#MadhyaPradesh : 2000 ड्रोन करेंगे विरासत से विकास का होगा चित्रण, "अभ्युदय मध्य प्रदेश" के रूप में मनेगा...


...मध्य प्रदेश का 70वां स्थापना दिवस
महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य” का भव्य मंचन
- एक से 3 नवम्बर तक प्रदर्शनियाँ, शिल्प, स्वाद और संस्कृति का संगम
- जुबिन नौटियाल, हंसराज रघुवंशी और स्नेहा शंकर देंगे प्रस्तुतियां

धर्म नगरी /
 
DN News

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मध्य प्रदेश का 70वां स्थापना दिवस समारोह "अभ्युदय मध्य प्रदेश" के रूप में भव्यता के साथ मनाया जाएगा। विरासत से विकास को दर्शाता यह समारोह "उद्योग एवं रोजगार वर्ष" थीम पर केंद्रित है, जो राज्य के निरंतर विकास, सांस्कृतिक समृद्धि और जनभागीदारी की भावना को दर्शाता है। 
समारोह एक से 3 नवम्बर 2025 तक लाल परेड ग्राउंड, भोपाल में आयोजित होगा। 

दो और 3 नवम्‍बर को महानाट्य सम्राट विक्रमादित्‍य की प्रस्‍तुति, सुप्रसिद्ध गायकों की सुगम संगीत प्रस्‍तुति के साथ ही प्रदर्शनियां, शिल्‍प मेला, व्‍यंजन मेला जैसी गतिविधियों का भो आयोजन किया जा रहा है। 
 
पहले दिन का समारोह : एक नवंबर को... 
मुख्य समारोह प्रतिदिन सायं 6:30 बजे से शुरू होगा। पहले दिन समारोह का शुभारंभ 2000 ड्रोन के भव्य शो से होगा, जो "विरासत से विकास" को आकर्षक आकृतियों के माध्यम से प्रदर्शित करेगा। इसके बाद 500 से अधिक कलाकारों की "विश्ववंद - श्रीकृष्ण की सांगीतिक यात्रा" की समवेत प्रस्तुति होगी। बाद में सुप्रसिद्ध पार्श्वगायक श्री जुबिन नौटियाल एवं ग्रुप, मुम्बई द्वारा सुगम संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी। इस दौरान भव्य आतिशबाजी भी की जाएगी।

दूसरे दिन का समारोह : दो नवंबर को...
दूसरे दिन 2 नवम्बर को उज्जैन की संस्था विशाला सांस्कृतिक समिति द्वारा महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य” का मंचन किया जाएगा, जो मध्य प्रदेश के इतिहास और सुशासन की गाथा को जीवंत करेगा। 
महानाट्य के मंचन में अश्‍व, रथ, पालकी एवं ऊंट का उपयोग किया जाएगा। ऐसे महान सम्राट को जन-जन तक पहुंचाने हेतु महानाट्य के रूप में मंचित करने का चुनौतीपूर्ण और कठिन संकल्प उज्जैन की संस्था- विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति ने लिया।
देखें-
इस महानाट्य में विक्रमादित्य के जन्म से लेकर सम्राट बनने तक की सभी गाथाएं अंकित की गई हैं। इतने विराट स्वरूप को प्रस्तुत करने के लिये कलाकारों का विशाल दल लगभग 150 कलाकारों और 50 अन्य सहयोगियों के माध्यम से इसे प्रस्तुत किया जायेगा। नाटक के दृश्यों का सजीव बनाने हेतु अश्व, रथ, पालकी एवं ऊंट आदि का उपयोग किया गया है। मंचीय प्रस्तुतिकरण को प्रभावी बनाने के लिये तीन मंचों एवं एलईडी ग्राफिक्स के स्पेशल इफेक्ट का प्रयोग किया गया है।

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52 लाख से अधिक विद्यार्थियों के खातों में CM यादव 300 करोड़ रु ट्रांसफर करेंगे
http://www.dharmnagari.com/2025/10/CM-Mohan-Yadav-will-transfer-Rs-300-Cr-in-52-Lakh-students-accounts.html

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उल्लेखनीय है, देश के अन्य प्रदेशों में भी "महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य" की प्रस्तुति को भरपूर प्रतिसाद मिला है। दिल्‍ली के लाल किला, हैदराबाद, आगरा सहित अनेक प्रमुख शहरों में यह महानाट्य मंचित हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी भी इस महानाट्य की प्रशंसा कर चुके हैं। उसी क्रम में महानाट्य की प्रस्तुति भोपाल के ऐतिहासिक लाल परेड ग्राउंड में होने जा रही है। दूसरे दिन दो नवंबर को महानाट्य के पश्चात, सुप्रसिद्ध गायक हंसराज रघुवंशी चंडीगढ़ अपनी सुगम संगीत प्रस्तुति देंगे।

तीसरे दिन का समारोह : तीन नवंबर को...
तीसरे और अंतिम दिन जन सामान्य की मांग पर महानाट्य "सम्राट विक्रमादित्य" का पुनः मंचन किया जाएगा। समारोह का समापन सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री स्नेहा शंकर मुम्बई की सुगम संगीत प्रस्तुति से होगा।

प्रदर्शनियाँ, शिल्प, स्वाद और संस्कृति का संगम
समारोह परिसर में "एक जिला-एक उत्पाद" शिल्प मेला, "स्वाद" देशज व्यंजन मेला और विविध प्रदर्शनियाँ भी आयोजित की जा रही हैं। 
इनमें 12 प्रदर्शनियां प्रमुख आकर्षण होंगी, जो दोपहर 12 बजे से रात्रि 10 बजे तक आयोजित होंगी। प्रदर्शनियों में विकसित मध्य प्रदेश-2047, मध्य प्रदेश के गौरव, विक्रमादित्य और अयोध्या, मध्य प्रदेश के मंदिर देवलोक और विरासत से विकास जैसे विषय शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 2 एवं 3 नवंबर दोपहर 3 बजे से प्रदेश के जनजातीय एवं लोक नृत्य जैसे करमा, भगोरिया, बधाई, गणगौर, मोनिया आदि की प्रस्तुतियां भी होंगी।

प्रदेशव्यापी आयोजन और जनभागीदारी
उल्लेखनीय है, आयोजन केवल भोपाल तक सीमित नहीं है। शासन ने सभी जिलों में समानांतर रूप से स्थापना दिवस समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें स्थानीय कलाकारों, स्कूल-कॉलेजों एवं स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है। समारोह से पूर्व 30 एवं 31 अक्टूबर को सांस्कृतिक यात्राएं निकाली जाएंगी। माता मंदिर चौराहा से रोशनपुरा चौराहा तक 31 अक्टूबर को सायं 4 बजे महानाट्य के पात्रों और जनप्रतिनिधियों के साथ विशेष सांस्कृतिक यात्रा निकाली जाएगी। युवाओं को जोड़ने के लिए 29 अक्टूबर को विभिन्न शिक्षण संस्थानों में प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही हैं। राज्य मंत्री श्री लोधी ने प्रदेश के सभी नागरिकों से इस भव्य आयोजन में सपरिवार शामिल होने और "अभ्युदय मध्यप्रदेश" के साक्षी बनने का आह्वान किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आयोजित समारोह के मुख्य कार्यक्रम में नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू एवं केंद्रीय राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) कानून एवं न्याय अर्जुन राम मेघवाल मुख्‍य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी ने बताया, कि "अभ्युदय मध्य प्रदेश" केवल उत्सव नहीं, बल्कि एक साझा प्रयास है। यह समारोह हमारे प्रदेश की प्रगति, परंपरा और परिश्रम की यात्रा का प्रतिबिंब है। आयोजन को प्रदेशव्यापी स्वरूप दिया जा रहा है, जिससे हर जिला इस उत्सव से जुड़ सके।

महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य”  
सुशासन, शौर्य और जनकल्याण के पर्याय सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और योगदान से नागरिकों को महानाट्य के माध्यम से परिचित करवाने महानाट्य सम्राट विक्रमादित्‍य का मंचन किया जा रहा है। श्रीराम और कृष्ण जैसे अवतार नायकों के बाद भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नायक विक्रमादित्य हैं।
सम्राट विक्रमादित्य की दानशीलता, वीरता और प्रजा के प्रति संवेदनशीलता अद्भुत थी। विक्रम-बेताल पच्चीसी और सिंहासन बत्तीसी की कहानियों में इस प्रकार के कई प्रसंग आते हैं। 

सम्राट विक्रमादित्य ने अपने जीवनकाल में मथुरा और अयोध्या जैसे 300 से अधिक स्थानों पर मंदिरों का निर्माण कराया। उन्होंने किसी को भी बेघर नहीं रहने दिया। विक्रमादित्य ने अपने जीवनकाल में वेधशालाओं का निर्माण कराया। उनके काल में वर्तमान ईरान क्षेत्र में भी वेधशाला निर्माण का संदर्भ मिलता है। ईराक और मक्का के पुस्तकालयों में उपलब्ध ऐतिहासिक स्रोतों में सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन और पड़ोसी देशों में उनकी सत्कीर्ति का उल्लेख मिलता है। वहीं, विदेशी आक्रांताओं और उपनिवेशवादी इतिहासकारों ने भारत गौरव तथा ज्ञान संपदा के प्रमाणों, साक्ष्यों, स्थापत्यों के सुनियोजित विनाश का अभियान चलाया। उनके अभियान की, उनके द्वारा हमारी संपदा का विध्वंस किए जाने के प्रमाण लगातार मिलते रहे हैं। 

सम्राट विक्रमादित्य के आदर्शों का सभी शासक अनुसरण करना चाहते थे। विक्रमादित्य का मूल नाम शशांक था, उन्हें विक्रमादित्य की उपाधि से सुशोभित किया गया, जो उल्टे क्रम को सूत्र में बदल दे, वो विक्रम और जो सूर्य के समान प्रकाशमान रहे वो आदित्य का भाव निहित था। भारत में सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध पुरातन पुरुषों में अग्रणी विक्रमादित्य की वीरता, देश को पराधीनता से मुक्त करने की उत्कृष्ट अभिलाषा, राजनीतिक उपलब्धियाँ, सैनिक अभियान और विजय यात्राएँ, शासन की आदर्श विवेकपूर्ण न्याय-पद्धति, कला एवं साहित्य की उन्नति में उदार सहयोग तथा सहभागिता जैसे उदात्त गुणों ने भारत ही नहीं आस-पास और सुदूर देशों में भी उन्हें प्रतिष्ठित कर दिया।

विक्रम संवत् : सर्वश्रेष्‍ठ काल गणना का आधार
भारत पर आक्रमण कर शकों तथा यवनों ने आतंक मचा रखा था। शक राजा महाबली, अर्थलोभी, पापी और दुष्ट थे, क्रूर हिंसक देश-विरोधी शकों की उस दुर्दान्त, प्रलयंकारी काली छाया से विक्रमादित्य ने भारत को मुक्त कराया और 96 शक सामन्तों को पराजित कर उन्हें भारत से भागने पर विवश कर दिया था। शकों को खदेड़ कर ही शकारि और साहसांक की उपाधियाँ धारण की। सम्राट विकमादित्य द्वारा 2082 वर्ष पूर्व प्रारंभ किया गया "विक्रम संवत्" भारत वर्ष ही नहीं, दुनिया का सर्वश्रेष्ठ काल गणना का आधार है।

विक्रम संवत के 60 अलग-अलग प्रकार के नाम हैं। संवत 2082 को धार्मिक अनुष्ठानों के संकल्प में सिद्धार्थ नाम दिया गया है। ये 60 नाम चक्रीकरण में बदलते रहते है। विक्रमादित्य का न्याय देश और दुनिया में प्रचारित हुआ। यह सम्वत् भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आधार वाला कालगणना सम्वत् बन गया, जो आज भी प्रचलित है।

प्राचीन काल से खगोल शास्‍त्र, विज्ञान, साहित्‍य में समृद्ध भारत 
विक्रमादित्य के बेताल पच्चीसी और सिंहासन बत्तीसी में अद्भुत, विवेकपूर्ण न्याय, वीरता, शौर्य एवं महानता की कथाएं सभी जानते हैं। उनके दरबार में नवरत्न कालिदास, वररुचि, वराहमिहिर, क्षपणक, घटखर्पर, अमर सिंह, बेताल भट्ट, शंकु, धन्वन्तरि जैसे प्रसिद्ध महापुरुष सदा जनकल्याणकारी कार्यों में ही लगे रहते रहते थे। यह इसका प्रतीक है, कि भारत देश विज्ञान, खगोल शास्‍त्र, अंकशास्‍त्र, ज्‍योतिष शास्‍त्र, साहित्‍य-कला जैसे विषयों में प्राचीन काल से ही समृद्ध और सशक्‍त रहा है।
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कार्तिक मास में तुलसी पूजन, प्रभाव, तुसलीदल के लाभ, तुसलीजी से धन-वृद्धि उपाय
http://www.dharmnagari.com/2021/10/ulasi-Pujan-se-Dhan-Samriddhi-Kaise-tode-Tulasidal-Tulasi-Pujan-in-Kartik-significance.html

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