चारधाम तीर्थों में आज केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद, अब बंद मंदिर के अंदर चमत्कारी दीया...


...छह महीने तक लगातार जलता रहेगा 
- छह महीने तक उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर "दूसरा केदारनाथ" में होगी पूजा 
शुभ वेला में शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ मंदिर के कपाट, सीएम धामी भी पहुंचे

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केदारनाथ मंदिर के कपाट आज (23 अक्टूबर) भाई दूज के पावन पर्व पर प्रातः 8:30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। हजारों श्रद्धालुओं ने भी बाबा के दर्शन किए। पूजा अनुष्ठान के अवसर पर पूरी केदारघाटी हर हर महादेव और जय बाबा केदार के जयघोष से गूंज उठी। अब अगले छह महीने तक बाबा भक्तों को ऊखीमठ में दर्शन देंगे। ऊखीमठ में इन 6 महीने तक बाबा की पूजा होगी, जहाँ (ऊखीमठ) में अपना दूसरा घर बनाते हैं। केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंग और उत्तराखंड के चार धामों में से एक माना जाता है। 

मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया विशेष पूजाओं के साथ सुबह चार बजे आरंभ हो गई थी। इस अवसर पर सीएम पुष्कर धामी भी धाम पहुंचे। अब छह माह तक बाबा केदार की पूजा शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया। कल (22 अक्टूबर) को केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह पंचमुखी डोली को मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया था।

आज सर्वप्रथम केदरनाथ भगवान की चलविग्रह पंचमुखी डोली को सभामंडप से बाहर लाया गया। इसके बाद डोली को मंदिर की परिक्रमा कराई गई। परिक्रमा के बाद जयकारों के साथ मंदिर के कपाट बंद किए गए। अपने भक्तों के साथ बाबा केदार की डोली आज रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी।

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मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया विशेष पूजाओं के साथ सुबह चार बजे आरंभ हो गई थी।उल्लेखनीय है, शीतकाल में बाबा केदार के द्वार बर्फबारी कारण बंद हो जाते हैं, क्योंकि वहां इतनी बर्फबारी पड़ती है, कि मंदिर तक पहुंच जाना एवं आध्यात्मिक गतिविधियों को कर पाना कठिन हो जाता है। पहाड़ पर बसे होने के कारण सर्दियों में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है।

केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, बीकेटीसी अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी, उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती, विजय कप्रवाण, केदारसभा के अध्यक्ष पंडित राजकुमार तिवारी, केदारसभा के अध्यक्ष पंडित राजकुमार तिवारी, केदारसभा के मंत्री पंडित अंकित प्रसाद सेमवाल, धर्माधिकारी ओंकार शुक्ला, पुजारी बागेश लिंग, आचार्य संजय तिवारी, अखिलेश शुक्ला आदि उपस्थित रहे।

17.39 लाख ने किये दर्शन

केदारनाथ यात्रा की अवधि में 
इस वर्ष 17.39 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। यात्रा आरंभ होते ही केदारनाथ के दर्शनों के लिए तीर्थयात्रियों का रैला उमड़ पड़ा। कल (बुधवार) भी पांच हजार से अधिक श्रद्धालु केदारनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचे। यद्यपि दोपहर बाद कोहरा छाया रहा, जिससे तीर्थयात्री शाम को ही कमरों में चले गए। फिर केदारनाथ में कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। 

यमुनोत्री धाम के कपाट
यमुनोत्री में मां यमुना मंदिर के कपाट 
आज (23 अक्टूबर) दोपहर 12.30 बजे शीतकाल के लिए बंद किए गए। इसके बाद माँ यमुना की उत्सव मूर्ति के दर्शन खरसाली गांव में होंगे। 

ऊखीमठ : दूसरा केदारनाथ
ऊखीमठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर को दूसरा केदारनाथ भी कहा जाता है, जहां सर्दियों में भी भक्त दूर-दूर से बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। आने वाले महीने बाबा ऊखीमठ से ही भक्तों को दर्शन देंगे। इस मंदिर का बनाव भी केदारनाथ मंदिर से बहुत मिलता-जुलता है, जहां प्रमुख मंदिर का बनाव केदारनाथ मंदिर के जैसा ही है, परन्तु मंदिर का प्रांगण बड़ा है, जिसमें सुंदर नक्काशी से मंदिर की दीवारें सजी हुई हैं। 6 महीने बाद मंदिर को यहां से फिर से शुभ मुहूर्त में वापस केदारनाथ के लिए रवाना कर दिया जाता है।

चारधाम में बदलते हैं ये स्थान
सर्दियों में सिर्फ बाबा केदार ही अपना स्थल नहीं बदलते, बल्कि गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ भगवान भी अपना स्थल बदलते हैं। गंगोत्री धाम को मुखवा में रखा जाता है, यमुनोत्री धाम को खरसाली में स्थापित किया जाता है, जबकि बाबा बद्रीनाथ को पांडुकेश्वर और ज्योर्तिमठ में स्थापित किया जाता है। बर्फबारी के समय चारों धामों को उनके दूसरे घर पर विराजमान किया जाता है।

बाबा केदारनाथ के कपाट बंद होने के बाद 6 महीने तक वहां पूजा-पाठ नहीं होती है, लेकिन फिर भी मंदिर के अंदर 6 महीने तक लगातार एक चमत्कारी दीया जलता रहता है। माना जाता है, कि मंदिर में उस दीये के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती है, लेकिन फिर भी दीया निरंतर जलता रहता है। दीये के अपने आप जलने के पीछे का रहस्य आज तक बना हुआ है।

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