शारदीय नवरात्रि : माता के नौ स्वरूपों से 9 ग्रह होते हैं नियंत्रित, अतः ग्रहों की शांति के लिए नियमित करें आराधना


नवरात्रि के दिनों माँ दुर्गा स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं...
- हाथी पर आ रही माता, नाव में बैठकर विदा होंगी, ये है संपन्नता व प्रसन्नता का प्रतीक 
शारदीय नवरात्रि राशि के अनुसार मंत्र जाप

नवरात्रि में-
नवरात्रि में ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है
नवरात्रि में भक्ति के अनुरूप प्रतिफल अवश्य प्राप्त होता है
जप-पाठ, हवन-पूजन, कन्या पूजन का विशेष महत्व है
भक्त-श्रद्धालु अपने मन के अनुकूल पूजा करें, मंत्र नहीं आता तो मन से जुड़े
नौ-दिन में हर प्रकार के कार्य किए जाते हैं
नवरात्रि में आम भक्तों हेतु सबसे छोटा मंत्र-
 ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै (महालक्ष्मी, महाकाली, महासरस्वती) का प्रतिदिन न्यूनतम 108 बार जाप करें।
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-राजेशपाठक (अवैतनिक संपादक)

शारदीय नवरात्रि 26 सिंतबर 2022 (सोमवार) से आरंभ होकर 5 अक्टूबर (बुधवार) तक रहेगा। इस बार नवरात्रि विशेष है, क्योंकि इस साल मां हाथी में सवार होकर आ रही हैं। जो अधिक वर्षा, संपन्नता और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ मां दुर्गा की नाव में बैठकर विदा होंगी। नाव से जाना भी प्रसन्नता (खुशहाली) का प्रतीक माना जाता है।
 
अश्विन मास के अमावस्या (25 सितंबर) को पितरों की विदाई के साथ पितृपक्ष का समापन हो जाएगा और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि (26 सितंबर) के साथ नवरात्रि का शुभारम्भ होगा। प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाएगी। पूरे नौ दिन के नवरात्रि पड़ने के साथ ही शुभ संयोग भी बन रहा है।

 नवरात्रि के नौ दिन को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस अवधि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से आदिशक्ति मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। शारदीय नवरात्रि में कोई उपाय, अनुष्ठान या मंत्र जाप किया जाए, तो वह अवश्य फलित होता है। वहीं, कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिनको  नवरात्रि में वर्जित होता है।  नवरात्रि के दिनों में दुर्गा जी को प्रसन्न करने व्रत, उपवास और पूजा का विधान है। कहते हैं, माता की भक्ति में भूल-चूक होने से वे रुष्ट हो जाती हैं। इसलिए किसी भी गलती करने से बचें और देवी जी की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करें।

नवरात्रि में यदि आपने अपने घर में कलश स्थापना किया है, माता की चौकी या अखंड ज्योति लगा रखी है, तो घर खाली न छोड़ें। घर में किसी न किसी व्यक्ति का होना बहुत आवश्यक है।
नवरात्रि पर्व पर मन को शांत और एकाग्र करने यदि संभव हो, नौ दिनों तक व्रत (अन्यथा प्रतिपदा, अष्टमी) रखते हुए देवी की साधना करनी चाहिए। व्रत रखने से मन की शुद्धि के साथ तन की साफ-सफाई भी हो जाती है। व्रत रखने से मन में हमेशा अच्छे विचार आते हैं।
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देवीजी की विशेष पूजा श्रृंगार- 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दिनों मां दुर्गा स्वर्गलोक से उतरकर 9 दिनों तक पृथ्वी पर आती हैं। इस कारण से नवरात्रि के नौ दिन तक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान होता है। नवरात्रि पर व्यक्ति को नौ दिनों तक मां का विशेष श्रृंगार, भोग और पूजा सामग्री अर्पित करना चाहिए।

नवरात्रि से पहले अपने घर की और पूजा स्थल की साफ-सफाई कर लें, माता उसी स्थान पर वास करती हैं एवं प्रसन्न होती हैं, जहां साफ-सफाई और सात्विकता पूरा ध्यान रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं। घर,  कार्यालय, दुकान, प्रतिष्ठान, फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं। सनातन धर्म में स्वास्तिक का बहुत अधिक महत्व है, जो मंगलकारी और शुभता प्रदान करता है। देवी माँ कृपा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि के प्रतिदिन मंदिर जाकर देवी की उपासना और दर्शन करना चाहिए, यथा संभव दान भी करना चाहिए। इसके साथ इन चीजों का भी ध्यान रखें-
- कभी किसी कन्या का अपमान नहीं करना चाहिए, क्योंकि कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना गया है। (वैसे तो वर्षभर किसी कन्या का अपमान नहीं करना चाहिए।) यही कारण है, कि नवरात्रि में कन्या-पूजन कर लोग पुण्य की प्राप्ति करते हैं। ऐसे में नवरात्रि पर्यन्त किसी भी कन्या या महिला के प्रति असम्मान का भाव न आने दें। नवरात्रि में किसी भी कन्या का अपमान होने से मां दुर्गा रुष्ट हो सकती हैं।
- नवरात्रि में सात्विक भोजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के दिनों प्याज, लहसुन और मांस मदिरा का सेवन न करें। नौ दिनों तक पूर्ण सात्विक आहार लेना चाहिए।
-  व्रत करने वाले को नवरात्रि के पवित्र दिनों में अपना समय व्यर्थ की बातों में न लगाकर, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना चाहिए। इन दिनों श्रीदुर्गा चालीसा या श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत शुभफलदायी होता है। पाठ करते समय मंत्रों के शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखना आवश्यक है, अतः यदि संस्कृत में पाठ करने में कठिनाई हो, तो हिंदी में भी पाठ किया जा सकता है। 
- नवरात्रि पर यथासंभव दाढ़ी, नाखून और बाल कटवाने से बचना चाहिए / नहीं कटवाना चाहिए। नवरात्रि के इन नौ दिनों तक दिन में सोने से बचें। 

शारदीय नवरात्रि 2022 : नौ स्वरुप-
प्रतिपदा तिथि पर कलश या घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर (सोमवार) प्रातः 6:20 बजे से 10:19 बजे तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त 11:54 बजे से दोपहर 12:42 बजे तक रहेगा।
इसके साथ देवी के प्रथम स्वरूप- माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। माँ शैलपुत्री की पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है। देवी के द्वितीय स्वरूप- माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से मान-सम्मान,  माँ चंद्रघंटा की पूजा से एकाग्रता, माँ कूष्मांडा से मन में दया का भाव आता है, माँ स्कंदमाता की आराधना से सफलता, माँ कात्यानी की आराधना से बाधाएं दूर होती हैं, माँ कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है, माँ महागौरी की पूजा से सुख-समृद्धि और माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है।
26 सितंबर (सोमवार) पहला दिन - प्रतिपदा, घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा
27 सितंबर (मंगलवार) दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
28 सितंबर (बुधवार) तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा पूजा
29 सितंबर 
(गुरुवार) चौथा दिन- मां कुष्मांडा पूजा, विनायक चतुर्थी, उपांग ललिता व्रत
30 सितंबर (शुक्रवारपांचवां दिन- पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
1 अक्टूबर (शनिवार) छठा दिन- षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा
2 अक्टूबर (रविवार) सातवां दिन- सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
3 अक्टूबर (सोमवार) आठवां दिन- दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, महानवमी
4 अक्टूबर (मंगलवार) नौवां दिन- महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण
5 अक्टूबर 
(बुधवार) दसवां दिन-  दशमी, दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)

नौ दिनों में देवी दुर्गा के स्वरूपों की पूजा की जाती है। माता के नौ स्वरूपों का अलग-अलग महत्व, श्रृंगार, विशेषताएं होती हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, माता के प्रत्येक स्वरूप में ग्रह का नियंत्रण होता है. अतः उनके अलग-अलग स्वरूपों की पूजा से संबंधित ग्रह के दोष दूर होते हैं-
मां शैलपुत्री-
माँ शैलपुत्री दुर्गा जी के नौ स्वरूपों का पहला स्वरूप है। शैलपुत्री का स्वरुप चंद्रमा को दर्शाता है। इसलिए इनकी पूजा से जातक के चंद्रमा से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी-
माता दुर्गा के द्वितीय स्वरूप- मां ब्रह्मचारिणी को मंगल ग्रह को नियंत्रित करने वाला माना जाता है। अतः इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति के मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं।
माँ चंद्रघंटा-
आदिशक्ति दुर्गा जी के तीसरे स्वरूप माँ चंद्रघंटा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। शुक्र से पीड़ित जातकों को देवी के इस स्वरूप की पूजा करना शुभ होता है।
माँ कूष्माण्डा
चौथा स्वरूप देवी कुष्मांडा सूर्य से संबंधित होता है। किसी जातक को सूर्य से संबंधित परेशानियां या सूर्य दोषों से मुक्त होना है तो मां कुष्मांडा की पूजा फलदायी होती है।
माँ स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवें दिन का स्वरूप देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इसलिए इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के बुध ग्रह के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
माँ कात्यायनी
छठे दिन देवी दुर्गा के माँ कात्यायनी स्वरुप वृहस्पति से संबंधित है, अतः उनको पूजने से वृहस्पति के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
माँ कालरात्रि
सातवें दिन माँ कालरात्रि के स्वरूप की पूजा करने से शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
माँ महागौरी
आठवें स्वरूप माता महागौरी की पूजा से राहु से संबंधित बुरे प्रभावों को कम करते हैं, क्योंकि माँ का यह स्वरूप राहु को नियंत्रित करता है।
माँ सिद्धिदात्री
माता का नौवा स्वरूप देवी सिद्धिदात्री का है, जो केतु को नियंत्रित करती हैं। देवी सिद्धिदात्री की पूजा से केतु के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
(Disclaimer: उक्त जानकारियां ज्योतिर्विदों, कर्मकांडी विद्वानों, धार्मिक आस्था एवं लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। )
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शारदीय नवरात्रि राशि के अनुसार मंत्र जाप-
नवरात्रि के दिन माता दुर्गा की विशेष साधना के दिन होते हैं। यदि आपकी कोई मनोकामना है, तो श्रद्धापूर्वक माता की पूजा करते हुए राशि के अनुसार मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जप करें, तो माता की कृपा अवश्य मिलेगी एवं मनोरथ सिद्ध होंगे।
मेष- नवरात्रि के प्रथम दिन (प्रतिपदा) से अंतिम दिन तक ॐ ह्रीं उमा देव्यै नम: या फिर ॐ महायोगायै नम: मंत्र का जाप करें। प्रत्येक दिन 
कम से कम एक माला जाप करना आवश्यक है। इसके साथ आप श्रद्धानुसार 5, 7, 9, 11, 21 आदि जितनी चाहें, उतनी माला कर सकते हैं।
वृष- अपनी कामना की पूर्ति के लिए ॐ क्रां क्रीं क्रूं कालिका देव्यै नम: या ॐ कारक्यै नम: मंत्र का जाप करें। श्रद्धा-भक्तिपूर्वक जाप से शीघ्र ही आपका मनोरथ सिद्ध होगा।
मिथुन- नवरात्रि पर्यन्त प्रतिदिन ॐ दुं दुर्गायै नम: अथवा फिर ॐ घोराये नम: मंत्र का जाप कम से कम एक माला अवश्य करें ।
कर्क- मां भगवती को प्रसन्न करने ॐ ललिता देव्यै नम: अथवा ॐ हस्त्नीयै नम: मंत्र का जाप रोजाना कम से कम एक माला अवश्य करें।

सिंह- माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम: या ॐ त्रिपुरांतकायै नम: मंत्र का जाप करें।
कन्या- इच्छित वर प्राप्ति हेतु नवरात्रि में ॐ शूल धारिणी देव्यै नम: या ॐ विश्वरुपायै नम: मंत्र का जाप करें। आपकी कामना अवश्यपूरी होगी।
तुला- आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ ॐ ह्रीं महालक्ष्म्यै नम: या ॐ रोद्रवेतायै नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार (एक माला) अवश्य करें।
वृश्चिक- नवरात्रि में मां दुर्गा के मंत्र ॐ शक्तिरूपायै नम: या ॐ क्लीं कामाख्यै नम: का जाप करें। पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ प्रतिदिन एक माला जाप करने से भी माता की कृपा प्राप्त होगी।

धनु- नवरात्रि में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे या ॐ गजाननाय नम: मंत्र का जाप करें। पूर्ण विश्वास से जाप करने से प्रभाव अवश्य दिखेगा।
मकर- नवरात्रि पर्यन्त ॐ पां पार्वती देव्यै नम: या ॐ सिंहमुख्यै नम: मंत्र का जाप करें। मां दुर्गा की कृपा शीघ्र प्राप्त होगी।
कुंभ- आप भी ॐ पां पार्वती देव्यै नम: या ॐ सिंहमुख्यै नम: मंत्र का जाप करें, क्योंकि कुंभ और मकर दोनों के स्वामी शनि हैं।
मीन- नवरात्रि पर मां दुर्गा के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं दुर्गा देव्यै नम: का जाप करें। श्रद्धा-भक्ति के साथ जाप करने से विशेष लाभ होगा।

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