नवरात्रि के दिन अत्यंत पवित्र होते हैं, इसलिए इनका रखें ध्यान-

कलश स्थापना, माता की चौकी, अखंड ज्योति


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नवरात्रि के दिन बहुत ही पवित्र होते हैं, इसलिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। नवरात्रि से एक दिन पहले ही पूरे घर की साफ-सफाई कर लें। नवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें और स्नानादि करने के बाद ही चौकी आदि लगाने का कार्य प्रारंभ करें। 


घट या कलश स्थापना-

नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है। इसके लिए पहले से ही तैयारियां करके रख लें। आप तांबे, चांदी या मिट्टी का कलश ले सकती हैं। कलश में डालने के लिए आवश्यक सामाग्री जैसे दूर्वा, अक्षत, सुपारी, सिक्का की आवश्यकता होगी। कलश के मुख पर बांधने के लिए कलावा, स्वास्तिक बनाने के लिए कुमकुम, गंगा जल आम के पत्ते नारियल और उस पर लेपेटने के लिए लाल रंग का कपड़ा, बोने के लिए जौं, साफ बालू या मिट्टी आदि पहले ही लाकर रख लें।  

घट स्थापना का महत्व-

नवरात्रि में घटस्थापना, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं, का विशेष महत्व होता है. ये नवरात्रि का पहला दिन होता है और इसी दिन से नवरात्रि पर्व का प्रारंभ माना गया है. सनातन धर्म की मानें तो, किसी भी शुभ कार्य के लिए कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है और इसी कलश को शास्त्रों में भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है. इसी लिए हर पूजा या मंगल कार्य की शुरुआत सर्वप्रथम गणेश जी की वंदना से की जाती है, जिसमें कलश की स्थापना पूरे विधि-विधान अनुसार करने के पश्चात ही कोई भी कार्य किया जाता है.

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घट स्थापना ऐसे करें-  

घट स्थापना शुभ मुहूर्त अनुसार ही किया जाना चाहिए, तभी आप इस दस दिवसीय पर्व से फलदायी परिणाम प्राप्त कर सकते हैं.

-इसके लिए सबसे पहले, एक मिट्टी के पात्र में जौ बो लें.

-इसके साथ ही एक मिट्टी का कलश लेकर, उस पर जल का छिड़काव करें.

-अब कलश पर स्वस्तिक बनाएं और कलश के गले में मौली बांधें.

-इसके बाद उसे, थोड़े गंगाजल और शुद्ध जल से पूरा भर दें.

-कलश को भगवान गणेश का स्वरूप मानते हुए, उस पर साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा चढ़ाएं.

-इसके साथ ही कलश में इत्र, पंचरत्न और एक सिक्का डालते हुए, उसमें पांचों प्रकार के पत्ते भी डालें.

-अब एक ढक्कन में अक्षत भरकर, उसे कलश के ऊपर रखें.

-साथ ही एक नारियल को किसी स्वच्छ लाल कपड़े में या माता रानी की लाल चुन्नी में लपेटकर, उसपर भी मौली बांधकर, उसे कलश पर रखें.

-नारियल रखते हुए, ध्यान रखें कि उसका मुंह आपकी तरफ होना चाहिए.

-इस तरह कलश स्थापना करने के बाद, अब समस्त परिवार के साथ आप मां दुर्गा का आह्वान करते हुए, उनकी पूजा-अर्चना करें.

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माता का आसन या चौकी-

मां को विराजित करने के लिए एक लकड़ी की चौकी और आसन के लिए लाल रंग का कपड़ा लें।  अब चौकी को गंगाजल से स्वच्छ करके उस पर आसन का कपड़ा बिछाएं, तत्पश्चात् मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। पूजा के आसन में सफेद या काले रंग के कपड़े का प्रयोग भूलकर भी न करें।

माता का आसन या चौकी इस तरह से लगाएं, जिससे पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। इस दिशा की और पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मां की पूजा के लिए आवश्यक सामाग्री जैसे कुमकुम, कलावा, लौंग-कपूर, पूजा में उपयोग होने वाली सुपारी, पान के डंडी वाले पत्ते, बताशे, देशी घी, धूपबत्ती, सूखी धूप, दीपक, बाती के लिए रुई आदि। मां के लिए लाल या पीले रंग की चुनरी।
 
अखंड ज्योति-
अगर आप अखंड ज्योति प्रज्वलित करना चाहते हैं, तो सबसे पहले विचार कर लें आप ज्योति को दिन रात देख सकते हैं. अर्थात ज्योत सदैव जलती रहे. अखंड ज्योति के लिए पीतल या मिट्टी का पात्र लें। मिट्टी के पात्र में ज्योति प्रज्वलित करना चाहते हैं तो पहले ही कुछ समय के लिए उसे पानी में भिगोकर रख दें। पानी से निकाल कर पात्र को कपड़े से पोंछ लें। पानी में भिगोकर रखने के बाद पात्र ज्यादा तेल नहीं सोखता है। 

अखंड ज्योति के लिए गाय के शुद्ध देशी घी का उपयोग करें। आप सरसों के तेल या तिल के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं, परंतु उसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं होनी चाहिए। अखंड ज्योति में रुई की बाती के स्थान पर कलावा (कच्चे सूत) की बाती का उपयोग करें। मां के पूजन में किसी प्रकार से प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग न करें।
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