#Kashi : बाबा विश्वनाथ का कब कैसे हुआ जीर्णोद्धार, 5 लाख वर्ग फ़ीट है काशी विश्वनाथ का परिसर, जिसका...
- दोपहर 1:37 से 1:57 के बीच लोकार्पण कर देश को समर्पित करेंगे
- ललिता घाट (गंगाजी) से PM के आते ही बजने लगेंगे 151 डमरू
- प्रधानमंत्री करेंगे लोकार्पण, पंगत में बैठकर ग्रहण करेंगे प्रसाद
- वाराणसी के 8 विधानसभा में वितरित होंगे लगभग 25 लाख लड्डू
- भाजपा के 12 राज्यों के मुख्यमंत्री भी लोकार्पण में उपस्थित रहेंगे
- क्या बताया था प्रोजेक्ट के अंतिम चरण में आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने
- #सोशल_मीडिया में चुनिंदा प्रतिक्रिया... पढ़ें, देखें- एवं
लोकार्पण की Live अपडेट्स...
- गर्भगृह में पुजारियों ने जब PM मोदी की प्रशंसा करते जीर्णोद्धार / विकास कार्य का श्रेय देना चाहा, तो मोदी बोले- सबकुछ महादेव करते हैं
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(राजेशपाठक अवैतनिक संपादक)
जल मार्ग द्वारा (गंगाजी होकर) PM मोदी ललिता घाट तक आएंगे। ललिता घाट से कमंडल में गंगाजल लेकर मंदिर में बाबा के गर्भ-गृह पहुंचेंगे। गर्भ-गृह में बैठकर विधि-विधानपूर्वक चंदन, भस्म, विभूति, भोग आदि समर्पित कर PM बाबा विश्वनाथ की पूजा-अर्चना अभिषेक करेंगे। सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग के अर्चकों को आमंत्रित किया गया है। इसके पश्चात दोपहर 1:37 से 1:57 के बीच मुहूर्त है, जब PM कॉरिडोर लोकार्पण कर देश को समर्पित करेंगे।
सांस्कृतिक गौरव एवं आर्थिक गतिविधियों का केंद्र- काशी विश्वनाथ का मंदिर में बाबा के दर्शन-पूजन और काशी भ्रमण को देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहाँ आते हैं। अब तक जिन्होंने काशी आने पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और उनकी जो भी अनुभूति वाराणसी/काशी को लेकर रही रही, अब वह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकर्पण के बाद बदल जाएगी, क्योंकि अब काशी, काशी नहीं रही, बल्कि काशी "भव्य काशी" या "दिव्य काशी" हो गई है। पर एक वो दिन था, जब पहली बार PM मोदी बाबा के परिसर आए, मंदिर के आसपास की स्थिति को देखकर उनका मन व्यथित हो गया। यही पीड़ा जो मोदीजी के मन में थी, वही आधार और प्रेरणा बना स्वयंभू ज्योतिर्लिंग बाबा विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण योजना का और वे सनातन धर्म के इस केंद्र- काशी को भव्य स्वरूप दे सके।
योगी आदित्यनाथ ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका-
बाबा विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण एवं सौन्दर्यीकरण को लेकर, इसको मूर्त रूप देने महादेव शिव के नाथ सम्प्रदाय के योगी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरकार कैबिनेट की 9 बैठकें अलग अलग समय पर की। इन बैठकों में परियोजना के विभिन्न चरणों को स्वीकृति दिलाई। PM मोदीके संसदीय क्षेत्र वाराणसी के इस महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए CM योगी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
सौ साल पहले तक पाव पखारती रहीं गंगा मैया
बताते हैं, लगभग सौ साल पहले तक गंगा मैया बाबा विश्वनाथ में पाव पखारती रहीं। समय के साथ गंगा मैया और बाबा बीच 400 मीटर की दूरी ने काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा से दूर कर दिया। वर्ष 1916 में गांधीजी जब वाराणसी गए तब उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था, अगर हमारे मंदिर इस तरह के हाल में हैं तो देश कैसा होगा। लगभग 100 वर्ष पश्चात PM मोदी ने वैसी ही चिंता जताते हुए इस काम को करने को कहा।
बताते हैं, लगभग सौ साल पहले तक गंगा मैया बाबा विश्वनाथ में पाव पखारती रहीं। समय के साथ गंगा मैया और बाबा बीच 400 मीटर की दूरी ने काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा से दूर कर दिया। वर्ष 1916 में गांधीजी जब वाराणसी गए तब उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था, अगर हमारे मंदिर इस तरह के हाल में हैं तो देश कैसा होगा। लगभग 100 वर्ष पश्चात PM मोदी ने वैसी ही चिंता जताते हुए इस काम को करने को कहा।
PM to inaugurate in 'Kashi Vishwanath Dham' today
Kashi Vishwanath Dham has been developed under the supervision of PM Narendra Modi. The PM laid the foundation stone of the Kashi Vishwanath Dham in March 2019. The project is designed to provide direct connect of Ganga Ghats to the Kashi Vishwanath Temple. The project is spread over an area of about 5 lakh square feet.
A total of 23 buildings will be inaugurated in the phase 1 of the project. A variety of facilities including Yatri Suvidha Kendras, Tourist Facilitation Centre, Vedic Kendra, City Museum, Viewing Gallery, Food Court etc will be available for the pilgrims visiting Kashi Vishwanath Temple. The project is designed to provide easy access for the disabled and old age people with provision of ramps, escalators and other facilities.
On a two-day visit, PM Narendra Modi will reach Varanasi on Monday (13 Dec.) moring, where he will inaugurate the rejuvenated and transformed "Shri Kashi Vishwanath Dham". He will visit Kashi Vishwanath Temple at around 1 PM and offer prayers, after which he will inaugurate phase 1 of Shri Kashi Vishwanath Dham. Over 3000 saints and dignitaries are participating in the event. In a tweet, the Prime Minister has called this day a landmark day and urged everyone to join the programme. Mr Modi will also visit Kaal Bhairav Temple at around 12 noon today and witness Ganga Aarti while on board a Ro-Ro Vessel at around 6 PM.
The phase-1 of Shri Kashi Vishwanath Dham has been constructed at a cost of around 339 crore rupees. The project is spread over a massive area of 5 lakh square feet whereas the earlier premises were limited to just around 3000 square feet."शायद प्रभु की मर्ज़ी थी..."
इस पर अपना संतोष व्यक्त करते हुए PM ने कहा था, “शायद प्रभु की मर्ज़ी थी, उनका आदेश था कि जा बेटा तू इस स्थल का जीर्णोद्धार कर” पीएम ने आर्किटेक्ट बिमल पटेल को पहली बार कहा था- “ऐसा सुंदर और बढ़िया कॉरीडोर बनाओ जिससे गंगा से मंदिर जुड़ जाए, लोग गंगा स्नान करें या जल लेकर सीधे मंदिर जाएं, कोई रूकावट ना हो। एक ऐसा रास्ता बनाओ जिससे जाकर तीर्थयात्रियों का मन प्रफुल्लित हो जाए।”
स्वयं करते रहे मास्टर प्लान का विश्लेषण-
इस सपने को साकार करने के लिए पीएम स्वयं मास्टर प्लान का विश्लेषण (review) करते रहे। उन्होंने कई 3-D Animation दखे, मानचित्र (map) देखा। PM ने आर्किटेक्ट को निर्देश दिया, कि घाट एरिया या दिव्यांगों के लिए व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए।
On a two-day visit, PM Narendra Modi will reach Varanasi on Monday (13 Dec.) moring, where he will inaugurate the rejuvenated and transformed "Shri Kashi Vishwanath Dham". He will visit Kashi Vishwanath Temple at around 1 PM and offer prayers, after which he will inaugurate phase 1 of Shri Kashi Vishwanath Dham. Over 3000 saints and dignitaries are participating in the event. In a tweet, the Prime Minister has called this day a landmark day and urged everyone to join the programme. Mr Modi will also visit Kaal Bhairav Temple at around 12 noon today and witness Ganga Aarti while on board a Ro-Ro Vessel at around 6 PM.
The phase-1 of Shri Kashi Vishwanath Dham has been constructed at a cost of around 339 crore rupees. The project is spread over a massive area of 5 lakh square feet whereas the earlier premises were limited to just around 3000 square feet.
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संरक्षक व इंवेस्टर चाहिए- "धर्म नगरी" के विस्तार, डिजिटल DN News के प्रसार एवं एक तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक (factual & informative & interesting), राष्ट्रवादी समसामयिक साप्ताहिक मैगजीन हेतु "संरक्षक" व इंवेस्टर / की चाहिए। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में स्थानीय रिपोर्टर या स्थानीय प्रतिनिधि (जहाँ रिपोर्टर/प्रतिनिधि नहीं हैं) तुरंत चाहिए। संपर्क करें -प्रबंध संपादक
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इस पर अपना संतोष व्यक्त करते हुए PM ने कहा था, “शायद प्रभु की मर्ज़ी थी, उनका आदेश था कि जा बेटा तू इस स्थल का जीर्णोद्धार कर” पीएम ने आर्किटेक्ट बिमल पटेल को पहली बार कहा था- “ऐसा सुंदर और बढ़िया कॉरीडोर बनाओ जिससे गंगा से मंदिर जुड़ जाए, लोग गंगा स्नान करें या जल लेकर सीधे मंदिर जाएं, कोई रूकावट ना हो। एक ऐसा रास्ता बनाओ जिससे जाकर तीर्थयात्रियों का मन प्रफुल्लित हो जाए।”
स्वयं करते रहे मास्टर प्लान का विश्लेषण-
इस सपने को साकार करने के लिए पीएम स्वयं मास्टर प्लान का विश्लेषण (review) करते रहे। उन्होंने कई 3-D Animation दखे, मानचित्र (map) देखा। PM ने आर्किटेक्ट को निर्देश दिया, कि घाट एरिया या दिव्यांगों के लिए व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए।
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= दर्शनार्थी का समय कब आएगा, उसके अनुसार स्वयं मंदिर परिसर में पहुँच जाएं, इसके लिए "इलेक्ट्रॉनिक टाइम सिस्टम" की व्यवस्था
= 23 भवन बनाए गए है, कॉरिडोर में प्रवेश के लिए 7 प्रवेश द्वार
= कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाले मंदिरों को गंगा तट पर शिफ्ट किया
= उद्घाटन के तुरंत बाद काशी के घर-घर में लड्डू पहुंचाया जाएगा। वाराणसी के 8 विधानसभा क्षेत्र में 3,356 केन्द्रों से लड्डुओं सहित "दिव्य काशी भव्य काशी" पुस्तिका भी पहुंचाई जाएगी।
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⇒"धर्म नगरी" के अगले अंक (16-31 दिसंबर) में काशी विश्वनाथजी, कॉरिडोर के उद्घाटन की पूरी कवरेज होगी। इसमें आप भी अपनी शुभकामना, फोटो देकर अपने परिजनों, मित्रों, पार्टी नेताओं आदि को प्रतियाँ भिजवा सकते हैं। ध्यान दें, राष्ट्रवादी एवं सनातन धर्म का पक्षधर "धर्म नगरी" का प्रकाशन अव्यावसयिक है, इसलिए हमें जिससे जो सहयोग मिलता है, उतनी प्रतियां अधिक प्रकाशित / वितरित होती है. इस प्रकार आपका सहयोग हमें नहीं, राष्ट्रवाद व हिंदुत्व को जाता है -प्रबंध सम्पादक 9752404020, 6261868110 ईमेल- dharm.nagari@gmail.com ट्वीटर @DharmNagari
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बिना विवाद और समय गवाएं भूमि अधिग्रहण-
टोपोग्राफी और डेमोग्राफी के चलते बहुत कार्य कठिन था, एक-एक ईंच कंक्रीट से भरा था। आवश्यक भूमि अधिग्रहण नहीं किया गया, क्योंकि विवाद बढ़ता और समय लगता। फिर लोग कोर्ट जाते।पर आज एक भी मामला कोर्ट में नहीं है। पारस्परिक समझौते का उचित, न्यायोचित और पारदर्शी माध्यम अपनाया गया और उसके आधार पर ही ज़मीन अधिग्रहण हुआ। अनेक संपत्ति ऐसी थीं, जिसके कई स्वामी थे और वो अलग-अलग जगहों पर भी रहते थे उनमें कुछ विदेश भी थे। सबको एक साथ एक बोर्ड पर लाना कठिन काम था। जैसे- एक मामले में 17 स्वामी थे, उनमें कुछ विदेश में थे, लेकिन सभी को दूरदर्शिता के साथ योगी सरकार ने एक साथ एक समझौते पर लाया।
विवादित सम्पत्ति पर समझौते के लिए के एक कमेंटी बनायी गयी। सर्किल रेट से दुगुनी कीमत तय कर बातचीत शुरू की गयी और धीरे-धीरे मामलों को हल तक पहुँचाया गया. मंदिर के लिए जो सम्पत्ति अधिग्रहीत की गयी वे संपत्ति तीन प्रकार की थी. प्राइवेट, ट्रस्ट और कस्टोडियन प्रॉपर्टी, जैसे संपत्ति जो भगवान के नाम पर हैं।
ऐसा अभियान कि तुरंत हुआ समझौता-
इन सम्पत्ति पर क़ाबिज़ 90% लोग ऐसे थे जो किरायेदार थे या अतिक्रमण कर के रह रहे थे. कॉमर्शियल, रेसीडेंशियल हर तरह की सम्पत्ति पर समझौते का उनको अलग विकल्प दिया गया. कब्जा कर रहनेवाले लोगों से भी सेटलमेट किया और “चाभी दो,चेक लो” मुहिम चलाई गई। कुल 314 जिसमें मकान, दुकान और मंदिर सम्मिलित रहे, उन्हें खरीदा गया। इनमें 37 ट्रस्ट या संयुक्त प्रॉपर्टी थी। दुकानदार, वेंडर, रहने वाले जैसे 1400 लोगों का पुनर्वास किया गया। आरम्भ में कुछ प्रकरण कोर्ट में गए, लेकिन आज एक भी प्रकरण कोर्ट में नहीं है। कुछ लोगों के विवाद को प्रशासन ने कोर्ट के बाहर सेटलमेंट भी करवाया, जिससे मंदिर कोरिडोर के काम में कोई रुकावट ना हो। इस प्रकार लगभग 800 करोड़ रु इस पूरे प्रोजेक्ट पर खर्च हुए।
संकरी गलियां और अतिक्रमण-
पुनर्निर्माण के दौरान कई जगहों को तोड़ना बहुत कठिन था। संकरी गलियों में मशीन नहीं जा सकती थी इसलिए मानव श्रम का ही सहारा लेकर काम किया गया, जब अतिक्रमण हटाने के क्रम में नए मंदिर घरों में दबे मिले तो उन्हें हटाया नहीं गया, बल्कि उसे काशी विश्वनाथ धाम में मूल्य वर्धन और मंदिर सम्पदा के रूप में देखा और उन्हें जस का टस रखते हुए मास्टर प्लान में बदलाव किया गया।
स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड-
कॉरिडोर का कार्य आरंभ होने से पहले 8 मार्च 2019 तक 60% संपत्ति का अधिग्रहण हुआ था।पुनर्निर्माण के लिए काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड 2018 में बनाया गया। कंसल्टेंसी, डिजाइन, मास्टर प्लान सब व्यवस्थित रूप से तैयार किया गया। पूरा काशी विश्वनाथन परिसर अब 5 लाख वर्ग फ़ीट में फैला हुआ है। इसका 70% क्षेत्र खुला है, जबकि 30% क्षेत्र में मंदिर एवं अन्य भवन हैं।
काशी विश्वनाथ का मंदिर सांस्कृतिक गौरव और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है. देश विदेश से बड़ी तादाद में पर्यटक भी यहाँ आते है, मंदिर जीर्णोद्धार के बाद वे सुनहरी यादें और गौरव की अनुभूति लेकर जाएँगे, आर्किटेक्ट ने मंदिर और कोरिडोर जीर्णोद्धार के वक्त ये ध्यान रखा कि गंगा घाट से मंदिर जाने के क्रम में दृष्टि और कदम का संतुलन ऐसा रहे जिससे दिव्य और भव्य दर्शन हो, प्रधानमंत्री मोदी स्पष्ट का निर्देश था कि मंदिर के वर्तमान स्वरूप में कोई छेड़छाड़ नहीं हो, सिर्फ़ पत्थरों की सफाई का काम किया जाए और वैसा ही किया गया।
निर्माण कार्य एक बड़ी चुनौती थी। निर्माण सामग्री को साइट तक पहुंचाना भी बड़ी कठिन काम था।प्रोजेक्ट के सीईओ के अनुसार, औसतन 1500-2000 श्रमिकों ने प्रतिदिन काम किया, वहीं इन दिनों 2600 तक श्रमिक काम कर रहे थे, जबकि कोविड संक्रमण काल में श्रमिकों की संख्य कुछ कम हो गई थी।
बिना विवाद और समय गवाएं भूमि अधिग्रहण-
टोपोग्राफी और डेमोग्राफी के चलते बहुत कार्य कठिन था, एक-एक ईंच कंक्रीट से भरा था। आवश्यक भूमि अधिग्रहण नहीं किया गया, क्योंकि विवाद बढ़ता और समय लगता। फिर लोग कोर्ट जाते।पर आज एक भी मामला कोर्ट में नहीं है। पारस्परिक समझौते का उचित, न्यायोचित और पारदर्शी माध्यम अपनाया गया और उसके आधार पर ही ज़मीन अधिग्रहण हुआ। अनेक संपत्ति ऐसी थीं, जिसके कई स्वामी थे और वो अलग-अलग जगहों पर भी रहते थे उनमें कुछ विदेश भी थे। सबको एक साथ एक बोर्ड पर लाना कठिन काम था। जैसे- एक मामले में 17 स्वामी थे, उनमें कुछ विदेश में थे, लेकिन सभी को दूरदर्शिता के साथ योगी सरकार ने एक साथ एक समझौते पर लाया।
विवादित सम्पत्ति पर समझौते के लिए के एक कमेंटी बनायी गयी। सर्किल रेट से दुगुनी कीमत तय कर बातचीत शुरू की गयी और धीरे-धीरे मामलों को हल तक पहुँचाया गया. मंदिर के लिए जो सम्पत्ति अधिग्रहीत की गयी वे संपत्ति तीन प्रकार की थी. प्राइवेट, ट्रस्ट और कस्टोडियन प्रॉपर्टी, जैसे संपत्ति जो भगवान के नाम पर हैं।
ऐसा अभियान कि तुरंत हुआ समझौता-
इन सम्पत्ति पर क़ाबिज़ 90% लोग ऐसे थे जो किरायेदार थे या अतिक्रमण कर के रह रहे थे. कॉमर्शियल, रेसीडेंशियल हर तरह की सम्पत्ति पर समझौते का उनको अलग विकल्प दिया गया. कब्जा कर रहनेवाले लोगों से भी सेटलमेट किया और “चाभी दो,चेक लो” मुहिम चलाई गई। कुल 314 जिसमें मकान, दुकान और मंदिर सम्मिलित रहे, उन्हें खरीदा गया। इनमें 37 ट्रस्ट या संयुक्त प्रॉपर्टी थी। दुकानदार, वेंडर, रहने वाले जैसे 1400 लोगों का पुनर्वास किया गया। आरम्भ में कुछ प्रकरण कोर्ट में गए, लेकिन आज एक भी प्रकरण कोर्ट में नहीं है। कुछ लोगों के विवाद को प्रशासन ने कोर्ट के बाहर सेटलमेंट भी करवाया, जिससे मंदिर कोरिडोर के काम में कोई रुकावट ना हो। इस प्रकार लगभग 800 करोड़ रु इस पूरे प्रोजेक्ट पर खर्च हुए।
संकरी गलियां और अतिक्रमण-
पुनर्निर्माण के दौरान कई जगहों को तोड़ना बहुत कठिन था। संकरी गलियों में मशीन नहीं जा सकती थी इसलिए मानव श्रम का ही सहारा लेकर काम किया गया, जब अतिक्रमण हटाने के क्रम में नए मंदिर घरों में दबे मिले तो उन्हें हटाया नहीं गया, बल्कि उसे काशी विश्वनाथ धाम में मूल्य वर्धन और मंदिर सम्पदा के रूप में देखा और उन्हें जस का टस रखते हुए मास्टर प्लान में बदलाव किया गया।
स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड-
कॉरिडोर का कार्य आरंभ होने से पहले 8 मार्च 2019 तक 60% संपत्ति का अधिग्रहण हुआ था।पुनर्निर्माण के लिए काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड 2018 में बनाया गया। कंसल्टेंसी, डिजाइन, मास्टर प्लान सब व्यवस्थित रूप से तैयार किया गया। पूरा काशी विश्वनाथन परिसर अब 5 लाख वर्ग फ़ीट में फैला हुआ है। इसका 70% क्षेत्र खुला है, जबकि 30% क्षेत्र में मंदिर एवं अन्य भवन हैं।
काशी विश्वनाथ का मंदिर सांस्कृतिक गौरव और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है. देश विदेश से बड़ी तादाद में पर्यटक भी यहाँ आते है, मंदिर जीर्णोद्धार के बाद वे सुनहरी यादें और गौरव की अनुभूति लेकर जाएँगे, आर्किटेक्ट ने मंदिर और कोरिडोर जीर्णोद्धार के वक्त ये ध्यान रखा कि गंगा घाट से मंदिर जाने के क्रम में दृष्टि और कदम का संतुलन ऐसा रहे जिससे दिव्य और भव्य दर्शन हो, प्रधानमंत्री मोदी स्पष्ट का निर्देश था कि मंदिर के वर्तमान स्वरूप में कोई छेड़छाड़ नहीं हो, सिर्फ़ पत्थरों की सफाई का काम किया जाए और वैसा ही किया गया।
एक बड़ी समस्या थी अफवाहों का फैलना, वास्तव जो लोग ये प्रोजेक्ट रोकना चाहते थे, वो अफवाह फैलाते रहे. पीएम मोदी का सख्त निर्देश था कि अफवाहों को तुरंत तथ्यों के साथ समाप्त करें, उनका उत्तर दें, जैसे एक मंदिर तोड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर फैलाया गया, परिवार को हटाने का वीडियो फैलाया गया, यूपी सरकार ने ऐसे सारे वीडियो को फौरन फैक्ट्स के साथ काउंटर किया, निर्माण के दौरान भी सबकुछ खुला रखा गया कोई पाबंदी आने जाने पर नहीं रखी गयी कोई भी जा कर निर्माण की गतिविधियाँ देख सकता था।
निर्माण कार्य एक बड़ी चुनौती थी। निर्माण सामग्री को साइट तक पहुंचाना भी बड़ी कठिन काम था।प्रोजेक्ट के सीईओ के अनुसार, औसतन 1500-2000 श्रमिकों ने प्रतिदिन काम किया, वहीं इन दिनों 2600 तक श्रमिक काम कर रहे थे, जबकि कोविड संक्रमण काल में श्रमिकों की संख्य कुछ कम हो गई थी।
गर्भगृह में 4-5 हजार लोगों की उपस्थिति
दर्शनार्थियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक टाइम सिस्टम की व्यवस्था की जा रही है, जिससे लोगों को लाइन लगाकर खड़ा ना रहना पड़े, उन्हें पता हो कि उनका समय कब आएगा और उसके अनुसार वे स्वयं मंदिर परिसर में पहुँच जाएँ। इसके लिए एक IT कंपनी कार्य कर रही है। ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है, कि 4-5 हजार लोगों की उपस्थिति गर्भगृह में हर घंटे हो सके और पूरे परिसर में 50 हजार लोगों का इंटरनल सर्कुलेशन एक साथ होने पर भी कोई समस्या न हो। सिक्योरिटी व्यवस्था को भी मंदिर के समरूप रखा गया है, 300 से अधिक CCTV कैमरे, बैगेज स्कैन, फायर सेफ्टी आदि की व्यवस्था है।मंदिर परिसर में मुमुक्षु भवन 50 लोगों के लिए रहने की व्यवस्था है। यहाँ गेस्ट हाउस में 18 कमरे बनाए गए हैं, जिन्हें ऑनलाइन भी बुक किया जा सकता है।
27 अलग अलग स्ट्रक्चर-
काशी विश्वनाथ परिसर में 27 अलग-अलग स्ट्रक्चर बनाए जा रहे, जहां ऐसी मूर्तियां स्थापित की जाएंगी जो यहाँ से चोरी हुई या मंदिर में जीर्णोद्धार में जिनका समय-समय पर महत्वपूर्ण योगदान रहा, जैसे- रानी अहिल्या बाई की मूर्ति भी यहाँ स्थापित की गयी हैं. रानी अहिल्या बाई ने ने 1780 काशी विश्वनाथ का जीर्णोद्धार कराया था. काशी विश्वनाथ में इस भगीरथ प्रयत्न के बाद माना जा रहा है कि अगले एक हज़ार वर्षों तक लगाई विश्वनाथ परिसर में किसी जीर्णोद्धार की आवश्यकता महसूस नहीं होगी।
मूल सरंचना से छेड़छाड़ नहीं, संरक्षित कर जनता के लिए खोला
मंदिर परिसर को सुंदर बनाने के साथ, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बढ़ाया गया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने जब प्रोजेक्ट के अंतिम चरण पर कार्य हो रहा था, बताया था -
हमने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने की दिशा में काम किया है। जिसमें मंदिर की भव्यता को बहाल करने के मंदिर परिसर का पुनर्गठन किया गया। परियोजना के 5.50 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में से लगभग 70 प्रतिशत को हरियाली से ढका जाएगा। प्रोजेक्ट का काम करते समय काशी विश्वनाथ मंदिर की मूल सरंचना से छेड़छाड़ नहीं की, उसे वैसा रहने दिया है। मंदिर परिसर को सुंदर बनाने के साथ, पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बढ़ाया गया है।
परियोजना में इतने भवन हैं-
परियोजना में मंदिर चौक, वाराणसी सिटी गैलरी, म्यूजियम, बहुउद्देशीय सभागार, हॉल, भक्त के लिए सुविधा केंद्र, सार्वजनिक सुविधा, मोक्ष गृह, गोदौलिया गेट, भोगशाला, पुजारियों और सेवादारों के लिए आश्रय, आध्यात्मिक पुस्तक पैलेस और अन्य का निर्माण सम्मिलित है। काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास के भवनों को तोड़े जानने के बाद 40 प्राचीन मंदिर मिले। भवनों में छिपे सदियों प्राचीन मंदिर अब दिखाई देने लगे हैं, जिन्हें संरक्षित कर जनता के लिए खोला जाएगा।
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#सोशल_मीडिया में चुनिंदा प्रतिक्रिया...
लोकार्पण की Live अपडेट्स-
है काशी का उत्कर्ष
जय-जय भारतवर्ष... देखें-
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सदैव से धर्म और अध्यात्म का केन्द्र रही बाबा विश्वनाथ की पावन धरा अविनाशी काशी में आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन आदरणीय प्रधानमंत्री -योगी आदित्यनाथ CM (PM के वाराणसी पहुंचने पर)
काशी के कोतवाल काल भैरव जी के दर्शन करते हुए-
देखें-
गंगाजी के तट पर बनाए गए जेट्टी पर क्रूज "अलखनंदा" पर PM मोदी, साथ आदित्यनाथ उतरे, जेट्टी पर उतरकर प्रधानमंत्री ने लोगों का हाथ उठाकर अभिवादन किया। यहां से ललिता घाट होकर आगे बाबा विश्वनाथजी के मंदिर की ओर बढेंगे। ललिता घाट पर विशाल स्वागत द्वार बनाया गया है। यहीं, कॉरिडोर के जीर्णोध्दार के समय निकले मंदिर एवं मूर्तियों को स्थापित किया गया है।
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गेरुआ वस्त्र पहले PM मोदी हाथों में तांबे का लोटा लिए ललिता घाट पर गंगाजी में गंगाजल लेने से पूर्व डुबकी लगाई। सूर्य देव को जल चढ़ाया। परिक्रमा किया।
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही बाबा विश्वनाथ के चरणों में अर्चन-अभिषेक का सौभाग्य भी मिला। पूजन के समय एक ही भाव मन में उठ रहा था-
यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्।
राष्ट्रसेवा में मैं जो भी कर्म कर रहा हूं, वो सब महादेव आपकी ही आराधना है, आपका ही आशीर्वाद है। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
राष्ट्रसेवा में मैं जो भी कर्म कर रहा हूं, वो सब महादेव आपकी ही आराधना है, आपका ही आशीर्वाद है। - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
देखें-
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धर्मो रक्षति रक्षितः ज्योतिर्लिंग बाबा विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पूजन आरम्भ करने से ठीक पहले...
काशीश्वरं सकलभक्तजनातिहारं
विश्वेश्वरं प्रणतपालनभव्यभारम्।
रामेश्वरं विजयदानविधानधीरं
गौरीश्वरं वरदहस्तधरं नमाम:।।
बाबा विश्वनाथ की पूजा-अर्चना के बाद जब गर्भगृह में पुजारियों ने PM नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए जीर्णोद्धार व विकास कार्य का श्रेय दिया, तो PM बोले- "सबकुछ महादेव करते हैं"
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काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में काम करने वाले कारीगरों, श्रमिकों और मजदूरों के बीच जाकर PM मोदी ने पुष्प की पंचुड़ियों की वर्षा कर सम्मानित किया और अपनी कुर्सी खींचकर उनके साथ बैठ गए. At KashiVishwanath Corridor PM showers flower petals at the labourers & workers who worked on the corridor. Showering petals on workers, as they raise their hands chanting Har Har Mahadev PM removes his chair & sits with the workers. Amazing!!
कॉरिडोर लोकार्पण से पहले सभा में स्वागत भाषण में CM योगी आदित्यनाथ ने कहा- ...माँ गंगा आज आह्लादित हैं...
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प्रोजेक्ट का लोकर्पण करने के बाद अब प्रधानमंत्री संबोधित कर रहे हैं...
काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथ में डमरू है, .... ये जो कुछ भी हुआ है ये उनकी इच्छा से ही हुआ है... बाबा के साथ अगर किसी और का योगदान है, तो बाबा के गणों का है, जो हमारे काशी के वासी है... इदं शिवाय इदं नमः... आज मैं उन श्रमिक भाइयों का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ,जिनका पसीना इस भव्य कॉरिडोर के निर्माण में बहा है... इन सबके साथ यूपी सरकार हमारी यूपी की सरकार, कर्मयोगी योगी सरकार...
हमारे पुराणों में प्रकृतिक आभा से घिरी काशी का वर्णन किया है... इतिहासकारों ने भी... आतताइयों ने भी काशी पर हमले किए... औरंगजेब ने तलवारों के बल पर... यहां औरंगजेब आता है, तो शिवजी राजा भी खड़े हो गए...
काशी शब्दों का विषय नहीं, काशी संवेदनाओं की सृष्टि है.... काशी वो है जहाँ मृत्यु भी मंगल है... काशी वो है जहाँ सत्य... जहाँ काशी वो है जहाँ प्रेम ही परंपरा है... इसलिए शिवमयी है, ज्ञानमयी है.... इसलिए ज्ञान शोध संधान भारत के लिए निष्ठा रही है... धरती के सभी क्षेत्रों में काशी मेरा ही साक्षात स्वरुप है... काशी जीवत्व को सीधे शिवत्व से जोड़ती है... भगवन विश्वेश्वर के शरण में आने पर सम-बुद्धि प्राप्त हो जाती है... ये वो जगह है, जहाँ तुलसीदासजी ने भगवान की प्रेरणा से श्रीरामचरित मानस लिखा...
जिस तरह काशी है, उस तरह काशी का योगदान भी अनंत है...
यहां काशी के मंदिर को तोडा गया, तो माता अहिल्याबाई होल्कर ने पुर्नउद्धार कराया... तब के बाद काशी के लिए काम अबतक हुआ... महाराणा रंजीत सिंह ने 23 मन सोना चढ़ा कर... यहाँ हर तरह की शैली के मंदिर दिख जाएंगे... एक ग्रन्थ में लिखा है... कन्नड़ भाषा में कहा गया माधवाचार्य ने कहा था, काशी के विश्वनाथ पाप का निवारण करते हैं...
हमारे नाविक भाई तमिल कन्नड़ मलयालम... इतनी फर्राटे से बोलते है, कि लगता है कहीं और आ गया...
आज का भारत केवल बाबा विश्वनाथ का बना रहा, बल्कि समुद्र में हजारों किलोमीटर आप्टिकल केबल भी बिछा रहा है... केवल अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर नहीं बना रहा है, बल्कि हर जगह मेडिकल कालेज भी बना रहा है... भारत में विरासत भी है, विकास भी है...
आज मैं आपसे तीन चीजे मांगता हूँ... तीन संकल्प लें... स्वछता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत के प्रयास...
स्वछता जीवनशैली होती है,अनुशासन होती है, ये अपने साथ कर्तव्यों की बड़ी संकल्प लेकर आती है... कर्तव्य की भावना से भरा आपका छोटा सा प्रयास भारत की बहुत बड़ी मदद करेगा... गुलामी के लम्बे कालखंड ने हमारा आत्मविश्वास ऐसा तोडा, कि हम अपनी सृजनशक्ति को ही भूल गए... अपनी सृजनशक्ति को इनोवेट करिये innovative तरीके से करिये...
आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रयास... 100 साल बाद जब भारत अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, तो कैसे...
लगभग 50 मिनट का प्रधानमंत्री का संबोधन उनके द्वारा हाथ उठाकर / उठवाकर "हर-हर महादेव" जयघोष के साथ सम्पन्न हुआ...
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रमिकों संग श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में भोजन करते हुए.
PM Narendra Modi had lunch with the labourers involved in construction of #KashiVishwanathDham. -------
Hindutva is on display. Shows of why Pappu is so scared from Hindutva because flourishing in Bharat with Bharat majority religious places being built iconic that people from across world will be visiting Bharat very shortly attracted by iconic religious places too. "नरेंद्र मोदी" -@nuryanana_kaush
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श्री विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण के दौरान जितने भी मंदिर मिले सभी का सुंदरीकरण किया गया। आभार मोदी जी। -@RBReddyHindu
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Historic day today. After Ahilya Bai Holkar, this is major development work at #KashiVishwanath temple. Thanks to Sri ji, Sri -
ji for this grand initiative & vision & for the invitation. #HarHarMahadevॐ #काशी_विश्वनाथ_धाम #KashiVishwanathCorridor
सन्यासी से अच्छा राजा कोई नहीं हो सकता #KashiVishwanathDham
-@YogiDevnath2
इतिहास के तीन महत्वपूर्ण पड़ाव-सन 1777- अहिल्या बाई होल्कर ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
सन 1833- महाराजा रणजीत सिंह ने शिखरों को स्वर्णमंडित करवाया।
सन 2021- नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भव्य निर्माण करवाया।#KashiVishwanathDham
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कम्युनिष्टों और कांग्रेस द्वारा निर्मित 'इकोसिस्टम' लगातार ये दुष्प्रचार कर रहा है कि "यूपी में विधानसभा चुनावों को देखते हुए नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन करने पहुंचे हैं। वो चुनावी माइलेज लेना चाहते हैं" इस बात को लेकर बिल्कुल भी डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है। -@beingarun28-'कितनी ही सल्तनतें आईं मिट्टी मैं मिल गयी लेकिन काशी तो काशी ही रही'
'औरंगज़ेब का इतिहास साक्षी है तलवार से संस्कृति मिटाने की कोशिश की'
'अगर औरंगज़ेब उठता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं, सालार मसूद आया तो राजा सुहेलदेव ने भी संस्कृति की एकता दिखाई' -@LeviAckerman119
-धर्म और हिन्दुत्व की रक्षा हेतु किए गए कार्यों को ये भारतवर्ष युगों युगों तक याद करेगा। सत्ता परिवर्तन होता रहेगा, ये भारत हिंदुत्व संस्कृति और परम्पराओं की भूमि रहा हैं, जो इसकी रक्षा के लिऐ अपना सर्वस्व न्योछावर करेगा उसी को इतिहास और भारतवर्ष याद करेगा। -
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The ancient temples which were damaged by the mughals, today respected hindu heart emperor Modi ji is giving them global recognition,Trust Modi ji he will take back every temple. #KashiVishwanathDham -@ROMESHSHAH2
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Islamic Terrorists who tried to destroy #KashiVishwanathDham
•1194 CE -by Mohammad Ghori
•1505-1515 CE- by Sikandar Lodi
•1669 CE -by Aurangzeb
Dharmic Builders of #KashiVishwanath
• 1585 by Man Singh I
• 1780 by Ahilyabai Holkar
• 2021 by Narendra Modi - @arunpudur
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Gyanvapi mosque (Illustration by James Prinsep, 1836) built atop the grand Kashi Vishwanath Temple demolished by the genocidal MONSTER Aurangzeb.
Celebrate the #KashiVishwanathCorridor, sure, but never forget the cruel historical injustice that has yet to be corrected. NEVER. -@ARanganathan72
Coloum to be updated later
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#Social_Media : आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20211211
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जब चंद्रशेखर आजाद की शव यात्रा निकली... लोग नंगे पैर, सिर से पगड़ी, टोपी, गमछा जो सिर पर बाँधा था उतारकर चल रहे थे... कल्पना करें,
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देश हो या विदेश... हिन्दू मारे, लूटे जा रहे... कब दुनियाभर के हिन्दू देंगे जवाब ?
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