अयोध्या में नवनिर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के निर्माण सबंधी सभी कार्य पूरे, 30 अक्टूबर को...
- परिक्रमा में 20 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना
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| श्री रामलला मंदिर अयोध्या के प्रथम तल का दृश्य |
धर्म नगरी / DN News
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श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में नवनिर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के निर्माण सबंधी सभी कार्य पूर्ण हो गए हैं। मुख्य मंदिर, परकोटा के 6 मंदिर- भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, सूर्यदेव, देवी भगवती, देवी अन्नपूर्णा तथा शेषावतार मंदिर भी पूर्ण हो चुके हैं। इन पर ध्वजदण्ड एवं कलश स्थापित हो चुके हैं।
इसके अतिरिक्त सप्त मण्डप अर्थात् महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, शबरी एवं ऋषि पत्नी अहल्या मंदिरों का भी निर्माण पूर्ण हो चुका है। सन्त तुलसीदास मंदिर भी पूर्ण हो चुका है और जटायु और गिलहरी की प्रतिमाएं स्थापित की जा चुकी हैं। जिन कार्यों का सीधा सम्बन्ध दर्शनार्थियों की सुविधा से है अथवा व्यवस्था से है, वे सभी कार्य पूर्णत्व प्राप्त कर चुके हैं। यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट द्वारा "एक्स" के माध्यम से आज (27 अक्टूबर) को दिया गया।
पंचवटी व चारदीवारी कार्य का निर्माण जारी
पंचकोसी परिक्रमा से मुक्ति
In addition, the seven mandapas, namely those of Maharishi Valmiki, Vashishtha, Vishwamitra, Maharishi Agastya, Nishadraj, Shabari and Rishi’s wife Ahilya, have also been completed. The Saint Tulsidas temple has been fully constructed, and the statues of Jatayu and the squirrel have been installed.
All tasks directly related to the convenience and arrangements for devotees have been fully completed. As per the plan, the work of laying stones on roads and flooring is being carried out by L&T, while the work of landscaping, greenery, and the construction of Panchvati across 10 acres is being rapidly undertaken by GMR.
The only ongoing works are those not directly related to the public, such as the 3.5-kilometer-long boundary wall, the Trust office, guest house, auditorium, and similar structures.
पंचवटी व चारदीवारी कार्य का निर्माण जारी
ट्रस्ट ने बताया कि मानचित्र अनुसार सड़कें एवं फ्लोरिंग पर पत्थर लगाने कार्य L&T द्वारा तथा भूमि सौन्दर्य, हरियाली और लैंड स्केपिंग कार्य सहित 10 एकड़ में पंचवटी निर्माण GMR द्वारा तीव्र गति से किए जा रहे हैं। वही कार्य अभी चल रहे हैं, जिनका सम्बन्ध जनता से नहीं है। जैसे 3.5 किलोमीटर लम्बी चारदीवारी, ट्रस्ट कार्यालय, अतिथि गृह, सभागार इत्यादि।
पहली बार राम मंदिर की परिक्रमा करेंगे श्रद्धालु
पहली बार राम मंदिर की परिक्रमा करेंगे श्रद्धालु
धर्म नगरी अयोध्या में पहली बार श्रीराम जन्म स्थान पर बने भव्य मंदिर की भी परिक्रमा श्रद्धालु करेंगे, जिसमें 5000 अन्य मंदिर भी सम्मिलित है। परिक्रमा को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है। हिन्दू तिथि के अनुसार, अक्षय नवमी को 14 कोसी परिक्रमा होंगी। जिसकी शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 4.51 बजे प्रारंभ होगा और 31 अक्टूबर को सुबह 4.40 बजे समाप्त होगा। पंचकोसी परिक्रमा एकादशी 1 नवंबर को सुबह 4:02 बजे से प्रारम्भ हो रहा है और 2 नवंबर को सुबह 3:57 बजे समाप्त होगा। अंतिम दिन 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान होगा।
14 कोसी परिक्रमा का महत्व
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अयोध्या के वरिष्ठ वैष्णव संतों के अनुसार, अनादि काल से अयोध्या में यह परिक्रमा चलती चली आ रही है। परिक्रमा के बारे में धार्मिक ग्रंथो में भी उल्लेख है। 14 कोसी परिक्रमा अयोध्या के 42 किलोमीटर की परिक्षेत्र में किया जाता है। अक्षय नवमी तिथि को सरयु नदी में स्नान कर लाखों श्रद्धालुओं ने अपना परिक्रमा प्रारंभ करते हैं। मान्यता है, कि कार्तिक अक्षय नवमी पर प्रभु श्रीराम की नगरी की परिक्रमा करने से पाप धुल जाते हैं और कभी भी अपने दुश्मनों से पराजय नहीं होती है। इसी मान्यता के साथ देश भर से लाखों श्रद्धालु अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं।
पंचकोसी परिक्रमा से मुक्ति
कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठनी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन 5 कोस की परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा का धार्मिक महत्व पंच भौतिक चीजों से बने शरीर से लिया जाता है। 5 कोस की परिक्रमा करने से नाना प्रकार के कष्ट का निवारण होता है। राम नगरी में 5 कोस की परिक्रमा करने से जन्म मरण से मुक्ति मिलती है। 5 कोस की परिक्रमा में भगवान राम मंदिर समेत जितने भी अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में मठ मंदिर हैं, उन सब की परिक्रमा करने का लाभ प्राप्त होता है।
Ram Mandir construction completed
All the work related to the Ram Mandir construction has been completed. This includes the main temple and the six temples (within the precincts)-
Lord Shiva,
Lord Ganesha,
Lord Hanuman,
Surya Dev,
Goddess Bhagwati,
Goddess Annapurna and the Sheshavatar temple, all of which have been fully constructed. The flagpoles and kalash (pinnacles) have also been installed on these temples.
In addition, the seven mandapas, namely those of Maharishi Valmiki, Vashishtha, Vishwamitra, Maharishi Agastya, Nishadraj, Shabari and Rishi’s wife Ahilya, have also been completed. The Saint Tulsidas temple has been fully constructed, and the statues of Jatayu and the squirrel have been installed.
All tasks directly related to the convenience and arrangements for devotees have been fully completed. As per the plan, the work of laying stones on roads and flooring is being carried out by L&T, while the work of landscaping, greenery, and the construction of Panchvati across 10 acres is being rapidly undertaken by GMR.
The only ongoing works are those not directly related to the public, such as the 3.5-kilometer-long boundary wall, the Trust office, guest house, auditorium, and similar structures.
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