कैसे, कब, किस प्रकार लाएं घर में प्रथम-पूज्य गणपति

श्रीगणेश चतुर्थी पर मूर्ति, मंत्र, पूजा कैसी हो ?

कोटि सूर्य समप्रभ: बोलें, सूर्यकोटि समप्रभ: गलत है

“वक्रतुंड महाकाय कोटि सूर्य समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव: सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
सूर्य कोटि गलत है, ऐसा विवाह आदि के कार्डों में प्रकाशित होता है. कृपया कोटि सूर्य का ही उच्चारण करें, जिसका अर्थ है "करोड़ों सूर्य के समान" -डॉ अल्प नारायण त्रिपाठी- सलाहकार सम्पादक "धर्म नगरी", पूर्व प्राचार्य श्रीमहानिर्वाणी वेद संस्कृत महाविद्यालय, दारागंज, प्रयाग

(धर्म नगरी / DN News M./W.app 6261868110) 
दंतेवाड़ा जिला (छत्तीसगढ़) में घने जंगलों के मध्य लगभग 3000 फ़ीट की ऊंचाई पर  स्थित रहस्यमय भगवन गणपति की विशालकाय प्रतिमा के दर्शन। दुर्भाग्य से लगभग ढाई वर्ष पहले इसे तोड़ दिया गया, प्रतिमा लगभग 1100 वर्ष प्राचीन है, जिनके दर्शन करना, ढोल पहाड़ (जहाँ मूर्ति स्थापित है, पर चढ़ना सहज नहीं है, ऐसे में ये प्रश्न उठना स्वभाविक है, भगवान कैसे विराजे होंगे -"धर्म नगरी / DN News  

Where the lord #Ganesha sits in calm atmosphere. 1100 year old Ganesha idol in Bastar #forest. The idol, made during the time of Nagvanshi dynasty, is placed atop a ‘dhol’ shaped hill that lies 14 km inside the forest. #GaneshChaturthi  -@ParveenKaswan (IFS) 

 विघ्नहर्ता, प्रथम-पूज्य भगवान गणपति उत्साह व उमंग के प्रतीक माने जाते हैं। धर्म शास्त्रीय विधान के अनुसार मिट्टी से बनी मूर्ति घर लाकर स्थापित करना चाहिए। मूर्ति प्राकृतिक रंगों से रंगी हो। गणपति के संग मूषक हो। ललाट पर चंद्रमा हो। हाथ में पाश और अंकुश दोनों हो, ऐसी मूर्ति शुभ होती है। मूर्ति को हाथ में लेने वाला व्यक्ति जो अपने घर लेकर आ रहा है, वह सूती कपड़ा (केसरिया सर्वोत्तम) या सफेद वस्त्र पहनें। मूर्ति पर केसरिया रंग का कपड़ा डालकर लाए।  _/\_ श्रीगणेश चतुर्थी की सबको शुभ-मंगल कामना सहित -राजेश पाठक -अवैतनिक सम्पादक 9752404020          

मूर्ति लाते समय गणपति का मुंह लाने वाले की ओर हो और घर में प्रवेश करते समय सामने हो। मंगल गीत, भजन बज रहे हों, ऐसे वातावरण में मूर्ति घर के अंदर ले आए। सुहागिन महिलाएं मूर्ति लाने वाले पर दूध का छींटा मारे। घर में स्थापित कर पूजा करें। घर में बैठी मूर्ति हो। केवल सौम्य अवस्था की मूर्ति (खड़ी, नृत्य करते, ढोल बजाते हुए न हो) घर में लाएं। 
श्वेतार्क के गणपति-
ऊँ श्री श्वेतार्क देवाय नम:। श्वेत (सफेद) रंग का मंदार का पेड़ जब 5 साल पुराना हो जाता है, उसे बहुत सावधानी से खोदें। खोदने पर उसके जड़ से साक्षात गणपति प्रकट होते दिखते हैं। श्वेतार्क के गणपति जिन घर में स्थापित होते हैं, उनपर सिंदूर औरचमेली के तेल का लेप होता है, उनके घर में कभी दरिद्रता श्वेतार्क के गणेश स्थापित होते हैं, दरिद्रता, विघ्न, उत्पात आधी उस घर में नहीं होता हैं।   

मूर्ति स्थापना हेतु वर्जित काल - 
मूर्ति की स्थापना हेतु दो काल- रोग वेला (10.46 प्रात:) एवं वार वेला (2.01 से 3.28 बजे दोपहर) में न करें। इन दो समय-काल को छोड़कर आप शेष किसी भी काल में मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। 

राशि के अनुसार पूजन, मंत्र जपादि-
मेष- उपासना स्थल का सूर्य अपने स्थान पर गोचर कर रहा है। सिंदूरी रंग के गणपति घर लाइये। 11 दूर्वा को हल्दी के घोल में भिगोकर गणपति के चरणों में समर्पित करें। ऊँ गं गणपतै नम: अनवनत जप करते रहें। विद्यार्थी हैं, प्रतियोगी परीक्षओं में कुछ अंकों से असफल हो रहे हों, तो 10 हजार बार मंत्र का जप करें। 1000 लड्डू या 1000 किशमिस के दाने मंत्र को जपते हुए चढ़ाए, फिर उसके प्रसाद 9 नीला रंग।

वृषभ- राशि का स्वामी धन भाव में राहु के साथ गोचर कर रहा है। पंचम भाव में चंद्रमा गोचर कर रहा है, इसलिए क्रीम रंग के गणपति 
गुड़हल के फल पर इत्र लगाकर गणपति को अर्पित करें। नारियल के लड्डू अर्पित करें। ऊँ गणेश अंबिकाभ्याम नम: मंत्र का 10 माला जप करें। गणपति की कृपा रित्रि सि दिलाएगी, वहीं मां पार्वती की कृपा मिलेगी। विवाह में विलंब हो रहा है, तो पूर्व दिशा की ओर मुख कर, मां पार्वती की गोद में गणपति बैठे हैं और संग में शिवजी बैठे हैं, ऐसा ध्यान करते हुए मंत्र  का जप करें। 5 अंक व क्रीम रंग शुभ है। 

मिथुन- राशि स्वामी बुध हैं, बुध का बड़ा संबंध गणपति से है। कुंडली कितनी भी खराब हो, हरे रंग की गणपति प्रतिमा लाएं। दूर्वाकुं दूर्वा की माला को हरे रंग में बांधकर अर्पित करें। गुड ऊँ श्रीं गं गणाधिपते नम: का जप करें। व्यापारी हैं, हानि हो रही है, तो आज दिनभर मंत्र का जप करते करें। फल, लड्डू, दुर्वांकुर 8 की संख्या में अर्पित करें। शुभ अंक 8 है। 

कर्क- कर्क का राशि स्वामी चंद्रमा, उपासना स्थान का स्वामी मंगल होता है। गणपति की हल्के पीले रंग की प्रतिमा लाएं। आंकड़े के फूलों के साथ जड़ वाली दुर्वांकुर पहनाएं। संभव हो, तो किसी विद्वान को बुलाकर पुरुष सूत्र के 16 मंत्रों को बोलते हुए षोडषोपचार पूजन करें। फिर ब्राह्मण को दक्षिणा दें, भोजन कराएं। लड्डुओं का भोग अवश्य लगाएं। ऊँ श्री श्वेतार्क देवाय नम:।  शुभ अंक 7 एवं रंग गुलाबी है।                        

सिंह- सिंह राशि में सूर्य का गोचर है, बुध भी कर रहा है। बुधादित्य योग बन रहा है। सिंदूरी रंग की प्रतिमा घर में लाएं। आह्वान से लेकर नै8ैद्य तक, विधिवत पूजन करें। 108 दूर्वा कुमकुम के घोल में भिगोकर चढ़ाए। गुड़ की 11 डली (या गोली) बनाकर चढ़ाएं। ऊँ गं गणपतये नम: का यथासंभव अधिकाधिक जपें। मुकदमें में उलझे हैं, तो इस मंत्र का 10 माला जप करें और मनोकामना पूर्ति तक प्रतिदिन एक माला जप करें। तीन की संख्या में फल, मिठाई आदि अर्पित करें। शुभ अंक तीन एवं रंग पीला है। 

कन्या- चंद्रमा पूर्ण युवावस्था में गोचर कर रहे हैं। हरे रंग की प्रतिमा लाएं। आम या चंदन की लकड़ी के सिंहासन पर विराजित करें। पीला कपड़ा रखकर स्थापित करें। 108 हरे मूंग के  दाने (भीगी हो, तो उत्तम है) एक प्लेट में रख सकते हैं। ऊँ श्री वक्रतुण्डाय नम:। शुभ अंक एक एवं रंग नीला है।  
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देखें / पढ़ें-

आज के ट्वीट्स : सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर / गणपति महोत्सव_2020

http://www.dharmnagari.com/2020/08/Ganapati-Mandir-in-Bharat.html
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तुला- आपके भाग्य-भाव में गोचर कर रहा है। कई रंगों से बने गणपति लाएं। पीले फूलों के साथ दूर्वा चढ़ाएं। सवा किलो, सवा पाव लड का भोग लगाएं। गणेश स्त्रोत का पाठ करें। अगर विदेश यात्रा रुकी है, तो विधिवत पूजा करें, सवा किलो बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर श्रद्धाुओं में पांच की संख्या लौंग, इलायती, पान के पत्ते चढ़ाएं। नीला रंग। 

वृश्चिक- आपके द्वितीय भाव में वृह केतु के साथ, मंगल छठें भाव में है। गुलाबी रंगी की प्रतिमा लाएं। कुमकुम से रंग 108 चावल, 108 दूर्वा चढ़ाएं। आपके लिए शुभ अंक दो एवं रंग सफेद है। 

धनु- पीले रंग की प्रतिमा लाएं। विधिवत प्रतिमा की स्थापना करें। दूर्वा को पीले हल्दी में ऊँ गणाधिपतये नम:। शुभ अंक 4 है, इसलिए चार की संख्या में उन्हें सामग्री अर्पित करें। शुभ अंक रंग भूरा। 

मकर- हल्के पीले रंग की प्रतिमा को उत्सव के साथ स्थापित करें। लाल रंग के फूलों में दूर्वा पिरोकर गणपति को समर्पित करें। काले तिल चढ़ाकर श्रीगणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। आपके लिए शुभ अंक तीन एवं रंग लाल है। 

कुंभ- सूर्य बुध की दृष्टि बनी है। आप आसमानी रंग के गणपति लाएं। विधि-विधान से पूजा करें। 108 दूर्वाकुंर चढ़ाकर सिंदूर का तिलक अवश्य लगाएं। हल्दी का तिलक भी लगाएं। ऊँ गं गणपतै नम: का जप करें। आपके लिए एक अंक एवं बैंगनी (पर्पल) रंग शुभ है।  

मीन- चंद्रमा की पूर्ण दृष्टि है, तो घर में हल्दी के रंग के गणपति लाएं। पीले धागे में, पीले फूलों से बने माला को दूर्वा के साथ माला बनाकर भगवान गणपति को अर्पित करें।
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उक्त राशिफल , लेख माँ विंध्यवासिनी के उपासक, प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पं. सुरेश पांडेय से चर्चा पर आधारित है.  
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 अपील
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