सर्दियों में वरिष्ठ जन senior citizen ऐसे रखें स्वास्थ्य का ध्यान, सुबह आधे घंटे की धूप से बच्चे को बचाएं बीमारियों से...


सर्दियों में वरिष्ठ जन ऐसे रखें स्वास्थ्य का ध्यान
धर्म नगरी / DN News 
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ठंड का मौसम में सबसे अधिक बीमार, बुजुर्गों और बच्चों को सताता है। इन तीनों के लिए इस मौसम में खास सावधानी की आवश्यकता है। विशेषकर जो लोग हार्ट के मरीज हैं उनके लिए सर्दी का मौसम खतरे की चेतावनी लेकर आता है। विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों में रक्त-वाहिनियां सिकुड़ जाती हैं। इसका प्रसार हृदय को खून पहुंचाने वाली धमनी पर भी पड़ता है। इससे बचने के लिए अधिक ठंडे माहौल में जाने से बचना चाहिए। यदि ठंड में बाहर निकलें, तो अच्छी तरह से ऊनी वस्त्र पहनकर और सिर में भी टोपी आदि लगाकर निकलें। 

सर्दियों में ये सावधानियां रखें 
वरिष्ठ जन-
अधिक  फैट वाली चीजें ना खाएं और सिगरेट, शराब आदि का सेवन बिल्कुल बंद कर दें।
अपने कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण रखें।
सुबह-शाम 3-4 किमी. भ्रमण अवश्य करें।
नमक का सेवन कम करें।
मक्खन व घी का प्रयोग भी सीमित मात्रा में करें।
तनाव से बचें।
गुनगुनी धूप का आनंद लें लेकिन सिर को अधिक तपने ना दें।
ताजा सब्जियां और दलिया का सेवन करें।
मीठा अधिक खाने से बचें। थोड़ा-थोड़ा व्यायाम जरूर करें।
एकदम सुबह और देर शाम की सर्दी वरिष्ठजन के लिए खतरनाक है। जिस दिन अधिक ठंड हो तो मॉर्निंग और ईवनिंग वॉक न करें। अस्थमा, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिसीज को झेल रहे बुजुर्गों को इस बात का खास खयाल रखना चाहिए। ठंड से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि सर्दी होने के बावजूद पानी जरूर पीएं। अस्थमा, ब्लड प्रेशर और हार्ट पेशेंट को अपनी दवा टाइम से लेनी चाहिए...

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सुबह आधे घंटे की धूप 
आपके बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचा सकती है 
आजकल की माताएं अपने बच्चे को काला हो जाने के डर से धुप में लेकर नहीं बैठती लेकिन उनको यह पता नहीं होता की ऐसा करके वो अपने बच्चे को कुदरत की किस अनमोल उपहार से वंचित कर रही हैं, शिशुओं में विकास बहुत तेजी से से होता है इसके लिए उन्हें अन्य पोषक तत्त्वों के साथ विटामिन D की जरुरत भी होती है जो की केवल सूरज की सबेरे की धूप से ही मिल सकता है , आइये जानते है जो बच्चे धूप में नहीं रहते उन्हें क्या बीमारियाँ हो सकती हैं.
क्या आपके बच्चे की मांसपेशियों में दर्द रहता है, क्या वो कमजोर है
विटामिन डी की कमी केवल वयस्कों को ही नहीं बल्कि एक साल से कम के बच्चों को भी हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार, विटामिन डी की कमी को कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में कमी की वजह से बच्चों में रिकेट्स पैदा करने के लिए जाना जाता है। रिकेट्स 6 से 36 महीने के बच्चों को होने वाली एक आम समस्या है। आप इन लक्षणों से पहचान सकते हैं कि आपके बच्चे को विटामिन डी की कमी है।
1) हड्डी में विकृति- विटामिन डी की कमी वाले बच्चों के पैर आमतौर पर झुक जाते हैं। सबसे बड़ी बात कि बच्चे की रीढ़ की हड्डी भी सीधी नहीं होती। वास्तव में विटामिन डी का कम लेवल आपके शिशु के सामान्य हड्डी विकास में बाधा पैदा करता है।
2) खोपड़ी में निशान पड़ना- अगर आपके बच्चे की खोपड़ी बहुत ज्यादा नरम है या आपको ऐसा लगता है कि उसकी खोपड़ी में कोई छोटा-सा गड्ढा बना हुआ है, तो सतर्क हो जाएं। ये विटामिन डी की कमी का लक्षण हो सकता है।
3) मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी- कई बार बच्चे को रेंगने या बैठने में परेशानी होती है, ऐसा रिकेट्स की वजह से मांसपेशियों में कमजोरी की वजह से हो सकता है। इसके अलावा वो अपने वजन को नहीं संभाल पाता है और चिड़चिड़ा दिख सकता है।
4) रिकरंट इन्फेक्शन- कई अध्ययनों के अनुसार, विटामिन डी की कमी के कारण रिकरंट इन्फेक्शन हो सकते हैं। यानि बच्चा बार-बार कोल्ड और फ्लू का शिकार हो सकता है।
5) रकिटिक रोज़री (Rachitic rosary)- अगर आपके बच्चे छाती ज्यादा बाहर दिखाई देती है यानि उसकी छाती की पसलियां ज्यादा नज़र आती है, तो इसे मेडिकल भाषा में रकिटिक रोज़री कहते हैं, जो कैल्शियम की कमी के कारण होती है।
6) विकास में देरी- विटामिन डी की कमी या रिकेट्स से बच्चे के सामान्य विकास में देरी हो सकती है। इसके अलावा अगर वो अपना वजन संभालने में असमर्थ है या उसके अंग सूज रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं।
आहार से विटामिन D की पर्याप्त मात्रा ले पाना असंभव है। सूर्य के प्रकाश से सीधा सम्पर्क ही शिशु के शरीर में विटामिन D उत्पन्न करने का एकमात्र विश्वसनीय तरीका है... #साभार 

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