भारत में घुसपैठी मुस्लिम बांग्लादेशियों अब मनरेगा का पैस भी लेने लगे, और...
...उस पैसे से ISI एजेंट रच सकते हैं बड़ी साजिश !
"बॉर्डर मैनेजमेंट टास्क फोर्स की वर्ष 2000 की रिपोर्ट के अनुसार 1.5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठ कर चुके हैं और लगभग तीन लाख प्रतिवर्ष घुसपैठ कर रहे हैं. हाल के अनुमान के मुताबिक देश में 4 करोड़ घुसपैठिये मौजूद हैं। 2018 में बंगाल के कई इलाकों में हिन्दुओं के ऊपर होने वाले सांप्रदायिक हमलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का ही हाथ रहा है..." - जुलाई 2018 में मीडिया रिपोर्ट
राजेश पाठक*
केंद्र सरकार की योजना "मनरेगा" का पैसा बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास जा रहा है. इस पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ बांग्लादेश में मौजूद कट्टरपंथी संगठन और ISI के एजेंट्स कर सकते हैं. जबकि आपके-हमारे जिसमे अधिकांश हिन्दुओं का दिया टैक्स का पैसा है, जो सरकारी खजाने में होकर "मनरेगा" के माध्यम से गरीब मजदूरों को आर्थिक शक्ति देने के लिए है. सरकार इस पर टैक्स का पैसा पानी की तरह बहाती है।
अब वही हमारा टैक्स का पैसा हमारे ही देश के खिलाफ साजिश रचने में की सकती है. ये सब पश्चिम बंगाल में हो रहा है, जहां बांग्लादेशी घुसपैठियों को वोट बैंक माना जाता है. उनके नाम पर आधार कार्ड. राशन कार्ड. वोटर आईडी कार्ड बन जाते हैं. और ये सब आज से नहीं कई साल से हो रहा है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल में भी ये लगातार जारी है, लेकिन अब बात उससे भी आगे बढ़ चुकी है. पश्चिम बंगाल से मनरेगा का पैसा बांग्लादेशियों के पास भेजा जा रहा है।
ये सब कैसे हो रहा है ? कौन-कौन कर रहा है ? ये जानने के लिए न्यूज़ चैनल टीवी9 भारतवर्ष की टीम ने पश्चिम बंगाल में पता लगाया। उस जगह पहुंची.जहां से मनरेगा का पैसा बांग्लादेशियों को मिलने का लेटेस्ट लिंक सामने आया है ISI एजेंट बड़ी साजिश रच सकते हैं।
ये सब कैसे हो रहा है ? कौन-कौन कर रहा है ? ये जानने के लिए न्यूज़ चैनल टीवी9 भारतवर्ष की टीम ने पश्चिम बंगाल में पता लगाया। उस जगह पहुंची.जहां से मनरेगा का पैसा बांग्लादेशियों को मिलने का लेटेस्ट लिंक सामने आया है ISI एजेंट बड़ी साजिश रच सकते हैं।
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2018 की भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो असम के अलावा उत्तर पूर्व के राज्य त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड में भी अवैध रूप से बांग्लादेशी रह रहे हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ में भी अवैध रूप से भारत आए बांग्लादेशी रहते हैं.
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2018 की भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो असम के अलावा उत्तर पूर्व के राज्य त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड में भी अवैध रूप से बांग्लादेशी रह रहे हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, त्रिपुरा और छत्तीसगढ़ में भी अवैध रूप से भारत आए बांग्लादेशी रहते हैं.
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पश्चिम बंगाल में चल रहे रैकेट के माध्यम से हिंदुस्तानियों के पैसे बांग्लादेशियों के पास भेजे जा रहे हैं. मुर्शिदाबाद के नबग्राम में ऐसा एक रैकेट का पता चला है, जिसमें कई करोड़ों रुपये बांग्लादेश जा रहे हैं, न्यूज़ चैनल की टीम मुर्शिदाबाद के नबग्राम के निमग्राम गांव पहुंची. जिसे इस ममता राज में चल रहे गोरखधंधे का बड़ा सेंटर बताया है।
ममता बनर्जी की TMC के नेता पर है आरोप-
पता चला कि वहां पर मनी लॉन्ड्रिंग के इस रैकेट का इल्जाम TMC के नेता समसुल अरफिन पर है, जो निमग्राम पंचायत का उप-प्रधान है.जिसे गुरपशला ग्राम पंचायत के नाम से भी जाना जाता है.
धीरेंद्र नाथ यादव (पूर्व पंचायत सदस्य, निमग्राम) ने बताया- “मुर्शिदाबाद जिले के अंतर्गत नबग्राम ब्लॉक के गुरपशला ग्राम पंचायत के उप-प्रधान समसुल अरफिन और ग्राम पंचायत के कर्मचारी सबरुल इस्लाम इन्होंने मनरेगा के तहत जॉब कार्ड कुछ फर्जी और कुछ बांग्लादेशियों के नाम पर बनाकर पैसा उठा रहे थे।”
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1980 में बंगाल में 57 से 60 लाख से अधिक थे अवैध बांग्लादेशी!1972 से 1988 तक बंगाल में 28 लाख बांग्लादेशी नागरिक आए पश्चिम बंगाल सरकार के सूत्रों के मुताबिक़ वर्ष 1980 तक कुल 32,84,065 शरणार्थियों का पुनर्वास हुआ था। अकेले बंगाल में इनकी संख्या 20,95,000 थी. इसके अलावा अवैध रूप से राज्य में रह रहे बांग्लादेशियों की आबादी कहने को 57 से 60 लाख थी, लेकिन असली संख्या इससे काफी अधिक थी। 1990 में कोलकाता से प्रकाशित एक अंग्रेजी दैनिक में छपे एक लेख में पूर्व आई बी प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल टी वी राजेश्वर राव ने इस समस्या की हक़ीक़त सामने रखी थी। उन्होंने राज्य सरकार के हवाले से ही लिखा था कि 1972 से 1988 तक बंगाल में 28 लाख बांग्लादेशी नागरिक आए, लेकिन उनमें से पांच लाख यहीं के होकर रह गए थे। ------------------------------ ------------------
देश की सुरक्षा का है मामला-
उक्त आरोप और मामला केवल मनरेगा के तहत भ्रष्टाचार और हेराफेरी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है.क्योंकि भारत का पैसा अगर इस तरह बांग्लादेशियों के पास जा रहा है। बांग्लादेशियों के पास जाने वाले इस पैसे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ हो सकता है और ये काम वहां के कट्टरपंथी संगठन, ISI के जासूस कर सकते हैं।
न्यूज़ चैनल की टीम निमग्राम में पहुंची थी, जहां साजिश का सरगना TMC के नेता समसुल अरफिन को बताया जा रहा है. हमने पड़ताल जारी रखी और उन लोगों तक पहुंचे, जिनके पास इस गोरखधंधे के सबूत हैं।
“हमारे पास सबूत भी है, हम दिखा सकते हैं, क्योंकि समसुल अरफीन और उसका भाई, जो बांग्लादेश में रहता है. बांग्लादेश में रहता है, जिसका जॉब कार्ड यहां का. ये बात सच है कि यहां 170 लोगों का फर्जी जॉब कार्ड है, बांग्लादेश आना-जाना लगा रहता है पैसा.” -मोहम्मद अब्दुल अलीम, स्थानीय निवासी
टीम ने जब मामले से जुड़े दस्तावेज देखे, तो पता चला कि धांधली और धोखाधड़ी कागजों में दर्ज है. जी खांदेकर के नाम के जिस व्यक्ति के नाम पर ये जॉब कार्ड बना है। उसका एक और नाम है- बापी खांदेकर, जो बांग्लादेशी है और चिटगांव पोर्ट अथॉरिटी में काम करता है, लेकिन इस बांग्लादेशी के नाम पर आज से नहीं बल्कि साल 2008 से जॉब कार्ड बना हुआ है। सबसे बड़ी बात ये, कि ये शख्स रिश्ते में निमग्राम पंचायत के उप-प्रधान और मुख्य आरोपी समसुल अरफिन का भाई लगता है. जिस पर ऐसे एक दो नहीं, बल्कि सैकड़ों कार्ड बनवाकर लाखों के वारे-न्यारे करने के आरोप है।
“कच्चू शेख और बच्चू शेख.लोगों का कहना है कि ये बांग्लादेश में रहते हैं, उनके नाम पर पैसा उठा है.बापी खांदेकर जो उप-प्रधान अरेस्ट हुआ है, उसका भाई, उसके नाम पर भी पैसा उठा हुआ है.”-धीरेंद्र नाथ यादव, पूर्व पंचायत सदस्य, निमग्राम
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2011 में इसलिए अवैध बांग्लादेशियों की हितैषी बन गईं ममता बनर्जी माकपा को अपने समर्पित वोट बैंक पर पूरा भरोसा था, जो कि माना गया कि बांग्लादेश से अवैध हुए बांग्लादेशी नागरिक थे, जिन्हें वोटर आईडी और राशन कॉर्ड देकर भारतीय नागरिक बना दिया गया था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था, कि वाममोर्चा के सत्ता में आने के समय से ही मुस्लिम घुसपैठियों को वोटर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई।
विशेष उल्लेखनीय यह है, कि उस समय विपक्ष में रहीं ममता बनर्जी भी मानती थी कि राज्य में दो करोड़ से अधिक बोगस वोटर हैं। तब एक मोटे अनुमान लगाया गया, कि भारत में डेढ़ से दो करोड़ घुसपैठिए महज वोट बैंक के लिए अवैध रूप से बसाए गए हैं। अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को बंगाल के एक बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा है। बाद में ममता बनर्जी को बंगाल की सत्ता के लिए समर्पित वोट बैंक के रूप मौजूद अवैध बांग्लादेशी नागरिकों का पार्टी के पक्ष में इस्तेमाल किया और वर्ष 2011 विधानसभा और 2016 विधानसभा चुनाव तमाम अंतर्विरोधों के बाद दूसरी सत्ता में वापसी करने में कामयाब रहीं थी।
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बैंक और पोस्ट ऑफिस में जमा हुए रुपए-
चुट्टू शेख नाम के व्यक्ति का जॉब कार्ड बना है, लेकिन ये भी हिंदुस्तानी नहीं, बल्कि बांग्लादेशी है. और इसे भी मनरेगा के तहत कई साल से पैसे मिल रहे हैं. उसकी तरह ये भी उन तमाम लोगों के नाम की लिस्ट है, जो बांग्लादेशी हैं. जिनके नाम पर मनरेगा का पैसा. बैंक और पोस्ट ऑफिस के अकाउंट में गया और फिर उसे हवाला के जरिए बांग्लादेश पहुंचाये जाने की बात सामने आ रही है। 170 के नाम पर लगातार केंद्र का पैसा जाता रहा है और अब तक 75 लाख रुपये तक कहा जा रहा है. गांववालों का कहना है कि ये अकेला मामला नहीं है, ऐसे कई गांव हैं, जहां फर्जी जॉब कार्ड से केंद्र सरकार का पैसा बांग्लादेशी लूट रहे हैं।
केवल एक गांव में एक पंचायत में 170 ऐसे लोगों के नाम, जो या तो फर्जी है या फिर बांग्लादेशी. तो आप सोच सकते हैं कि पूरे बंगाल में हाल क्या होगा. दरअसल, पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ा सियासी मुद्दा रही है. चाहें लेफ्ट का राज रहा हो या फिर अब जब टीएमसी की सरकार है. दोनों पर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को संरक्षण देने के आरोप हैं. और उनके खिलाफ उठने वाली आवाज को दबा देने का इल्जाम है. और ऐसा ही कुछ हमारी टीम के साथ भी करने की कोशिश की गई. जो इस रैकेट के हर एक तार का सुराग ढूंढने में लगी थी.
“100 दिन के जॉब कार्ड के लिए एक दिन मैं पंचायत ऑफिस गया तो उन्होंने बताया कि मेरे बेटे के नाम पर पहले से ही कार्ड बना हुआ है. तब मैंने पता किया, तो मालूम पड़ा कि बहुत से नाम या तो फर्जी हैं या बांग्लादेशी. उसके बाद हमने बीडीओ से शिकायत की।” -मिल्टन शेख, शिकायतकर्ता
चुट्टू शेख नाम के व्यक्ति का जॉब कार्ड बना है, लेकिन ये भी हिंदुस्तानी नहीं, बल्कि बांग्लादेशी है. और इसे भी मनरेगा के तहत कई साल से पैसे मिल रहे हैं. उसकी तरह ये भी उन तमाम लोगों के नाम की लिस्ट है, जो बांग्लादेशी हैं. जिनके नाम पर मनरेगा का पैसा. बैंक और पोस्ट ऑफिस के अकाउंट में गया और फिर उसे हवाला के जरिए बांग्लादेश पहुंचाये जाने की बात सामने आ रही है। 170 के नाम पर लगातार केंद्र का पैसा जाता रहा है और अब तक 75 लाख रुपये तक कहा जा रहा है. गांववालों का कहना है कि ये अकेला मामला नहीं है, ऐसे कई गांव हैं, जहां फर्जी जॉब कार्ड से केंद्र सरकार का पैसा बांग्लादेशी लूट रहे हैं।
केवल एक गांव में एक पंचायत में 170 ऐसे लोगों के नाम, जो या तो फर्जी है या फिर बांग्लादेशी. तो आप सोच सकते हैं कि पूरे बंगाल में हाल क्या होगा. दरअसल, पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशियों की घुसपैठ एक बड़ा सियासी मुद्दा रही है. चाहें लेफ्ट का राज रहा हो या फिर अब जब टीएमसी की सरकार है. दोनों पर अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को संरक्षण देने के आरोप हैं. और उनके खिलाफ उठने वाली आवाज को दबा देने का इल्जाम है. और ऐसा ही कुछ हमारी टीम के साथ भी करने की कोशिश की गई. जो इस रैकेट के हर एक तार का सुराग ढूंढने में लगी थी.
“100 दिन के जॉब कार्ड के लिए एक दिन मैं पंचायत ऑफिस गया तो उन्होंने बताया कि मेरे बेटे के नाम पर पहले से ही कार्ड बना हुआ है. तब मैंने पता किया, तो मालूम पड़ा कि बहुत से नाम या तो फर्जी हैं या बांग्लादेशी. उसके बाद हमने बीडीओ से शिकायत की।” -मिल्टन शेख, शिकायतकर्ता
“हमने समसुल अरफिन और उसके एक साथी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली है. हमारी जिम्मेदारी थी कि हम केस की जांच करें और FIR दर्ज कराएं.” -पंकज दास, BDO, नबग्राम, मुर्शिदाबाद
फिलहाल आरोपी TMC नेता और निमग्राम पंचायत का उप-प्रधान समसुल अरफिन और उसके एक साथी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन हमने समसुल अरफिन और उसके बांग्लादेशी कनेक्शन को लेकर पड़ताल जारी रखी।
पड़ताल करने पहुंची पत्रकारों पर हुआ हमला-
न्यूज़ चैनल (टीवी9 भारतवर्ष) की टीम जैसे ही समसुल अरफिन के घर के करीब पहुंची, वहां लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से लैस 50-60 लोगों ने हमला कर दिया। पथराव किया। हमलावरों के झुंड में TMC वर्कर राजू खान और रूबेल अली नाम के ये दोनों शख्स थे। गनीमत रही कि पत्रकारों की टीम किसी तरह वहां से बच निकली।
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संशोधित NRC के डर से कुछ अवैध बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों की वापसी भी हुई थी |
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क्या है मनरेगा-"मनरेगा" यानि महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट साल 2005 में बना था, जिसमें ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने का प्रावधान है. इसमें ग्रामीण वयस्क को 100 दिन का रोजगार देने का प्रावधान है. इस लिस्ट में रजिस्टर होने के बाद मजदूर को 5 किलोमीटर के दायरे में काम दिया जाता है. और पश्चिम बंगाल में मनरेगा के तहत 192 रुपये 40 पैसे मजदूरी दी जाती है. जो 100 दिन के काम के हिसाब से सालाना 19 हजार 240 रुपये होता है।
ये पैसा गरीब मजदूरों को आर्थिक शक्ति देने के लिए है और इसीलिए सरकार इस पर टैक्स का पैसा पानी की तरह बहाती है. लेकिन क्या हिंदुस्तान का कोई नागरिक इस बात की इजाजत देगा क्या कि बांग्लादेश का एक नागरिक. हिंदुस्तान की नागरिकता भी रखे, राशन कार्ड से राशन निकाले. आधार कार्ड से देश के तमाम स्कीम्स का फायदा उठाए। और तो और सरकार उसके अकाउंट में मनरेगा का पैसा भी ट्रांसफर कर दे ? ये फिक्र बड़ी है और इस पर जवाब सामने आना जरूरी है।
*संपादक - धर्म नगरी / DN News)
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आवश्यकता है-
"धर्म नगरी" का प्रसार हर जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों- शहरी (वार्ड, कालोनी तक) ग्रामीण (पंचायत, ब्लॉक स्तर तक) में हो रहा है, जहां स्थानीय प्रतिनिधि, अंशकालीन रिपोर्टर की नियुक्ति की जा रही है। यदि आप राष्ट्रवादी विचारधारा के है और स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं, तो आप भी सम्पर्क कर सकते हैं। वेतन- अनुभवानुसार एवं कमीशन योग्यतानुसार होगा। देश के बड़े जिलों एवं तीर्थ क्षेत्रों तथा राज्य की राजधानी में पार्टनर-कम-ब्यूरो चीफ नियुक्त करना है। सम्पर्क- वाट्सएप- 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@ gmail.com
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Require-
"Dharm Nagari" is being expanded in urban as well as rural area along with appointment of local "part time representative." We have also planned result-oriented, phase-wise religious/spiritual seminars, symposiums, discourse etc at district level in order to make active & unite Hindus at local level. For all these, we are searching for "Patrons" (NRI, Saint, Spiritual person, Hindutva-loving people) who may support all the activities (after knowing the plan). Please, contact use +91-6261868110 email- dharm. nagari@gmail.com Twitter- @DharmNagari.
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BJP must win this year in West Bengal so save India,
ReplyDeleteto free West Bengal from anti-nationals, cruel Muslim Rohingyas
Pls Retweet & make aware Indian.
Nice article. Tks
पश्चिचम बंगाल को ममता बनर्जी के घातक मुस्लिम तुष्टिकरण से मुक्त करने और मजहबी उन्मादी, देशद्रोही, हिंसक रोहिंग्या मुसलमानों को WB और देश से भगाने के लिए बहुत बहुत जरूरी है की इसबार बीजेपी BJP की पश्चिम बंगाल मे पूर्ण बहुमत से सरकार बने
ReplyDeleteपश्चिचम बंगाल को ममता बनर्जी के घातक मुस्लिम तुष्टिकरण से मुक्त करने और मजहबी उन्मादी, देशद्रोही, हिंसक रोहिंग्या मुसलमानों को WB और देश से भगाने के लिए बहुत बहुत जरूरी है की इसबार बीजेपी BJP की पश्चिम बंगाल मे पूर्ण बहुमत से सरकार बने
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