जिस दुनिया में रूस नहीं, उस दुनिया की क्या जरूरत है !

 

मैं कतरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूं,
मुझे बचाना  समंदर  की जिम्मेदारी है।

#सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media...

-अनुराधा त्रिवेदी*
धर्म नगरी / DN News (W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)

उड़ान  वालों  उड़ानों  पे  वक्त  भारी  है
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है।

यूके्रन और रूस के बीच चल रहा युद्ध अपने पूरे शबाब पर है। पूरी दुनिया दो गुटों में बंट गई है। एक वो, जो यूके्रन के समर्थक हैं। दूसरे वो, जो रूस के समर्थक हैं। महाशक्तियों वाले दुनियां के इन देशों में खुद को बाहुबली साबित करने की चेष्टा हो रही है। किसी भी देश को इस बात की फिक्र नहीं है, कि जो निर्दोष जनता है, बच्चे बूढ़े महिला जवान, इन महाशक्तियों के शक्ति परीक्षण का शिकार हो रही हैं।
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत
एक चराग कई आंधियों पे भारी है

मानवता नि:संदेह कराह रही है। न अमेरिका निर्दोष है, न यूके्रन और न रूस। और सबसे बड़े दोषी तो वो हैं, जिन्होंने मित्रवत बैठकर समस्या का हल ढूंढने के बजाय एक पक्ष को हथियारों से लैस करना शुरू कर दिया है।

क्या इन महाशक्तियों की इन कुटिल कारगुजारियों के लिए आने वाली पीढ़ी माफ कर पाएगी। द्वितीय विश्व-युद्ध में हिरोशिमा नागाशाकी पर अमेरिका ने जो परमाणु हमले किए थे, जिससे पूरा जापान मृतप्राय हो गया था, लाखों लोग मर गए। हजारों लोग पीढिय़ों तक परमाणु बम के रेडिएशन से आज भी विकलांग और बीमारी से जूझ रहे हैं। ये जापान था, जिसने कर्म के सिद्धांत को माना जिसने मृत जापान को दुबारा जिन्दा किया और आज विश्व में जापान महाशक्ति है, पर शांति का पक्षधर भी।

यूके्रन और रूस के बीच रूस ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे दी है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने रूसी परमाणु निवारण फोर्स को अलर्ट पर रहने का आदेश दे दिया है। निश्चित ही यदि पुतिन उस बम का उपयोग कर देते हैं, तो पूरा यूरोप तबाह हो जाएगा। रूस ने युद्ध की शुरुआत में ही दुनिया के सभी देशों को धमकी दी थी, कि यदि उन्होंने दखल देने का प्रयास किया, तो फिर उनके पास परमाणु हथियार भी हैं। विदेशी मामलों के जानकार रहीस सिंह कहते हैं, कि विश्व इतिहास में पिछले कई दशकों से ऐसा नहीं हुआ, जब किसी देश ने खुलेआम परमाणु हमले की धमकी दी हो।

 ----------------------------------------------
संबंधित लेख पढ़ें, देखें, सुनें-
भारत का विरोधी यूक्रेन Vs पारंपरिक व विश्वसनीय मित्र रूस में युद्ध, क्यों कैसे... ☟ 
http://www.dharmnagari.com/2022/02/Anti-India-Ukrain-Vs-Traditional-Indian-Russia-and-Modi-Govt-stand-aur-Yuddha-Kyo-Kaise.html 

पुतिन ने यूक्रेन पर पूरी क्षमता से किया हमला...   
http://www.dharmnagari.com/2022/02/Russian-attacks-on-Ukraine-continue.html

यूक्रेन ने कभी नही दिया भारत का साथ ! "स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण और बहुत अनिश्चित है"   
http://www.dharmnagari.com/2022/02/Russia-Ukraine-crisis-Trade-with-India-and-import-export-impact-on-economics.html
----------------------------------------------

रूस के पास ‘फादर ऑफ आल बम’ है, जो एक बम ही पूरी दुनिया को तबाह कर सकता है। इस 1000 किलो टन परमाणु बम से 100 किमी. तक का इलाका राख के ढेर में बदल जाएगा। जिस तेजी से दुनियां के बड़े देश रूस पर पाबंदी पर पाबंदी लगाते जा रहे हैं, ये न केवल पूर्व केजीबी एजेंट रहे अपने संकल्प के धनी पुतिन को चिढ़ाएगा भी और अपनी कार्रवाही तेज करने को उकसाएगा भी। रूस के पास 5477 परमाणु बम हैं। यदि रूस ने अपने इस परमाणु बम के जखीरे को खोल दिया, तो बाकी के वो ग्रह जिनमें हम सभ्यताओं की खोज कर रहे हैं, जीवन की संभावनाएं तलाशते हैं, वो सभ्यता भी पृथ्वी के विनाश को देखेगी।
 
पुतिन ने पिछले साल कहा भी था, कि रूस की परमाणु सेना को अपने प्रतिद्वंदियों के साथ रफ्तार बनाए रखने की जरूरत है। जरा सोचिए, यदि पूरी दुनिया के पास जितने परमाणु बम हैं, यदि वो एकसाथ फट जाएं तो क्या होगा ? इस समय 15 हजार से अधिक न्यूक्लियर बम दुनिया के पास हैं। अगर 15 हजार में से तीन बम भी फोड़े गए, तो एक शहर को खत्म करने के लिए पर्याप्त हैं। धरती के 4,500 शहर खत्म करने के लिए 13,500 परमाणु बम काफी हैं। लगभग 77 साल पहले 6 अगस्त 1945 को जापानी शहर हिरोशिमा के ऊपर एक यूरेनियम गन टाइप डिवाइस, जिसका कोड नाम ‘लिटिल ब्वाय’ था, का विस्फोट किया गया था। तीन दिन बाद 9 अगस्त को जापानी शहर नागासाकी के ऊपर एक प्लूटोनियम इंप्लोजन टाइप डिवाइस, जिसका कोड नाम था ‘फैट मैन’ था, इन दो बमों के विस्फोट से दो लाख लोग मारे गए थे।
 
----------------------------------------------
अब "धर्म नगरी" की सदस्यता राशि,  अपना शुभकामना संदेश या विज्ञापन प्रकाशित करवाकर अपनों को (अपने नाम से) प्रति भेजने के लिए Dharm Nagari के QR कोड को स्कैन कर सहयोग राशि भेजें और स्क्रीन शॉट  हमे भेजें वाट्सएप-8109107075-  
----------------------------------------------

द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद सोवियत संघ (1949) और यूनाइटेड किंगडम (1952) फ्रांस 1960 और पीपुल्स रिपब्लिकम ऑफ चाइना 1964 द्वारा परमाणु हथियार विकसित किए गए। इससे शास्त्रास्त्रों की दुनियाभर में होड़ मच गई। इसने संघर्ष और तनाव की स्थिति को जन्म दिया। यही वह काल है, जिसे शीतयुद्ध के नाम से जाना जाता है। 1974 में भारत और 1998 में पाकिस्तान, दो देश जो खुलेतौर पर एक-दूसरे के शत्रु हैं, ने परमाणु हथियार विकसित किए। इजराइल 1960 और उत्तर कोरिया 2006 के बारे में भी माना जाता है, कि इनके पास परमाणु हथियारों के विकसित भंडार है। भले ही उनकी संख्या और स्वीकृति कभी नहीं प्राप्त हुई।
 
सन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद और शीतयुद्ध के परिमाणों के अंत के बाद दो परमाणु महाशक्तियों के बीच एक प्रमुख परमाणु युद्ध का खतरा आमतौर पर कम हो गया माना जाता था। तबसे परमाणु प्रसार और उपयोग में रोक लगी। आज ये आशंका व्यक्त की जा रही है, कि यूके्रन तबाही मचाने के लिए रूस सबसे घातक बम का इस्तेमाल कर सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो निश्चित ही पृथ्वी संकट में आ सकती है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, 2007 में विकसित किए गए ‘फादर ऑफ आल बम’ गिरने से सुपरसोनिक लहरें उठती है, जो इसके टारगेट को भाप में बदल देती है। इसके फटने से 44 टन टीएनटी के बराबर विस्फोट होता है। ये फाइटर जेट से भी गिराया जा सकता है।

दुनिया में एटम बम से होने वाली तबाही हिरोशिमा और नागासाकी में देखी है। गुजरे वक्त के साथ इस हादसे की यादें इतिहास के पन्नों में दबती जा रही हैं, लेकिन इससे मिले जख्म आज भी रिस रहे हैं। आज भी वहां के लोग पूरी तरह सेहतमंद नहीं हैं। एटम बम का असर आज की नस्लें भी झेल रही हैं।
कोई बताए ये उसके गुरूर-ए-बेजा को
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है 
(गुरूर-ए-बेजा = अहंकार का चरम)
महत्वपूर्ण प्रश्न ये है, कि आम आदमी इस हमले से कैसे बचे ? क्या पूरी दुनिया की पंचायत एक मंच पर नहीं बुलाई जानी चाहिए ? क्या पूरी दुनिया के सर्वमान्य नेताओं को यूके्रन और रूस को साथ बैठाकर युद्ध को लेकर कोई ऐसा सर्वमान्य निर्णय लिया जाना चाहिए, जो दोनों पक्षों को स्वीकार हो और सारे ही देश एक मंच पर खड़े होकर सद्भाव और भाईचारा का संदेश नहीं दे सकते। मुझे लगता है, चंद स्वार्थी महाशक्ति वाले देश ऐसा होने नहीं देंगे, क्योंकि इससे विश्व में उनकी दादागिरी पर असर पड़ेगा। उनका प्रभाव कम होगा। लोग उनसे डरेंगे नहीं, लेकिन एक जंग कितनी तबाही लाती है, ये पूर्व में हुई जंग के परिणामों से हमको सीखना चाहिए। युद्ध कभी भी मानवता की रक्षा नहीं कर पाया। हल तो हमेशा बातचीत से ही निकला है।
एकबार दुश्मन को प्यार से समझाकर देखते हैं
शायद मान जाए
नहीं मानता तो दुश्मनी निभाकर देखते हैं
फिर चाहे जान जाए


-*सलाहकार संपाक- धर्म नगरी / DNNews, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल।

------------------------------------------------
संरक्षक या इंवेस्टर - "धर्म नगरी" के विस्तार, डिजिटल  DN News के प्रसार एवं तथ्यात्मक सूचनात्मक व रोचक (factual & informative & interesting), राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन के प्रकाशन हेतु हमें "संरक्षक" या इंवेस्टर या संपन्न NRI की शीघ्र आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में स्थानीय रिपोर्टर या स्थानीय प्रतिनिधि (जहाँ रिपोर्टर/प्रतिनिधि नहीं हैं) तुरंत चाहिए।  -प्रबंध संपादक  
------------------------------------------------
    "धर्म नगरी" व DN News का विस्तार प्रत्येक जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में हो रहा है। प्रतियों को नि:शुल्क देशभर में धर्मनिष्ठ संतो आश्रम को भेजने हेतु हमें दानदाताओं की आवश्यकता है। साथ ही "धर्म नगरी" के विस्तार हेतु बिजनेस पार्टनर / प्रसार प्रबंधक की आवश्यकता है। -प्रबंध संपादक  email- dharm.nagari@gmail.com Twitter- @DharmNagari W.app- 8109107075 
उक्त बैंक का डिटेल "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से लेख / कॉलम / इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु है। ध्यान रखें, आपके सहयोग से हम आपके ही नाम से "धर्म नगरी" की प्रति आप जहाँ चाहते हैं, भिजवाते / बटवाते हैं। सहयोग हेतु हम किसी झूठ या फर्जी बातों का सहारा नहीं लेते, क्योंकि हम "धर्म नगरी" को अव्यावसायिक रूप से जनवरी 2012 से प्रकाशित कर  रहें है, हमें विपरीत परिस्थतियों के साथ TV पर दिखने वाले कुछ संपन्न एवं भौतिकवादी संत-धर्माचार्य-कथावाचकों के कड़वे अनुभव भी मिले हैं। हमें गर्व है, कि इतना पारदर्शी व अव्यावसायिक प्रकाशन अबतक हमारे संज्ञान में देश में दूसरा नहीं हैं... -प्रसार प्रबंधक  
----------------------------------------------------
कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News   

#सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media... 

No comments