धर्मांतरण का तेजी से बढ़ता अब ये नया माध्यम
धर्मांतरण के लिए मसीही मन्दिर चर्च
दुनिया में कहीं भी नहीं मिलेंगे मसीही मस्जिद चर्च, क्यों ? इसे सोचने के लिए भी हिन्दुओं, धर्म के नाम पर कमाने वाले हिन्दू धर्माचार्यों के पास समय भी नहीं है आज... !
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मसीही मन्दिर चर्च, देवास, उज्जैन |
(धर्म नगरी / डीएन न्यूज) वाट्सएप- 6261868110
भारत में एक ओर हिन्दू बिखरा है, सम्पन्न व सक्षम हिन्दू एवं संत-धर्माचार्यों को राष्ट्र-धर्म-हिन्दू रक्षा से दूर हैं, वहीं हिन्दुओं के धर्मांतरण के लिए मुस्लिम लव जिहाद आदि फैला रहे हैं, वहीं ईसाईयों द्वारा मसीही मंदिर चर्च देशभर में तेजी से खोले जा रहे हैं। सबसे बड़ी रोचक बात यह, कि दुनिया में कहीं भी मसीही मस्जिद चर्च नहीं मिलेंगे।
शिक्षा, संस्कार नष्ट कर अब धर्मांतरण-
भारतीय शिक्षा को दूषित करके संस्कार नष्ट करने वाले भारत में सफेदपोश धर्मांतरण का यह एक नया तरीका है। ग्रामीण क्षेत्रों में धर्मांतरण की गतिविधियों के दौरान मिशनरीज को यह समझ आया, कि हमें भारत में अपने काम करने का तौर-तरीका बदलना चाहिए। इससे न सिर्फ धर्मांतरण में तेजी आएगी बल्कि कोई हमारे ऊपर अंगुली भी नहीं उठा पाएगा। जब आप किसी को कहते हैं, कि चलो चर्च चलते हैं तो वह संकोच करेगा या फिर मना भी कर सकता है। जब आप उसे कहेंगे कि चलो मसीही मंदिर चलते है तो वह तुरंत चला जाएगा। यह एक सोच है धीरे धीरे आपको किसी दूसरे धर्म से जोड़ऩे की।
यहां पर प्लानिंग के साथ धर्मांतरण किया जा रहा है। क्यों दुनिया के कुछ धर्म दूसरे धर्म के लोगों को बरगलाने फुसलाने में लगे रहते हैं ? इस मसीही मंदिर चर्च में आने वाले लोगों की भीड़ देखिए। उक्त फोटो पुरानी है और इस तरह की सैकड़ों फोटो आपको मिल जाएंगी। यहां आने वाले सभी लोग या तो हिंदू हैं या फिर धर्मांतरित हिंदू।
दुनिया में शायद हिंदू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसके खिलाफ आप कुछ भी कर सकते हैं। आप दुनिया में कहीं भी एक मसीही "मस्जिद" चर्च बनाकर दिखाइए। आपको समझ आ जाएगा कि आप क्या कर रहे हैं।
आदिवासी और वनवासी क्षेत्रों में शुरुवात-
आदिवासी और वनवासी क्षेत्रों में जहां लोग चर्च में जाना पसंद नहीं करते वहां इन मसीही मंदिर चर्च में एक नई शुरुआत की गई है। इन मसीही मंदिरों में उनके स्थानीय त्योहार मनाए जाते हैं और उनके बहाने लोगों को वहां बुलाया जाता है। सही बात भी है। आपने एक बढिय़ा मंच दे दिया। यहां खानपान है, व्यवस्थाएं हैं, साजिश की बू में लपेटा हुआ प्रेम है और इसके साथ और भी बहुत कुछ है। कोई गांव वाला क्यों वहां अपना त्योहार मनाने नहीं जाएगा।
एक पहलू तो यह भी है कि हिंदूओं ने स्वयं अपने धर्म के प्रति पूरी तरह उदासीन हो गया (धर्म को लावारिस छोड़ रखा) है। इस तरह की कोई व्यवस्था या सोच पनप ही नहीं सकी जो हर हिंदू को इस बात का अहसास दिला सके कि तुम्हारे साथ कोई भी परेशानी आएगी तो समाज तुम्हारे साथ खड़ा होगा। जब आप किसी को लावारिस छोड़ देंगे तो वह वहीं जाएगा जहां उसे प्यार मिलेगा। #साभार
☞ आवश्यकता है-
"धर्म नगरी" का विस्तार हर जिले में हो रहा है. इसलिए शहरी (वार्ड, कालोनी तक) व ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की तुरंत आवश्यकता है. प्रमुख जिलों, तीर्थ नगरी एवं राज्य की राजधानी में पार्टनर एवं ब्यूरो चीफ नियुक्त करना है. योग्यता राष्ट्रवादी विचारधारा एवं सक्रियता। वेतन अनुभवानुसार एवं कमीशन योग्यतानुसार होगा।
☞ निवेदन-
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