माँ कात्यायनी ध्यान मंत्र-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्वनीम्॥
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पञ्वाधरां कांतकपोला तुंग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम॥
माँ कात्यायनी का स्तोत्र-
कंचनाभा वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकार भूषितां।
सिंहस्थितां पदमहस्तां कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
परमांवदमयी देवि परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोअस्तुते॥
माँ कात्यायनी कवच-
कात्यायनी मुखं पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयं पातु जया भगमालिनी॥
माँ कात्यायनी की कथा-
देवी कात्यायनी जी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार एक समय कत नाम के प्रसिद्ध ॠषि हुए तथा उनके पुत्र ॠषि कात्य हुए, उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध कात्य गोत्र से, विश्वप्रसिद्ध ॠषि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। देवी कात्यायनी जी देवताओं ,ऋषियों के संकटों को दूर करने लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में उत्पन्न होती हैं। महर्षि कात्यायन जी ने देवी पालन पोषण किया था। जब महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब उसका विनाश करने के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपने अपने तेज़ और प्रताप का अंश देकर देवी को उत्पन्न किया था और ॠषि कात्यायन ने भगवती जी कि कठिन तपस्या, पूजा की इसी कारण से यह देवी कात्यायनी कहलायीं। महर्षि कात्यायन जी की इच्छा थी कि भगवती उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लें। देवी ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार की तथा अश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेने के पश्चात शुक्ल सप्तमी, अष्टमी और नवमी, तीन दिनों तक कात्यायन ॠषि ने इनकी पूजा की, दशमी को देवी ने महिषासुर का वध किया ओर देवों को महिषासुर के अत्याचारों से मुक्त किया।
नवरात्रि (षष्ठी तिथि को) कार्य सिद्धि का मन्त्र-
सर्व मंगल माँड़गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणी नामोस्तुते ।।
मनोकामना सिद्धि के उपाय-
(नवरात्रि षष्ठी तिथि में)-
- जो लोग फिल्म इन्डस्ट्री या ग्लैमर के क्षेत्र से जुड़े हुए है, देशी घी का तिलक देवी माँ को लगाएं । देवी माँ के सामने देशी घी का दीपक जरुर जलाएं। ऐसा करने से फिल्म इन्डस्ट्री या ग्लैमर के क्षेत्र में सफलता तय है।
- खेलकूद के क्षेत्र सफलता पाने के लिए देवी माँ को सिन्दूर और शहद मिलाकर तिलक करें। अपनी माँ का आशीर्वाद जरुर ले । दोनों माँ का आशीर्वाद आपको सफलता जरुर दिलाएगा।
- राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लाल कपड़े में २१ चूड़ी,०२ जोड़ी चांदी की बिछिया, 5 गुड़हल के फूल, ४२ लौंग, ०७ कपूर और इत्र बांधकर देवी के चरणों में अर्पित करें। सफलता जरुर मिलेगी।
- प्रतियोगिता में सफलता के लिए ०७ प्रकार की दालो का चूरा बनाकर चींटियों को खिलाने से सफलता मिलेगी।
- हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कुमकुम, लाख,कपूर, सिन्दूर, घी, मिश्री और शहद का पेस्ट तैयार कर लें। इस पेस्ट से देवी माँ को तिलक लगाएं। अपने मस्तक पर भी पेस्ट का टीका लगाएं। आपको जरुर सफलता मिलेगी।
- प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पाने के लिए मिट्टी को घी और पानी में सानकर ९ गोलिया बना लीजिये। इन गोलियों को छायां में सुखा लीजिये। इन गोलियों को पीले सिन्दूर की कटोरी में भरकर देवी को चढ़ा दीजिये। नवमी दिन इन गोलियों को नदी में जरुर बहा दीजिये और सिन्दूर को संभाल कर रखिये। जरुरी काम से जाते समय हर सिन्दूर का टीका लगाइए सफलता जरुर मिलेगी।
- गृह कलह निवारण के लिए करें यह उपाय लकड़ी की चौकी बिछाएं। उसके ऊपर पीला वस्त्र बीछाएं। चौकी पर पांच अलग-अलग दोनो पर अलग-अलग मिठाई रखें। प्रत्येक दोनों में पांच लौंग, पांच इलायची और एक नींबू रखें। धूप-दीप, पष्प अक्षत अर्पित करने के उपरांत एक माला जपें-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ कात्यायनी देव्यै नम:
और एक माला शनि पत्नी नाम स्तुति की करें। तत्पश्चात यह समस्त सामग्री किसी पीपल के पेड़ के निचे चुपचाप रखकर आना चाहिए। बहुत जरूरी है ग्रह प्रवेश से पहले हाथ-पैर अवश्य धो लें।
माँ कात्यायनी जी की आरती-
जय जय अम्बे जय कात्यानी।
जय जगमाता जग की महारानी।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहा वरदाती नाम पुकारा।।
कई नाम है कई धाम है।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भगत है कहते।।
कत्यानी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।।
झूठे मोह से छुडाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।।
ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए।
ध्यान कात्यानी का धरिये।।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।।
जो भी माँ को 'चमन' पुकारे।
कात्यानी सब कष्ट निवारे।।
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