हरितालिका तीज पर मुहूर्त को लेकर पंचांगों के भेद से विवाद क्यों ?
हरतालिका तीज 2 सितंबर सोमवार को
हरितालिका तीज पर मुहूर्त पर पंचांगों में भेद से विवाद क्यो ?
जाने तीज पर मुहूर्त, योग और महत्वशास्त्रों के अनुसार तीज-व्रत तृतीया युक्त चतुर्थी को होता है
धर्म नगरी / डीएन न्यूज़ (वा.एप- 6261868110)। हरतालिका तीज का व्रत सोमवार 2 सितंबर को प्रातःकाल तीज तिथि एवं हस्त नक्षत्र का संयोग उदया तिथि में होगा। तीज तिथि माता पार्वती जी को समर्पित तिथि है। वहीं, इसी दिन चतुर्थी तिथि का संयोग गौरी-गणेश को समर्पित है। आखा तीज और चतुर्थी का संयोग व्रत में हो सकता है, परंतु द्वितीया तिथि के स्वामी ब्रह्माजी हैं। अतः शास्त्रों के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत तृतीया युक्त चतुर्थी में किया जाता है। इस व्रत के देवता शिव पार्वती हैं। उप देवता गौरी गणेश है। इस कारण इस दिन फुलहरा के नीचे शिव जी के साथ शिव परिवार की भी पूजा अर्चना का उत्तम मुहूर्त 19 साल बाद बन रहा है। इस दिन भगवान शिव का दिन सोमवार होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
हरितालिका तीज पर मुहूर्त, योग और महत्व
(कृपया को सब्सक्राइब करें) देखें-
(कृपया को सब्सक्राइब करें) देखें-
हरतालिका तीज मनुवादी तिथि मानी गई है। इस दिन वारह अवतार धारणकर भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाया था। इस दिन रवि योग के साथ सर्वसिद्धि-योग भी रहेगा। यह व्रत वर्ष में एक बार आने वाला कठिन व्रत है। इस व्रत सभी सौभाग्यवती स्त्रियां निर्जला निराहार रहकर करती हैं। यह सबसे लंबी अवधि का व्रत माना गया है। सूर्योदय से शुरू होकर दूसरे दिन सूर्योदय तक उपासक निराहार निर्जला रहकर व्रत करते हैं। रात्रि में जागरण कर, चार पहर की पूजा होती है। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए किया जाता है।
हरितालिका तीज को लेकर पंचांगों के भेद से विवाद क्यों ?
इस वर्ष हरितालिका तीज को लेकर पंचांगों के भेद से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है, क्योंकि देश के कुछ पंचांगों में 1 सितंबर को तृतीया का क्षय है, तो कुछ पंचांगों में तृतीया का मान 2 तारीख को भी है। काशी द्वारा निर्मित प्रायः सभी पंचांगों में तृतीया का मान 2 सितंबर को 9:01 बजे तक दिया गया है। जिन पंचांगों में तृतीया तिथि का क्षय है, वे नॉटिकल अलमानेक के द्वारा बनाए गए दृश्य पंचांग हैं। जबकि पारंपरिक रीति से निर्मित पंचांगों में तृतीया का मान 2 सितंबर को 9:01 तक है। काशी से प्रकाशित सभी पंचांगों में तृतीया तिथि का मान 2 सितंबर को 9:01 बजे तक होने से 2 सितंबर 2019 को ही हरितालिका तीज मनाई जनी चाहिए क्योंकि निर्णय सिंधु में यह स्पष्ट वर्णित है-
मुहूर्तमात्र सत्वेपि दिने गौरी व्रतं परे पुनश्च चतुर्थी सहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा।
अवैधव्यकर स्त्रीणां पुत्र-पौत्रप्रवर्धिनी।। लिखते हुए धर्मशास्त्र के ग्रंथों में द्वितीया युक्त तृतीया का प्रतिकार भी किया गया है इसलिए हम सब के लिए 2 सितंबर 2019 को ही हरितालिका तीज रखना शास्त्र सम्मत होगा।
विशेष-
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्र दर्शन निषेध माना गया है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से कलंक लग जाता है। इसे कलंक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ✍ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम ज्योति मठ संस्थान नेहरू नगर, भोपाल 9827322068
Post a Comment