्वत्र शुभमिच्छता ।।
वसन्तशरदावेव सर्वनाशकरावुभौ ।
तस्मात्तत्र प्रकर्तव्यं चण्डिकापूजनं बुधैः ।।
देवीभागवतपुराण 03/26/4-6
"व्यासजी कहते हैं- वसंत ऋतु के नवरात्र में भी विधिपूर्वक (शरद काल के नवरात्रि की तरह) प्रेम पूर्वक व्रत एवं पूजा करनी चाहिए। समस्त प्राणियों के लिए शरद और वसन्त- दोनों ऋतुएँ यमदंष्ट्र नाम से कही गई है । यह दोनों ऋतुएँ प्राणियों के लिए महान कष्टप्रद है तथा मनुष्य को रोगी बनाने में कुशल है । इसके प्रभाव से बहुत से प्राणी प्राणों से हाथ धो बैठते हैं । अतः कल्याण कामी पुरुष यत्नपूर्वक दुर्गार्चन में तत्पर हो जाय। इन ऋतुओं के आने पर विद्वानों को भगवती चण्डी की आराधना में संलग्न हो जाना चाहिये।
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