216 फ़ीट ऊँची रामानुजाचार्य की मूर्ति और "108 दिव्य देशम्" का होगा लोकार्पण, 1000 करोड़ रु से निर्मित
"रामानुज सहस्राब्दी समारोहम" में PM मोदी करेंगे मूर्ति का अनावरण
| संत रामानुजाचार्य स्वामी की अष्टधातु से बनी 216 फीट ऊंची मूर्ति जिसे 58 फीट ऊंचे भगवन पर स्थापित किया गया है, जिसे गिनीज बुक में दर्ज किया गया है। |
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वैष्णव संत रामानुजाचार्य स्वामी के प्राकट्य (जन्म) के सहस्त्राब्दी वर्ष (1000 साल) पूरा होने पर उनका 1000 करोड़ रु से अधिक लागत से एक भव्य मंदिर बनाया गया है। हैदराबाद से करीब 40 किमी दूर रामनगर जीवा आश्रम के निकट बने इस मंदिर की अनेक विशेषताएं हैं। संत रामानुजाचार्य के मंदिर की एक ये भी विशेषता है, कि यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां हैं और दोनों ही विशेष होंगी।
पहली मूर्ति अष्टधातु की 216 फीट ऊंची है, जो स्थापित की गई है, जिसे "स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी" (Statue Of Equality) नाम दिया गया है। अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है, जिसमें सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल और जस्ते मिश्रित है। दूसरी प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में रखी गई है, जो 120 किलो सोने से निर्मित है। मंदिर के निर्माण की पूरी लागत दुनियाभर से दान के द्वारा एकत्र की गई है।
सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। देश में समानता की बात करने वाले रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। एक हजार साल पहले रामानुजाचार्य स्वामी ने भारतीय समाज में बदलाव का बिगुल फूंका था, जब समाज छुआछूत और जाति आधारित बुराइयों से जकड़ा था। उन्होंने पिछड़े लोगों को मंदिर में प्रवेश करवाया था। अब मंदिर का निर्माण 2014 में आरंभ हुआ, जिसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपए है। इसे "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में सम्मिलित किया गया है।
सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। देश में समानता की बात करने वाले रामानुजाचार्य स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। एक हजार साल पहले रामानुजाचार्य स्वामी ने भारतीय समाज में बदलाव का बिगुल फूंका था, जब समाज छुआछूत और जाति आधारित बुराइयों से जकड़ा था। उन्होंने पिछड़े लोगों को मंदिर में प्रवेश करवाया था। अब मंदिर का निर्माण 2014 में आरंभ हुआ, जिसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपए है। इसे "गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स" में सम्मिलित किया गया है।
120 वर्ष की यात्रा-स्मृति में 120 किलो सोने की मूर्ति
रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती उत्सव के अवसर पर समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसे "रामानुज सहस्राब्दी समारोहम" नाम दिया गया है। इस अवसर पर रामानुजाचार्य की दो मूर्ति का अनावरण किया जाएगा। 216 फीट ऊँची मुख्य मूर्ति एवं दूसरी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति, जिसको रामानुजाचार्य स्वामी के 120 वर्षों की यात्रा की स्मृति में 120 किलो सोने से निर्मित किया गया है।
त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी के अनुसार, इस प्रतिमा के साथ 108 मंदिर भी बनाए गए हैं, जिन पर ऐसी कारीगरी है, कि कुछ मिनट को पलकें ठहर सी जाती हैं। "स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी" को बनाने में लगभग 18 महीने का समय लगा। इसके लिए मूर्तिकारों ने कई डिज़ाइन तैयार किए और उनकी स्कैनिंग करने के बाद सर्वश्रेष्ठ मूर्ति को विशाल रूप दिया गया। इस प्रतिमा की ऊँचाई 108 फ़ीट है, जबकि प्रतिमा में लगे त्रिदण्डम की उँचाई 138 फ़ीट है। इस प्रकार मूर्ति की कुल ऊँचाई (total height) 216 फ़ीट है। आचार्य रामानुजाचार्य की प्रतिमा में 5 कमल पंखुडिया, 27 पद्म पीठम, 36 हाथी, और प्रतिमा तक पहुंचने के लिए 108 सीढिया बनाई गई हैं।
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आचार्य रामानुजाचार्य की प्रतिमा में 5 कमल पंखुडियाँ, 27 पद्म पीठम, 36 हाथी और प्रतिमा तक पहुँचने के लिए 108 सीढ़ियाँ बनाई गई हैं। "रामानुज सहस्राब्दी समारोहम" कार्यक्रम हेतु बनाए गए 1035 हवन कुंडों में लगभग दो लाख किलो गाय के घी से हवन किया जाएगा।
45 एकड़ में मंदिर, लगे म्यूजिकल फाउंटेन
"स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी" और रामानुजाचार्य मन्दिर 45 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। मंदिर का मूल भवन लगभग 1.5 लाख स्क्वेयर फीट के क्षेत्र में बना है। जो 58 फीट ऊंचाई पर है, जिसपर "स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी" रखी गई है। इस मंदिर में लगभग 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए गए हैं, जिसके माध्यम स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी।
कौन हैं रामानुजाचार्य ?
वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म साल 1017 में तमिलनाड़ु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था। उनका जन्म तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने गुरु यमुनाचार्य से कांची में दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास ग्रहण किया था। इसके बाद उन्होंने पूरे भारत में घूमकर वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया। इसी अवधि में उन्होंने श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह जैसे ग्रंथों की रचना की। साल 1137 में श्रीरंगम में रामानुजाचार्य ने 120 साल की आयु में अपना देह त्याग दिया था।
रामानुजाचार्य ने वेदांत दर्शन पर अपने विशिष्ट द्वैत वेदांत का प्रतिपादन किया था। उनकी शिष्य परंपरा में गुरु रामानंद हुए, जिनके शिष्य कबीर थे। रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था और इसके लिए उन्होंने पूरे देश में भ्रमण भी किया था।
वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म साल 1017 में तमिलनाड़ु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था। उनका जन्म तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने गुरु यमुनाचार्य से कांची में दीक्षा ली थी। श्रीरंगम के यतिराज नाम के संन्यासी से उन्होंने संन्यास ग्रहण किया था। इसके बाद उन्होंने पूरे भारत में घूमकर वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार प्रसार किया। इसी अवधि में उन्होंने श्रीभाष्यम् और वेदांत संग्रह जैसे ग्रंथों की रचना की। साल 1137 में श्रीरंगम में रामानुजाचार्य ने 120 साल की आयु में अपना देह त्याग दिया था।
रामानुजाचार्य ने वेदांत दर्शन पर अपने विशिष्ट द्वैत वेदांत का प्रतिपादन किया था। उनकी शिष्य परंपरा में गुरु रामानंद हुए, जिनके शिष्य कबीर थे। रामानुजाचार्य स्वामी ने सबसे पहले समानता का संदेश दिया था और इसके लिए उन्होंने पूरे देश में भ्रमण भी किया था।
पूज्य चिन्ना जियार स्वामी के साथ "स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी" के डिजाइनर आर्किटेक्ट आनंद साईं। |
"स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी" का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है। उनके अनुसार, इस मंदिर और "स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी" की डिजाइन पर लगभग दो साल काम किया। पूज्य चिन्ना जियार स्वामी ने इस पर कई बार मीटिंग की। उन्होंने ही 108 दिव्य देशम् की कॉन्सेप्ट मुझे दी थी। स्वामी जी के साथ दो साल तक इस काम किया और फिर डिजाइन फाइनल किया। ये मंदिर अपनी खूबियों के कारण दुनिया के सबसे सुंदर और दुर्लभ मंदिरों में से एक होगा।
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मन्दिर की विशेषताएं-
- "स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी" एवं रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है. मंदिर का निर्माण 2014 में आरम्भ हुआ,
- मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख वर्ग फीट में बन रहा है, जो 58 फीट ऊंचा है। इसी पर "स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी" रखी गई है,
- मंदिर में लगभग 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे। इनके माध्यम से रामानुजाचार्य स्वामी की गाथा सुनाई जाएगी,
- मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी। अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगू सहित एक और भाषा,
- मंदिर के अंदर रामानुजाचार्य स्वामी के पूरे जीवन को चित्रों और वीडियो में दिखाया जाएगा,
- दक्षिण भारत के प्रसिद्ध "108 दिव्य देशम्" की प्रतिमूर्ति या रिप्लिका भी "स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी" के चारों ओर बनाई जा रही है,
- स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी का डिजाइन आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने बनाया है। उनके अनुसार, इस मंदिर और स्टैच्यू ऑफ इक्विलिटी की डिजाइन पर करीब दो साल लगे,
- वैष्णव संत रामानुजाचार्य का जन्म सन 1017 में तमिलनाड़ु में ही हुआ। वे विशिष्टाद्वैत वेदांत के प्रवर्तक थे। कांची में उन्होंने आलवार यमुनाचार्य जी से दीक्षा ली थी. पूरे भारत में घूमकर उन्होंने वेदांत और वैष्णव धर्म का प्रचार किया,
- रामानुजाचार्य स्वामी ने वेदांत के अलावा सातवीं-दसवीं शताब्दी के रहस्यवादी और भक्तिमार्गी अलवार संतों से भक्ति के दर्शन, दक्षिण के पंचरात्र परम्परा को अपने विचार का आधार बनाया।
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