#Social_Media : बहुत ठंडा करके खाने की प्रवृत्ति है इस नेता की जोड़ी की...


डॉ अंबेडकर की लिखी किताब- "पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन" के...
पेज- 123, 124 व 125 अवश्य पढ़ें    
आज-कल के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...20220417  
अंबेडकर जयंती पर... 
भारत के किसी मदरसे में बाबा साहेब की या चंद्रशेखर या "टोंटी" या ओवैसी द्वारा जयंती मनाई गई है तो फोटो भेजना मित्रो ! 
दलित-मुस्लिम एकता का संदेश देना है #सोशल_मीडिया में 

धर्म नगरी / DN News 
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बहुत ही ठंडा करके खाने की प्रवृत्ति है इस जोड़ी के...
कंगना रनौत के मुंबई आफिस में तोड़फोड़ की थी। अनिल देशमुख, नबाव मलिक और संजय राऊत के कुल मिलाकर अरबों की संपत्ति ईडी जब्त कर चुकी है। कंगना रनौत के आफिस में तोड़फोड़ से हुए कुछ करोड़ के नुकसान की भरपाई तो उच्च न्यायालय के आदेश से बीएमसी को करना पड़ा या करना है। बम्बई उच्च न्यायालय का आदेश तो तोड़फोड़ करने के बाद चले सुनवाई पर फैसला देते वक्त ही वर्ष २०२० में ही दिया जा चुका है।

समीर वानखेड़े अपनी नौकरी पूरी खनक के साथ कर रहे हैं। नबाव मलिक महीनों से जेल में हैं और उच्च न्यायालय तक उनकी जमानत याचिका खरीज करती रही है। ईडी और सीबीआई का शिकंजा कस चुका है। अरबों की संपत्ति जब्त की जा चुकी है।

अर्नब कुछ दिन जेल में रहे। सर्वोच्च न्यायालय ने न केवल उन्हें जमानत दी, बल्कि महाराष्ट्र सरकार, मुंबई पुलिस और निचली अदालतों को फटकार भी लगाई। अर्नब मजे से अपना चैनल चला रहे हैं। अनिल देशमुख और अनिल वाजे महीनों से जेल में हैं। जमानत की याचिका खारीज पर खारीज की जा रही है। अनिल देखमुख की करोड़ों की संपत्तियां जब्त और बैंक खाते सील किए गए हैं और किए जाने की पूरी संभावना है।

ठंडा, बहुत ही ठंडा कर के खाने की प्रवृत्ति, संयम और धैर्य है। नीतीश कुमार को पता चल रहा है, उद्धव ठाकरे जी को पता चलने वाला है और ठंडा किए जाने वाली कतार में कई लगे हुए हैं। सबकी बारी आएगी। आनी ही है। होश, जोश और राजनीतिक चातुर्य का अनुपम उदाहरण है नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी।

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फ्री... फ्री... फ्री... का वायदा क्यों ?
पचास हजार करोड़ का डिमांड केंद्र सरकार के सामने भगवंत मान ने रख दिया और एक झटके में फ्रीवीज के सारे मुद्दे गायब। यह शानदार राजनीति है। विमर्श उलझ गया, मांग जायज है या नाजायज बताने को लेकर। सत्ता में आते ही अब कोई प्रश्न कैसे पूछे कि जो फ्री वादा किया गया था वह कब पूरा होगा ?

जबकि खुलकर केजरीवाल कहते रहते हैं, सरकार में पैसे बहुत हैं। काम करने की नियत होनी चाहिए। पंजाब चुनाव को लेकर भी इन लोगों ने कर्ज और काम दोनों का गुणा गणित बताया था। कहा था, सारा कैलकुलेशन कर लिया गया है। सत्ता में आते ही अब वायदे पूरे करने का वक्त था। लोग पूछते कि हजार रुपया प्रतिमाह कब से दिए जाएंगे ? लेकिन भगवंत मान ने बस एक लाइन में पूरा विमर्श ही पलट कर रख दिया।

दूसरा उपाय भी क्या था ? अब दूसरे राज्यों को कब्जाने की बारी है। गुजरात जैसे राज्यों में चुनाव है। वायदे नहीं पूरा करेंगे, तो क्या लेकर आम आदमी पार्टी दूसरे राज्यों में उतरेगी। नया शिगूफा छोड़ दिया गया। राज्य तो पौने तीन लाख के कर्ज में डूबा हुआ है। जिन्होंने वोट दिया अब उन्हें अपनी संवेदनाएं दान करनी चाहिए। सत्ता में खालिस्तान वालों ने भी पूंजी लगाए हैं, आखिर उनके भी कुछ लस्ट होंगे।

केंद्र में जब भाजपा सत्ता में आई थी, यही हाल देश का था। सोचिए मोदी ने बिना किसी के सामने हाथ फैलाए कैसे देश को संभाला होगा ? कर्ज भी चुकाया। देश को रक्षा के क्षेत्र में मजबूत भी बनाया। विश्व में बड़ी अर्थव्यवस्था वाले सूची में लाकर ऊंचा खड़ा कर दिया। विदेश नीति ऐसी मजबूत बनाई के दिन भर के लिए रशिया अपना युद्ध रोक दे। परमाणु बम की धमकी देने वाला पड़ोसी मोदी की प्रशंसा में लगातार तीन दिनों तक बोल पड़े। देश की जनता का विश्वास भी जीता। एक तरफ मुफ्त में राशन भी दिया, तो दूसरी तरफ वैश्विक महामारी में भी देश में स्वास्थ्य का प्रबंधन विश्व में सबसे बेहतर रखा। 

आखिर यह सब चमत्कार थोड़ी है ? पुरुषार्थ से संभव होता है ये सब। जिसने अपने जीवन को तपस्या बना लिया हो, वही एक डूबते देश को विश्व पटल पर लाकर खड़ा कर सकता है। शायद इसी कारण से भारत का प्रधानमंत्री ग्लोबल लीडर के लिस्ट में प्रथम है। राजधर्म वास्तव में पुरुषार्थ से ही निभाया जा सकता है। पाखंड से नहीं।

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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है इस कॉलम "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..."  में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासम्भव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक 
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काँग्रेस के "कफ़न" में एक और कील ठोकी सोनिया गाँधी ने
इसीलिए "काँग्रेस" शनै शनै अपने "अन्त" की ओर "अग्रसर" है...
"सोनिया गांधी ने सदन से वॉकआउट कर दिया, क्योंकि गृहमंत्री अमित शाह ने "आतंकियों" को धन देने वाले और "जेहादी साहित्य" उपलब्ध करवाने वालो को भी "आतंकी" मानने वाला बिल पास किया। जब वोटिंग की बारी आई तो सोनिया सहित पूरी "काँग्रेस" ने सदन का "बहिष्कार" कर दिया कि ये बिल गलत है ?

मुझे समझ नही आता "सोनिया" को "आतंकियों" को आर्थिक मदद करने वाले और जेहादी साहित्य से "आतंकी" बनाने वाले लोगो से क्या "सहानुभूति" है ? जो सोनिया कोंग्रेस ने वोट करने की बजाय सदन का बहिष्कार कर दिया ? देश का विपक्ष अपनी सरकार की बजाय "आतंकियों के साथ" खड़ा रहेगा ? इससे बड़ा दुर्भाग्य इस देश का और क्या होगा ?

पर मैं अभिनन्दन करता हूँ बीजेपी और शाह मोदी का जो "आतंकियों" को जड़ से खोदने के लिए "कठोर कानून" लाए हैं। अगर हम अभी भी जातिवाद, क्षेत्रवाद, पार्टीवाद या अन्य किसी वाद से ग्रस्त हैं तो आज हम सब के लिये आत्मावलोकन का विषय है।

हिन्दुओं पहचानो काँग्रेस को...
ये वो ही काँग्रेस है जो "हिन्दुओं के विरुद्ध" बिल ला रही थी और जब बीजेपी "आतँकवादियों" के विरुद्ध बिल लाई तो काँग्रेस ने "वाक आउट" कर दिया। अगर आप अपने प्यारे भारत के लिए कुछ करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक भेजें। 
#Copy सोशल_मीडिया से
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मुसलमान पत्थर क्यों फेकते हैं ? 
सुनें-
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हिंदू लड़कियों से...
सभी हिंदू लड़कियां ध्यान दें---
१. ससुराल लडकी का दूसरा घर होता है।
२. समय पर विवाह करें और माता पिता को धोखा ना दें।
३. अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें और घर में भी पूरा हाथ बटाए।
४. प्रेम-जाल, इश्क-विश्क के ढोंग-ढकोसले में ना पड़ें।
५. भूल कर भी लड़कों के साथ अकेली पिकनिक या सैर सपाटे में ना जाएं।
६. जेहादी कौम से सावधान रहें।
७. लव जेहाद में पड़ोगी, तो ध्यान रहे आजीवन बुर्के में कैद हो जाओगी और भैंस-गाय का मांस पकाकर खिलाना पड़ेगा गौ-माता के हत्यारों को।
८. लव जेहादी गैंग झूठ को सच से भी अधिक शातिर तरीके से बोलना जानता है।
९. इश्क के चक्कर में पड़कर तलाक और हलाला का कष्ट ना झेलना पड़े।
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#Suppose_you_are_a_militia_commander
आप क्या सोचते हैं ये सब वे "स्पोंटेनियसली" करते हैं ?

नहीं ! पूरी रणनीति से करते हैं और युद्ध की तरह संचालित करते हैं जैसे हजारों साल से करते आये हैं।

1- इस्लामी जगत के सबसे खूंखार माने जाने वाले तुर्क व पठानों ने कभी राजपूतों से हैंड टू हैंड कॉम्बेट नहीं किया क्योंकि वे जानते थे कि तलवारबाजी में वे कभी राजपूतों से नहीं जीत पाएंगे। वे हमेशा राजपूतों पर तब तक बाणवर्षा करते रहते थे, जब तक कि उनकी पंक्तियां टूट न जाएं।
आज भी मुस्लिम लाठी-डंडा लेकर आमने सामने कभी नहीं आएगा बल्कि पत्थरों की वर्षा करेगा।

2- मुस्लिम आक्रांता युद्धक्षेत्र का चुनाव बड़ी सावधानी से करते थे, जबकि राजपूत लापरवाह थे। बहुत कम लोग जानते हैं, कि की हेमचंद्र विक्रमादित्य की हार का बहुत बड़ा कारण उनके केंद्र और अकबरी केंद्र के बीच एक गड्ढे का होना था। मुस्लिम आज भी अपनी गलियों को तंग और टेढ़ी-मेढ़ी रखते हैं, ताकि पुलिस तक को घुसने में दिक्कत हो।

3- मुस्लिम हमेशा नवीनतम व्यूहों का प्रयोग करते थे, जैसे- केंद्र के सामने जंजीरें, खाई, तुलगुमा। जबकि राजपूत बस अंधाधुंध आमने सामने भिड़कर सिर काटने या कटवाने में विश्वास रखते थे।

4- मुस्लिम हमेशा नवीनतम तकनीक व हथियारों का प्रयोग करते थे जैसे मंजनिक,
अर्रादा, ईरानी धनुष, मैंचलॉक बंदूकें, तोपें। जबकि राजपूत ? मैं और मेरी तलवार बस !
मुस्लिम आज भी छतों पर गुलेलें, एसिड और पत्थर जमा करके रखते हैं।

5- मुस्लिम अक्सर राजपूतों को अपने व्यूह में आने को ललचाते थे और फिर पलटकर हमला कर देते थे। मुस्लिम अभी भी आपको उकसाकर अपनी गलियों में जुलूस को लाते हैं और आयोजनकर्ता बिना तैयारी के घुस जाते हैं।

तो उपाय क्या है ?
अगर आप एक मिलिशिया कमांडर होते, तो क्या उपाय करते ?
अगर मैं अपनी सेना का संचालन करूंगा, जिसके मुख्य बिंदु ये हैं-

1) जुलूस का आयोजन जो भी करे उसका नेतृत्व सैन्य पृष्ठभूमि के या सैन्य मनोदशा वाले व्यक्ति को करना चाहिए।
2) एक दिन पहले ही जुलूस के मार्ग व उस पर होने वाले संभावित हमलों को चिन्हित कर लेना चाहिए।
3) जुलूस पर हमला होने पर भीड़ को कैसे संभालना है ये पहले ही सोच लेना चाहिए।
4) कोशिश सदैव यह होनी चाहिए, कि उन्हें खुले मार्ग पर ही आने को उकसाया जाए।
5) जुलूस सशस्त्र ही निकाले जाएं और देशी उपायों जैसे 'पानी' की बोतलें', आग्नेयास्त्र और तलवार, धनुष आदि लेकर आवें।
6) पीटने के बाद भी कपड़े आदि फाड़कर उन्हीं की तरह 'विक्टिम कार्ड' खेलना सीखें। चाहें तो जेएनयू वालों की तरह कैचप के पाउच ले जा सकते हैं क्योंकि कानूनी तौर पर घरों की छतों से पत्थर फेंकने के बाद भी मु स्लिम स्त्रियां स्त्री होने के कारण और अपने घरों में होने के कारण आप आक्रांता माने जाएंगे और उनकी हिंसा सैल्फ डिफेन्स।

इसलिये जुलूस, शोभायात्रा, उनकी मोटर साकिल रेस, सड़कों पर नमाज, मजारें आदि सभी स्ट्रेटजिक मूव हैं। चूंकि इस युद्ध में आप लेट उतरे हैं, इसलिए आपके मूव बच्चों जैसे दिखते, ये और वे आसानी से रौंद देते हैं।
अगली बार से जुलूस पूरी रणनीति के साथ निकालना क्योंकि यह उसी गृहयुद्ध का प्रारम्भ है जिसे वे 'गजवा-ए-हिन्द' कहते हैं।
- देवेन्द्र सिकरवार

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मंदिर बना मजार, मुसलमानों को मिलता करोड़ों चढ़ावा 
उत्तर प्रदेश के एटा में एक शनि मंदिर और जैन मंदिर था। मुस्लिमों ने वहां एक मजार बनाकर धीरे धीरे दोनो मंदिरों को दरगाह बना दिया। हिंदू और जैन साल में पांच करोड़ यहां चढ़ाते हैं, जिसे मुल्ले ले जाते हैं। इस सप्ताह योगी जी ने दरगाह को कब्जे में ले लिया है।

कांग्रेस यानी नेहरू परिवार ने इस तरह हमारी सारी संपत्ति इसलाम के नाम सौंपने का निर्णय ले लिया है। या तो हमारे मंदिर स्कूल व्यापार सरकार ले लेगी या मौलवी, पादरी कब्जा कर लेगा। हिंदू सांसद, विधायक, नौकरशाही, काजी शाही, मीडिया को जकात से खरीद लिया गया है या चर्च उनके बच्चों को अमेरिका का वीसा घूस में दे देता है। इसलिए कोई प्रतिरोध नहीं होता।

हिंदुओं को मुफ्तखोरी की अफीम चटा कर, जातिवाद में व्यस्त रखकर उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसका कर चला गया है नेहरू। हम लोग खतना और बपतिस्मा से पांच साल दूर हैं। चाहे जितनी बातें बना लें, पर जमीनी स्थिति हिंदू धर्म के लिए प्रतिकूल है।

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भजन-आरती को अजान से तुलना करने से पहले-
आप भी ये जाने, क्या है अजान ?

पहले आप जानिए मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान में क्या बोला जाता है ?

सर्वप्रथम चार बार 'अल्लाहो अकबर' यानी अल्लाह सबसे बड़ा है !
इसके बाद दो बार 'अशहदो अल ला इलाह इल्लल्लाह' अर्थात मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं है

फिर दो बार 'अशहदु अन-ना मुहम्मदर्रसूलुल्लाह' जिसका अर्थ है- मैं गवाही देता हूँ कि हजरत मुहम्मद अल्लाह के रसूल (उपदेशक) हैं

फिर दाहिनी ओर मुँह करके दो बार 'हय-या अललसला'...अर्थात आओ नमाज की ओर

फिर बांई ओर मुँह करके दो बार 'हय-या अलल फलाह' यानी आओ कामयाबी की ओर

इसके बाद सामने (पश्चिम) मुँह करके 'अल्लाहो अकबर' अर्थात अल्लाह ही एकमात्र सबसे बड़ा है

अंत में एक बार 'ला इलाह इल्लल्लाह' अर्थात अल्लाह के सिवा कोई भी पूज्य नहीं है
भोर की अजान में एक वाक्य अधिक कहा जाता है 'अस्सलात खैरूम मिनननौम' अर्थात नमाज नींद से बेहतर है

अब भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में क्या इस तरह से लाउडस्पीकर पर दूसरे धर्मों के मानने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जा सकता है ?
क्या कोई यह कह सकता है, कि केवल अल्लाह ही एकमात्र पूज्य है दूसरे कोई पूज्य नहीं है ?
जिन हिन्दुओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की उनका बाप कौन है उनके कानों में अजान शहद घोलती है

देशहित में जन-जागरण हेतु अधिक से अधिक शेयर करें !
वंदेमातरम, भारत माता की जय ! #साभार सोशल_मीडिया से...
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नींबू की कहानी...
आपको ध्यान नही होगा कि 1954 में जब dry milk powder (सूखा दूध) जब मार्केट में दिया तो कोई नही खरीद रहा था। ये कम्पनियां बर्बाद होने को थी।
तब इन्होंने BAD MARKETING का एक घटिया तरीका निकाला।
उन्होंने रोज़ाना मार्केट से सारा दूध चुपचाप से खरीद के नालियों में फिकवाना शुरू कर दिया।
लोगों के पास सूखा दूध खरीदने के अलावा कोई और विकल्प नही बचा।
लगभग तीन महीने ये गंदा खेल चलता रहा।
इनका product market में demand पे आ गया।
सूखे दूध के दाम भी बढ़ाए और सारा खर्चा निकाल लिया।
1954 के बाद अब नींबू महंगा होने के पीछे कहीं शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों की यही ट्रिक तो नही. क्यूँकि अबकि बार लोगों में कोल्ड ड्रिंक्स के ख़िलाफ़ जागरूकता जाग चुकी है
मंथन कीजिए। कहां जा रहे है नींबू ?
शिकंजी की जगह आम पना पिएं और पिलाएं, परंतु ज़हर को ना पनपने दे।
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एटा जलेसर की छोटे मियां, बड़े मियां दरगाह परिसर में खुदाई में निकली शनिदेव और हनुमान जी की मूर्तियां

एटा जिले के जलेसर स्थिति छोटे मियां बडे मियां की दरगाह पर शनीचरी जात सुबह से ही शुरू गइ है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शुक्रवार (15 अप्रैल 2022) को दरगाह परिसर में पुलिस चौकी के निर्माण के लिए खोदाई के दौरान निकलीं शनिदेव और हनुमानजी की मूर्तियों की भी पूजा हो रही है। शनिदेव को तेल अर्पित किया जा रहा है। विश्राम स्थल पर दोनों मूर्तियां रखी गई हैं। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त हैं। 

पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर तैनात हैं। 
👉 99 करोड़ के गबन के बाद सुर्खियों में है दरगाह
हाल ही में दरगाह कमेटी द्वारा 99 करोड़ के गबन के मामले का पर्दाफाश हुआ और दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अकबर अली समेत नौ पदाधिकारियों के खिलाफ गबन की। जलेसर कोतवाली में एफआइआर दर्ज है। कमेटी के सदस्यों की संपत्ति की जांच चल रही है। प्रशासन ने दरगाह को अपने कब्जे में लेकर रिसीवर की नियुक्ति कर दी है। तब से प्रशासन की देखरेख में ही जाँच हो रही है और चढ़ावा सरकारी खाते में जमा हो रहा है। गबन का मामला सामने आने से पहले जलेसर क्षेत्र के दो दर्जन ग्रामीणों ने प्रशासन को शपथ पत्र देकर दरगाह स्थल पर शनि मंदिर होने का दावा किया था। श्रद्धालु यहां नारियल और कौड़ी भी चढ़ाते हैं।
दैनिक जगरण 16 अप्रैल 2022, दिल्ली एडिशन पेज-2 
जलेसर के लोगों ने दरगाह परिसर में खुदाई कराए जाने की मांग की, ताकि यह पता चल सके कि यहां शनिदेव मंदिर के अवशेष तो नहीं। अभी तो खुदाई में केवल दो मूर्तियां ही निकलीं हैं, लोग कह रहे हैं कि यहां बहुत कुछ छिपा है। 
जलेसर के विधायक संजीव दिवाकर ने कहा- दरगाह स्थल पर पूर्व में शनिदेव मंदिर था इस बात के प्रमाण मिलने शुरू हो गए हैं और क्षेत्र के लोग चाहते हैं, कि यहां पर्याप्त खोदाई कराई जाए, ताकि सही स्थिति सामने आ सके। उन्होंने कहा, कि मुस्लिम आक्रांताओं ने शनि मंदिर तोड़कर दरगाह बना दी। इस दरगाह की प्रबंध कमेटी का इतना आतंक था कि कोई कुछ बोलता नहीं था। भाजपा शासन में दबंगों का पर्दाफाश हुआ।

👉 जिन लोगों ने शनिदेव मंदिर होने का दावा किया है, उन्होंने कई तर्क भी दिए हैं। प्रशासन को सौंपे गए शपथ पत्रों में कहा गया है कि किसी भी दरगाह पर नारियर और काैड़ी नहीं चढ़ाई जाती, लेकिन यहां दोनों ही चीजें चढ़ाई जाती हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि यहां शनिदेव मंदिर था। दरगाह के अंदर दीवार पर घोड़े की आकृति बनी है, जबकि किसी मुस्लिम इबादतगाह में दीवारों पर कोई आकृति नहीं होती। किसी भी मुस्लिम दरगाह पर शनीचर की जात के नाम से कोई जात नहीं होती, जबकि यहां शनीचरी जात कही जाती है। यही वजह है कि सबसे ज्यादा यहां हिंदू श्रद्धालु आते हैं।

निष्कर्ष- खुदाई करके तो देखें, हर मजहबी ठिकने से भगवान निकलेंगे और मलेच्छ आक्रांताओं की हैवानियत की पोल खुलेगा।

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