सिख गिड़गिड़ाते रहते हैं, लेकिन.., 'अग्निवीर' हिंदुओ के लिए अंतिम अवसर देश को...! पत्रकार से वार्ता (व्यंग), ये स्टूडेंट नहीं...
आज-कल के कुछ चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...202206023
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ये अग्नि बीर के भरोसे रहे ही नही इन्होंने 4 साल का होते ही ट्रैनिंग ले ली. देश-विदेश कहीं भी फटने में मान्यता प्राप्त। उनका 7 साल का लडका 10 मिनट में फिदायीन बन कर फट जाने में फख्र महसूस करता है और तुम्हारा 17 साल में अग्निबीर बनने का बिरोध कर रहा है, देखें और समझे देश-दुनिया की तेजी से बदलती परिस्थितियों को
पत्रकार:- भाई, मै तो ठीक हूं, और आप कैसे हो...?
संजय :- सर एकदम बढीया, बिझी हो क्या, बाद मे कॉल करू?.
पत्रकार:- अरे नही नही, बोलो कुछ काम था क्या.? आज कल यही जरा गांधी वर्सेस ईडी मैटर कवर कर रहा था..
संजय :- अच्छा-अच्छा, ये मोदी वाली अग्निविर स्कीम क्या है, कई जगह विरोध भी शुरू हुआ है, स्किम कुछ समझ नही आई.. इसिलिए कॉल किया था..😊
पत्रकार:- संजय भाई स्कीम तो बढ़िया है, अब लोगो को इसका फायदा उठाना चाहिये...
संजय :- बढ़िया.. मतलब किस चीज मे, और कैसे बढ़िया.?
पत्रकार:- संजय भाई.. अकबरुद्दीन ओवेसी का 100 करोड वर्सेस 25 करोड वाला बयान याद है ना.? 😉
संजय :- बिल्कुल याद है, कैसे भूल सकता हूं...
पत्रकार:- तो फिर 100 करोड निहत्ये हिंदू 25 करोड हत्यारबंद मुस्लिमों का सामना कर पायेगें ?
संजय :- नही तो, सिर्फ 15 मिनिट मे हिंदू साफ होंगे.
पत्रकार:- अब अग्निविर मे आपको मिल्ट्री ट्रेनिंग मिलेगी चार साल देश सेवा करने का अवसर भी मिलेगा और पैसा भी..✌️
संजय :- तो इससे 100 करोड और 25 करोड का क्या तालुक्क.?
पत्रकार:- आप को सब खोलकर बताना पडता है संजय भाई.
संजय :- इसिलिए तो आपको कॉल किया.
पत्रकार:- तो फिर सुनलो, अग्निविर मे अब हर हिंदू घर का लड़का शामिल होगा, उसको ट्रेनिंग, नौकरी, पैसा ये सब मिलेगा, पूरी ट्रेनिंग मिलने की वजह से फौजी तो बन चुका रहेगा, चार साल बाद रिटायर होगा..तो खुद की रक्षा करेगा और हिंदू होने के नाते बाकि हिंदूंओं की भी रक्षा करेगा, तब 100 करोड वर्सेस 25 करोड की बात होगी तो कौन कितने मिनिट मे समेट जायेगा..
... और अग्निवीर जब 21 या 25 साल की उम्र में रिटायर होगा खुद तो शरीर और बुद्धि से पूरी तरीके से तैयार हो चुका रहेगा साथ में आर्थिक रूप से भी तैयार रहेगा, अगर कोई व्यवसाय करना चाहे तो तथा सरकारी नौकरी मे भी उसे10℅ अरक्क्षण मिलेगी।
संजय :- सर, ये तो बढ़ीया स्कीम है, मुझे सबको बताना होगा..
पत्रकार:- बताना या न बताना आपकी मर्जी, मुझे जो पता था आपको बोल दिया...
संजय :- सर, मोदी बड़े दूर की सोचते हैं, उनको मेरी तरफ से धन्यवाद बोलेंगे क्या ?
पत्रकार:- अरे भाई कैसे बात कर रहे हो, जरूर बोलूंगा..☺️
संजय :- सर आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद..आप कभी निराश नहीं करते..😊
मोदी है तो मुमकिन है।
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योग दिवस पर योग से पहले ऐसा गान...
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The lady who speaked only facts regarding prophet muhammad... On that basis i will always Support. #IsupportNupurSharma |
वहीं जबाव में मुस्लिम पक्ष के कपिल सिब्बल जैसे वकील, ये साबित करें कि हदीस में ऐसा लिखा है कि नहीं। कोर्ट में विस्तार के साथ एक सारगर्भित बहस हदीस पर हो। एक-एक पन्ने पर चर्चा हो। कोर्ट की पूरी प्रोसिडिंग आम जनता तक पहुंचाई जाये। फिर सुप्रीम कोर्ट ये फैसला दे कि बुखारी की हदीस में क्या लिखा है और उसके मायने क्या हैं। हदीस की पूरी व्यख्या हो। क्या नुपूर ने मनगढ़ंत बात बोली या फिर ये बात सही में हदीस में लिखी है।
जब 100 करोड़ हिंदुओं के देश में कोर्ट में प्रभु श्री राम के अस्तित्व पर बहस हो सकती है... जब श्रीराम को अदालत में काल्पनिक बताया जा सकता है। और तो और अदालतें श्री राम के जन्म स्थान की धार्मिक मान्यताओं पर फैसला करने के लिए 150 साल सुनवाई कर सकती है तो हदीस में क्या लिखा है और क्या नहीं लिखा है, इस पर कोर्ट क्यों सुनवाई नहीं कर सकता?
हदीस की सीखों को छुपाना क्यों ? पूरी मानवता को हदीस के ज्ञान से क्यों वंचित करना??? आखिर अपने धार्मिक ग्रन्थ को लेकर इतना डर क्यों? दूसरे धर्म के लोग तो अपने धार्मिक ग्रन्थ का प्रचार प्रसार करते हैं... आप अपनी हदीस को छुपाना क्यों चाहते हैं ?
अयोध्या केस की सुनवाई के दौरान न जाने कितने हिन्दू धर्म ग्रंथों को खंगाल कर मुस्लिम पक्ष ने बहस की थी, लेकिन मुझे तो याद नहीं पड़ता कि कभी इस पर हिन्दू पक्ष ने आपत्ति ली हो। फिर हदीस पर तथ्यपरक चर्चा क्यों न हो ? दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
वैसे भी इस देश में संविधान का सम्मान होना चाहिए, किसी सरिया कानून पर देश क्यों चले??? हदीस से जुड़े मुद्दे पर कोर्ट जाने से क्यों डर लग रहा है? क्या ये डर हदीस के सच को लेकर है? जब आप ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हो तो नुपूर के केस में भी जाओ।
👉🏻ये सत्य है कि हमारे सुप्रीम कोर्ट में बैठे जज हिन्दुओं के विरोध में किसी सीमा तक जा सकते हैं जो श्रीराम मंदिर केस में भी देखा गया कि भगवान् राम के जन्म और जन्मस्थान के सबूत मांगने की हिम्मत कर गए।
👉🏻मगर जस्टिस आर ऍफ़ नरीमन, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने वसीम रिज़वी की कुरान की 26 आयतों को बैन करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करने से पहले कुरान मंगवा कर पढ़ने की हिम्मत नहीं की।
👉🏻जस्टिस नरीमन की बेंच में 3 जजों ने ये नहीं सोचा कि ऐसी याचिका लेकर शिया मुस्लिम बोर्ड का अध्यक्ष आया है जो खुद एक मुसलमान है जिसने जाहिर तौर पर कुरान पढ़ी होगी।
👉🏻जस्टिस नरीमन ने याचिका खारिज करते हुए कहा ये याचिका मूर्खतापूर्ण है, तुच्छ है (Frivolous) और 50 हजार का जुर्माना लगा कर खारिज कर दी बिना सुनवाई किये।
👉🏻बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस पी बी वराले और जस्टिस एस एम् मोदक की बेंच ने नवनीत राणा के हनुमान चालीसा पढ़ने की बात कहने पर ही कह दिया...
"किसी दूसरे के घर या फिर धार्मिक छंदो को सार्वजानिक स्थानों पर पढ़ने से इस तरह के ऐलान से किसी भी दूसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।"
🤨मी-लार्ड को हनुमान चालीसा से किसी दूसरे व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होता दिखाई दिया, मगर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नरीमन की बेंच ने ये देखने की कोई जरूरत नहीं समझी कि कुरान तो इस्लाम को ना मानने वालों को क़त्ल करने का आदेश देती है।
🐷आज इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम खुले आम धमकी दे ही नहीं रहे, वो कुरान की आयतों के अनुसार नबी के खिलाफ बोलने वालों के "सिर तन से जुदा कर भी रहे हैं।"
🤨ये कुरान की आयतें पढ़ते तो सही हुजूर जो संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए मौलिक अधिकारों का निर्ममता से क़त्ल करती हैं और वो अधिकार हैं:-
1) Right to life, and
2) Right to personal liberty.
🤨मी-लॉर्ड्स क्या हिम्मत करेंगे फैसला करने का कि किसी मज़हब में उसे ना मानने वालों को मारने की बात कहना बर्बरता है और ऐसा मज़हब ना-काबिले बर्दाश्त है लोकतंत्र में।
😡मी-लार्ड केवल 100 करोड़ के हिन्दू समुदाय को कानून का पाठ पढ़ा कर शबरीमाला मंदिर को अपवित्र करने की हिम्मत कर सकते हैं मगर तलवार के दम पर धर्म बदलवाने वाले मज़हब के खिलाफ कुछ नहीं बोल सकते।
🤔क्या संविधान से देश नहीं चलेगा और न्यायपालिका एक धर्म की समानांतर न्याय व्यवस्था के समक्ष पंगु बनी रहेगी।
वसीम रिज़वी की याचिका पर एक संविधान पीठ फिर से सुनवाई करे।----------------------------------------------
इस्लाम त्याग देने के बाद उन्होंने किताब लिखी- “Understanding Muhammad : A Psychobiography of Allah‘s Prophet” जो मुहम्मद साहब की जीवनी पर एक बेजोड़ पुस्तक है!
अली सीना ने इस किताब के जरिये मुहम्मद पैगम्बर पर दस अत्यन्त भीषण आरोप लगाए है, जो इस तरह है…
खुदगर्ज, अपनी ताकत के लिए कुछ भी करने वाला…
छोटे बच्चों से सेक्स कर सेक्स की तरफ आकर्षित होने वाला…
पुरे समुदाय का हत्यारा…
आतंकवादी…
औरतो से घृणा करने वाला…
किसी भी प्रकार की औरत से यौन सम्बन्ध बांधने वाला…
बलात्कारी…
अपना समुदाय बनाकर खुद के नियम लागू करने वाला…
पागल इंसान…
यातना (कष्ट) देने वाला…
प्रमुख व्यक्तिओ को मारने वाला…चोर, डाकू डकैत…!
अली सीना ने दुनिया के 160 करोड मुसलमानो को चेलेंज किया हे की मेरे इन लगाए आरोपो को कोई भी गलत साबित करदे तो में उन्हें 50,000 $ (डॉलर) इनाम के तौर पर दूंगा… बस शर्त यही है की जो भी ये चेलेंज स्वीकार करता हे उसने उनकी लिखी किताब Understanding Muhammad पढी हो…?
अब हुआ यह, कि बहुत से विद्वानों ने इस चेलेंज को स्वीकार किया और शास्त्रार्थ करने के लिए किताब पढ़ी तो उन्होंने भी इस्लाम को त्याग दिया और कई लोग त्यागने वाले भी है…!
अभी तक कोई मुल्ला, मौलवी या मुफ़्ती इनको पराजित नही कर सका हे कई लोग तो इनके ब्लॉग पढकर ही इस्लाम छोड़ देते है…!
https://drive.google.com/file/d/1heAFLMW_4fM7M3VJBIpWPSrr1ZNzFXFe/view?usp=drivesdk
✍️ नोट : कृपया आप इसको अपने समझदार, उदारतावादी मुस्लिम मित्रों तक पहुंचाएं। ताकि वह सब वास्तविकता को जानकर आश्चर्य होगा, तब जाकर अपनी मान्यता पर पुन:विचार करेगा।
लेखक का निवेदन है कि प्रत्येक व्यक्ति (नॉन मुस्लिमों) को भी इसे पढ़नी चाहिये।
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