नवरात्री : माँ स्कंद माता की कृपा से होती है पुत्र की प्राप्ति, कठिनाई से मुक्ति

#Shardiya_Navratri  नवरात्रि : पांचवा दिन 

माँ स्कंदमाता-  माँ स्कंदमाता सुख-शांति व मोक्ष प्रदान करने वाली हैंमाता का मंत्र है- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:


सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥


(धर्म नग
री / डीएन न्यूज) वाट्सएप- 6261868110 
मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है। नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।

माता स्कंदमाता का स्वरूप-

माता स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. सिंह इनका वाहन है।

माँ स्कंदमाता पूजा विधि-

सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।
चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें।
उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
अब व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

भोग एवं प्रसाद-
पंचमी तिथि के दिन पूजा करके भगवती दुर्गा को केले का भोग लगाना चाहिए और यह प्रसाद ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है।

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माँ स्कन्दमाता सप्तशती मंत्र-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै  नमस्तस्यै   नमो  नम:।।

माँ स्कन्दमाता ध्यान मन्त्र-

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। 
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
- मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां की आराधना की जाती है।

स्नेह की देवी हैं स्कंदमाता-

कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति मना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है, तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है।

संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कंद माता का मंत्र-

पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी स्कन्द माता हैं। जिन व्यक्तियों को संतान न हो, जो निःसंतान हो, वे माता की पूजन-अर्चन तथा मंत्र जप कर लाभ उठा सकते हैं। मंत्र अत्यंत सरल है-
ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।

हर कठिनाई दूर करती हैं मां-

शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का अत्यंत महत्व बताया गया हैइनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं भक्त को मोक्ष मिलता है सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है अत: मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।


माँ दुर्गा की आरती-

जय अंबे गौरी,
मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत,
हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…

मांग सिंदूर विराजत,
टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना,
चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…

कनक समान कलेवर,
रक्तांबर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,
कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…

केहरि वाहन राजत,
खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत,
तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…

कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर,
राजत सम ज्योती॥ ॐ जय…

शुंभ-निशुंभ बिदारे,
महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,
निशदिन मदमाती॥ ॐ जय…

चण्ड-मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,
सुर भय दूर करे॥ ॐ जय…

ब्रह्माणी, रूद्राणी,
तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी,
तुम शिव पटरानी॥ ॐ जय…

चौंसठ योगिनी गावत,
नृत्य करत भैंरू।
बाजत ताल मृदंगा,
अरू बाजत डमरू॥ ॐ जय…

तुम ही जग की माता,
तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता,
सुख संपति करता॥ ॐ जय…

भुजा चार अति शोभित,
वरमुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत,
सेवत नर नारी॥ ॐ जय…

कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,
कोटि रतन ज्योती॥ ॐ जय…

श्री अंबेजी की आरति,
जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी,
सुख-संपति पावे॥ ॐ जय…

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