संसद में आज हुई कार्यवाही की...
संसद में आज (4 फरवरी) हुई कार्यवाही की समीक्षा...
राज्यसभा में कार्यवाही (4 फरवरी)...
राज्यसभा में आज भी राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा जारी रही। चर्चा में विभिन्न विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफकिसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर सरकार पर हमला बोलते हुए मौजूदा आंदोलनसे निपटने के तरीके पर सवाल उठाया। वहीं सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने दावा किया कि सरकारकिसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनकी प्रगति के लिए ही नए कानून लाए गए।
विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आयी ? इसके साथही विपक्षी दलों ने सरकार से अनुरोध किया, कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगायाकि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसकेसुर बदल गए हैं।
चर्चामें भाग लेते हुए राजद सदस्य मनोज झा ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना सेऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। मनोज झा ने कहा कि सरकार के खिलाफ हर बात देशद्रोहनहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। उन्होंने आंदोलन से निपटनेके सरकार के तरीके को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार एकालाप को ही वार्तालाप का रूपदे रही है।
भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए, ताकि उनकी प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिल गयी थी, लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पायी।
उन्होंने कहा, नए कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे देश भर में कहींभी अपनी उपज बेच सकेंगे जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानोंके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस क्रम में कांग्रेस पर हमला बोला और कहाकि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा कियाथा।
चर्चा में भाग लेते हुए मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि देश में हुयी हरित क्रांतिका लाभ पंजाब को विशेष रूप से मिला और वहां इससे किसानों में खुशहाली आयी, लेकिन पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी भारत का एक बड़ा हिस्सा उस क्रांति के लाभों से दूर रहा।
उन्होंने कहा, नए कानूनों से ऐसे किसानों को लाभ मिल सकेगा जो लाभ से वंचित रह गए हैं।नए कानूनों से न सिर्फ फसलों का मूल्यवर्धन हो सकेगा बल्कि जरूरी आधारभूत ढांचे मेंभी सुधार होगा और भंडारण जैसी सुविधाएं बढ़ सकेंगी। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्थाकी मजबूती के लिए हर क्षेत्र का विकास जरूरी है और इसके लिए पूर्वी क्षेत्र पर भी ध्यानदेना जरूरी है।
तेलगू देशम पार्टी सदस्य के रवींद्र कुमार ने आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह पैसे की बर्बादी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की राजधानी अमरावती को स्थानांतरित किया जा रहा है और अमरावती परियोजना को रोक दिया गया है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री तथा जनता दल सेक्यूलर नेता एच डी देवेगौड़ा ने किसानों को राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान निकालाजाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसानों कीट्रैक्टर परेड के दौरान जो कुछ हुआ उसमें असामाजिक तत्वों की भूमिका थी जिसकी पूरेदेश ने और सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की। उन्होंने दोषियों को सजा देने की मांग कीऔर कहा ''लेकिन किसानों के मुद्दे को इस घटनाक्रम से पूरी तरह अलग रखा जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा ''किसान अन्नदाता हैं। उनकी तमाम परेशानियांहैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। इसमें विलंब नहीं होना चाहिए।''
चर्चामें हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष कीओर से जितने भी वादे किए गए, आज तक उनसे से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया, चाहे वह काले धन को वापस लानेका वादा हो या भ्रष्टाचार खत्म करने का या फिर दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा हो।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुएकहा कि 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसके लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है।डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित करदिया था तब भी सरकार नहीं जागी और इसकी वजह मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की उसकी कोशिशथी।
द्रमुक के एन आर इलांगो ने तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा ''तीनों कानूनों के लिए विधेयकों को जल्दबाजी में पारित करना जरूरी नहीं था। किसानों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।यह संघवाद के खिलाफ है।''
टीआरएस के बंदाप्रकाश ने कहा कि तेलंगाना सरकार ने आम लोगों और किसानों के कल्याण के लिए कईकदम उठाए हैं और राज्य में विभिन्न परियोजनाओं से रोजगार सृजन में भी मदद मिली है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जानाहै।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विकास रंजन ने सवाल उठाया कि सरकार अध्यादेश का रास्ता या चर्चाकराए बिना विधेयकों को पारित करने का रास्ता क्यों चुनती है ? उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है और किसान उसके लिए आवाज उठा रहे हैं।
आमआदमी पाटी के संजय सिंह ने कहा कि किसानों के आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान जाचुकी है लेकिन उनकी परेशानी दूर करने के बजाय उन्हें आतंकवादी कह कर अपमानित किया जारहा है।
पेट्रोलियमऔर प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गरीबों सहित समाज के विभिन्न तबकों केलिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया और कहा कि यह सरकार किसान हितैषी है।उन्होंने कहा कि इसी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया। उन्होंने कहाकि यह सरकार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में काम कर रही है।
कांग्रेस सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि यह सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है औरयही कारण है कि भाजपा हरियाणा में एक के बाद एक कई उपचुनाव हार चुकी है। चर्चा अधूरी रही।
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विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किया कि किसानों को आंदोलन करने की नौबत क्यों आयी ? इसके साथही विपक्षी दलों ने सरकार से अनुरोध किया, कि वह किसानों के दर्द को समझे और उन्हें दूर करने की कोशिश करे। हालांकि भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आरोप लगायाकि पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में ऐसे सुधारों का जिक्र किया था लेकिन अब उसकेसुर बदल गए हैं।
चर्चामें भाग लेते हुए राजद सदस्य मनोज झा ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर दलगत भावना सेऊपर उठकर विचार करने की जरूरत है। मनोज झा ने कहा कि सरकार के खिलाफ हर बात देशद्रोहनहीं हो सकती और लोकतंत्र में आंदोलन की अहम भूमिका होती है। उन्होंने आंदोलन से निपटनेके सरकार के तरीके को लेकर सवाल किया और कहा कि सरकार एकालाप को ही वार्तालाप का रूपदे रही है।
भाजपा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नए कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए, ताकि उनकी प्रगति हो सके। उन्होंने कहा कि देश को राजनीतिक आजादी करीब 70 साल पहले मिल गयी थी, लेकिन किसानों को उनकी वास्तविक आजादी नहीं मिल पायी।
उन्होंने कहा, नए कृषि कानूनों से किसानों को आजादी मिल सकेगी और वे देश भर में कहींभी अपनी उपज बेच सकेंगे जिससे उनकी आय भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानोंके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस क्रम में कांग्रेस पर हमला बोला और कहाकि पार्टी ने 2019 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में कृषि सुधारों का वायदा कियाथा।
चर्चा में भाग लेते हुए मनोनीत सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा कि देश में हुयी हरित क्रांतिका लाभ पंजाब को विशेष रूप से मिला और वहां इससे किसानों में खुशहाली आयी, लेकिन पश्चिम बंगाल सहित पूर्वी भारत का एक बड़ा हिस्सा उस क्रांति के लाभों से दूर रहा।
उन्होंने कहा, नए कानूनों से ऐसे किसानों को लाभ मिल सकेगा जो लाभ से वंचित रह गए हैं।नए कानूनों से न सिर्फ फसलों का मूल्यवर्धन हो सकेगा बल्कि जरूरी आधारभूत ढांचे मेंभी सुधार होगा और भंडारण जैसी सुविधाएं बढ़ सकेंगी। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्थाकी मजबूती के लिए हर क्षेत्र का विकास जरूरी है और इसके लिए पूर्वी क्षेत्र पर भी ध्यानदेना जरूरी है।
तेलगू देशम पार्टी सदस्य के रवींद्र कुमार ने आंध्र प्रदेश में तीन राजधानी के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह पैसे की बर्बादी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश की राजधानी अमरावती को स्थानांतरित किया जा रहा है और अमरावती परियोजना को रोक दिया गया है, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री तथा जनता दल सेक्यूलर नेता एच डी देवेगौड़ा ने किसानों को राष्ट्र की रीढ़ बताते हुए कहा कि उनकी समस्याओं को सुना जाना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान निकालाजाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में किसानों कीट्रैक्टर परेड के दौरान जो कुछ हुआ उसमें असामाजिक तत्वों की भूमिका थी जिसकी पूरेदेश ने और सभी राजनीतिक दलों ने निंदा की। उन्होंने दोषियों को सजा देने की मांग कीऔर कहा ''लेकिन किसानों के मुद्दे को इस घटनाक्रम से पूरी तरह अलग रखा जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा ''किसान अन्नदाता हैं। उनकी तमाम परेशानियांहैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। इसमें विलंब नहीं होना चाहिए।''
चर्चामें हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि सत्ता पक्ष कीओर से जितने भी वादे किए गए, आज तक उनसे से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया, चाहे वह काले धन को वापस लानेका वादा हो या भ्रष्टाचार खत्म करने का या फिर दो करोड़ रोजगार सृजन का वादा हो।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर हर मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुएकहा कि 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में जो कुछ हुआ, उसके लिए सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है।डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी घोषित करदिया था तब भी सरकार नहीं जागी और इसकी वजह मध्य प्रदेश में सरकार बनाने की उसकी कोशिशथी।
द्रमुक के एन आर इलांगो ने तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा ''तीनों कानूनों के लिए विधेयकों को जल्दबाजी में पारित करना जरूरी नहीं था। किसानों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।यह संघवाद के खिलाफ है।''
टीआरएस के बंदाप्रकाश ने कहा कि तेलंगाना सरकार ने आम लोगों और किसानों के कल्याण के लिए कईकदम उठाए हैं और राज्य में विभिन्न परियोजनाओं से रोजगार सृजन में भी मदद मिली है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जानाहै।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विकास रंजन ने सवाल उठाया कि सरकार अध्यादेश का रास्ता या चर्चाकराए बिना विधेयकों को पारित करने का रास्ता क्यों चुनती है ? उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है और किसान उसके लिए आवाज उठा रहे हैं।
आमआदमी पाटी के संजय सिंह ने कहा कि किसानों के आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान जाचुकी है लेकिन उनकी परेशानी दूर करने के बजाय उन्हें आतंकवादी कह कर अपमानित किया जारहा है।
पेट्रोलियमऔर प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गरीबों सहित समाज के विभिन्न तबकों केलिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र किया और कहा कि यह सरकार किसान हितैषी है।उन्होंने कहा कि इसी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया। उन्होंने कहाकि यह सरकार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में काम कर रही है।
कांग्रेस सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि यह सरकार जनता का भरोसा खो चुकी है औरयही कारण है कि भाजपा हरियाणा में एक के बाद एक कई उपचुनाव हार चुकी है। चर्चा अधूरी रही।
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लोकसभा में कार्यवाही (4 फरवरी)...
लोकसभा में आज (4 फरवरी) भी विपक्षी दलों के सदस्यों ने विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेनेकी मांग को लेकर नारेबाजी की। आसन के समीप विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही प्रश्नकालमें केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ पूरक प्रश्नों केउत्तर दिए।
हंगामे के बीच ही विधि तथा न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक विधेयक सदन में प्रस्तुत किया।
सदन की कार्यवाही शाम चार बजे शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा। हालांकि कांग्रेस, द्रमुक, वामदलों के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गये। सपा, बसपा और तृणमूल कांग्रेस सदस्यों को अपने स्थान से विरोधकरते देखा गया। हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ने कुछ प्रश्न लिये और केंद्रीय मंत्रीनितिन गडकरी ने इनके उत्तर दिये।
इस बीच, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से अपनी सीट पर जानेकी अपील की। बिरला ने कहा कि आपके कई नेताओं के महत्वपूर्ण प्रश्न है। मैं चाहता हूंकि प्रश्नकाल चले। जनता ने आपको जिस लिए चुनकर भेजा उसको देखते हुए आपका यह व्यवहार उचित नहीं है। उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे अपनी सीट पर जाएं ताकि सदन सुचारू रूपसे चले। उन्होंने कहा कि कार्यवाही के दौरान नारेबाजी करना और तख्तियां उछालना उचितनहीं है। हालांकि, सदन में सामान्य व्यवस्था बनती नहीं देख बिरला ने सदन की कार्यवाही शाम पांच बजे तक के लिये स्थगित कर दी।
शाम पांच बजे सदन की बैठक पुन: शुरू हुई तो पीठासीन अधिकारीमीनाक्षी लेखी ने आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवाए और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसादको एक विधेयक पेश करने की अनुमति दी। विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच ही प्रसाद ने माध्यस्थम और सुलह संशोधन विधेयक-2021 पेश किया। हालांकि, बीजू जनता दल के बी महताबने विधेयक पेश किये जाने का विरोध किया। उन्होंने पूछा कि मंत्री बताएं कि विधेयक लानेकी इतनी हड़बड़ी क्या है ? इस पर प्रसाद ने कहा, विधेयक को पेश किये जाते समय इस संबंध में सदन के अधिकारपर प्रश्न उठाया जा सकता है, ना कि विधेयक के गुण-दोषों पर।
लेखी ने सदन को सूचित किया कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग(आईयूएमएल) के सदस्य पी के कुन्हालीकुट्टीने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनका त्यागपत्रस्वीकार कर लिया है। लेखी ने आसन के समीप नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपनेस्थानों पर जाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने बैठक को शाम छह बजे तक केलिए स्थगित कर दिया। दो बार के स्थगन के बाद लोकसभा की बैठक शाम छह बजे पुन: शुरू हुई तो पीठासीन अधिकारीराजेंद्र अग्रवाल ने तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहाकि किसी भी विषय पर चर्चा करना आपका अधिकार है और इस अधिकार का आप इस्तेमाल कीजिए।उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे अपनी सीटों पर जाएं और चर्चा प्रारंभकराएं।
हालांकि शोर-शराबा जारी रहा और व्यवस्थानहीं बनने पर अग्रवाल ने बैठक शाम सात बजे तक के लिए स्थगित कर दी। शाम सात बजे भीशोर-शराबा जारी रहने के कारण पीठासीनअधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने बैठक शाम साढ़े आठ बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
लेखी ने सदन को सूचित किया कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग(आईयूएमएल) के सदस्य पी के कुन्हालीकुट्टीने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनका त्यागपत्रस्वीकार कर लिया है। लेखी ने आसन के समीप नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों से अपनेस्थानों पर जाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
हंगामा थमता नहीं देख उन्होंने बैठक को शाम छह बजे तक केलिए स्थगित कर दिया। दो बार के स्थगन के बाद लोकसभा की बैठक शाम छह बजे पुन: शुरू हुई तो पीठासीन अधिकारीराजेंद्र अग्रवाल ने तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहाकि किसी भी विषय पर चर्चा करना आपका अधिकार है और इस अधिकार का आप इस्तेमाल कीजिए।उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे अपनी सीटों पर जाएं और चर्चा प्रारंभकराएं।
हालांकि शोर-शराबा जारी रहा और व्यवस्थानहीं बनने पर अग्रवाल ने बैठक शाम सात बजे तक के लिए स्थगित कर दी। शाम सात बजे भीशोर-शराबा जारी रहने के कारण पीठासीनअधिकारी राजेन्द्र अग्रवाल ने बैठक शाम साढ़े आठ बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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LOK SABHA (Proceedings on 4 Feb, 2021)
(REVIEW OF PROCEEDINGS)
Opposition members protesting against the three farm laws continued to disrupt the proceedings in the Lok Sabha today forcing repeated adjournments till 7 PM.
However, the Question Hour continued for a while immediately after the House met for the day at 4 PM. Members belonging to several opposition parties stormed into the well of the House displaying placards amid slogans against the Government.
Speaker Om Birla expressed his annoyance at the disruption by the opposition saying their conduct is not in line with the dignity of Parliament. He observed that the members always pushed for having the Question Hour but some of them are now trying to disrupt the proceedings. He then adjourned the House till 5 PM.
Meenakshi Lekhi of the BJP was in the Chair when the house was reconvened at 5 PM. Amid noisy scenes, Law Minister Ravi Shankar Prasad introduced the Arbitration and Conciliation (Amendment) Bill. The Bill seeks to replace an ordinance that was promulgated in November last year. It seeks to ensure that all stakeholder parties get an opportunity to seek an unconditional stay on enforcement of arbitral awards where the arbitration agreement or contract is induced by fraud or corruption.
Criticising the disruption by opposition members, the Chair observed that Parliamentarians are making a mockery of themselves.
Later she adjourned the House till 6 PM. When the house met at 6 PM, the situation was not changed, Rajendra Agrawal of the BJP, who was in the Chair, adjourned the House till 7 PM. At 7 PM, Presiding Officer Rajendra Agrawal tried to run the house but in vain,he adjourned the House till 8.30 PM.
RAJYA SABHA (Proceedings on 4 Feb, 2021)
(REVIEW OF PROCEEDINGS)
Participating in the discussion, Petroleum and Natural Gas Minister Dharmendra Pradhan said, the government is committed to the welfare of the farmers and will help increase their income. He said, the government will provide One Lakh Crore rupees additional income to farmers that will be generated by converting waste into energy. The heap of waste at Ghazipur will be cleaned soon to create energy. Ghazipur at the Delhi-UP border is witnessing protests by farmers from Uttar Pradesh against the three farm laws.
He said the government has started the Gobar Dhan scheme, whereby cow dung, agriculture waste, city waste, forest waste and the carbon in biomass will be converted into energy.
In a few days, the heap of waste at Ghazipur will be cleaned up, he said, adding that the energy made from such waste would help provide additional income to the farmers. He said
Income of farmers will double from that. The Minister said the government has come up with a scheme to procure ethanol worth 20,000 crore rupees which will help increase the farmer's income.
Mr. Pradhan attacked the Congress for not bringing a law on Minimum Support Price (MSP) of crops despite being in power for long. He said yet the opposition party is questioning the government on the issue. He claimed that the Narendra Modi government after coming to power in 2014 has substantially increased procurement of food grains at higher MSP. He recalled that during 2013-14, a total of 97,110 crore rupees was given as MSP to the farmers, whereas in 2020-21 the government has given 2.60 lakh crore rupees.
According to Mr. Pradhan, MSP payment made to paddy growers under the Modi government has increased to 1.72 lakh crore rupees this year, from Rs 63,000 crore during previous regime in 2013-14, he said.
Referring to initiatives taken to achieve the target of doubling farmers' income, the Minister said the effort to increase ethanol blending, compressed biogas programmes among others will ensure additional income to farmers. He said the Opposition Congress cannot appreciate such government efforts as it has never done except for hailing its dynasty.
Mr. Pradhan said those born with a golden spoon cannot digest when a tea-seller, son of a woman cleaning utensils in other houses for livelihood, takes reins of the government and that is why they talk against the government.
The Minister said this government is for all sections of society and Prime Minister Narendra Modi is a leader who is decisive and implements programmes that have been promised.
Defending the three new farm laws in Rajya Sabha, Jyotiraditya Scindia of the BJP said the government has taken a host of steps in the last six years to increase their income. He questioned the opposition for changing their stance on agricultural market reforms. He said the NDA government has been successful in handling the COVID-19 pandemic and also turning the crisis into an opportunity.
Mr Scindia attacked the Congress for changing its stand on the three legislations, saying that the Opposition party has favoured similar laws in its manifesto for the 2019 Lok Sabha election. He said NCP chief Sharad Pawar, who was the Agriculture Minister in the erstwhile UPA government had written to all Chief Ministers for reforms in farm trade and the need for private sector participation in the agriculture sector.
He said opposition parties will have to change their habit of going back on their words and wondered for how long they would continue to harm the interests of the country. He also condemned the disrespect to the national flag and violence at Red Fort during the farmers' tractor rally. He further said, the opposition has insulted the President, the country and the democracy by boycotting the President's address to both the Houses of Parliament on January the 29th. He hailed the efforts of the government under the leadership of Prime Minister Narendra Modi in checking the spread of the Coronavirus when there were grim predictions of 80 crore infections and 20 lakh deaths.
Swapan Dasgupta (Nominated) stressed on the need for upgradation in the agriculture sector.
Earlier, opposition parties hit out at the government for its handling of the farmers protest against three farm laws.
Manoj Kumar Jha of the RJD pleaded with the government to understand the pain of the farmers.
Digvijaya Singh of the Congress lashed out at the BJP government, saying right from demonetisation to the CAA were blunders that hit the people hard. Quoting former Prime Minister Manmohan Singh, he said demonetisation was a monumental mismanagement, organised loot and legalised blunder.
Mr. Singh said the void between the Modi government's promises and implementation was big and it could not win the hearts of people, whether the poor, the farmers or the labourers.
He also accused the government of mismanaging the COVID-19 pandemic and fuelling corruption.
Former Prime Minister and JD(S) leader H D Deve Gowda called farmers the backbone of the country and said miscreants and anti-social elements were behind the events of Republic Day and all political parties have condemned their actions and agree that they need to be punished. But the farmers' issue should not be mixed with it, he said adding that the issue should be dealt with amicably.
Deepinder Singh Hooda of the Congress hit out at the government saying it should show a big heart and accept the demands of farmers by repealing the farm laws. He said the government should not question the patriotism of farmers as they are the ones who have made the country self-sufficient in food by feeding 135 crore people.
He said, there has not been a single word of condolence from the government yet on 194 farmers who lost their lives during the ongoing agitation. He also tabled the list of names of all 194 farmers who lost their lives during the agitation.
Derek O'Brien of Trinamool Congress pressed the government to repeal the three controversial farm laws and said he drafted a bill for the purpose of repealing them. He also demanded a proper inquiry into the death of a farmer during the tractor parade in Delhi on Republic Day. He said the farms laws were not sent to a select committee for scrutiny and accused the government of failing the sanctity of Parliament.
Sanjay Singh of Aam Aadmi Party said his party would continue to support the farmers protesting against three farm laws.
Bikash Ranjan Bhattacharya of CPI(M) asked the government to withdraw the three contentious farm laws and hold talks with the agitating farmers.
N R Elango of DMK asked the government to withdraw the three farm laws.
Banda Prakash of TRS asked the government to complete the projects promised to Telangana during the reorganisation of Andhra Pradesh.
Loktantrik Janata Dal (LJD) MP M.V. Shreyams Kumar attacked the government over its handling of the ongoing farmer agitation,
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Require- "Dharm Nagari" is being expanded in urban as well as rural area along with appointment of local "part time representative." We have also planned result-oriented, phase-wise religious/spiritual seminars, symposiums, discourse etc at district level in order to make active & unite Hindus at local level. For all these, we are searching for "Patrons" (NRI, Saint, Spiritual person, Hindutva-loving people) who may support all the activities (after knowing the plan). Please contact use +91-6261868110 email- dharm. nagari@gmail.com Twitter- @DharmNagari.
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