#दीपावली : घर में रंगाई-पुताई को लेकर इनका रखें ध्यान... वास्तु अनुरूप निर्मित घर में भी है...
- घर में रंग कराएं, इनका रखें ध्यान
दीपावली अथवा अन्य किसी अवसर पर अधिकांश लोग घरों में रंगाई-पुताई यानी कलर करवाते हैं। घरों में कलर करवाने से न केवल सुंदरता बढ़ती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार होता है. वास्तु के अनुसार जिस प्रकार घर की दिशाओं का व्यक्ति के जीवन में विशेष महत्व होता है, उसी तरह घर के कमरों की दीवारों पर किए गए रंग व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर बनाने के बाद उसे सजाने में रंगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर व्यक्ति सोचता है कि घर में कौन-सा रंग कहां करवाएं, जिससे खूबसूरती बढ़ जाए, लेकिन वास्तु के अनुसार रंगों का चयन करेंगे तो घर में सुख-समृद्धि के साथ सकारात्मकता रहेगी।
सबसे पुराना है चूना-
घरों में रंगाई-पुताई का यह सबसे पुराना और आम तरीका है। इसमें चूने को पानी के साथ मिलाया जाता है और फिर घर की दीवारों को रंगा जाता है। यह सबसे सस्ता तरीका भी है। अगर सस्ते में रंग-रोगन निबटाना चाहते हैं तो यह विकल्प चुन सकते हैं। अब इसमें अलग-अलग तरह के रंग मिलाने का चलन भी खूब चल रहा है। इसका नेगेटिव पॉइंट यह है, कि छूने पर रगड़ खाने के बाद यह हाथ या कपड़ों से चिपक जाता है। इससे बचने के लिए आप एडहेसिव का उपयोग कर सकते हैं।
विशेष-
- वाइटवॉश के बाद दीवारों पर बहुत ज्यादा चमक नहीं आती। यह ज्यादा टिकाऊ नहीं होता।
- दीवारों पर निशान लगने के बाद उसे साफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि थोड़ा-सा रगड़ने पर यह दीवार छोड़ देता है।
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रा.पाठक (अवैतनिक संपादक)
अगर आप दीपावली पर अपने घर की रंगाई-पुताई करवा रहे हैं, तो घर केवल सुंदर दिखे, यह सोचकर रंगाई-पुताई न करवाएं। बल्कि ये भी विचार करें, कि रंगाई-पुताई ऐसी हो कि माँ लक्ष्मी प्रसन्न होकर आपके घर पर कृपा बनाए रखें। घर पर माँ लक्ष्मी की कृपा का आशय है घर में है सकारात्मक उर्जा का बना रहना, जिससे घर में रहने वाले सदस्यों के स्वस्थ और उर्जा बनी रहे, ताकि आप अपनी मेहनत और योग्यता से उन्नति की ओर बढ़ते रहें।
सबसे पुराना है चूना-
घरों में रंगाई-पुताई का यह सबसे पुराना और आम तरीका है। इसमें चूने को पानी के साथ मिलाया जाता है और फिर घर की दीवारों को रंगा जाता है। यह सबसे सस्ता तरीका भी है। अगर सस्ते में रंग-रोगन निबटाना चाहते हैं तो यह विकल्प चुन सकते हैं। अब इसमें अलग-अलग तरह के रंग मिलाने का चलन भी खूब चल रहा है। इसका नेगेटिव पॉइंट यह है, कि छूने पर रगड़ खाने के बाद यह हाथ या कपड़ों से चिपक जाता है। इससे बचने के लिए आप एडहेसिव का उपयोग कर सकते हैं।
विशेष-
- वाइटवॉश के बाद दीवारों पर बहुत ज्यादा चमक नहीं आती। यह ज्यादा टिकाऊ नहीं होता।
- दीवारों पर निशान लगने के बाद उसे साफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि थोड़ा-सा रगड़ने पर यह दीवार छोड़ देता है।
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ऑइल पेंट-
यह पेंट थोड़ा गाढ़ा होता है। कई सारे रंगों में यह मार्केट में उपलब्ध हैं। हालांकि। इन रंगों को बनाने में कुछ ऐसी चीजें यूज होती हैं जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक माने जाते हैं। इनमें मुख्य रूप से अफीम या मूंगफली के तेल का प्रयोग किया जाता है।
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http://www.dharmnagari.com/2020/08/ModispeechAyodhya5August.html
http://www.dharmnagari.com/2020/07/RamMandirDharmNagari_29.html
घर में रंग कराएं, इनका रखें ध्यान-
- घर में कलर करवाने के लिए सात्विक यानी सौम्य रंगों का चुनाव करना चाहिए। आसमानी, हल्का हरा और सफेद रंग घर के वास्तु दोष दूर करते हैं।
यह पेंट थोड़ा गाढ़ा होता है। कई सारे रंगों में यह मार्केट में उपलब्ध हैं। हालांकि। इन रंगों को बनाने में कुछ ऐसी चीजें यूज होती हैं जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक माने जाते हैं। इनमें मुख्य रूप से अफीम या मूंगफली के तेल का प्रयोग किया जाता है।
विशेष-
- ऑइल पेंट को दीवारों पर लगाने के बाद उनमें चमक आ जाती है।
- यह काफी टिकाऊ होता है और इस पर लगे दाग-धब्बे को आसानी से साफ किया जा सकता है।
- इसे अधिकतर घर के अंदर की दीवारों पर प्रयोग किया जाता है।
इमल्शन पेंट-
इसे प्लास्टिक पेंट के नाम से भी जानते हैं। इसे पानी मिलाकर तैयार किया जाता है। अगर आप दीवारों को मैट फिनिश और रिच लुक देना चाहते हैं, तो इमल्शन पेंट का उपयोग सबसे अच्छा रहेगा। इसे अंदर या बाहरी दीवारों पर लगाया जा सकता है। यह आसानी से सूख भी जाता है।
विशेष-
- यह दीवारों पर लंबा टिकता है। इससे दीवारें लंबे तक खराब नहीं होतीं।
- इमल्शन पेंट से रंगी दीवारों पर लगे दाग-धब्बे डिटर्जेंट से आसानी से साफ हो जाते हैं।
सीमेंट पेंट-
ये वॉटर बेस्ड पेंट होते हैं। नाम के अनुरूप इनका मुख्य हिस्सा सीमेंट होता है। इस कारण ये पेंट ज्यादा टिकाऊ होते हैं। वैसे तो इस पेंट का प्रयोग बाहरी दीवारों के लिए अधिक किया जाता है, लेकिन अब इसका प्रयोग लोग अंदर की दीवारों के लिए भी करने लगे हैं।
विशेष-
- सीलन और धूल से बचाने के लिए इसका प्रयोग बाहरी दीवारों पर किया जाता है।
- कंक्रीट की दीवारों या फर्श को मजबूती देने के लिए भी सीमेंट पेंट करना बेस्ट है।
ऐनामेल पेंट-
यह ऑइल बेस्ड पेंट होता है। इसके यूज से दीवारों पर बेहतर फिनिशिंग आती है और चमक भी। इसमें वाइट लेड, जिंक, पेट्रोलियम स्प्रिट आदि मिली होती है। यह पेंट काफी टिकाऊ माना जाता है। इसमें थिनर मिलाया जाता है, जिसके आधार पर यह जल्दी या देरी से सूखता है।
विशेष-
- ऑइल पेंट को दीवारों पर लगाने के बाद उनमें चमक आ जाती है।
- यह काफी टिकाऊ होता है और इस पर लगे दाग-धब्बे को आसानी से साफ किया जा सकता है।
- इसे अधिकतर घर के अंदर की दीवारों पर प्रयोग किया जाता है।
इमल्शन पेंट-
इसे प्लास्टिक पेंट के नाम से भी जानते हैं। इसे पानी मिलाकर तैयार किया जाता है। अगर आप दीवारों को मैट फिनिश और रिच लुक देना चाहते हैं, तो इमल्शन पेंट का उपयोग सबसे अच्छा रहेगा। इसे अंदर या बाहरी दीवारों पर लगाया जा सकता है। यह आसानी से सूख भी जाता है।
विशेष-
- यह दीवारों पर लंबा टिकता है। इससे दीवारें लंबे तक खराब नहीं होतीं।
- इमल्शन पेंट से रंगी दीवारों पर लगे दाग-धब्बे डिटर्जेंट से आसानी से साफ हो जाते हैं।
सीमेंट पेंट-
ये वॉटर बेस्ड पेंट होते हैं। नाम के अनुरूप इनका मुख्य हिस्सा सीमेंट होता है। इस कारण ये पेंट ज्यादा टिकाऊ होते हैं। वैसे तो इस पेंट का प्रयोग बाहरी दीवारों के लिए अधिक किया जाता है, लेकिन अब इसका प्रयोग लोग अंदर की दीवारों के लिए भी करने लगे हैं।
विशेष-
- सीलन और धूल से बचाने के लिए इसका प्रयोग बाहरी दीवारों पर किया जाता है।
- कंक्रीट की दीवारों या फर्श को मजबूती देने के लिए भी सीमेंट पेंट करना बेस्ट है।
ऐनामेल पेंट-
यह ऑइल बेस्ड पेंट होता है। इसके यूज से दीवारों पर बेहतर फिनिशिंग आती है और चमक भी। इसमें वाइट लेड, जिंक, पेट्रोलियम स्प्रिट आदि मिली होती है। यह पेंट काफी टिकाऊ माना जाता है। इसमें थिनर मिलाया जाता है, जिसके आधार पर यह जल्दी या देरी से सूखता है।
विशेष-
- यह पेंट दीवारों पर अच्छे से चिपकता है।
- इसके प्रयोग से दीवारों पर दाग-धब्बा लगने का डर नहीं रहता।
- इसका यूज मेटल पर भी किया जा सकता है।
डिस्टेंपर पेंट-
इसे आम आदमी का पेंट भी कहते हैं। यह वॉटर बेस्ड पेंट होता है। मुख्यत: चॉक, चूना, पानी और रंग इसमें होता है। यह पाउडर और पेस्ट दोनों रूप में मार्केट में उपलब्ध है। अन्य पेंट की तुलना में यह काफी सस्ता, लेकिन वाइटवॉश से कुछ महंगा होता है। इसे घर के अंदर या बाहर, दोनों दीवारों पर लगाया जा सकता है।
विशेष-
- यह आम आदमी के बजट में आ जाता है और आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
- इसमें चमक तो नहीं होती, लेकिन लुक अच्छा आता है।
- इससे रंगी दीवारों से दाग-धब्बों को साफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि पानी के संपर्क में आकर यह खराब हो जाता है।
- इसके प्रयोग से दीवारों पर दाग-धब्बा लगने का डर नहीं रहता।
- इसका यूज मेटल पर भी किया जा सकता है।
डिस्टेंपर पेंट-
इसे आम आदमी का पेंट भी कहते हैं। यह वॉटर बेस्ड पेंट होता है। मुख्यत: चॉक, चूना, पानी और रंग इसमें होता है। यह पाउडर और पेस्ट दोनों रूप में मार्केट में उपलब्ध है। अन्य पेंट की तुलना में यह काफी सस्ता, लेकिन वाइटवॉश से कुछ महंगा होता है। इसे घर के अंदर या बाहर, दोनों दीवारों पर लगाया जा सकता है।
विशेष-
- यह आम आदमी के बजट में आ जाता है और आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
- इसमें चमक तो नहीं होती, लेकिन लुक अच्छा आता है।
- इससे रंगी दीवारों से दाग-धब्बों को साफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि पानी के संपर्क में आकर यह खराब हो जाता है।
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लेटेक्स पेंट-
यह इमल्शन पेंट का दूसरा रूप है। इस पेंट को दीवारों, कंक्रीट, लकड़ी आदि पर प्रयोग किया जा सकता है।
विशेष-
- अगर आप दीवारों को चमकदार बनाना चाहते हैं तो लेटेक्स पेंट यूज कर सकते हैं।
- इस पेंट की कीमत कुछ अधिक होती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इस पेंट में दरारें और पपड़ी नहीं पड़ती।
- इस पेंट की कीमत कुछ अधिक होती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि इस पेंट में दरारें और पपड़ी नहीं पड़ती।
घर में रंग कराएं, इनका रखें ध्यान-
- घर में कलर करवाने के लिए सात्विक यानी सौम्य रंगों का चुनाव करना चाहिए। आसमानी, हल्का हरा और सफेद रंग घर के वास्तु दोष दूर करते हैं।
- वास्तु के अनुसार घर की बाहरी दीवारों पर सफेद, हल्का पीला और क्रीम रंग का प्रयोग करना चाहिए।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर की दीवारों पर पीला, हरा या फिर हल्का गुलाबी रंग शुभ माना जाता है। यद्यपि, ध्यान रखें कि मंदिर की दीवार का रंग एक ही हो।
- बेडरूम (शयन कक्ष) में गुलाबी, आसमानी या हल्का हरा रंग करवाना चाहिए. इससे सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। रिश्तों में मधुरता लाने के लिए ये शुभ माने जाते हैं। विवाहित जोड़े के कमरे के लिए गुलाबी, नारंगी, नीला या फिर नए रंगों का प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि इससे आपके बीच प्रेम और उत्साह का संचार होता है।
- स्टडी रूम यानी पढ़ाई के कमरे में हमेशा हल्के रंगों का चयन करें। इससे मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।
- टॉयलेट-बाथरूम में सफेद या हल्का नीला रंग करवाना अच्छा माना जाता है।
- घर के सभी कमरों की छतों में सफेद रंग करवाना चाहिए, क्योंकि यह दीवारों के किसी भी रंग से असानी से जम जाता है। फिर भी, आप चाहें तो अपना कोई कोई प्रिय रंग लगवा सकते हैं।
- घर के सभी कमरों की छतों में सफेद रंग करवाना चाहिए, क्योंकि यह दीवारों के किसी भी रंग से असानी से जम जाता है। फिर भी, आप चाहें तो अपना कोई कोई प्रिय रंग लगवा सकते हैं।
कौन सा रंग किस कमरे के लिए अनुकूल ?
घर में सकारात्मक उर्जा को बनाए रखने के लिए जरुरी है कि आपका घर वास्तुदोष से मुक्त हो। इसे लेकर ज्योतिर्विदों एवं वास्तुविदों के मत हैं। इसमें अधिकांश का मत है, रंगाई-पुताई करवाते समय सभी कमरों में एक ही रंग की पुताई नहीं करवाएं। इसका कारण है, कि हर कमरा अलग उद्देश्य से बना होता है। जैसे शयन-कक्ष का उद्देश्य अच्छी निद्रा से है। शयन-कक्ष का प्रभाव व्यक्ति के संबंधों पर भी होता है, जबकि ड्राइंग-रूम का उद्देश्य अन्य बातों से है। इसलिए उद्देश्य के अनुसार कमरे का रंग भी अलग होना चाहिए।
शयन-कक्ष में मानसिक शांति और संबंधों में मधुरता बनी रहे, इसके लिए गुलाबी, आसमानी या हल्का हरा रंग की पुताई करवा सकते हैं।
बैठक कक्ष ड्राइंग रूम व डायनिंग रूम में आसमानी, हल्का हरा व गुलाबी रंग करवाना सबसे अच्छा है। क्रीम, सफेद, या भूरा रंग भी किया जा सकता है। अब बैठक कश हेतु अनेक विकल्प भी हैं, जिनका उपयोग आप कर सकते हैं। आप चाहें तो दीवार के रंग से मिलता कोई सुंदर सा वॉलपेपर लगा सकते हैं। फूलों या पत्तियों के आकार के छापे लगवा सकते हैं। इसके अलावा फेब्रिक रंग, मेट, प्लास्टिक या फिर अन्य रंगों को चुन सकते हैं।
अधिकांशत: बैठक कक्ष बड़े होते हैं और सर्वाधिक उपयोग इसका होता है। अगर आपके घर का बैठक कक्ष थोड़ा बड़ा है, वन, टू, थ्री, फोर BHK है, तो प्रयास करें कि उसमें हल्के रंग ही लगवाएं। इससे बैठक कक्ष बड़ा व खुला-खुला लगेगा। अधिकांश लोग इसके लिए सफेद या क्रीम, हल्का पीला, हरा या नारंगी जैसे रंगों को पसंद करते हैं। गर्म क्षेत्रों में इस तरह के हल्के रंगों का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह आंखों को ठंडक देते हैं। वहीं, गाढ़े रंगों को चुनने पर बैठक कक्ष छोटा व स्थान कम दिखता है,खुला-खुला नहीं बंद-बंद सा लगता है। ठंडे क्षेत्रों में गाढ़े रंगों का प्रयोग किया जा सकता है, क्योंकि यह परिवेश में गर्माहट भी अनुभव कराते हैं। इस हेतु अधकांशतः जामुनी, नारंगी, नीला, सिलेटी आदि रंगों का प्रयोग होता है। आप चाहें तो सुनहरे रंग से इस पर डिजाइन करवा सकते हैं।
रसोई घर (Kitchen) के लिए नारंगी और आसमानी शुभ रंग माना जाता है, लाल, गुलाबी भी करवा सकते हैं, जबकि डाइनिंग रुम के लिए गुलाबी, आसमानी और हल्का हरा।
पढ़ने-लिखने में रुचि बढ़ाने के लिए अध्ययन कक्ष में गुलाबी, हल्का हरा या आसमानी रंग की पुताई करवा सकते हैं। शौचालय एवं स्नान गृह के लिए गुलाबी और सफेद अनुकूल रंग है।
पुताई के समय दिशा का भी रखें ध्यान-
अगर आप दिशा का भी ध्यान रखते हुए कमरे में पुताई करवाते हैं, तो वास्तु का शुभ प्रभाव बढ़ता। इसलिए उत्तर-पूर्वी दिशा में जो कमरा हो उसमें सफेद या बैंगनी रंग का प्रयोग सबसे अनुकूल रहता है। इस कमरे में गाढ़े रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दक्षिण-पूर्वी कमरे में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए। दक्षिण पश्चिमी कमरे में ऑफ ह्वाइट यानी भूरा या पीला रंग मिश्रित सफेद रंग करवा सकते हैं।
दक्षिण-पूर्वी दिशा में हरे रंग की पुताई शुभ फल देती है। पश्चिमी कमरे में कोई भी रंग प्रयोग कर सकते हैं, सिर्फ सफेद रंग इस दिशा में प्रयोग नहीं करें।
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