"हनुमानजी की शपथ, हमारे पास कोई सिद्धि, साधना, मंत्र-विधान नहीं, केवल राम नाम जप है" : बागेश्वर महाराज
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- राजेश पाठक (अवैतनिक संपादक)
‘‘इसी का नाम संत कृपा है। इसमें किंचित मात्र संदेह नहीं है। हमारे पास कोई सिद्धि नहीं है, कोई साधना नहीं है, कोई मंत्र-विधान नहीं है, न कोई शक्ति हमसे बात करती है, न हमारे पास कोई शक्ति आती है। ये हनुमानजी की शपथ खाकर हम कहते हैं। हमारे पास सिर्फ और सिर्फ राम नाम जप है और बालाजी का हम ध्यान करते हैं, सन्यासी बाबा दादा गुरु का ध्यान करते हैं... राम लिखकर पर्ची को लिख देते हैं। ये बालाजी के नाम का प्रताप है, कि जो लिख देते हैं वो उसे मिटाने नहीं देते। दादा गुरु ने हमको जो बालाजी की जो साधना बता रखी है, सेवा बता रखी है, सन्यासी बाबा जी जो दादा गुरु ने जो साधना बता रखी है, उसे करते हैं, इसके अलावा गुरु कृपा के अलावा हमारे पास कुछ नहीं है।’’
ये बातें बागेश्वर धाम (छतरपुर मप्र) के पीठाधीश्वर और कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्णजी महाराज (बागेश्वर महाराज) ने कहा, जब उनसे प्रेस कांफ्रेंस में पूंछा गया, कि वो कौन सी आध्यात्मिक शक्ति है, जिसके कारण बागेश्वर धाम का झंडा छतरपुर से लेकर लंदन तक फहरा रहा है ?
ये बातें बागेश्वर धाम (छतरपुर मप्र) के पीठाधीश्वर और कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्णजी महाराज (बागेश्वर महाराज) ने कहा, जब उनसे प्रेस कांफ्रेंस में पूंछा गया, कि वो कौन सी आध्यात्मिक शक्ति है, जिसके कारण बागेश्वर धाम का झंडा छतरपुर से लेकर लंदन तक फहरा रहा है ?
सुनें-
प्रेस कांग्रेस में बोलते हुए-
फिर विवाद क्यों किया गया, इस प्रश्न पर वो कहते हैं, मुझे लगता है इसका प्रस्तुतिकरण कुछ ऐसा हुआ है। आपकी मुलाकात पंडोखरजी से हुई है ? ‘नहीं मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई। हम कभी उनसे नहीं मिले। कोई चर्चा भी नहीं हुई। और हम किसी के दरबार के बारे में, बिना मिले कुछ नहीं बोल सकते।... वैचारिक मतभेद के कारण ऐसी कोई बात उठी होगी।’
आपके जैसा मुखर होकर देश के अन्य संत क्यों नहीं बोलते, बड़े-बड़े संत जो दान लेते हैं, वो क्यों नहीं बोलते ? वरिष्ठ महिला पत्रकार के प्रश्न पर उन्होंने कहा, हम किसी का नाम नहीं लेते। ...बहुत ऊँची बात बोली है मां ने...(तालियां बजाते हुए)। मां ने कहा है, जिन हिन्दुओं से आप पैसा लेते हैं, वो संकट में आते हैं तो आप क्यों नहीं बाहर आते। लेकिन वर्तमान में भारत में दो-तीन महापुरुष है जो बहुत पुरजोर करके बोलते हैं। ...हमने बुलडोजर बोला, तो इतने उपद्रव वामपंथी पीछे लग गए, इतनी खबरें चलाई, कि उसके बाद आप खबरें देखो आप मेरे खिलाफ! उसके पहले कोई खबर खिलाफ नहीं चली...।’’
मुख्यमंत्री का बुलडोजर चल रहा है, इसपर आप सहमत हैं ? इस पर महाराजजी कहते हैं, हम क्या, इसपर शास्त्र भी सहमत है। आततायी का वध करना कोई पाप नहीं है।
अंतिम बार आपके थिएटर में कौन सी फिल्म देखी, पूंछने पर बोले- एक ही बार थिएटर गए हैं, वो भी द कश्मीर फाइल देखने छतरपुर में। बड़े भाव से देखी..., पूरे भक्तों के साथ देखी। ऐसी फिल्में बननी चाहिए। (फ़िल्म कैसी लगी, पूंछने पर) ...अद्भुत। आज से बीस साल पहले बनानी चाहिए थी, ...लेकिन हम कुछ बोलेंगे तो आग लग जाएगी। कुछ दो मुंहिया सांप...।
बालेश्वर महाराज ने ये भी कहा-
- समाज सेवा सबको करनी चाहिए। धर्म समाज सेवा करना सिखाता है। मंदिरों की स्थापना आदि शंकराचार्य जी ने इसलिए किया, कि समाज इकट्ठा हो और इकट्ठे होकर एक-दूसरे की सहायता करे।
- मानव सेवा के लिए हमें जो तीन अवार्ड मिले हैं, उसे हमने पूरे भारतवर्ष को समर्पित किया है, क्योंकि हमने कुछ नहीं किया। वो हमें गुरु कृपा से मिले हैं।
- विदेशी दौरे, बुलाने को तो बहुत लोग रहे हैं, विदेश जाने लगेंगे तो भारत का क्या होगा। हमें लगता है अभी हमारी जरूरत भारत को बहुत है, भारत के साथ मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड, छतरपुर के साथ उस गांव को, जो जन्मभूमि है, बहुत है।
- हमारा सपना एक कन्या विवाह का है। शिवरात्रि में करते हैं। अगला सपना हॉस्पिटल का है, वो भी आयुर्वेदिक और नि:शुल्क। कहाँ चलेगा, अभी तो हमारे पास व्यवस्था नहीं है।
महाराजजी पहली बार राजधानी भोपाल में अपने प्रखर, मुखर और बेबाक शैली में महाराजजी ने सभी प्रश्नों के स्पष्ट उत्तर दिए, जिसमें उन्होंने देश में संत समाज के बिखराव से लेकर जातिवाद व आरक्षण से जुड़े प्रश्न रहे। महाराजजी का अयोध्या बायपास स्थित पंचमुखी हनुमान दुर्गा मंदिर प्रांगण में 22-24 जून को दरबार एवं 26 जून तक प्रतिदिन "भक्तमाल-कथा" का शाम 4 से 7 बजे तक आयोजित हो रहा है। दरबार में बागेश्वरधाम सरकार श्रद्धालुओं की समस्याओं का समाधान "पर्ची" के माध्यम से कर रहे हैं। इसी कार्यक्रम के मध्य (गुरुवार को) प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया प्रतिनिधियों से बात कर रहे थे। कथा व दरबार में मध्य प्रदेश सहित बाहर से आए श्रद्धालु सम्मिलित हो रहे हैं।
एक नहीं हैं दादा गुरु और सन्यासी बाबा-
प्रेसवार्ता में पंडोखर सरकार से तथाकथित विवाद एवं आत्मा सिद्ध करने के प्रश्न पर महाराजजी ने कहा, भगवान जाने ! वो हमारे बड़े भाई हैं। हम लोगों में कोई मतभेद है ही नहीं...
सुनें-
...रही बात सन्यासी बाबा की, तो सन्यासी बाबा अलग हैं और दादा गुरु अलग। दोनों अलग-अलग हैं। सबको स्पष्ट बता दें। हमारे दु:ख का विषय यही है, कि सब सन्यासी बाबा को ही सिद्ध मानते हैं। पहली बात दादा गुरु अलग है, सन्यासी बाबा अलग है। दादा गुरु हमारे पिताजी के पिताजी हैं, जिनका शरीर काशी में शांत हुआ। अगर काशी में शरीर शांत हुआ, काशी में मरता है, वो मुक्त हो जाता है। जो मुक्त होता है तो उसे हमने सिद्ध कैसे कर लिया ? तो या तो रामायण झूठी है या काशी में मरने वाली की सिद्धि बताने वाला झूठा है। रही बात कि कोई पितरों को सिद्ध करके, लगातार सैकड़ों लोगों के मनोभाव को बता नहीं सकता, ये बिना भगवत कृपा के यह संभव नहीं है।
...तो बात का विवाद बढ़ता ही जाएगा-
बागेश्वर महाराज ने कहा- "दादा गुरु का हम पर, हमारे पूरे वंश पर आशीर्वाद है। वंशानुगत ये और जिन महापुरुष के लिए कहा है, सब अपने-अपने भाव से बोलते रहते हैं। हमारा किसी के नाम को लेकर कोई कुछ नहीं कहना है। ... ये मामले ऐसे होते हैं, कि उसमें जो भी बोला जाएगा बात का विवाद बढ़ता ही जाएगा।" उन्होंने कहा, "हम जितना समय लोगों को जवाब देने में लगाएंगे, उतने में सामाजिक संदेश, दो-चार लोगों की अर्जी, जगत का कल्याण, धर्म का उत्थान करने के लिए अपनी बुद्धि-विवेक लगाएंगे, तो हमारा संदेश बहुत जल्द पूरा होगा, कि घर-घर राम , तो व्यक्ति को दरबारों में भटकने की आवश्यकता न हो। हम ऐसा भारत देखना चाहते हैं। जहां रहे, जहां बैठे, वहीं दरबार हो।"
फिर विवाद क्यों किया गया, इस प्रश्न पर वो कहते हैं, मुझे लगता है इसका प्रस्तुतिकरण कुछ ऐसा हुआ है। आपकी मुलाकात पंडोखरजी से हुई है ? ‘नहीं मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई। हम कभी उनसे नहीं मिले। कोई चर्चा भी नहीं हुई। और हम किसी के दरबार के बारे में, बिना मिले कुछ नहीं बोल सकते।... वैचारिक मतभेद के कारण ऐसी कोई बात उठी होगी।’
शंकराचार्य मानते हैं तो...
साईं की प्रतिमा मंदिरों में हटाने के प्रश्न पर, उन्होंने (यह पूंछते हुए कि हाईकोर्ट ने क्या जवाब दिया), कहा, अगर हाई कोर्ट ने ऐसा (चांद मियां माना) कहा है, तो नहीं रखना चाहिए। और शंकराचार्य हमारे धर्म के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति हैं। इसलिए मुझे लगता है उन्होंने जो कहा दिया, तो हमें लगता है उन्हें मानिये, उनकी आज्ञा मानिये या उन्हें ही शंकराचार्य न मानिये। इसलिए हम सहमत हैं।
देश के सभी संतों को एकजुट-
सनातन धर्म एवं हिन्दू समाज पर होने वाले हमले पर महाराजजी निर्भीकता से (अपने बयान का वीडियो चलाने को कहते हुए) कहते हैं- ‘‘...देश के सभी संतों को एकजुट होने की आवश्यकता है। एक संत दूसरे संत की बुराई करना बंद कर दे। एक सनातनी दूसरे सनातनी की बुराई करना बंद करे, वर्ना इसका परिणाम तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भोगेगी। बच्चे भोगेंगे। बेटियां भोगेंगी... लव जेहाद के चक्कर में। हम प्रत्येक सनातनी और प्रत्येक भारत के संतों से निवेदन करेंगे, माथा पटककर प्रणाम करेंगे, कि संतों का, सनातनियों का टांग खींचना बंद कर दो, अगर तुम उनके साथ हथियार लेकर खड़े नहीं हो सकते, तो बगल में भर खड़े हो जाओ। कम से कम सामने वाले को दिखेगा सामने वाले को दिखेगा, कि इनके पास बहुत बड़ी संख्या है।’’
साईं की प्रतिमा मंदिरों में हटाने के प्रश्न पर, उन्होंने (यह पूंछते हुए कि हाईकोर्ट ने क्या जवाब दिया), कहा, अगर हाई कोर्ट ने ऐसा (चांद मियां माना) कहा है, तो नहीं रखना चाहिए। और शंकराचार्य हमारे धर्म के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति हैं। इसलिए मुझे लगता है उन्होंने जो कहा दिया, तो हमें लगता है उन्हें मानिये, उनकी आज्ञा मानिये या उन्हें ही शंकराचार्य न मानिये। इसलिए हम सहमत हैं।
देश के सभी संतों को एकजुट-
सनातन धर्म एवं हिन्दू समाज पर होने वाले हमले पर महाराजजी निर्भीकता से (अपने बयान का वीडियो चलाने को कहते हुए) कहते हैं- ‘‘...देश के सभी संतों को एकजुट होने की आवश्यकता है। एक संत दूसरे संत की बुराई करना बंद कर दे। एक सनातनी दूसरे सनातनी की बुराई करना बंद करे, वर्ना इसका परिणाम तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भोगेगी। बच्चे भोगेंगे। बेटियां भोगेंगी... लव जेहाद के चक्कर में। हम प्रत्येक सनातनी और प्रत्येक भारत के संतों से निवेदन करेंगे, माथा पटककर प्रणाम करेंगे, कि संतों का, सनातनियों का टांग खींचना बंद कर दो, अगर तुम उनके साथ हथियार लेकर खड़े नहीं हो सकते, तो बगल में भर खड़े हो जाओ। कम से कम सामने वाले को दिखेगा सामने वाले को दिखेगा, कि इनके पास बहुत बड़ी संख्या है।’’
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संरक्षक चाहिए- "धर्म नगरी" के विस्तार, डिजिटल DN News के प्रसार एवं एक तथ्यात्मक, सूचनात्मक व रोचक (factual & informative & interesting) राष्ट्रवादी समसामयिक मैगजीन हेतु "संरक्षक" या NRI या इंवेस्टर चाहिए। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में स्थानीय रिपोर्टर या स्थानीय प्रतिनिधि (जहाँ रिपोर्टर/प्रतिनिधि नहीं हैं) तुरंत चाहिए। -प्रबंध संपादक
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मुख्यमंत्री का बुलडोजर चल रहा है, इसपर आप सहमत हैं ? इस पर महाराजजी कहते हैं, हम क्या, इसपर शास्त्र भी सहमत है। आततायी का वध करना कोई पाप नहीं है।
अंतिम बार आपके थिएटर में कौन सी फिल्म देखी, पूंछने पर बोले- एक ही बार थिएटर गए हैं, वो भी द कश्मीर फाइल देखने छतरपुर में। बड़े भाव से देखी..., पूरे भक्तों के साथ देखी। ऐसी फिल्में बननी चाहिए। (फ़िल्म कैसी लगी, पूंछने पर) ...अद्भुत। आज से बीस साल पहले बनानी चाहिए थी, ...लेकिन हम कुछ बोलेंगे तो आग लग जाएगी। कुछ दो मुंहिया सांप...।
देश में जातिवाद, आरक्षण को लेकर उनका कहा है, ‘...पहले देश में जातियां थी जातिवाद नहीं था, परन्तु अब जातियां कम है और जातिवाद अधिक है। अब जा अपने वोट बैंक के चक्कर में अपना धर्म कभी जातिवादी नहीं था, सनातन धर्म कभी जातिवाद का समर्थक नहीं था।
लन्दन की पार्लियामेंट में क्या कहा- (सुनें)-
लंदन में पार्लियामेंट में किए संशोधन के प्रश्न पर उन्होंने कहा- हमने उन लोगों ने बताया, जहां मंदिरों की घंटी के बाद जयकारा लगाया जाता है- विश्व का कल्याण हो, विश्व का मंगल हो। उस पार्लियामेंट में हमने जाकर समझाने का प्रयास किया, कि हम उस सनातन धर्म के छोटे से, तुच्छ से दास हैं। आप लोग कहते हैं नारी को कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए, लेकिन हमने उनको बताया, कि उस भारत भूमि से आए हैं, जहां नारी को एक कदम आगे रखने की बा यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे शास्त्र देते हैं। सीताराम, रामजी पीछे हैं जानकीजी आगे हैं। राधेश्याम, राधे जु आगे हैं और हमारे ठाकुरजी पीछे हैं। हम सनातन धर्म से आए हैं, यहीं उनको बताने आए हैं, कि आपने पूरे विश्व को व्यापार की दृष्टि से देखा, हमारे भारत ने पूरे विश्व को परिवार की दृष्टि से देखा है।
लन्दन की पार्लियामेंट में क्या कहा- (सुनें)-
लंदन में पार्लियामेंट में किए संशोधन के प्रश्न पर उन्होंने कहा- हमने उन लोगों ने बताया, जहां मंदिरों की घंटी के बाद जयकारा लगाया जाता है- विश्व का कल्याण हो, विश्व का मंगल हो। उस पार्लियामेंट में हमने जाकर समझाने का प्रयास किया, कि हम उस सनातन धर्म के छोटे से, तुच्छ से दास हैं। आप लोग कहते हैं नारी को कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए, लेकिन हमने उनको बताया, कि उस भारत भूमि से आए हैं, जहां नारी को एक कदम आगे रखने की बा यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे शास्त्र देते हैं। सीताराम, रामजी पीछे हैं जानकीजी आगे हैं। राधेश्याम, राधे जु आगे हैं और हमारे ठाकुरजी पीछे हैं। हम सनातन धर्म से आए हैं, यहीं उनको बताने आए हैं, कि आपने पूरे विश्व को व्यापार की दृष्टि से देखा, हमारे भारत ने पूरे विश्व को परिवार की दृष्टि से देखा है।
बालेश्वर महाराज ने ये भी कहा-
- समाज सेवा सबको करनी चाहिए। धर्म समाज सेवा करना सिखाता है। मंदिरों की स्थापना आदि शंकराचार्य जी ने इसलिए किया, कि समाज इकट्ठा हो और इकट्ठे होकर एक-दूसरे की सहायता करे।
- मानव सेवा के लिए हमें जो तीन अवार्ड मिले हैं, उसे हमने पूरे भारतवर्ष को समर्पित किया है, क्योंकि हमने कुछ नहीं किया। वो हमें गुरु कृपा से मिले हैं।
- विदेशी दौरे, बुलाने को तो बहुत लोग रहे हैं, विदेश जाने लगेंगे तो भारत का क्या होगा। हमें लगता है अभी हमारी जरूरत भारत को बहुत है, भारत के साथ मध्य प्रदेश, बुंदेलखंड, छतरपुर के साथ उस गांव को, जो जन्मभूमि है, बहुत है।
- हमारा सपना एक कन्या विवाह का है। शिवरात्रि में करते हैं। अगला सपना हॉस्पिटल का है, वो भी आयुर्वेदिक और नि:शुल्क। कहाँ चलेगा, अभी तो हमारे पास व्यवस्था नहीं है।
- हमारी पार्टी बजरंग है हमारी पार्टी का चुनाव चिन्ह मुगदर है हमारी योजना है पूरे विश्व मे श्री हनुमान का यशगान ओर सनातन धर्म का प्रसार । हमारी पार्टी के सर्वोच्च प्रमुख विश्व वन्दनीय श्री हनुमान हैं।
- भारत विश्व गुरु इसलिए था, क्योंकि यहां गुरुकुलम पद्धति थी। अंग्रेजों ने यहां आकर सबसे पहले हमारे गुरुकुल पर प्रहार किया। गुरुकुलम का मतलब है, शास्त्र शुद्धि के साथ, शास्त्र मत के साथ विद्या का अध्ययन करवाकर विद्यार्थी का मन-मस्तिष्क को पवित्र व सात्वीकरण करना। उन्होंने (अंग्रेजों ने) गुरुकुलम को खत्म करके हॉस्टल आदि खोल दिए। फिर उन्होंने हमारी मंदिरों पर नहीं, हमारी संस्कृति पर प्रहार किया। बार खोले, गुरुकुलम से निकलकर बच्चे वहां जाने लगे।
- आज आप बच्चे डांट नहीं सकते, पीट नहीं सकते, काम नहीं करवा सकते। बच्चे इतने आलसी हो गए हैं, कि उन्हें लाइट आने-जाने के सुख-दुख का पता नहीं। बच्चे को पानी उठाने का, पानी भरने का पता नहीं है। बच्चों को प्रणाम करने की तरकीब नहीं है। संस्कार और संस्कृति भारत में शून्य हो गई है, इसलिए की गुरुकुलम भारत को आवश्यकता है, है, है। वर्तमान में गुरुकुलम तत्क्षण नहीं बन सकते, तो शासन में निवेदन है कि पाठ्यक्रम में ही गुरुकुलम जुड़ जाए, गीता और रामायण जुड़ जाए।
- भारत विश्व गुरु इसलिए था, क्योंकि यहां गुरुकुलम पद्धति थी। अंग्रेजों ने यहां आकर सबसे पहले हमारे गुरुकुल पर प्रहार किया। गुरुकुलम का मतलब है, शास्त्र शुद्धि के साथ, शास्त्र मत के साथ विद्या का अध्ययन करवाकर विद्यार्थी का मन-मस्तिष्क को पवित्र व सात्वीकरण करना। उन्होंने (अंग्रेजों ने) गुरुकुलम को खत्म करके हॉस्टल आदि खोल दिए। फिर उन्होंने हमारी मंदिरों पर नहीं, हमारी संस्कृति पर प्रहार किया। बार खोले, गुरुकुलम से निकलकर बच्चे वहां जाने लगे।
- आज आप बच्चे डांट नहीं सकते, पीट नहीं सकते, काम नहीं करवा सकते। बच्चे इतने आलसी हो गए हैं, कि उन्हें लाइट आने-जाने के सुख-दुख का पता नहीं। बच्चे को पानी उठाने का, पानी भरने का पता नहीं है। बच्चों को प्रणाम करने की तरकीब नहीं है। संस्कार और संस्कृति भारत में शून्य हो गई है, इसलिए की गुरुकुलम भारत को आवश्यकता है, है, है। वर्तमान में गुरुकुलम तत्क्षण नहीं बन सकते, तो शासन में निवेदन है कि पाठ्यक्रम में ही गुरुकुलम जुड़ जाए, गीता और रामायण जुड़ जाए।
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भोपाल में श्री भक्तमाल कथा के दृश्य-
श्री बागेश्वर धाम-
श्री बागेश्वर धाम भूत भवन महादेव एवं स्वयंभू श्री बालाजी सरकार की चमत्कारिक जागृत-स्थली है। श्री बालाजी महाराज का यह मंदिर गाँव-गढ़ा पोस्ट-गंज जिला-छतरपुर मध्य प्रदेश में स्थित है। जनमानस के बीच ऐसी धारणा है, कि यह मंदिर चंदेल राजवंश कालीन सिद्ध पीठ है।
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ब्रिटेन की संसद में सम्मान...
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बैंक का डिटेल "धर्म नगरी" की सदस्यता, शुभकामना-विज्ञापन या दान देने अथवा अपने नाम (की सील के साथ) से लेख / कॉलम / इंटरव्यू सहित "धर्म नगरी" की प्रतियां अपनों को देशभर में भिजवाने हेतु है। ध्यान रखें, आपके सहयोग से हम आपके ही नाम से "धर्म नगरी" की प्रति आप जहाँ चाहते हैं, भिजवाते / बटवाते हैं। सहयोग हेतु हम किसी झूठ या फर्जी बातों का सहारा नहीं लेते, क्योंकि हम "धर्म नगरी" को अव्यावसायिक रूप से जनवरी 2012 से प्रकाशित कर रहें है, हमें विपरीत परिस्थतियों के साथ TV पर दिखने वाले कुछ संपन्न एवं भौतिकवादी संत-धर्माचार्य-कथावाचकों के कड़वे अनुभव भी मिले हैं। इतना पारदर्शी व अव्यावसायिक प्रकाशन अबतक हमारे संज्ञान में देश में दूसरा नहीं हैं, जिसका हमें बहुत गर्व है... -प्रसार प्रबंधक |
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कथा हेतु सम्पर्क करें- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में भी सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News
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