संसदीय प्रणाली में शिष्टाचार को बनाए रखने में PAC महत्वपूर्ण, कौटिल्य के समय से इसे नहीं बदला गया
कौटिल्य ने 'अर्थशास्त्र' में लिखा "कोषपूर्व: सर्वारंभ:" : नायडू
President Ram Nath Kovind inaugurated the centenary celebrations of the Public Accounts Committee (PAC) of the Parliament in the Central Hall of Parliament House, on Saturday (4 December).
धर्म नगरी / DN News (Twitter & Koo- @DharmNagari)
(वाट्सएप 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन, अपने नाम से कॉपी भिजवाने हेतु)संसदीय प्रणाली में विवेक, बुद्धिमानी और शिष्टाचार को बनाये रखने के लिए लोक लेखा समिति (PAC) का महत्पूर्ण स्थान है। संसद के केन्द्रीय कक्ष में आयोजित PAC के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, लोक लेखा के दर्शन को कौटिल्य के समय से ही नहीं बदला गया है।
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लोक लेखा समिति का दायित्व है कि सुनिश्चित करे कि सरकार द्वारा प्राप्त किया जाने वाला हर रुपया वसूला जाए और उसे उस मद में खर्च किया जाय जिसके लिए संसद द्वारा आबंटन किया गया है। आचार्य कौटिल्य ने "अर्थशास्त्र" में लिखा है "कोषपूर्व: सर्वारंभ:", राज्य की सभी गतिविधियां सबसे पहले कोष पर ही निर्भर करती हैं, ये विचार उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू ने व्यक्त किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा- "लोक लेखा समिति के अध्यक्ष के रूप में स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था "यद्यपि लोक लेखा समिति के काम करने का चरित्र ही आलोचनात्मक है लेकिन हमने संतुलन बनाए रखा तथा सरकार के सहयोगी के रूप में वर्तमान व्यवस्था में सुधार के उद्देश्य से काम करते हैं।"
"...लोक लेखा समिति ने कई वित्तीय अनियमितताओं, प्रक्रियात्मक खामियों, कार्य निष्पादन में विलम्ब, सरकारी विभागों में समन्वय की कमी के मामलों का पता लगाया है। समिति ने निगरानी रखने की संसदीय जिम्मेदारी को पूरा किया है और जनता की दृष्टि में विश्वसनीयता तथा प्रतिष्ठा अर्जित की है। लोक लेखा समिति की रिपोर्ट हमेशा व्यवस्था में सुधार का प्रयास करती है। इस समिति ने अपनी गौरवशाली कार्य परंपराओं में कई वित्तीय खामियों का पता लगाया है। संसद की बैठक एक वर्ष में सौ दिन की होनी चाहिए।"
"...लोक लेखा समिति ने कई वित्तीय अनियमितताओं, प्रक्रियात्मक खामियों, कार्य निष्पादन में विलम्ब, सरकारी विभागों में समन्वय की कमी के मामलों का पता लगाया है। समिति ने निगरानी रखने की संसदीय जिम्मेदारी को पूरा किया है और जनता की दृष्टि में विश्वसनीयता तथा प्रतिष्ठा अर्जित की है। लोक लेखा समिति की रिपोर्ट हमेशा व्यवस्था में सुधार का प्रयास करती है। इस समिति ने अपनी गौरवशाली कार्य परंपराओं में कई वित्तीय खामियों का पता लगाया है। संसद की बैठक एक वर्ष में सौ दिन की होनी चाहिए।"
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पिछले सौ सालों में लोक लेखा समिति ने स्वयं को एक निष्पक्ष संसदीय समिति के रूप में स्थापित किया है, जहां चर्चाएं दलगत भावना से ऊपर उठकर होती हैं तथा निर्णय सामूहिकता के साथ देशहित और राष्ट्रहित में लिए जाते हैं... ओम बिड़ला, अध्यक्ष-लोकसभा
संसद के केन्द्रीय कक्ष में PAC के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए लोकसभाध्यक्ष ने कहा-
"...आज हमारी संसद और देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब भारत की संसद की लोक लेखा समिति की स्थापना के शताब्दी वर्ष समारोह में हम शामिल हो रहे हैं। लोक लेखा समिति संसद की सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली समिति के रूप में से एक है। लोक लेखा समिति (PAC) के 100 वर्ष पूरे होना विशेष व गौरवशाली अवसर है। 1921 में अस्तित्व में आने के बाद से PAC ने वित्तीय अनुशासन की स्थापना तथा कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही को सुनिश्चित करने का काम किया है। लोक लेखा समिति संसद की सबसे महत्वपूर्ण समितियों में से एक है। पीएसी सदस्यों को समर्पित भाव से काम करने के लिए बधाई दी...।"
पीएसी सरकारी धन की पारदर्शिता और जवाबदेही को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। समिति हमेशा निष्पक्ष तरीके से काम करती है। -अधीर रंजन चौधरी, अध्यक्ष-लोक लेखा समिति
स्मारिका, प्रदर्शनी-
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर समिति के एक सौ गौरवशाली वर्षों पर प्रकाशित एक विशेष स्मारिका का विमोचन किया। इसमें कुल 67 लेख हैं, जिसमें 15 लेख राष्ट्रमंडल देशों से हैं। 1921 से 2021 तक पीएसी के ऐतिहासिक क्षणों को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर समिति के एक सौ गौरवशाली वर्षों पर प्रकाशित एक विशेष स्मारिका का विमोचन किया। इसमें कुल 67 लेख हैं, जिसमें 15 लेख राष्ट्रमंडल देशों से हैं। 1921 से 2021 तक पीएसी के ऐतिहासिक क्षणों को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
Public Accounts Committee (PAC) upholds prudence, wisdom and propriety in the Parliamentary system. The philosophy of public accounts has not been changed from the time of Kautilya, said President Ram Nath Kovind, while addressing the Centenary Celebration of PAC of Parliament today (4 December).
PAC reports always strive improvement in the system. PAC has detected many financial lapses in its glorious work traditions. Parliament should meet 100 days in a year. -M. Venkaiah Naidu, Vice President
This is one of the most important Committees of Parliament and complimented the PAC members for their dedication to the cause. -Om Birla, Speaker Lok sabha
The PAC is committed to uphold transparency and accountability of the government money. The committee always acts in an impartial manner. -Adhir Ranjan Chowdhury, Chairman-PAC.
Souvenir, Exhibition-
The President released a special souvenir depicting the 100 glorious years of PAC’s journey and 67 special articles including 15 from Commonwealth countries. He also inaugurated an exhibition depicting the milestone moments of PAC from 1921 to 2021.
The President released a special souvenir depicting the 100 glorious years of PAC’s journey and 67 special articles including 15 from Commonwealth countries. He also inaugurated an exhibition depicting the milestone moments of PAC from 1921 to 2021.
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