#LunarEclipse : चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव, कार्तिक पूर्णिमा विशेष क्यों ?
Lunar Eclipse 30 November, 2020 Effects on 12 zodiac
दीप दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न, तो तिल स्नान से शनि दोषों का शमन
ग्रहण का प्रभाव-
शुभ फल- कुंभ, तुला, मीन, कर्क
मध्यम फल- मेष, कन्या, मिथुन, सिंह
अशुभ फल- मकर, वृश्चिक, वृष, धनु
शुभ फल- कुंभ, तुला, मीन, कर्क
मध्यम फल- मेष, कन्या, मिथुन, सिंह
अशुभ फल- मकर, वृश्चिक, वृष, धनु
कार्तिक पूर्णिमा तिथि 29 नवंबर 12:47 से प्रारंभ होकर 30 नवंबर को दोपहर 2:59 तक रहेगी। कार्तिक पूर्णिमा पर अक्षत यानि चावल, जो, काले तिल, मौसमी फल, लौकी में छिपाकर सिक्का दान देना शुभ माना गया है।
सर्वार्थ सिद्धि योग और वर्धमान योग में होगा कार्तिक पूर्णिमा का स्नान हिंदू धर्म में पूर्णिमा महत्वपूर्ण स्थान रखती है। प्रत्येक वर्ष में 12 पूर्णिमा आती हैं, परन्तु जब अधिक मास या मलमास आता है, तो इनकी संख्या 13 हो जाती है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी-पूर्णिमा भी कहा जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन जब चंद्रमा आकाश में उदित होता है उस समय चंद्रमा की 6 कृतिकाओं का पूजन करने से शिवजी की प्रसन्नता प्राप्त होती है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पूरे वर्ष का स्नान करने का फल मिलता है। सोमवार (30 नवंबर, 2020) को रोहिणी नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि योग एवं वर्धमान-योग के संयोग से इस पूर्णिमा का शुभ योग बन रहा है। इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का 551वां जन्मदिन भी मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 29 नवंबर को दोपहर 12:47 से प्रारंभ होकर 30 नवंबर को दोपहर 2:59 तक रहेगी। इस दिन कार्तिक स्नान का समापन भी होगा।
कार्तिक पूर्णिमा पर इस साल का चौथा और आखिरी उप छाया चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वहीं, एक पखवाड़े के पश्चात 14 दिसंबर को वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह चंद्र ग्रहण अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा। इस चंद्र ग्रहण का असर भारत में नहीं पड़ेगा, इसलिए भारत में इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैसे भी यह उप छाया चंद्र ग्रहण है। इसलिए इसका किसी भी राशि पर कोई अशुभ प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह चंद्र ग्रहण का काल भारत के मंदिरों के पट भी बंद नहीं होंगे, इसलिए अंतिम चंद्रग्रहण को लेकर सभी लोग बिल्कुल निश्चित रह सकते हैं। किसी भी तरह के भ्रम में पढ़ने की आवश्यकता नहीं होगी।
कार्तिक पूर्णिमा क्यों है विशेष-
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु चतुर्मास के बाद जागृत अवस्था में होते हैं भगवान विष्णु ने इसी तिथि को मस्य अवतार लिया था और मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। राक्षस त्रिपुरासुर का संघार किया था। त्रिपुरासुर वध को लेकर देवताओं ने मनाई थी इस दिन देव दीपावली, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का जन्मदिन के साथ ही इस दिन तुलसी का अवतरण कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था।
दीप दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न-
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के समीप तथा तालाब में सरोवर में गंगा तट पर दीप जलाने अथवा दीप दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। वहीं, विष्णुजी को तुलसी पत्र की माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सारी इच्छा पूर्ण होती हैं।
तिल स्नान से शनि दोषों का शमन-
कार्तिक पूर्णिमा पर तिल जल में डालकर स्नान करने से शनि दोष समाप्त होते हैं। विशेषकर, शनि की साढ़ेसाती वही कुंडली में पित्र दोष चांडाल दोष नदी दोष की स्थिति यदि है तो उसमें भी शीघ्र लाभ होगा। कार्तिक पूर्णिमा पर अक्षत यानि चावल, जो, काले तिल, मौसमी फल, लौकी में छिपाकर सिक्का दान देना शुभ माना गया है।
मेष-
यह ग्रहण मध्यम फलदायक होगा। पराक्रम में वृद्धि होगी। परिवार में किसी सदस्य को कष्ट हो सकता है। किसी यात्रा पर जा सकते हैं। इस यात्रा का आपको लाभ मिलेगा।
वृषभ-
धन हानि के योग हैं। इस समय अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें, अन्यथा आपका परिवार में या बाहर लड़ाई-झगड़ा हो सकता है। ससुराल पक्ष के साथ संबंधों को लेकर सावधान रहें, आपका वहां भी विवाद हो सकता है।
मिथुन-
वृषभ-
धन हानि के योग हैं। इस समय अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें, अन्यथा आपका परिवार में या बाहर लड़ाई-झगड़ा हो सकता है। ससुराल पक्ष के साथ संबंधों को लेकर सावधान रहें, आपका वहां भी विवाद हो सकता है।
मिथुन-
चंद्र ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव मिथुन राशि पर ही पड़ने वाला है। यह प्रभाव बहुत अच्छा नहीं होगा। मानसिक कष्ट से घबड़ाएं नहीं, साहस से सामना करें। परिवार में किसी का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। परिजनों से आपका झगड़ा भी हो सकता है।अपने जीवनसाथी से झगड़ा करने से बचें।
कर्क-
चंद्र ग्रहण कर्क राशि के जातकों के लिए प्रभावशाली रहेगा, क्योंकि चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है। ग्रहण आपके बारहवें भाव में लगने जा रहा है। इसके चलते आपके व्यव बढ़ सकते हैं। अकारण ही आपको यात्रा पर जाना पड़ सकता है। इससे आपको कष्ट होगा।
सिंह-
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आवश्यकता है-
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चंद्र ग्रहण सिंह राशि के ग्यारहवें भाव में लगने जा रहा है, जिससे आपको अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। आपकी आय में बढ़ोत्तरी एवं धन प्राप्ति के योग हैं। परिवार में भी किसी से उपहार मिल सकता है। प्रेम संबंधों की दृष्टि से समय प्रतिकूल है। आपका प्रेमी से झगड़ा हो सकता है, इसलिए सावधान रहें।
कन्या-
कन्या-
कन्या राशि के लिए ग्रहण का फल मिश्रित रहेगा। कार्यालय में अधिकारियों से सामंजस्य बना रहेगा लेकिन परिवार में तालमेल बिगड़ सकता है। स्वास्थ्य को लेकर विशेष सावधानी बरतें। मान-सम्मान पहले की तरह बना रहेगा, अगर आप अपनी वाणी पर पूर्ण रूप से नियंत्रण रखें।
तुला-
तुला-
आपकी कुंडली के नवें भाव में ग्रहण लग रहा है। इस कारण आपके काम बिगड़ सकते हैं। पराक्रम सामान्य रहेगा। परिवार में व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। आपका लोगों से मतभेद हो सकता है।
वृश्चिक-
वृश्चिक राशि वालों की कुंडली के अष्टम भाव में ग्रहण लगने जा रहा है। वाहन बहुत सावधानी चलाएं, क्यॉकि अष्टम भाव के कारण दुर्घटना के योग बन रहा है। चंद्र ग्रहण के चलते आपके लिए धन की हानि भी हो सकती है। ऐसे में सतर्क रहें। परिवार की ओर विशेष ध्यान दें।
धनु-
धनु-
आपको अपने पारिवारिक जीवन में ध्यान देने की आवश्यकता है। ग्रहण के चलते संबंधों पर प्रभाव पड़ेगा। यदि आप कारोबारी हैं, तो आपका अपने कारोबारी साझेदार से भी विवाद हो सकता है।
मकर-
मकर-
यह चंद्र आपके लिए अनुकूल है, अच्छा परिणाम देगा। आपके शत्रुओं से आपको छुटकारा मिलेगा। आपके विरोध परास्त हो जाएंगे। बाहरी कोई शक्ति आपका अहित नहीं कर पाएगी, परन्तु आपको स्वास्थ्य को लेकर सावधान रहना होगा। पानी से होने वाले रोगों को लेकर सावधान रहें।
कुंभ-
कुंभ-
चंद्र ग्रहण कुंभ राशि के जातकों के लिए चंद्र ग्रहण शुभ फलदायक है। यदि आपकी संतान पढ़ाई कर रही है तो उसे पढ़ाई में सफलता मिलेगी। हालांकि परिवार में किसी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, इसलिए इसकी ओर ध्यान दें।
मीन-
मीन-
यह ग्रहण मीन राशि के जातकों की कुंडली के चौथे भाव में लगेगा, जो मिश्रित (मिले-जुले) परिणाम देगा। स्वास्थ्य को लेकर अत्यंत सावधान रहें, अन्यथा स्वास्थ्य गड़बड़ हो सकता है। लेनदेन या सौदे में सफलता मिलेगी। भूमि या भवन बेचते समय ध्यान रखना होगा।


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