होलाष्टक शुरु, शुभ कार्यों पर रोक, देव आराधना हेतु बहुत शुभ दिन, जपें ये मंत्र...


... होलिका दहन के समय करें उपाय, होलिका की राख घर लाकर रखें
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होली के दिन पहले लगने वाला होलाष्टक गुरुवार (10 मार्च) से लग रहा है, जो 17 मार्च, गुरुवार तक रहेगा। होलाष्टक लगने पर कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक के दिनों में विवाह, गृह-प्रवेश, मुंडन, नामकरण एवं विद्यारंभ आदि सभी मांगलिक या कोई नवीन कार्य प्रारम्भ करना वर्जित माना गया है। 

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा (होलाष्टक काल) तक नवग्रह भी उग्र रूप लिए रहते है। अष्टमी तिथि 10 मार्च गुरुवार को प्रातः 02:56 से प्रारंभ होगी, जो होलिका दहन या फाल्गुन पूर्णिमा के आरंभ होने से पहले तक रहती है। पूर्णिमा तिथि 17 मार्च गुरुवार दोपहर 1.29 बजे से शुरू हो रही है। चूँकि, होलाष्टक काल में सभी ग्रह उग्र रूप में रहते हैं, इसलिए इस अवधि में किए जाने वाले शुभ कार्यों में अमंगल होने की आशंका बनी रहती है। इसी कारण होलाष्टक के दिनों कोई मांगलिक कार्य नहीं करते, लेकिन देवी-देवता की आराधना के लिए ये बहुत ही शुभ दिन माने जाते हैं, क्योंकि इस समय नकारात्मक शक्तियां अधिक रहती है। 

होलाष्टक के दिनों करें इन मंत्रों का जाप-  
होलाष्टक के दिनों में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। यदि आप शिवजी के भक्त हैं, तो शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। हनुमानजी के भक्त है, तो हनुमान मंदिर में दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। होलाष्टक के दिनों भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप बालगोपाल की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। होलाष्टक के दिनों में नकारात्मकता ज्यादा सक्रिय रहती है, जिससे हमारे विचारों में बढ़ने वाली नकारात्मकता पर नियंत्रण, मन को शांत एवं सकारात्मक रखने के लिए ध्यान और भगवान का ध्यान भी करना चाहिए।  

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होलाष्टक के दिन या लगने के साथ (होली से आठ दिन पूर्व) होलिका-पूजन करने के लिए होलिका-दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी लकड़ी, उपले व होलिका दहन के लिए दो डंडे स्थापित किए जाते है। एक डंडे को प्रह्लाद एवं दूसरे डंडे को उनकी बुआ होलिका माना जाता है। इसी दिन को होलाष्टक प्रारम्भ का दिन माना जाता है। 

होलाष्टक 10 मार्च, गुरुवार से आरंभ होकर 17 मार्च, गुरुवार तक रहेंगे। होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पूर्व होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी लकड़ी, उपले व होलिका दहन के लिए दो डंडे स्थापित किए जाते है। एक डंडे को प्रह्लाद एवं दूसरे डंडे को उनकी बुआ होलिका माना जाता है। इसी दिन को होलाष्टक प्रारम्भ का दिन माना जाता है। 

पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से ही हिरण्यकश्यप ने बेटे प्रह्लाद को तरह-तर​ह की यातनाएं देना आरंभ किया। होलिक-दहन तक भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए कई षडयंत्र रचे गए, लेकिन श्रीहरि विष्णु की कृपा से प्रह्लाद का कुछ भी नहीं हुआ। फाल्गुन पूर्णिमा को हिरण्यकश्यप की बहन होलिका स्वयं जलकर मर गई, लेकिन प्रह्लाद जीवित बच गए। अष्टमी से पूर्णिमा तक भक्त प्रह्लाद पर कई तरह के अत्याचार हुए। इसी कारण इन 8 दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

17 मार्च को होलिका दहन होगा, अगले दिन होली खेली जाएगी। अशुभ भद्राकाल के कारण इस बार होलिका दहन के लिए केवल एक घंटे का समय रहेगा। रात डेढ़ बजे के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। होली 17 मार्च को मनाई जाएगी। 18 मार्च को धुलेंडी का पर्व होगा, यानी होली खेलने का दिन होगा।

मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध-
पौराणिक मान्यतानुसार, होली के पहले के 8 दिनों (होलाष्टक के दिनों) में भक्त प्रहलाद को हिरणकश्यप द्वारा यातना दी गई थी, इसलिए इन दिनों में मांगलिक कार्यों की मनाही है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च दोपहर 1.29 बजे से आरंभ होकर 18 मार्च दोपहर 12.49 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार पूर्णिमा तिथि 24 घंटे 18 मिनट की रहेगी।

मध्य रात्रि 1.18 बजे भद्रा का समापन-
पूर्णिमा तिथि साथ भद्रा भी रहेगी। भद्रा का समापन मध्य रात्रि 1.18 बजे होगा। यह भद्रा मृत्यु-लोक की भद्रा रहेगी, इसलिए 1 घंटे 10 मिनट के मुहूर्त में होली का दहन किया जाएगा। 17 मार्च की रात 9.20 से 10.31 बजे तक होली दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस बार होली गुरुवार को होने से साधकों के लिए अच्छी रहेगी। तंत्र साधक देवी उपासक काल रात्रि में भगवती और अपने प्रिय देवताओं की उपासना करेंगे। धुलेंडी से गणगौर माता का पूजन शुरू होगा।

होलिका दहन के दिन करें ये उपाय-
होली से एक दिन पहले होलिका दहन के दिन कुछ उपाय करने से नकारात्मक शक्तियां (Negative Energy) दूर होती हैं। होलिका-दहन की पूजा के समय कुछ ऐसे कार्य करने से आपको जीवन में प्रगति होगी एवं आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलने लगेगी। अपनी प्रगति, घर में सुख-शांति के लिए निम्न उपाय कर सकते हैं-

होलिका की राख घर में लाएं- होलिका दहन की राख को होली की सुबह अपने घर में लाएं। उसे साबुत नमक और राई में मिलाकर शुद्ध स्थान पर रख दें। इससे घर की नकारात्मक शक्तियां दूर होगी और आपको आपके बुरे वक्त से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। ये उपाय हिन्दू घरों में बड़े-बूढ़ें, दादी भी बताते आ रहे हैं।

होलिका की अग्नि में डालें नारियल- यदि आप व्यवसाय, नौकरी व अपने कैरियर को लेकर संतुष्ट नहीं है अथवा अच्छी नौकरी खोज रहें हैं, तो होलिका दहन के समय नारियल को अग्नि में डालें। इसके बाद सात बार होलिका की परिक्रमा करें।

मेवा और मिठाई का लगाएं भोग- आर्थिक तंगी है, अनवरत आपको पैसों की कमी रहती है, इसलिए आप आर्थिक समस्या से मुक्ति चाहते हैं तो होलिका-दहन की पूजा के समय मेवा और मिठाई का भोग लगाएं। इससे धन की कमी दूर होने एवं सुख-शांति आने के द्वार खुलने लगेंगे।

गरीबों को दान- होलिका दहन के दिन गरीबों को दान करने से पुण्य तो मिलता ही है साथ ही आपको मानसिक शांति भी मिलेगी।

काला तिल, नारियल व सरसों- अगर आपको किसी अज्ञात शक्ति से डर लग रहा हो, बुरे विचार आते हों तो होलिका-दहन की पूजा में सरसो, काला तिल और नारियल को सात बार अपने सिर के ऊपर से घुमाकर (फेर कर), इसे होलिका की अग्नि में डाल दें।

नारियल सुपारी सहित पान का पत्ता- अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए आप पान के पत्ते को सुपारी और नारियल के साथ होलिका की अग्नि में अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हुए अर्पित कर दें। इससे आपकी मनोकामना पूरी हो सकती है।
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