पुष्य नक्षत्र : नक्षत्रों का राजा जो पुण्यदायी एवं त्वरित फलदायी, करें ये मांगलिक कार्य
धर्म नगरी / DN News
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हिन्दू धर्म ग्रंथों में पुष्य नक्षत्र को सबसे अधिक शुभकारक नक्षत्र कहा जाता है। पुष्य का अर्थ होता है कि पोषण करने वाला और ऊर्जा-शक्ति प्रदान करने वाला नक्षत्र। ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों में पुष्य आठवां नक्षत्र होता है। पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहते हैं। इस नक्षत्र में गुरु उच्च का होता है। देवों के आशीर्वाद से पुरस्कृत पुष्य नक्षत्र के देवता वृहस्पति और दशा स्वामी शनि हैं।
सबसे अधिक शुभ होने के कारण पुष्य नक्षत्र में कियाकोई भी शुभ कार्य पुण्यदायी एवं त्वरित फलदायी होता है। पुष्य नक्षत्र में जन्मी महिलाएं भी बहुत धार्मिक विचारों वाली होती हैं, जो हर प्रकार के कामों में रुचि रखने वाली, विशाल हृदय एवं दयाभाव रखने वाली होती हैं।
30 जून (गुरुवार) की रात्रि 1:07 अर्थात (एक जुलाई 1:07 AM) से एक जुलाई सूर्योदय तक गुरुपुष्यमृत योग है।
बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में-
बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें।
108 मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो 27 नक्षत्र के देवता उस पर प्रसन्न होते हैं। नक्षत्रों में मुख्य है- पुष्य नक्षत्र। पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु वृहस्पति। पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है। उस दिन वृहस्पति का पूजन करना चाहिये। वृहस्पति को तो हमने देखा नहीं, तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले-
ॐ ऐं क्लीं वृहस्पतये नम:
ॐ ऐं क्लीं वृहस्पतये नम:
गुरुपुष्यामृत योग-
‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है। पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं। वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं।
‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य:’ इस शास्त्र वचन के अनुसार, पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है। पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है।
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है, परंतु पुष्य नक्षत्र में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं। पुष्य नक्षत्र को ब्रह्मा जी का श्राप मिला था, इसलिए यह नक्षत्र विवाह के लिए वर्जित माना गया है। पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है। जीवन में संपत्ति और समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए पुष्य नक्षत्र व्यक्ति को पूरा अवसर प्रदान करता है। इस दिन किए गए सभी मांगलिक कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण होते हैं।
नक्षत्र में किए जाने वाले मांगलिक कार्य-
– इस मंगलकर्ता नक्षत्र के दौरान घर में आयी संपत्ति या समृद्धि चिरस्थायी रहती है,
– ज्ञान और विद्याभ्यास के लिए पावन दिन,
– इस दिन आध्यात्मिक कार्य किए जा सकते हैं,
– मंत्रों, यंत्रों, पूजा, जाप और अनुष्ठान हेतु शुभ दिन,
– माँ लक्ष्मी की उपासना और श्री यंत्र की खरीदी करके जीवन में समृद्धि ला सकते हैं, अर्थात इस काल में महालक्ष्मी की साधना करने से उसका विशेष / मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
– इस काल में किए गए विभिन्न धार्मिक और आर्थिक कार्यों से जातक की उन्नति होती है।
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पुष्य नक्षत्र का ये भी है प्रभाव-
– इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है,
– कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है,
– इस दिन किए कार्यों को सिद्धि व सफलता मिलती है,
– धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है,
– काम की गुणवत्ता और प्रभावी होने में भी सुधार होता है।
पुष्य नक्षत्र में जन्म-
किसी का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ है, तो उनमें नित नए काम करने की प्रवृत्ति बनी रहेगी। आपकी बुद्धि बहुत तेज होती है एवं आप आगे बढऩे का रास्ता खोज लेते हैं। नए काम की खोज एवं परिवर्तन हर बार आपसे अधिक परिश्रम कराएगा। यद्यपि सफलता भी सहजता से नहीं मिलेगी। फल पाने के अवसर प्राय: विलंब हो सकता है, लेकिन आपको हताश-निराश नहीं होना चाहिए।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक पूरे तन मन धन से पे्रम करते हैं और किसी भी संबंध को बीच में नहीं छोड़ते। मित्रता भी निभाते हैं। स्वभाव से चंचल और कल्पनाशील होने के कारण ये अच्छे लेखक, कवि, दार्शनिक या श्रेष्ठ साहित्यकार व भविष्यवक्ता भी हो सकते हैं। मन के शांत होने के साथ ही धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।
– इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है,
– कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है,
– इस दिन किए कार्यों को सिद्धि व सफलता मिलती है,
– धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है,
– काम की गुणवत्ता और प्रभावी होने में भी सुधार होता है।
पुष्य नक्षत्र में जन्म-
किसी का जन्म पुष्य नक्षत्र में हुआ है, तो उनमें नित नए काम करने की प्रवृत्ति बनी रहेगी। आपकी बुद्धि बहुत तेज होती है एवं आप आगे बढऩे का रास्ता खोज लेते हैं। नए काम की खोज एवं परिवर्तन हर बार आपसे अधिक परिश्रम कराएगा। यद्यपि सफलता भी सहजता से नहीं मिलेगी। फल पाने के अवसर प्राय: विलंब हो सकता है, लेकिन आपको हताश-निराश नहीं होना चाहिए।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातक पूरे तन मन धन से पे्रम करते हैं और किसी भी संबंध को बीच में नहीं छोड़ते। मित्रता भी निभाते हैं। स्वभाव से चंचल और कल्पनाशील होने के कारण ये अच्छे लेखक, कवि, दार्शनिक या श्रेष्ठ साहित्यकार व भविष्यवक्ता भी हो सकते हैं। मन के शांत होने के साथ ही धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।
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Disclaimer : उक्त लेख विद्वानों के मतानुसार है. ज्योतिष एक दर्पण है, गणितीय गणना (Mathematical Calculations) है, ग्रह-नक्षत्रादि के अनुसार। यह आपके स्वभाव, मन, विचार, कर्म को आइना दिखता है, आपका मार्गदर्शन करता है, आपको सुझाव देता है।
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पढ़ें, देखें-
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दुनिया का अत्यंत दुर्लभ ग्रंथ : सीधा पढ़ें तो राम कथा, उल्टा पढ़े तो कृष्ण कथा ☟
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