नाग पंचमी : कालसर्प दोष से उपाय का दिन, पाएं नाग देव एवं महादेव की कृपा
नाग पंचमी पर करें उपाय, भाग्योदय व जीवन में सुख-समृद्धि
- नागचंद्रेश्वर मंदिर, वर्ष में केवल एक दिन नाग पंचमी खुलता है
- नागपंचमी पर महाकाल व नागचंद्रेश्वर में दर्शन के लिए लगेगी अलग-अलग लाइन
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, शुभकामना, फ्री कॉपी पाने हेतु)
सनानत हिन्दू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व होता है और इस माह में पड़ने वाली नाग पंचमी का पर्व आस्था, परंपरा और मान्यता से जुड़ा है। नाग पंचमी का पर्व सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं। इस साल यह तिथि 29 जुलाई (मंगलवार) को पड़ेगी। धार्मिक मान्यतानुसार, इस दिन भगवान शिव और नागों की पूजा की जाती है।
नागपंचमी के दिन आठ नागों अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक, कर्कट और शंख की पूजा का विधान है। कहते हैं, इस दिन सच्चे मन से जो नाग देवता की पूजा और शिवलिंग का अभिषेक करता है, उपाय करता है, उससे न केवल नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। कुंडली से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है या उससे मुक्ति मिल सकती है, जीवन में चल रही बाधाओं और रोग-दोष भी दूर हो सकते हैं।
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त-2025
नाग पंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 29 जुलाई प्रातः 06:14 से 08:51 तक रहेगा। इस मुहूर्त में नाग देवता की पूजा से विशेष लाभ मिलेगा।
पूजा विधि
इस दिन प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर या मंदिर में शिवलिंग के पास स्थित नाग प्रतिमा को दूध, चमेली के फूल, और कच्चा दूध अर्पित करें।
पूजा करते समय निम्न मंत्र का जाप करें-
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटक धनंजयौ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥
नागपंचमी पूजन मंत्र
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
आप ॐ नमः शिवाय या ॐ नागाय नमः मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
अवश्य करें ये कार्य
✔ नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करें।
✔ शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध चढ़ाएं।
✔ निर्धनों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करें।
✔ नाग मंदिर में जाकर दूध चढ़ाएं।
इन छोटे, लेकिन पवित्र कार्यों से जीवन में धन, सुख, शांति और समृद्धि आती है।
इस दिन प्रातः स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर या मंदिर में शिवलिंग के पास स्थित नाग प्रतिमा को दूध, चमेली के फूल, और कच्चा दूध अर्पित करें।
पूजा करते समय निम्न मंत्र का जाप करें-
वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः।
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटक धनंजयौ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम्॥
नागपंचमी पूजन मंत्र
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
आप ॐ नमः शिवाय या ॐ नागाय नमः मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
अवश्य करें ये कार्य
✔ नाग देवता और भगवान शिव की पूजा करें।
✔ शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध चढ़ाएं।
✔ निर्धनों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान करें।
✔ नाग मंदिर में जाकर दूध चढ़ाएं।
इन छोटे, लेकिन पवित्र कार्यों से जीवन में धन, सुख, शांति और समृद्धि आती है।
नाग पंचमी के दिन कुछ कार्य वर्जित माने जाते हैं, जिनसे नागों को नुकसान हो सकता है:
➤ सुई-धागा, चाकू, कैंची या कोई भी नुकीली चीज का उपयोग न करें।
➤ तवे पर रोटी न बनाएं - यह परंपरा से जुड़ा निषेध है।
➤ जमीन की खुदाई न करें। मान्यता है कि इससे सांपों के बिल को नुकसान पहुंच सकता है।
➤ सुई-धागा, चाकू, कैंची या कोई भी नुकीली चीज का उपयोग न करें।
➤ तवे पर रोटी न बनाएं - यह परंपरा से जुड़ा निषेध है।
➤ जमीन की खुदाई न करें। मान्यता है कि इससे सांपों के बिल को नुकसान पहुंच सकता है।
नाग पंचमी की पूजा सामग्री
नाग देवता की प्रतिमा या फोटो, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, मौली जनेऊ, दूध, पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, पूजा के बर्तन, पंच मिठाई, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, गन्ने का रस, कपूर, धूप, हल्दी, रोली, चावल, और फल।
नाग पंचमी की पूजा-विधि
⇒ नाग पंचमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
⇒ इसके बाद देवी-देवताओं का ध्यान करें।
⇒ अब सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
⇒ पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
⇒ घर के मंदिर के पास एक साफ चौकी रखें उस पर साफ कपड़ा बिछाएं।
⇒ उस पर नाग देवता का चित्र या फिर मिट्टी से बने हुए सर्प की मूर्ति स्थापित करें।
⇒ इसके बाद नाग देवता को चावल, रोली और हल्दी चढ़ाएं।
⇒ प्रतिमा के सामने घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं और विधि-पूर्वक पूजा करें।
⇒ पूजा के उपरांत मंत्रों का जाप करें।
⇒ नाग पंचमी व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
⇒ अब नाग देवता की आरती उतारें।
अंत में नाग देवता को दूध का भोग का भोग लगाएं।
नाग पंचमी मंत्र
अनंतं वासुकि शेष पद्मनाभं च कम्बलम्।
शड्खपाल धार्तराष्ट्र तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।
तस्मे विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।
नाग पंचमी की आरती
(नाग देवता की आरती)
श्रीनागदेव आरती पंचमी की कीजै।
तन मन धन सब अर्पण कीजै।
नेत्र लाल भिरकुटी विशाला ।
चले बिन पैर सुने बिन काना ।
उनको अपना सर्वस्व दीजे।।
पाताल लोक में तेरा वासा ।
शंकर विघन विनायक नासा ।
भगतों का सर्व कष्ट हर लिजै।।
शीश मणि मुख विषम ज्वाला ।
दुष्ट जनों का करे निवाला ।
भगत तेरो अमृत रस पिजे।।
वेद पुराण सब महिमा गावें ।
नारद शारद शीश निवावें ।
सावल सा से वर तुम दीजे।।
नोंवी के दिन ज्योत जगावे ।
खीर चूरमे का भोग लगावे ।
रामनिवास तन मन धन सब अर्पण कीजै।
आरती श्री नागदेव जी कीजै।।
----------------------------------------------
---------------------------------------------
वर्ष में केवल एक दिन- नाग पंचमी को बार खुलता है मंदिर
मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है जो साल में एक बार ही खुलता है, वह भी नाग पंचमी के दिन। नागचंद्रेश्वर मंदिर पूरे वर्ष में केवल एक ही दिन- नाग पंचमी को भक्तों के लिए खोला जाता है। यह मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के प्रांगण में स्थित हैं। मंदिर में भगवान शंकर और माता पार्वती विराजमान हैं, इन्हें भगवान नागचंद्रेश्वर विराजमान है।
वर्ष में एक बार जब मंदिर खुलता है, तो अद्भुत नागचंद्रेश्वर प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं। नेपाल से लाई गई इस प्रतिमा में शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय, नंदी, सात फन के नागराज, सिंह और सूर्य-चंद्रमा बने हुए हैं। यहां श्रद्धालुओं को एक साथ शिव-परिवार के दर्शन करने को मिलते हैं। पूरी दुनिया में केवल यही मंदिर है, जहां भोलेनाथ शेष शैय्या पर विराजमान हैं।
मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने और उन्हें दूध चढ़ाने के लिए आते हैं। मान्यता है, जो भी नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान के दर्शन करता है वह सभी प्रकार के दोषों से मुक्त हो जाता है। माना जाता है, साल के अन्य दिनों में इस मंदिर के बंद रहने के दौरान स्वयं वासुकी यहां उपस्थित रहते हैं।
वर्ष में में एक बार ही क्यों खुलता है मंदिर ?
माना जाता है, सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव जी को मनाने के लिए कठिन तपस्या की थी। उनकी तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता है कि उसके बाद से ही नागराज तक्षक ने शंकर जी के सानिध्य में वास करना शुरू कर दिया, लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी मंशा थी कि उनके एकांत में कोई बाधा न आए। इसी कारण सालों से यह प्रथा चली आ रही कि मात्र नागपंचमी के दिन वे दर्शन के लिए सामने आते हैं, शेष समय परंपरानुसार मंदिर बंद रहता है।
नागपंचमी पर महाकाल व नागचंद्रेश्वर में दर्शन के लिए अलग-अलग लाइन
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में नागपंचमी पर भगवान महाकाल व नागचंद्रेश्वर में दर्शन के लिए अलग-अलग लाइन लगेगी।
- महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को श्री महाकाल महालोक से प्रवेश दिया जाएगा।
- नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने वाले दर्शनार्थी कर्कराज पार्किंग से दर्शन की लाइन में लगेंगे।
नागपंचमी पर्व पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में शीघ्र दर्शन की सुविधा रहेगी। भक्त 300 रुपये में VIP या शीघ्र दर्शन टिकट खरीदकर सुविधा से दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के अनुसार, नागपंचमी पर देशभर से पांच लाख से अधिक भक्तों के भगवान महाकाल व नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने आने का अनुमान है। दोनों मंदिरों में प्रवेश की व्यवस्था अलग है, इसलिए दर्शन की कतार भी अलग रहेगी।
Post a Comment