माँ महागौरी की पूजन विधि-
देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है। अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी प्रत्येक दिन की तरह देवी की पंचोपचार सहित पूजा करते हैं।इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराकर वस्त्राभूषणों द्वारा पूर्ण शृंगार किया जाता है और फिर विधिपूर्वक आराधना की जाती है। हवन की अग्नि जलाकर धूप, कपूर, घी, गुग्गुल और हवन सामग्री की आहुतियां दीजिए। सिन्दूर में एक जायफल को लपेटकर आहुति देने का भी विधान है। धूप, दीप, नैवेद्य से देवी की पूजा करने के बाद मातेश्वरी की जय बोलते हुए 101 परिक्रमाएं दी जाती हैं। इस पर्व पर नवमी को प्रात: काल देवी का पूजन किया जाता हैं। अनेक पकवानों से दुर्गाजी को भोग लगाया जाता है। छोटे बालक-बालिकाओं की पूजा करके उन्हें पूड़ी, हलवा, चने और भेंट दी जाती है। इस दिन कुलदेवी और कुलदेवताओं की पूजा की जाती है। कन्याओं को भोजन करवाया जाता है।
माँ महागौरी का ध्यान मंत्र-
श्वेते वृषे समारुढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।
महगौरी पूजन करते समय इस मंत्र से देवी का ध्यान करना चाहिए।
करें कन्या पूजन-
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है।
पूजन के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने और उनका पूजन करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महागौरी माता अन्नपूर्णा स्वरूप भी हैं। इसलिए कन्याओं को भोजन कराने और उनका पूजन-सम्मान करने से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
महागौरी की पूजा करते समय जहां तक हो गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। महागौरी गृहस्थ आश्रम की देवी हैं औरजब गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। एक परिवार को प्रेम के धागों से ही गूंथकर रखा जा सकते हैं, इसलिए आज के दिन गुलाबी रंग पहनना शुभ रहता है।
शास्त्रों में माता दुर्गा महागौरी के इन मंत्रों को गुप्त और अति चमत्कारी महामंत्र बताये गए है, जिनका जप करने से सभी प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त होने लगती है। नवरात्रि काल में अष्टमी तिथि की रात में इन शक्तिशाली मंत्रों का निर्धारित संख्या में जप करने के बाद एक बार श्री दुर्गाशप्ती का पाठ भी करना चाहिए। नीचे दिए गए किसी भी एक मंत्र का चयन कर रात में 9 बजे से लेकर 12 बजे तक गाय के घी का दीपक जालकर, माता महागौरी का विधिवत आवाहन पूजन कर, कुल मंत्र जप तीन हजार जपने से मंत्र सिद्ध हो जाता है और मंत्र सिद्ध होने पर माता महागौरी प्रसन्न होकर सभी कामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद देती है।
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मां दुर्गा के सिद्ध चमत्कारी मंत्र-
1- ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः
2- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
3- सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
धन प्राप्ति की विशेष कामना हेतु मंत्र-
मंत्र-
ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:,
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या,
सर्वोपकारकरणाय सदाऽर्द्रचित्ता ॥
ज्ञात-अज्ञात पाप कर्मों के दुष्फल से बचने के लिए अष्टमी तिथि को इस मंत्र का एक हजार बार जप करने सभी प्रकार के पापों के दुष्फल नष्ट हो जाते हैं । मंत्र-
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽन: सुतानिव ॥
उपरोक्त मंत्रों का जप पूरा होने के बाद जिस मंत्र का जप किया था, दूसरे दिन नवमी तिथि को सुबह 4 बजे से लेकर 8 बजे के बीच उसी जप किए मंत्र से 251 बार गाय के घी में शहद मिलाकर हवन यज्ञ करें। हवन के बाद 5 छोटी कन्याओं को भोजन भी खिलावें। ऐसा करने से जपकर्ता की एक साथ सैकड़ों कामनाएं पूरी हो जाती है।
इसी प्रकार तंत्र शास्त्र के जानकार साधक माता की पूजा अनेक गुप्त शक्तियों की प्राप्ति के लिए करते हैं। अगर किसी की कोई कामना पूरी नहीं हो पा रही हो, या परिवार में सब कुछ ठीक न चल रहा हो तो दुर्गा महाअष्टमी की विशेष रात में माता महागौरी के इन मंत्रों में से किसी भी एक का जप नीचे बताई गई शास्त्रों में निर्धारित संख्या में जरूर करें कुछ ही दिनों में जपकर्ता की सभी मनचाही कामनाएं पूरी होने लगेगी।
शास्त्रों में माता दुर्गा महागौरी के इन मंत्रों को गुप्त और अति चमत्कारी महामंत्र बताये गए है, जिनका जप करने से सभी प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त होने लगती है। नवरात्रि काल में अष्टमी तिथि की रात में इन शक्तिशाली मंत्रों का निर्धारित संख्या में जप करने के बाद एक बार श्री दुर्गाशप्ती का पाठ भी करना चाहिए। नीचे दिए गए किसी भी एक मंत्र का चयन कर रात में 9 बजे से लेकर 12 बजे तक गाय के घी का दीपक जालकर, माता महागौरी का विधिवत आवाहन पूजन कर, कुल मंत्र जप तीन हजार जपने से मंत्र सिद्ध हो जाता है और मंत्र सिद्ध होने पर माता महागौरी प्रसन्न होकर सभी कामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद देती है।
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