महाशिवरात्रि : मुहूर्त, पूजा-विधि, क्या और क्यों चढ़ाएं, क्या करें क्या नहीं, करें विशेष उपाय...Maha Shivratri is...
...one of the most auspicious festivals of Hindus
- महाशिवरात्रि पर है अत्यंत शुभ मुहूर्त, शुभ योग
- पांच राशि हेतु महाशिवरात्रि विशेष अनुकूल
- #सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media...
धर्म नगरी / DN News
व्रत का पारण : 2 मार्च ( बुधवार) प्रातः 6:45 बजे
चतुर्दशी तिथि : 1 मार्च (मंगलवार) प्रातः 3:16 से 2 मार्च (बुधवार) प्रातः 1:00 तक
महाशिवरात्रि के दिन ये न करें-
महाशिवरात्रि शिव-भक्तों और सनातन हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व होता है. वैसे तो हर सोमवार हर चतुर्दशी भगवान शिव के लिए होती है, लेकिन महा शिवरात्रि का लोग पूरे तरीके से प्रतीक्षा करते हैं. इस बार महाशिवरात्रि एक मार्च 2022 (मंगलवार) सुबह 3:16 मिनट से होने वाली है. इस पावन दिन पर रूद्राभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है. सच्चे दिल से जो मांगो वो भगवान शिव देते हैं. इसके साथ ही शिवलिंग पर विशेष चीजें चढ़ाने से हर तरह के रोग दूर होते हैं. चाइये जानते हैं इस बार की महाशिवरात्रि पर शिव जी की कैसे करनी है पूजा. इस महा शिवरात्रि आपको क्या करना छाइये और क्या नहीं।
शिवलिंग पर ना चढ़ाएं ये वस्तु-
भगवान शिव को प्रसन्न करने महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर पैकेट समेत दूध भी नहीं चढ़ाना चाहिए. आप दूध को खोल कर तब भगवान पर चढ़ा सकते हैं. भगवान शिव के ऊपर ठंढ़ा दूध ही चढ़ाएं. इसके साथ ही भगवान शिव को भूलकर भी चंपा के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. शिवलिंग पर कभी टूटे हुए चावल या कटे-फटे या टूटे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए. शिवलिंङ्ग पर हमेशा ठंडी चीज़ चढ़ानी चाहिए. ध्यान रहे कभी भी शिवलिंग पर गर्म पानी भी न चढ़ाएं. हमेशा ठंडा पानी या ठंडा दूध भगवान शिव को अर्पित करें।
कैसे करें अभिषेक ?
शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग पर हमेशा ही सबसे पहले पंचामृत अर्पित करना चाहिए, दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल के मिश्रण को पंचामृत कहा जाता हैं. इसको अर्पित करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं. महाशिवरात्रि पर जो भी भक्त चार प्रहर की पूजा करता हैं, और भोलेनाथ को जल, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घी और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करता हैं उनके सभी कष्टों को भोले बाबा दूर करते हैं.इस दिन आपको भांग से भी भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. और फिर शिव चालीसा पढ़नी चाहिए।
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यों हेतु)
-राजेश पाठक
सभी प्रकार के यज्ञ, तप, दान, तीर्थों एवं वेदों का जो पहल होता है, वही पहल करोड़ों गुना होकर शिवलिंग की स्थापना करने वाले मनुष्य को प्राप्त होता है -अग्नि पुराण
फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी एक मार्च (मंगलवार) को महाशिवरात्रि प्रातः 3.16 बजे आरंभ होकर 2 मार्च (बुधवार) प्रातः 10 बजे तक रहेगी। वैसे, महाशिवरात्रि के दिन चाहे कोई भी समय हो, भगवान शिव की आराधना करना चाहिए। इस बार की महाशिवरात्रि कुछ विशेष है, क्योंकि यह बहुत ही शुभ मुहूर्त, शुभ योग और पंचग्रही योग में मनाई जाएगी। इस दिन दुर्लभ संयोग में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होगा। महाशिवरात्रि की पूजा के शुभ मुहूर्त एवं अन्य योग व संयोग इस प्रकार हैं-
शुभ मुहूर्त (1 मार्च, मंगलवार)-
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:07 से दोपहर 02:53 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:48 से 06:12 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:00 से 07:14 तक।
निशिता या निशीथ मुहूर्त : रात्रि 11:45 से 12:35 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:07 से दोपहर 02:53 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:48 से 06:12 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:00 से 07:14 तक।
निशिता या निशीथ मुहूर्त : रात्रि 11:45 से 12:35 तक।
चतुर्दशी तिथि : 1 मार्च (मंगलवार) प्रातः 3:16 से 2 मार्च (बुधवार) प्रातः 1:00 तक
चार प्रहर की पूजा का मुहूर्त (महाशिवरात्रि)-
पहले पहर : एक मार्च सायं 6:21 से 9:27 सायं तक
दूसरे पहर : एक मार्च रात्रि 9:27 से 12:33 अर्धरात्रि तक
तीसरे पहर : 2 मार्च अर्द्ध-रात्रि 12:33 से प्रातः 3:39 तक
चौथे पहर : 2 मार्च प्रातः 3:39 से 6:45 प्रातः तक
तीसरे पहर : 2 मार्च अर्द्ध-रात्रि 12:33 से प्रातः 3:39 तक
चौथे पहर : 2 मार्च प्रातः 3:39 से 6:45 प्रातः तक
रात्रि में शिवजी के पूजन का शुभ समय- सायं 6.22 बजे से रात्रि 12.33 मिनट तक
विशेष संयोग- धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा। धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। परिघ के बाद शिव-योग रहेगा। सूर्य और चंद्र कुंभ राशि में रहेंगे।
ग्रह संयोग- 12वें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग रहेगा। मंगल, शुक्र, बुध और शनि के साथ चंद्र है। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। चतुर्थ भाव में राहु वृषभ राशि में, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा।
चन्द्रबल- मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर और मीन।
ताराबल- भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और रेवती है।
- महाशिवरात्रि की विधि-विधान से विशेष पूजा निशिता या निशीथ काल में होती है। यद्यपि चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा होती है। इस दिन मिट्टी के पात्र या लोटे में जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद उनके उपर बेल-पत्र, आंकड़े के फूल, चावल आदि अर्पित करें। जल की जगह दूध भी ले सकते हैं।
ग्रह संयोग- 12वें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग रहेगा। मंगल, शुक्र, बुध और शनि के साथ चंद्र है। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। चतुर्थ भाव में राहु वृषभ राशि में, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा।
चन्द्रबल- मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर और मीन।
ताराबल- भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद और रेवती है।
- महाशिवरात्रि की विधि-विधान से विशेष पूजा निशिता या निशीथ काल में होती है। यद्यपि चारों प्रहरों में से अपनी सुविधानुसार यह पूजन कर सकते हैं। साथ ही महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
- महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा होती है। इस दिन मिट्टी के पात्र या लोटे में जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके बाद उनके उपर बेल-पत्र, आंकड़े के फूल, चावल आदि अर्पित करें। जल की जगह दूध भी ले सकते हैं।
मंत्र- महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप इस दिन करना चाहिए। यह भगवान शिव का मूल मंत्र या शिव पंचाक्षरी मंत्र है, जिसके जाप से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
महाशिवरात्रि के दिन जो भक्त पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं, उनकी मनोकामना की पूर्ति होती है। भगवान शिव के इस सबसे प्रिय दिन अभिषेक कहने, कुछ मंत्रों का जाप करने से शिव-कृपा, उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ॐ शिवाय नम:
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ इन्द्रमुखाय नम:
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ इन्द्रमुखाय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ ज्ञानभूताय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ महाकालाय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ महाकालाय नम:
ॐ ह्रीं नमः शिवाय ह्रीं ॐ
ॐ नमः शिवाय
ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं
ॐ आशुतोषाय नमः
ॐ नमः शिवाय
ॐ ऐं ह्रीं शिव गौरीमय ह्रीं ऐं ऊं
ॐ आशुतोषाय नमः
महाशिवरात्रि पर अन्य चमत्कारी शिव मंत्र हैं-
शिव गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।
इसका जाप सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति के लिए करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स: मम् (नाम) पालय पालय स: जूं ॐ
मृत्युंजय मंत्रों का जाप अकाल मृत्यु, असाध्य रोग, राजदंड आदि से सुरक्षा के लिए करते हैं।
शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।
आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
उत्तम स्वास्थ्य के लिए इस मंत्र का भी जाप करते हैं।
धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए-
ॐ हृौं शिवाय शिवपराय फट्
----------------------------------------------
शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पावन पर्व शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष है. पौराणिक मान्यतानुसार, इस दिन शिव और शक्ति का मिलन हुआ था। वहीं, शिव पुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। धार्मिक मान्यतानुसार, इस दिन शिवजी की पूजा से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही इस दिन व्रत रखकर विधिवत शिवजी की पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को शीघ्र विवाह का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जबकि विवाहित महिलाओं के अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर किस प्रकार के फूल चढ़ाने चाहिए-
कनेर व दुपहरिया- दुपहरिया के फूलों से शिव की पूजा करने से आभूषण की प्राप्ति होती है। वहीं शिवलिंग पर कनेर के फूल चढ़ाने से उत्तम वस्त्र की कामना पूरी होती है।
कनेर व दुपहरिया- दुपहरिया के फूलों से शिव की पूजा करने से आभूषण की प्राप्ति होती है। वहीं शिवलिंग पर कनेर के फूल चढ़ाने से उत्तम वस्त्र की कामना पूरी होती है।
दूर्वा व हरसिंगार- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर हरसिंगार के फूल चढ़ाने से धन-वैभव में वृद्धि होती है। जबकि भोलोनाथ की हरी दूर्वा अर्पित करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
कमल, शंखपुष्प व बेलपत्र- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र अर्पित करने से आर्थिक तंगी या धन की कमी के निजात मिलती है। मान्यता है, अगर एक लाख पुष्पों को शिव को अर्पित करें, तो समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही लक्ष्मीजी की प्राप्ति होती है।
चमेली व बेला- चमेली के पुष्पों से शिव की उपासना करने पर वाहन सुख प्राप्त होता है। जबकि बेला के सुगंधित फूलों से शिव की उपासना करने पर विवाह की इच्छा रखने वालों को अनुकूल वर-वधू की प्राप्ति होती है।
शमी व अलसी- अलसी के फूलों से शिव की उपासना करने वालों को भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर शमीपत्र चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मदार व धतूरा- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर धतूरे एवं इसके फूल चढ़ाने से विषैले जीवों का खतरा नहीं रहता है। वहीं, शिवलिंग पर मदार के फूल चढ़ाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
भगवान शिव का भोग (महाशिवरात्रि)-
शिवरात्रि के दिन सर्वप्रथम स्नान करें। इसके बाद विधिवत शिवलिंग को स्नान करवा कर उसका अभिषेक करें। इसके लिए एक पात्र में केसर, दूध, दही, घी, इत्र, शहद, चंदन, भांग और चीनी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। भोलेबाबा को बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग जरूर लगाएं। पूजा में भगवान को भांग भी चढ़ायें। घर में भोग बनाते समय भी उसमे भांग का प्रयोग कर सकते हैं। यद्यपि, स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर थोड़ा सा ही भांग का प्रयोग भोग में करें-
कमल, शंखपुष्प व बेलपत्र- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र अर्पित करने से आर्थिक तंगी या धन की कमी के निजात मिलती है। मान्यता है, अगर एक लाख पुष्पों को शिव को अर्पित करें, तो समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही लक्ष्मीजी की प्राप्ति होती है।
चमेली व बेला- चमेली के पुष्पों से शिव की उपासना करने पर वाहन सुख प्राप्त होता है। जबकि बेला के सुगंधित फूलों से शिव की उपासना करने पर विवाह की इच्छा रखने वालों को अनुकूल वर-वधू की प्राप्ति होती है।
शमी व अलसी- अलसी के फूलों से शिव की उपासना करने वालों को भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर शमीपत्र चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मदार व धतूरा- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर धतूरे एवं इसके फूल चढ़ाने से विषैले जीवों का खतरा नहीं रहता है। वहीं, शिवलिंग पर मदार के फूल चढ़ाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।
------------------------------------------------
संरक्षक / इंवेस्टर- "धर्म नगरी" के विस्तार, डिजिटल DN News के प्रसार एवं एक तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक (factual & informative & interesting), राष्ट्रवादी समसामयिक साप्ताहिक मैगजीन हेतु "संरक्षक" या इंवेस्टर चाहिए। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में स्थानीय रिपोर्टर या स्थानीय प्रतिनिधि (जहाँ रिपोर्टर/प्रतिनिधि नहीं हैं) तुरंत चाहिए -प्रबंध संपादक
------------------------------------------------
शिवरात्रि के दिन सर्वप्रथम स्नान करें। इसके बाद विधिवत शिवलिंग को स्नान करवा कर उसका अभिषेक करें। इसके लिए एक पात्र में केसर, दूध, दही, घी, इत्र, शहद, चंदन, भांग और चीनी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। भोलेबाबा को बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग जरूर लगाएं। पूजा में भगवान को भांग भी चढ़ायें। घर में भोग बनाते समय भी उसमे भांग का प्रयोग कर सकते हैं। यद्यपि, स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर थोड़ा सा ही भांग का प्रयोग भोग में करें-
मालपुआ- मालपुआ भगवान शिव को भोत प्रिय है. मालुआ में आप थोड़ा सा भांग भी मिला सकते हैं. आप चाहें तो बिना भांग के भी भगवान शिव को मालपुए का भोग लगा सकते हैं।
ठंडाई- शिवरात्रि से पहले ही थोड़ी बहुत गर्मी होने के कारण लोग ठंडाई का सहारा लेते हैं। ऐसे में महाशिवरात्रि के भोग के रूप में अधिकतर लोग भगवान शिव को ठंडाई पिलाते हैं। दूध, चीनी और भांग के साथ-साथ आप ठंडाई में बादाम, काजू, पिस्ता, इलायची और केसर भी अवश्य डालें। इस महाशिवरात्रि आप भोले बाबा को ठंडाई भी चढ़ा सकते हैं।
ठंडाई- शिवरात्रि से पहले ही थोड़ी बहुत गर्मी होने के कारण लोग ठंडाई का सहारा लेते हैं। ऐसे में महाशिवरात्रि के भोग के रूप में अधिकतर लोग भगवान शिव को ठंडाई पिलाते हैं। दूध, चीनी और भांग के साथ-साथ आप ठंडाई में बादाम, काजू, पिस्ता, इलायची और केसर भी अवश्य डालें। इस महाशिवरात्रि आप भोले बाबा को ठंडाई भी चढ़ा सकते हैं।
लस्सी- अगर आपको ठंडाई पसंद नहीं है तो आप लस्सी का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप आधा किलो दही में थोड़ा दूध, चीनी और 1 चम्मच के करीब भांग पाउडर मिला दें और मथनी से या मिक्सी में इसको अच्छे से मिक्स कर लें। इस दिन व्रत के बाद या पूजा में भी लस्सी चढ़ा सकते हैं।
भांग की पकौड़ी- आप महाशिवरात्रि के दिन भांग की पकोड़ी भी बना सकते हैं। जो बिना प्याज, लहसुन के बनती है, लेकिन भांग की मात्रा अधिक न हो। आप इसे व्रत के बाद खा सकते हैं।
महाशिवरात्रि शिव-भक्तों और सनातन हिंदू धर्म का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व होता है. वैसे तो हर सोमवार हर चतुर्दशी भगवान शिव के लिए होती है, लेकिन महा शिवरात्रि का लोग पूरे तरीके से प्रतीक्षा करते हैं. इस बार महाशिवरात्रि एक मार्च 2022 (मंगलवार) सुबह 3:16 मिनट से होने वाली है. इस पावन दिन पर रूद्राभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है. सच्चे दिल से जो मांगो वो भगवान शिव देते हैं. इसके साथ ही शिवलिंग पर विशेष चीजें चढ़ाने से हर तरह के रोग दूर होते हैं. चाइये जानते हैं इस बार की महाशिवरात्रि पर शिव जी की कैसे करनी है पूजा. इस महा शिवरात्रि आपको क्या करना छाइये और क्या नहीं।
शिवलिंग पर ना चढ़ाएं ये वस्तु-
भगवान शिव को प्रसन्न करने महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर तुलसी का पत्ता कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर पैकेट समेत दूध भी नहीं चढ़ाना चाहिए. आप दूध को खोल कर तब भगवान पर चढ़ा सकते हैं. भगवान शिव के ऊपर ठंढ़ा दूध ही चढ़ाएं. इसके साथ ही भगवान शिव को भूलकर भी चंपा के फूल नहीं चढ़ाने चाहिए. शिवलिंग पर कभी टूटे हुए चावल या कटे-फटे या टूटे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए. शिवलिंङ्ग पर हमेशा ठंडी चीज़ चढ़ानी चाहिए. ध्यान रहे कभी भी शिवलिंग पर गर्म पानी भी न चढ़ाएं. हमेशा ठंडा पानी या ठंडा दूध भगवान शिव को अर्पित करें।
कैसे करें अभिषेक ?
शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग पर हमेशा ही सबसे पहले पंचामृत अर्पित करना चाहिए, दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल के मिश्रण को पंचामृत कहा जाता हैं. इसको अर्पित करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं. महाशिवरात्रि पर जो भी भक्त चार प्रहर की पूजा करता हैं, और भोलेनाथ को जल, दूसरे प्रहर में दही, तीसरे प्रहर में घी और चौथे प्रहर में शहद से अभिषेक करता हैं उनके सभी कष्टों को भोले बाबा दूर करते हैं.इस दिन आपको भांग से भी भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. और फिर शिव चालीसा पढ़नी चाहिए।
कार्यक्षेत्र के अनुसार धारण करें रुद्राक्ष-
महाशिवरात्रि वर्ष की सबसे बड़ी शिवरात्रि माना जाता है। मान्यता है, इस दिन शिव और माता गौरी का विवाह हुआ था। ये दिन महादेव को अत्यंत प्रिय है। इस दिन यदि सच्चे मन से महादेव और माता पार्वती का पूजन करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि को रुद्राक्ष को धारण करने हेतु यह दिन अत्यंत शुभ है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति महादेव के अश्रु (आंसुओं) से हुई है। रुद्राक्ष अनेक प्रकार के होते हैं। अलग-अलग रुद्राक्ष के अलग अलग प्रभाव हैं। अगर आप अपने कॅरियर को शीर्ष पर पहुंचाना चाहते हैं, तो महाशिवरात्रि के दिन अपने अनुकूल रुद्राक्ष धारण करें-
महाशिवरात्रि वर्ष की सबसे बड़ी शिवरात्रि माना जाता है। मान्यता है, इस दिन शिव और माता गौरी का विवाह हुआ था। ये दिन महादेव को अत्यंत प्रिय है। इस दिन यदि सच्चे मन से महादेव और माता पार्वती का पूजन करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि को रुद्राक्ष को धारण करने हेतु यह दिन अत्यंत शुभ है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति महादेव के अश्रु (आंसुओं) से हुई है। रुद्राक्ष अनेक प्रकार के होते हैं। अलग-अलग रुद्राक्ष के अलग अलग प्रभाव हैं। अगर आप अपने कॅरियर को शीर्ष पर पहुंचाना चाहते हैं, तो महाशिवरात्रि के दिन अपने अनुकूल रुद्राक्ष धारण करें-
पुलिस या सेना से जुड़े लोग- आपको नौमुखी और चारमुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए. ये आपके अंदर नया जोश पैदा करेगा और अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे.
मेडिकल के क्षेत्र से जुड़े लोग- आपको नौमुखी और ग्यारहमुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए. हनुमान बाबा महादेव के ग्यारहवें रुद्रावतार है, ऐसे में ग्यारहमुखी रुद्राक्ष को कुछ लोग हनुमान बाबा से भी जोड़कर देखते हैं। ये आपके लिए अत्यंत सौभाग्यशाली हो सकता है।
राजनीति से जुड़े लोग- जो राजनीति के शिखर तक पहुंचना चाहते हैं, उन्हें एक-मुखी या चौदह-मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। इससे आपकी नेतृत्व क्षमता श्रेष्ठ होगी और लोगों के बीच लोकप्रियता बढ़ेगी। इसका लाभ आपको अपने क्षेत्र में भी मिलेगा।
प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोग- प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोगों को एक-मुखी या तेरह-मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोगों की निर्णय लेने की क्षमता श्रेष्ठ होनी चाहिए। ये रुद्राक्ष इस मामले में अत्यंत उपयोगी हो सकता है।
न्याय प्रणाली से जुड़े लोग- वकालत या न्याय प्रणाली से जुड़े लोगों को दो-मुखी रुद्राक्ष और चौदह-मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। ये आपकी तर्क शक्ति को बढ़ाने में सहायक होगए एवं आप अपने क्षेत्र में और अच्छ प्रदर्शन कर सकेंगे।
व्यापारी वर्ग के लिए- कुशल व्यापारी बनकर लगातार सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, धन कमाना चाहते हैं, तो आपको तेरह-मुखी और चौदह-मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। ये आपके साथ-साथ आपके बच्चों के लिए भी भाग्यशाली होगा।
रुद्राक्ष के नियम-
रुद्राक्ष को हमेशा गंगाजल से शुद्ध करके और शिवलिंग को स्पर्श कराकर ही पहनना चाहिए। इसे गले, कलाई या हृदय पर धारण किया जाता है। रुद्राक्ष धारण करने के बाद आपको शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसे साक्षात महादेव का रूप माना जाता है।
रुद्राक्ष को हमेशा गंगाजल से शुद्ध करके और शिवलिंग को स्पर्श कराकर ही पहनना चाहिए। इसे गले, कलाई या हृदय पर धारण किया जाता है। रुद्राक्ष धारण करने के बाद आपको शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसे साक्षात महादेव का रूप माना जाता है।
पांच राशि हेतु महाशिवरात्रि-
महाशिवरात्रि के दिन पांच राशि वाले अत्यंत भाग्यशाली रहेंगे। इस दिन इन राशि वालों पर भगवान शंकर की कृपा रहेगी, विशेष आशीर्वाद मिलेगा। भगवान शिव की कृपा से इन राशि वालों की महाशिवरात्रि के दिन मनोकामना भी पूरी हो सकती है। ये राशियां हैं-
मेष- मेष राशि के जातकों हेतु महाशिवरात्रि अत्यंत विशेष होने वाला है। इस दिन इन्हें भोलेनाथ का आशीर्वाद मिलेगा और मनोकामना पूरी होने के योग बनेंगे।
वृषभ- पुत्र धन की प्राप्ति हो सकती है। महाशिवरात्रि के दिन आपको विशेष लाभ मिलने के योग हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर घी एवं शमी के पत्ते चढ़ाने से आपकी मनोकामना पूरी होगी।
मिथुन- मिथुन राशि के जातकों हेतु महाशिवरात्रि आनंद लेकर आ सकता है। आपको शुभ समाचार मिल सकता है। भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
सिंह- महाशिवरात्रि के दिन विशेष लाभ के पूर्ण योग हैं। इस दिन गाय के दूध में घी व केसर मिलाकर भगवान शिव को अर्पित करने से आपकी मनोकामना पूरी होगी।
कर्क- कर्क राशि के जातकों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से आपको विशेष लाभ मिलेगा। शिवजी की कृपा से कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
कर्क- कर्क राशि के जातकों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से आपको विशेष लाभ मिलेगा। शिवजी की कृपा से कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
कथा- शिलाद ऋषि के पितरों ने उनसे वंश बढ़ाने के लिए कहा। शिलाद ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या कर के एक अयोनिज और मृत्युहीन पुत्र का वर मांगा। एक दिन जब शिलाद ऋषि भूमि जोत रहे थे, तो उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई। उसका नाम उन्होंने नंदी रखा। एक दिन ऋषि के आश्रम में मित्रा और वरुण नामक मुनि आये। उन्होंने कहा, ये पुत्र तो अल्पायु है। ऋषि बहुत दु:खी हुए। उन्होने नंदी से शिव की आराधना करने को कहा, तो शिवजी ने उत्तर दिया, तुम मेरे वरदान से उत्पन्न हुए हो तो तुम्हे मृत्यु से कोई भय नही।अब तुम मेरे प्रिय वाहन होंगे और गणाधीश भी होंगे।
नंदी के कान में कहने का मुख्य कारण-
भगवान शिव समाधिस्थ रहते है। बंद आंखों से सम्पूर्ण जगत का संचालन करने का मुख्य कार्य करते है, तो नन्दी उनके लिए चैतन्य रूप का कार्य करते है, वो उनकी समाधि के बाहर बैठे रहते है।जिससे उनकी समाधि में विघ्न न हो तो भक्त अपनी मनोकामना या समस्या नंदी जी के कान में कह देते है। माना जाता है, उनके कान में कही गयी बात शिवजी को अक्षरशः चली जाती है और उस भक्त की समस्या का समाधान या मनोकामना पूर्ति शीघ्रातिशीघ्र हो जाती है।
भगवान शिव समाधिस्थ रहते है। बंद आंखों से सम्पूर्ण जगत का संचालन करने का मुख्य कार्य करते है, तो नन्दी उनके लिए चैतन्य रूप का कार्य करते है, वो उनकी समाधि के बाहर बैठे रहते है।जिससे उनकी समाधि में विघ्न न हो तो भक्त अपनी मनोकामना या समस्या नंदी जी के कान में कह देते है। माना जाता है, उनके कान में कही गयी बात शिवजी को अक्षरशः चली जाती है और उस भक्त की समस्या का समाधान या मनोकामना पूर्ति शीघ्रातिशीघ्र हो जाती है।
नंदी के कान में कहने के नियम-
- नंदी के कान में अपनी मनोकामना करते समय इसका ध्यान रखें, कि आपकी कही हुई बात कोई औऱ न सुनें। अपनी बात इतना धीमें कहें, आपके पास खड़ा व्यक्ति भी उस बात का पता ना लगे।
- नंदी के कान में अपनी बात कहते समय अपने होंठों को अपने दोनों हाथों से ढंक लें ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस बात को कहते हुए आपको ना देखें।
- नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे की बुराई, दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात ना कहें, अन्यथा शिवजी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा।
- नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पूर्व नंदी का पूजन करें। मनोकामना कहने के बाद नंदी के समीप कुछ भेंट अवश्य रखें। यह भेंट धन या फलों के रूप में हो सकती है।
- अपनी बात नंदी के किसी भी कान में कही जा सकती है, लेकिन बाएं कान में कहने को अधिक महत्व है।
(Disclaimer- उक्त आलेख में दी जानकारियों कर्मकांडी ब्राह्मणों, ज्योतिषाचार्यों पर आधारित हैं, इसलिए सभी सूचना अक्षरश: सत्य हो, ऐसा दावा "धर्म नगरी" नहीं करती।तो देवाधिदेव महादेव सबसे सरल, उदार हैं एवं भाव के भूखे होते हैं, इसलिए इनकी पूजा-आराधना सबसे सरल-सहज है. फिर भी जप, पूजन आदि से पूर्व आप विद्वान से सुझाव ले सकते हैं।)
संबंधित लेख-
संबंधित लेख-
देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने भगवान श्रीराम द्वारा स्तुति की गई "शम्भु स्तुतिः"...सुने व पढ़ें
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/06/Shambhu-Stuti-recited-by-Sriram-to-please-Shiv-ji-Bhagwan-Ram-ne-Shankarji-ko-Prasanna-karane-Stuti-Gai.html
☟
http://www.dharmnagari.com/2021/08/Masik-Shivratri-Atyant-Priy-Hai-Shivji-ko-Saawan-Maah-ki-Shivratri.html
------------------------------------------------
"धर्म नगरी" व DN News का विस्तार प्रत्येक जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में हो रहा है। प्रतियों को नि:शुल्क देशभर में धर्मनिष्ठ संतो आश्रम को भेजने हेतु हमें दानदाताओं की आवश्यकता है। साथ ही "धर्म नगरी" के विस्तार हेतु बिजनेस पार्टनर / प्रसार प्रबंधक की आवश्यकता है। -प्रबंध संपादक email- dharm.nagari@gmail.com Twitter- @DharmNagari W.app- 8109107075
| उक्त बैंक का डिटेल "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से लेख / कॉलम / इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु है। ध्यान रखें, आपके सहयोग से हम आपके ही नाम से "धर्म नगरी" की प्रति आप जहाँ चाहते हैं, भिजवाते / बटवाते हैं। सहयोग हेतु हम किसी झूठ या फर्जी बातों का सहारा नहीं लेते, क्योंकि हम "धर्म नगरी" को अव्यावसायिक रूप से जनवरी 2012 से प्रकाशित कर रहें है, हमें विपरीत परिस्थतियों के साथ TV पर दिखने वाले कुछ संपन्न एवं भौतिकवादी संत-धर्माचार्य-कथावाचकों के कड़वे अनुभव भी मिले हैं। हमें गर्व है, कि इतना पारदर्शी व अव्यावसायिक प्रकाशन अबतक हमारे संज्ञान में देश में दूसरा नहीं हैं... -प्रसार प्रबंधक |
----------------------------------------------------
कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News
----------------------------------------------
अब "धर्म नगरी" की सदस्यता राशि, अपना शुभकामना संदेश या विज्ञापन प्रकाशित करवाकर अपनों को (अपने नाम से) प्रति भेजने के लिए Dharm Nagari के QR कोड को स्कैन कर सहयोग राशि भेजें और इसकी सूचना (स्क्रीन शॉट) हमे 8109107075 वाट्सएप पर भेजें -
----------------------------------------------
Maha Shivratri : one of the most auspicious festivals of Hindus
Maha Shivratri is one of the most auspicious festivals of Hindus and is dedicated to Lord Shiva.
It will be celebrated on March 1 (Tuesday) in all over the country and world. It holds a great significance for Hindus all across the globe and is one of the most celebrated festivals across the country. This day marks Lord Shiva's marital union with Goddess Parvati.
Devotees visit Shiv-Parvati temples to seek blessings and also observe fast on this day. Maha Shivratri falls on Chaturdashi Tithi during Magha month's Krishna Paksha. According to North Indian calendar or the Poornimant lunar calendar, Maha Shivaratri is the Masik(monthly) Shivaratri in the month of Phalguna.
This is the most popular legend associated with Maha Shivratri. The day marks the marital union of the Lord with his consort.
After his wife Sati's death, Shiva lived like a hermit. He was immersed in meditation and undertook severe penance. Sati took rebirth as Parvati in order to win Shiva's heart once again and become his consort. She did rigorous penance for years and did all that she could to win his attention. On seeing her dedication, devotion and immeasurable love, Shiva accepted her as his wife. They married on the 14th day of the dark fortnight in the month of Phalguna.
Bhagwan (God) Shiva and the Samudra Manthan episode: In a contest of one-upmanship, the Devas and the Asuras – started churning the Samudra (ocean) to obtain the divine Amrita (nectar) to gain immortality. While churning the ocean with Mount Mandara as the rod and Vasuki, the King of serpents as a rope, a number of beneficial things emerged from the ocean but with it also surfaced the Halahala or the poison. Halahala was so toxic that it could ruin the creation. In order to save life and the universe, Lord Vishnu asked the Devas to reach out to Lord Shiva, who alone could consume the poison.
Bhagwan Shiva readily agreed to consume Halahala. Fearing it could harm him, Goddess Parvati pressed his neck with her hands thereby preventing the Halahala from going down his throat. This made Halahala find refugee in his throat. Though it failed to cause harm to Shiva, it turned his neck blue. Hence Shiva is also known as Neelakantha.
In order to ensure, Halahala has no other impact on the Lord, the Devas and devotees of the Lord kept him awake all night singing praises and performing dances.
How the Shiva Linga came into being-
Once, Lord Vishnu and Lord Brahma had an argument over their supremacy. This created much disturbance in the Devaloka and the Devas reached out to Lord Shiva for help. In order to make Brahma and Vishnu realise that there was a supreme power governing them, Shiva appeared as a fiery flame shaped like a lingam and challenged the two to trace the beginning and the end of the beaming light.
Vishnu transformed into a boar and headed underground while Brahma took the form of a Swan to fly upward. The search turned out to be so tiring that Brahma persuaded Ketaki flower to play witness to his “achievement” of tracing the origin of the beam and convey the same to Lord Vishnu. This is when Lord Shiva emerged in his full form from the beam. Realising that their argument was futile and their claim to supremacy meaningless, Brahma and Vishnu bowed to Lord Shiva and pleaded forgiveness. Since Shiva appeared in a Linga form on this day, people celebrate his supremacy by remaining awake and chanting mantras honouring him on Maha Shivaratri.
#सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media...
Legend has it that…
After many millennia in meditation, one day Shiva became one with Kailash. He became like a mountain – absolutely still. That day is #Mahashivratri.
All movement in him stopped & he became utterly still, so ascetics see this as the night of stillness.
Shambhoo Shambhoo See- -
#Mahashivratri is very significant for people who are on the spiritual path. It is also very significant for people who are in family situations, and also for the ambitious in the world. #Mahashivratri as Shiva’s wedding anniversary Shiva conquered all his enemies. -@HiinduRituals
There are three Kailash as per the sacred scripture; the first Kailash is Vada Kailai is amidst the ocean in the North Pole.
The second Kailash; Madhya Kailai is being in the Himalayas.
The third Kailash being in this Velliangiri hills located in Coimbatore,TN. #Mahashivratri -@pradeep_gee
Herath Mubarak to all #KashmiriPandits. On this day, we miss our motherland, our neighbours and friends.
We hope to return to our #Homeland very soon.
#HerathMubarak #MahaShivratri #Shivratri -@rainarajesh
Let’s spend the night of Shivratri by enchanting the name of Lord Shiva and seek his divine blessings! Happy Mahashivratri wishes to you. -@Mikhil_Bhat
-----

Post a Comment