भारत का विरोधी यूक्रेन Vs पारंपरिक व विश्वसनीय मित्र रूस में युद्ध, क्यों कैसे...
-जब दुनिया के तमाम देशों सहित यूक्रेन ने भारत का विरोध किया, तब केवल रूस ने भारत के पक्ष में वीटो किया
-आग अमेरिका ने लगाई और यूक्रेन को मदद पहुंचाने के नाम पर सबसे पहले अमेरिका ने ही झाड़ा पल्ला
-आज जब भारत-चीन रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं और चीन रूस के साथ खड़ा है, तो यूक्रेन के पक्ष में कोई भी बयान देना भारत की विदेश-नीति को काफी चोट पहुंचेगी और नुकसान भी
#सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media...
रूस और भारत लंबे समय से मित्र देश हैं और अमेरिका भारत का रणनीतिक महत्व का देश है। स्वभाविक तौर पर भारत दोनों से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहेगा। ये बात उल्लेखनीय है, कि आज तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री आधिकारिक रूप से यूके्रन की यात्रा पर नहीं गया। यूके्रन सारी दुनिया से मदद मांग रहा है, पर किसी भी देश ने अभी तक यूक्रेन की सैन्य मदद नहीं की है। जबकि हमले की स्थिति में सैन्य मदद की आवश्यकता होती है।
यूक्रेन के राजदूत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताते हुए कहा, कि मोदीजी दुनिया में ताकतवर और सम्मानित नेता हैं। मोदीजी से मुझे काफी उम्मीद है, कि अगर वहां रूस से यूक्रेन के बारे में बात करें, तो पुतिनजी इस बारे में विचार जरूर करेंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न यहां अब ये है, कि क्या भारत को यूक्रेन की मदद करना चाहिए ? भारत और यूक्रेन के संबंध बीते सालों में कैसे रहे ?
हम किसी का समर्थन जरूर करें, लेकिन संबंधों का इतिहास क्या कहता है, इसको नजरअंदाज न किया जाए। यूक्रेन को रूस से अलग हुए लगभग 31 वर्ष हो चुके हैं। भारत और यूक्रेन के संबंध शुष्क रहे हैं। यूक्रेन से भारत के बीच व्यापार न के बराबर है। न ही यूके्रन ने भारत के किसी अहम मसले पर भारत की कभी मदद की। 1998 में भारत ने जब पोखरन में परमाणु परीक्षण किया था, तो दुनिया के सारे देशों ने भारत की आलोचना की थी, जिसमें यूके्रन शामिल था।
यदि हम भारत भारत-रूस के रिश्ते की बात करते हैं, तो दोनों देश के रिश्ते मजबूत और पारंपरिक हैं। बहुत से मौकों पर रूस ने खुलकर भारत के पक्ष में मदद की है। यूएन से लेकर यूएन सिक्यूरिटी काउंसिग में रूस ने भारत के पक्ष में वीटो का इस्तेमाल किया था। कश्मीर के मसले पर अनुच्छेद-370 के हटाने पर रूस ही वह देश है, जिसने खुलकर भारत सरकार को समर्थन दिया था। भारत के सैन्य हथियार और उपकरण रूस से मिले हैं।
धर्म नगरी / DN News
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने दुनिया के सामने विश्व-युद्ध का खतरा पैदा कर दिया है। रूस से 1992 में अलग हुए यूके्रन और रूस में आज जो सैन्य संकट खड़ा हुआ है, ये महाशक्तियों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार का नतीजा है। आखिर हालात इस हद तक कैसे बिगड़ गए ? ये बात तो सही है, कि हर देश को अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने का अधिकार है। रूस को भी अपनी सुरक्षा का, नाटो की बढ़ती आक्रमकता से बचने का पूरा अधिकार है। अगर हम ये सोचे, कि आखिर इतना तनाव कैसे बढ़ गया, तो निश्चित ही अमेरिका को अधिक आलोचना सहनी पड़ेगी।
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सबको लडऩे पड़े अपने अपने युद्ध,
चाहे राजा राम हों या गौतम बुद्ध।
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यदि दोनों महाशक्तियां शीतयुद्ध के बाद और रूस से विखंडन के बाद आपस में मित्रता और सुलह करके चलते हैं, तो विश्व शांति और निशस्त्रीकरण में बहुत मदद मिलती। और ये रूस, अमेरिका ही नहीं, संपूर्ण यूरोप के लिए बहुत सुखद होता। पर अमेरिका ने ऐसी नीति नहीं अपनाई। अमेरिका ने रूस की सीमा से लगती सभी देशों में अपनी पैठ बढ़ाई और रूस विरोधी सरकारों के गठन में सहयोग किया। अमेरिका ने ऐसे देशों को नाटो का सदस्य बनाया, जो रूस की सीमा से लगते थे।
यूके्रन को लेकर रूस सबसे ज्यादा चिंतित रहा है, क्योंकि यहां की सरकार अमेरिका की सहमति से बनी और इस सरकार ने सर्वाधिक रूसी नागरिकों ने अत्याचार किया। अमेरिका ने ऐसे संगठनों को आश्रय दिया, जो रूस और रूसी मूल के विरोध में सबसे आक्रमक और कट्टर हैं। ये सही है, कि इस हमले से रूस को भारी आलोचना झेलना पड़ेगा, लेकिन फिर मैं कहती हूं हर देश को अपनी सुरक्षा का अधिकार है। इस बीच अमेरिका ने भी भारत और रूस संबंधों को लेकर बयान दिया है। रूस और यूके्रन के युद्ध के बीच बाइडेन प्रशासन ने भारत के लिए कहा, कि भारत के रूस के साथ संबंध अमेरिका और रूस के बीच संबंधों से अलग है और भारत और रूस के संबंधों से उन्हें कोई परेशानी नहीं है।
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यूक्रेन की एक वृद्ध महिला। Ukrainian women getting ready to defend their country. A child before a Tank. #social_media |
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चाहे राजा राम हों या गौतम बुद्ध।
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यदि दोनों महाशक्तियां शीतयुद्ध के बाद और रूस से विखंडन के बाद आपस में मित्रता और सुलह करके चलते हैं, तो विश्व शांति और निशस्त्रीकरण में बहुत मदद मिलती। और ये रूस, अमेरिका ही नहीं, संपूर्ण यूरोप के लिए बहुत सुखद होता। पर अमेरिका ने ऐसी नीति नहीं अपनाई। अमेरिका ने रूस की सीमा से लगती सभी देशों में अपनी पैठ बढ़ाई और रूस विरोधी सरकारों के गठन में सहयोग किया। अमेरिका ने ऐसे देशों को नाटो का सदस्य बनाया, जो रूस की सीमा से लगते थे।
यूके्रन को लेकर रूस सबसे ज्यादा चिंतित रहा है, क्योंकि यहां की सरकार अमेरिका की सहमति से बनी और इस सरकार ने सर्वाधिक रूसी नागरिकों ने अत्याचार किया। अमेरिका ने ऐसे संगठनों को आश्रय दिया, जो रूस और रूसी मूल के विरोध में सबसे आक्रमक और कट्टर हैं। ये सही है, कि इस हमले से रूस को भारी आलोचना झेलना पड़ेगा, लेकिन फिर मैं कहती हूं हर देश को अपनी सुरक्षा का अधिकार है। इस बीच अमेरिका ने भी भारत और रूस संबंधों को लेकर बयान दिया है। रूस और यूके्रन के युद्ध के बीच बाइडेन प्रशासन ने भारत के लिए कहा, कि भारत के रूस के साथ संबंध अमेरिका और रूस के बीच संबंधों से अलग है और भारत और रूस के संबंधों से उन्हें कोई परेशानी नहीं है।
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पुतिन ने यूक्रेन पर पूरी क्षमता से किया हमला...
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यूक्रेन ने कभी नही दिया भारत का साथ ! "स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण और बहुत अनिश्चित है"
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भारत और यूक्रेन के रिश्ते कैसे रहे हैं ? भारत को आज किसके साथ जाना चाहिए, ये प्रश्न सहज पूंछा जा रहा है। जिस प्रकार से रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने यूके्रन के खिलाफ युद्ध शुरू किया, दुनिया के देश दो गुटों में बंट गए। अब दुनियाभर के देशों के सामने दोनों में से किसी एक देश का साथ देने की चुनौती है। एक तरफ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन सहित कई यूरोपीय देश यूक्रेन का साथ दे रहे हैं, केवल जुबानी जमा खर्च से। सीधे सैन्य मदद यूक्रेन को कोई नहीं दे रहा है। तो भारत के सामने बड़ी चुनौती है, कि आखिर इस मामले में उसका रुख क्या होगा ?
रूस और भारत लंबे समय से मित्र देश हैं और अमेरिका भारत का रणनीतिक महत्व का देश है। स्वभाविक तौर पर भारत दोनों से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहेगा। ये बात उल्लेखनीय है, कि आज तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री आधिकारिक रूप से यूके्रन की यात्रा पर नहीं गया। यूके्रन सारी दुनिया से मदद मांग रहा है, पर किसी भी देश ने अभी तक यूक्रेन की सैन्य मदद नहीं की है। जबकि हमले की स्थिति में सैन्य मदद की आवश्यकता होती है।
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हम किसी का समर्थन जरूर करें, लेकिन संबंधों का इतिहास क्या कहता है, इसको नजरअंदाज न किया जाए। यूक्रेन को रूस से अलग हुए लगभग 31 वर्ष हो चुके हैं। भारत और यूक्रेन के संबंध शुष्क रहे हैं। यूक्रेन से भारत के बीच व्यापार न के बराबर है। न ही यूके्रन ने भारत के किसी अहम मसले पर भारत की कभी मदद की। 1998 में भारत ने जब पोखरन में परमाणु परीक्षण किया था, तो दुनिया के सारे देशों ने भारत की आलोचना की थी, जिसमें यूके्रन शामिल था।
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उसने ही पूरी दुनिया को अपने कदमों में झुकाया है
जिसने जिन्दगी के युद्ध में खुद पर विजय पाया है
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उसने ही पूरी दुनिया को अपने कदमों में झुकाया है
जिसने जिन्दगी के युद्ध में खुद पर विजय पाया है
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संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) में केवल रूस ने भारत के पक्ष में वीटो का इस्तेमाल किया था। जबकि यूक्रेन ने यूएनओ में कहा था, कि हम भारत की निंदा करते हैं। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु कानून का उल्लंघन किया है। इससे आगे भी यूके्रन ने बढ़-बढक़र भारत की बहुत निंदा की थी। जब पाकिस्तान ने यूक्रेन से के-320 टी-80 टैंक खरीदने का प्रस्ताव रखा, जो कि 650 बिलियन डॉलर की डील थी, तब भारत ने यूक्रेन से निवेदन किया था, कि आप पाकिस्तान को ये टैंक मत बेचिये, क्योंकि पाकिस्तान इन टैंकों का इस्तेमाल भारत के विरोध में करेगा। लेकिन यूक्रेन ने भारत को मना कर दिया।
यदि हम भारत भारत-रूस के रिश्ते की बात करते हैं, तो दोनों देश के रिश्ते मजबूत और पारंपरिक हैं। बहुत से मौकों पर रूस ने खुलकर भारत के पक्ष में मदद की है। यूएन से लेकर यूएन सिक्यूरिटी काउंसिग में रूस ने भारत के पक्ष में वीटो का इस्तेमाल किया था। कश्मीर के मसले पर अनुच्छेद-370 के हटाने पर रूस ही वह देश है, जिसने खुलकर भारत सरकार को समर्थन दिया था। भारत के सैन्य हथियार और उपकरण रूस से मिले हैं।
आज ऐसे समय जब भारत और चीन के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हैं और चीन रूस के साथ खड़ा है, तो रूस के खिलाफ जाकर यदि भारत यूक्रेन के पक्ष में कोई भी बयान देता है, तो भारत की विदेश नीति को काफी चोट पहुंचेगी और नुकसान भी। भारत चीन के बयान के साथ भी नहीं खड़ा हो सकता, क्योंकि इसका असर भारत-अमेरिका के रिश्तों पर पड़ेगा। भारत को इस मुद्दे पर बहुत ज्यादा सोच-समझकर निर्णय लेना होगा। मजे की बात ये है, आग अमेरिका की लगाई हुई है और यूक्रेन में मदद पहुंचाने के नाम पर सबसे पहले अमेरिका ने ही पल्ला झाड़ा। अमेरिका ने केवल रूस पर प्रतिबंधों की घोषणा करके अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर ली।
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युद्ध की संभावनाओं में जी रहे लोग सुन लें,
युद्ध भी है, बुद्ध भी है, जिसे चाहे उसे चुन लें।
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अमेरिका सहित किसी भी यूरोपियन देश ने अपनी सैन्य मदद यूके्रन को नहीं दी। यहां तक कि नाटो भी केवल मदद देने के आश्वासन के साथ यूक्रेन को रूस के खिलाफ उकसाता ही रहा। आज यूक्रेन बेशक यूरोपियन देशों के मदद से हाथ खींच लेने के कारण संकट में है। इसलिए मुझे हमारे देश के प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत योजना का भविष्य महत्वपूर्ण और अत्यंत उपयोगी लग रहा है।
युद्ध की संभावनाओं में जी रहे लोग सुन लें,
युद्ध भी है, बुद्ध भी है, जिसे चाहे उसे चुन लें।
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अमेरिका सहित किसी भी यूरोपियन देश ने अपनी सैन्य मदद यूके्रन को नहीं दी। यहां तक कि नाटो भी केवल मदद देने के आश्वासन के साथ यूक्रेन को रूस के खिलाफ उकसाता ही रहा। आज यूक्रेन बेशक यूरोपियन देशों के मदद से हाथ खींच लेने के कारण संकट में है। इसलिए मुझे हमारे देश के प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत योजना का भविष्य महत्वपूर्ण और अत्यंत उपयोगी लग रहा है।
हम अपने देश को इतना मजबूत बनाएं, कि हमारी निर्भरता कभी किसी दूसरे देश पर न रहे। हम परिस्थितियों का सामना अपने ही संसाधानों से कर सकें। यही आज भारत की आवश्यकता भी है। आज जब यूके्रन में अफरा-तफरी मची हुई है, भारत ने दिसंबर 1991 में यूके्रन गणराज्य को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता दी और जनवरी 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित किए और मई 1992 में कीव में, जो यूके्रन की राजधानी है, अपना भारतीय दूतावास खोला।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में भारत की चुनौती कई गुणा बढ़ चुकी है। भारत इस युद्ध में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहा है, क्योंकि दोनों ही देश भारत के करीबी हैं। ऐसे में भारत क्या गुट-निरपेक्ष बना रह पाएगा, ये भारत के सामने एक धर्म-संकट है। सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर बयानबाजी से बचेगी। सेना को भी कहा गया है, कि इस मुद्दे पर कोई भी बयान देने से बचे। हालांकि, यूरोपीय देशों ने कहा, कि जब भारत जैसा देश यूएन की सिक्यूरिटी काउंसिल में अपने लिए सीट चाहता है, ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर उसका यूं चुप हो जाना ठीक संदेश नहीं देता है।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में भारत की चुनौती कई गुणा बढ़ चुकी है। भारत इस युद्ध में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहा है, क्योंकि दोनों ही देश भारत के करीबी हैं। ऐसे में भारत क्या गुट-निरपेक्ष बना रह पाएगा, ये भारत के सामने एक धर्म-संकट है। सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर बयानबाजी से बचेगी। सेना को भी कहा गया है, कि इस मुद्दे पर कोई भी बयान देने से बचे। हालांकि, यूरोपीय देशों ने कहा, कि जब भारत जैसा देश यूएन की सिक्यूरिटी काउंसिल में अपने लिए सीट चाहता है, ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर उसका यूं चुप हो जाना ठीक संदेश नहीं देता है।
भारत की प्राथमिकता है युद्ध-काल में फंसे हुए भारतीय नागरिकों और भारतीय छात्रों को वहां से शीघ्र रेस्क्यू करना और इसी शुरुआत भारत ने कर दी है। इस मामले में भारत का आधिकारिक रुख भारत की रूस के साथ एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी है।
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युद्ध में जीत धर्म की हो या अधर्म की हो,
मगर हार हमेशा मानवता की होती है।
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भारत उन कुछेक देशों में एक है, जिसने यूके्रन की सीमा के पार सेना भेजने के रूस के फैसले की आलोचना नहीं की है। देश का पक्ष रखते हुए यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, कि हम युद्ध टालने की अपील करते हैं। स्थिति एक बड़े संकट में बदल सकती है, अगर इसे सावधानी से नहीं संभाला जाता तो यह सुरक्षा को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा, सभी पक्षों को सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और हम सभी पक्षों से संयम बरतने की आशा रखते हैं।
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युद्ध में जीत धर्म की हो या अधर्म की हो,
मगर हार हमेशा मानवता की होती है।
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भारत उन कुछेक देशों में एक है, जिसने यूके्रन की सीमा के पार सेना भेजने के रूस के फैसले की आलोचना नहीं की है। देश का पक्ष रखते हुए यूएन में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, कि हम युद्ध टालने की अपील करते हैं। स्थिति एक बड़े संकट में बदल सकती है, अगर इसे सावधानी से नहीं संभाला जाता तो यह सुरक्षा को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा, सभी पक्षों को सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और हम सभी पक्षों से संयम बरतने की आशा रखते हैं।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, दुनिया आज जिन संकटों में घिरी हुई है, उससे विश्व-व्यवस्था के लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं। उन्होंने कहा, भारत और फ्रांस रूस-यूक्रेन समस्या के हल के लिए सक्रिय है और इसका कूटनीतिक समाधान चाहते हैं। फिलहाल तो युद्ध चरम पर है। निर्दोष नागरिकों की भी जानें जा रही हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है, कि इन दो ेदेशों (रूस-यूके्रन) का युद्ध महायुद्ध में परिवर्तित न हो जाए। विश्व के अस्तित्व को बचाने के लिए दुनिया के कई देश प्रयास कर रहे हैं।
-*सलाहकार संपाक- धर्म नगरी / DNNews, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल।
-*सलाहकार संपाक- धर्म नगरी / DNNews, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल।
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संरक्षक या इंवेस्टर - "धर्म नगरी" के विस्तार, डिजिटल DN News के प्रसार एवं तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक (factual & informative & interesting), राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन के प्रकाशन हेतु हमें "संरक्षक" या इंवेस्टर या संपन्न NRI की शीघ्र आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में स्थानीय रिपोर्टर या स्थानीय प्रतिनिधि (जहाँ रिपोर्टर/प्रतिनिधि नहीं हैं) तुरंत चाहिए। -प्रबंध संपादक
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यूक्रेन-रूस युद्ध के कुछ वीडियो क्लिप्स- देखें- @DharmNagari
#सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media...
-It’s not only their parents even angels protect children, it’s only a war that makes the kids so lonely and vulnerable. Humanity cries when kids are hurt. Don’t do this man, stop the war. Let the kids smile! #Ukrain e #Russia #SaveChildren
Iryna Tsvila, Ukrainian mother, died in battle defending #Ukraine against the Russian invasion. 17% of Ukraine's forces are women. #Social_Media
See few video clips-
Putin didn't expect the resilience of the Ukrainian people.
#UkraineRussia #Ukrainian #Ukrain #Kiev -@group_plenary
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A scene like the Avengers movie scene is being seen in Ukraine, it looks like Infinity War is happening. #UkraineRussia -@UnkeshBhuiyan
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A clip from the movie “The President “ which the Ukrainian President played before he became the President of #Ukrain.
In the movie he was left alone in #Kyiv … -@AsaadHannaa
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The #US administration is asking Congress to approve $3.5 bn to face the Ukrainian humanitarian crisis and $3 bn to support #Ukrain MoD.
It was much cheaper to offer a written guarantee that NATO won't deploy missiles/forces in Ukraine & spend this money on the American people. -@ejmalrai
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Unhealthy footages from UKrain Soldiers burnt to ashes! #Ukrain #russiaukrainewar -@BolgaGh
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Russian forces firing on a hospital in Melitopol Ukraine
This a war crime. spread the word! -@Revoluti0Nfire
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18+ Fight with the Russian occupier on the outskirts of Ivankov. -@WW32022
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#Ukraine: Guru Ka Langar on a train
These guys were fortunate to get on this train which is travelling east of Ukraine to the west (to Polish border)
Hardeep Singh has been providing Langar and assistance to many students from different countries.What a guy #UkraineRussia -@RaviSinghKA 4:15 AM · Feb 26, 2022
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Journalist: do you think you under estimated Putin?
Biden: -@AsaadHannaa 1:32 AM · Feb 25, 2022
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Few Pics-
#UkraineUnderAttack
Democracy, freedom and autodetermination should never die. Stay strong Ukrain. The world stands with you -@worldwar658
Ukrainian Special Force
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