क्या नेताजी का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ या वह बच गए थे !
नेताजी की पुण्यतिथि: अफवाह या सच ?
भारत के कुछ अन्य नेता आज (18 अगस्त) जब नेताजी सुभाषचंद्र बोसजी की पुण्यतिथि बता रहे हैं, वहीं, कांग्रेस एक दौर में INA के अस्तित्व तक को समर्थन नहीं दे सकी, वह अब नेताजी की पुण्यतिथि को लेकर हमेशा व्याकुल दिखती है, लेकिन क्या नेताजी सच में आज की तारीख को दिवंगत हुए थे ?
धर्म नगरी / DN News M./W.app 6261868110)
क्या नेताजी सुभाषचंद्र बोस का विमान फोरमोसा (अब ताइवान) में दुर्घटना का शिकार हो गया था और इसमें नेताजी मारे गए थे ? या वह बच गए और सर्बिया चले गए थे ? या फिर ‘विमान हादसा’ मात्रा एक माध्यम था, उन्हें सुरक्षित निकल जाने देने के लिए ? आइए जाने इस कथित पुण्यतिथि के आसपास घूमती कहानियाँ, वे कहानियाँ, जो दंतकथा न होकर सम्बन्धित विषय पर इतिहासकारों एवं शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध व साक्ष्य पर आधारित हैं।
प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते कुछ मोर्चों पर असफल होने के कारण 40,000 से अधिक पराक्रमी सैनिकों वाली आज़ाद हिन्द फ़ौज को नेताजी विखंडित कर ही चुके थे। कुछ समय बाद हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमरीका ने ब्रितानी हुकूमत के विरुद्ध लड़ने वाली आज़ाद हिन्द फौज के सहयोगी मित्र जापान के दो शहरों में सन 1945 दिनांक 6 व 9 को परमाणु बम गिराए।
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Read this-
Is Netaji really died today (18 August, 1945) ?
Common Indian's opinion in social media
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http://www.dharmnagari.com/2020/08/Aaj-ke-tweet-Netaji-really-died-on-18-Aug.html
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सप्ताह भर के भीतर जापान आत्मसर्पण कर चुका था, इसलिए नेताजी के सामने दुविधा आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों का ध्यान रखते हुए आत्मसमर्पण कराने को लेकर थी कि उनका समर्पण जापान के साथ सामूहिक होगा या व्यक्तिगत !
इसी से संबंधित वार्ता करने नेताजी सिंगापुर से बैंकाक और वहाँ से टोक्यो में जापान के उच्च अधिकारीयों से भेंट कार्यक्रम निर्धारित कर 15 अगस्त को निकल पड़े। 16 को बैंकाक, फिर 17 अगस्त को आज़ाद हिन्द फ़ौज के अपने कुछ साथियों समेत वियतनाम के शहर साइगोन पहुँचे।
17 अगस्त की शाम को फिर उनके जहाज ने उड़ान भरी और अगले दिन तायपेई पहुँचकर रुके, जिसके बाद ये माना जाता है कि उड़ान भरते ही उनका जहाज क्रैश कर गया और उनके थर्ड डिग्री तक जल जाने के कारण उनकी मौत हो गयी।
उनके साथ मौजूद उनके करीबी हबीब उर रहमान ने कथित तौर पर उनका क्रियाकर्म करवाया और अस्थियाँ जापानी प्रशासन को सौंप दी, जिन्हें आज भी जापान के रैंकोजी मंदिर में रखा गया है और अस्थियों पर भी विवाद जारी है, शाह नवाज जाँच कमिटी के अनुसार यह भी जिक्र आता है कि वह अस्थियाँ जापानी सिपाही इचिरो ओकरा के नाम से रखी गईं।
इसके अलावा, मुखर्जी आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में भी स्पष्ट रूप से इस बात को नकार दिया गया था कि नेताजी की मृत्यु विमान हादसे में हुई थी। हालाँकि, तब सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की थी।
प्लेन क्रैश नहीं हुआ तो नेताजी गए कहाँ ?
यदि प्लेन क्रैश में नेताजी कि मृत्यु नहीं हुई तो वे गए कहाँ ? स्वभाविक सा प्रश्न है. नेताजी की प्लेन क्रैश घटना के ग्यारह दिन बाद 29 अगस्त को नेताजी पर कॉंग्रेस द्वारा जारी प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमरीकी सेना को कवर करने वाले शिकागो ट्रिब्यून के पत्रकार अल्फ्रेड वैग ने जवाहर लाल नेहरू को प्रेस ब्रीफिंग के बीच में टोका और बताया कि उनके साथियों ने चार दिन पहले अर्थात 25 अगस्त को नेताजी को सागौन शहर में देखा समाचार पत्र में प्रेषित न्यूज़ देखें-
इस क्षण से आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोस की मृत्यु को लेकर संदेह उभरने शुरू हो गए। स्वंत्रता के पश्चात भी भारत की सत्ता पर आसीन सत्ताधारियों व अंग्रेज़ों के बीच यह तय हुआ, कि बोस के पाए जाने पर उन्हें जीवित या मृत, अलाइड शक्तियों के हवाले कर दिया जाना चाहिए क्योंकि जापानियों के सहयोग से अंग्रेज़ों के खिलाफ भारत की स्वतन्त्रता के लिए लड़ने वाले बोस ‘वॉर क्रिमिनल’ (युद्ध के अपराधी) थे।
#Courtesy
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भारत के कुछ अन्य नेता आज (18 अगस्त) जब नेताजी सुभाषचंद्र बोसजी की पुण्यतिथि बता रहे हैं, वहीं, कांग्रेस एक दौर में INA के अस्तित्व तक को समर्थन नहीं दे सकी, वह अब नेताजी की पुण्यतिथि को लेकर हमेशा व्याकुल दिखती है, लेकिन क्या नेताजी सच में आज की तारीख को दिवंगत हुए थे ?
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नेताजी की पुण्यतिथि 18 अगस्त ही है, यह भ्रम कॉन्ग्रेस के समय विकसित किया गया |
क्या नेताजी सुभाषचंद्र बोस का विमान फोरमोसा (अब ताइवान) में दुर्घटना का शिकार हो गया था और इसमें नेताजी मारे गए थे ? या वह बच गए और सर्बिया चले गए थे ? या फिर ‘विमान हादसा’ मात्रा एक माध्यम था, उन्हें सुरक्षित निकल जाने देने के लिए ? आइए जाने इस कथित पुण्यतिथि के आसपास घूमती कहानियाँ, वे कहानियाँ, जो दंतकथा न होकर सम्बन्धित विषय पर इतिहासकारों एवं शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध व साक्ष्य पर आधारित हैं।
प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते कुछ मोर्चों पर असफल होने के कारण 40,000 से अधिक पराक्रमी सैनिकों वाली आज़ाद हिन्द फ़ौज को नेताजी विखंडित कर ही चुके थे। कुछ समय बाद हुए द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अमरीका ने ब्रितानी हुकूमत के विरुद्ध लड़ने वाली आज़ाद हिन्द फौज के सहयोगी मित्र जापान के दो शहरों में सन 1945 दिनांक 6 व 9 को परमाणु बम गिराए।
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Read this-
Is Netaji really died today (18 August, 1945) ?
Common Indian's opinion in social media
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http://www.dharmnagari.com/2020/08/Aaj-ke-tweet-Netaji-really-died-on-18-Aug.html
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सप्ताह भर के भीतर जापान आत्मसर्पण कर चुका था, इसलिए नेताजी के सामने दुविधा आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों का ध्यान रखते हुए आत्मसमर्पण कराने को लेकर थी कि उनका समर्पण जापान के साथ सामूहिक होगा या व्यक्तिगत !
इसी से संबंधित वार्ता करने नेताजी सिंगापुर से बैंकाक और वहाँ से टोक्यो में जापान के उच्च अधिकारीयों से भेंट कार्यक्रम निर्धारित कर 15 अगस्त को निकल पड़े। 16 को बैंकाक, फिर 17 अगस्त को आज़ाद हिन्द फ़ौज के अपने कुछ साथियों समेत वियतनाम के शहर साइगोन पहुँचे।
17 अगस्त की शाम को फिर उनके जहाज ने उड़ान भरी और अगले दिन तायपेई पहुँचकर रुके, जिसके बाद ये माना जाता है कि उड़ान भरते ही उनका जहाज क्रैश कर गया और उनके थर्ड डिग्री तक जल जाने के कारण उनकी मौत हो गयी।
उनके साथ मौजूद उनके करीबी हबीब उर रहमान ने कथित तौर पर उनका क्रियाकर्म करवाया और अस्थियाँ जापानी प्रशासन को सौंप दी, जिन्हें आज भी जापान के रैंकोजी मंदिर में रखा गया है और अस्थियों पर भी विवाद जारी है, शाह नवाज जाँच कमिटी के अनुसार यह भी जिक्र आता है कि वह अस्थियाँ जापानी सिपाही इचिरो ओकरा के नाम से रखी गईं।
इसके अलावा, मुखर्जी आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में भी स्पष्ट रूप से इस बात को नकार दिया गया था कि नेताजी की मृत्यु विमान हादसे में हुई थी। हालाँकि, तब सरकार ने मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की थी।
प्लेन क्रैश नहीं हुआ तो नेताजी गए कहाँ ?
यदि प्लेन क्रैश में नेताजी कि मृत्यु नहीं हुई तो वे गए कहाँ ? स्वभाविक सा प्रश्न है. नेताजी की प्लेन क्रैश घटना के ग्यारह दिन बाद 29 अगस्त को नेताजी पर कॉंग्रेस द्वारा जारी प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अमरीकी सेना को कवर करने वाले शिकागो ट्रिब्यून के पत्रकार अल्फ्रेड वैग ने जवाहर लाल नेहरू को प्रेस ब्रीफिंग के बीच में टोका और बताया कि उनके साथियों ने चार दिन पहले अर्थात 25 अगस्त को नेताजी को सागौन शहर में देखा समाचार पत्र में प्रेषित न्यूज़ देखें-
इस क्षण से आगे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोस की मृत्यु को लेकर संदेह उभरने शुरू हो गए। स्वंत्रता के पश्चात भी भारत की सत्ता पर आसीन सत्ताधारियों व अंग्रेज़ों के बीच यह तय हुआ, कि बोस के पाए जाने पर उन्हें जीवित या मृत, अलाइड शक्तियों के हवाले कर दिया जाना चाहिए क्योंकि जापानियों के सहयोग से अंग्रेज़ों के खिलाफ भारत की स्वतन्त्रता के लिए लड़ने वाले बोस ‘वॉर क्रिमिनल’ (युद्ध के अपराधी) थे।
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