देव दीपावली : कार्तिका पूर्णिमा - काशी में गंगा के घाटों व गंगा पार बने 20 सेक्टर में "दीपोत्सव कार्यक्रम", काशी-कथा 3-D मैपिंग शो
वाराणसी में तीन बार होगा 8-8 मिनट का भव्य व विशेष लेजर शो
- डमरू व शंखनाद से "दीपोत्सव कार्यक्रम" का शुभारंभ
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| देव दीपावली : कार्तिक पूर्णिमा वाराणसी का विहंगम दृश्य (फाइल फोटो) #Dharm_Nagari_ |
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| देव दीपावली : कार्तिक पूर्णिमा वाराणसी-2023 |
मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
धर्म नगरी / DN News
(न्यूज़, कवरेज, शुभकामना व फ्री कॉपी मंगवाने हेतु वाट्सएप- 8109107075)
संगमलाल त्रिपाठी 'आजाद'
संगमलाल त्रिपाठी 'आजाद'
कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और दान का महत्व अधिक बढ़ जाता है। इस दिन किए दान और पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में समृद्धि, सुख-शांति आती है। सनातन कैलेंडर का एक यह (कार्तिक पूर्णिमा) विशेष पर्व है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। इसी तिथि को गुरु नानक जी की जयंती भी मनाई जाती है, जिनके योगदान को सिख धर्म और भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व है।
देव दीपावली के दिन दीपक घरों में अंधकार को दूर करने के साथ भगवान के प्रति आस्था, समृद्धि और सुख-शांति के प्रतीक भी माने जाते हैं। इसे मनाने हेतु आप अपने घर एवं आसपास के स्थानों पर दीपक रखें। इस बार या शुभ तिथि 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को है, क्योंकि प्रदोष काल का समय कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तिथि में है।
धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, कुछ संख्याएं अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। देव दिवाली का यह महत्व है कि इस दिन को भगवान शिव ने राक्षसों से विजयी होकर कैलाश पर्वत पर लौटने के दिन के रूप में मनाया था। इस दिन को देवताओं का दीपावली माना जाता है, क्योंकि देवता भी इस दिन दीप जलाकर अपने विजय उत्सव को मनाते हैं।
संबधित लेख-
कार्तिक पूर्णिमा-2025 शुभ मुहूर्त
(बुधवार नवंबर 5, 2025 को)
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- मंगलवार 4 नवंबर रात 10:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- बुधवार 5 नवंबर सायंकाल 6:48 बजे
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त)- प्रातः 4:51 बजे से 5:43 बजे तक (उदया तिथि के अनुसार)
पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय- 5:11 बजे।
देव दीपावली के दिन कितने दीपक जलाएं
✔ शुभ संख्याएं: अधिकांश ज्योतिषाचार्य और परंपराएं विषम संख्या में दीपक जलाना शुभ मानती हैं। आप अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार निम्न संख्याएं चुन सकते हैं-
5, 7, 9, 11, 21, 51, या 101 दीपक।
51 दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पूर्णता का प्रतीक है।
✔ 365 बाती वाला दीया अत्यंत पुण्यदायी दीपक: यह सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है, इसे जलाने से साल भर की सभी पूर्णिमाओं के दीपदान के बराबर पुण्य फल मिलता है।
विशेष स्थानों पर दीपदान
धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, कुछ संख्याएं अत्यंत शुभ मानी जाती हैं। देव दिवाली का यह महत्व है कि इस दिन को भगवान शिव ने राक्षसों से विजयी होकर कैलाश पर्वत पर लौटने के दिन के रूप में मनाया था। इस दिन को देवताओं का दीपावली माना जाता है, क्योंकि देवता भी इस दिन दीप जलाकर अपने विजय उत्सव को मनाते हैं।
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काशी में दिखा "देवलोक", गोधूलि वेला में सूर्यास्त के साथ ही उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर लाखों दीपों ने...
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ईसा पूर्व कौमुदी महोत्सव पर होता था दीपदान, उत्तर वैदिक काल में...
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(बुधवार नवंबर 5, 2025 को)
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- मंगलवार 4 नवंबर रात 10:36 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त- बुधवार 5 नवंबर सायंकाल 6:48 बजे
स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त)- प्रातः 4:51 बजे से 5:43 बजे तक (उदया तिथि के अनुसार)
पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय- 5:11 बजे।
✔ शुभ संख्याएं: अधिकांश ज्योतिषाचार्य और परंपराएं विषम संख्या में दीपक जलाना शुभ मानती हैं। आप अपनी इच्छा और सामर्थ्य के अनुसार निम्न संख्याएं चुन सकते हैं-
5, 7, 9, 11, 21, 51, या 101 दीपक।
51 दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पूर्णता का प्रतीक है।
✔ 365 बाती वाला दीया अत्यंत पुण्यदायी दीपक: यह सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है, इसे जलाने से साल भर की सभी पूर्णिमाओं के दीपदान के बराबर पुण्य फल मिलता है।
विशेष स्थानों पर दीपदान
निम्न कुछ विशेष स्थानों पर कम से कम 5 दीपक जलाना अत्यंत फलदायी होता है-
➯ घर का मंदिर या पूजा स्थल
देव दीपावली के दिन विशेष रूप से मान्यता है, कि देवता पृथ्वी पर आते हैं और दीपों के मध्य अपने आशीर्वाद का संचार करते हैं। इस दिन घरों और मंदिरों में विशेष रूप से दीप लगाए (सजाए) जाते हैं। साथ ही, देव दीपावली की रात्रि अधिकांश गंगा नदी के घाटों पर दीपों की अद्भुत छटा देखी जाती है।
(विशेष- यदि आप कम दीपक जला रहे हैं, तो विषम संख्या (5, 7, 11) में जलाएं और उपरोक्त शुभ स्थानों को प्राथमिकता दें। पवित्रता और श्रद्धा से दीपदान करना सर्वाधिक फलदायी है।)
➯ घर का मंदिर या पूजा स्थल
सबसे पहले 1 दीपक, देवी-देवताओं का आह्वान।
➯ मुख्य द्वार 2 या 5 दीपक घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी के प्रवेश हेतु मुख्य द्वार पर लगाए जाते हैं,
➯ तुलसी का पौधा 1 दीया तुलसी के पास, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा के लिए,
➯ उत्तर दिशा- उत्तर दिशा में 1 दीया जलाएं, यह दिशा कुबेर और माता लक्ष्मी का वास स्थान है,
➯ पीपल व आंवला वृक्ष- देवताओं के निवास और आशीर्वाद के लिए इन वृक्षों के नीचे 1 दीपक जलाएं,
➯ गंगा घाट या नदी तट- 5, 11, 21 आदि दीये पापों के नाश और देवताओं के आशीर्वाद के लिए गंगा घाट या नदी तट पर जलाएं।
➯ मुख्य द्वार 2 या 5 दीपक घर में सुख-समृद्धि और लक्ष्मी के प्रवेश हेतु मुख्य द्वार पर लगाए जाते हैं,
➯ तुलसी का पौधा 1 दीया तुलसी के पास, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा के लिए,
➯ उत्तर दिशा- उत्तर दिशा में 1 दीया जलाएं, यह दिशा कुबेर और माता लक्ष्मी का वास स्थान है,
➯ पीपल व आंवला वृक्ष- देवताओं के निवास और आशीर्वाद के लिए इन वृक्षों के नीचे 1 दीपक जलाएं,
➯ गंगा घाट या नदी तट- 5, 11, 21 आदि दीये पापों के नाश और देवताओं के आशीर्वाद के लिए गंगा घाट या नदी तट पर जलाएं।
देव दीपावली के दिन विशेष रूप से मान्यता है, कि देवता पृथ्वी पर आते हैं और दीपों के मध्य अपने आशीर्वाद का संचार करते हैं। इस दिन घरों और मंदिरों में विशेष रूप से दीप लगाए (सजाए) जाते हैं। साथ ही, देव दीपावली की रात्रि अधिकांश गंगा नदी के घाटों पर दीपों की अद्भुत छटा देखी जाती है।
(विशेष- यदि आप कम दीपक जला रहे हैं, तो विषम संख्या (5, 7, 11) में जलाएं और उपरोक्त शुभ स्थानों को प्राथमिकता दें। पवित्रता और श्रद्धा से दीपदान करना सर्वाधिक फलदायी है।)
भगवान शिव की नगरी काशी फिर से देव दीपावली पर प्रकाश, आस्था और संस्कृति के संगम की साक्षी बनेगी। वाराणसी के मनोरम घाटों, कुंडों और तालाबों पर स्थानीय समितियां एक साथ लाखों दीप जलाएंगी। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के अनुसार, पर्यटन विभाग और महोत्सव समिति वाराणसी की तरफ से 10 लाख से अधिक मिट्टी के दीपकों की व्यवस्था की गई है।
"दीपोत्सव कार्यक्रम" के लिए दीपक, तेल और बाती का वितरण हो चुका है। गंगा के घाटों और उसके पार के तटों को सम्मिलित करते हुए "दीपोत्सव कार्यक्रम" के लिए कुल 20 सेक्टर बनाए गए हैं। व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहे, इसके लिए लिए नोडल अधिकारी नामित किए गए हैं।
श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने रात आठ बजे 10 मिनट की भव्य 'ग्रीन आतिशबाजी' का भी आयोजन होगा, जो पर्यावरण के अनुकूल होते हुए भी आकाश को दिव्य रंगों से भर देगी।
"काशी-कथा" 3-D मैपिंग शो, डमरू शंखनाद से शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ शंखनाद व डमरू की गूंज से होगा, जो महादेव शिव की उपस्थिति एवं काशी की दिव्य ऊर्जा का प्रतीक होगी। देव दीपावली की संध्या पर वाराणसी का आकाश अद्भुत रोशनी और आस्था के रंगों से जगमगाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, श्रद्धालु और पर्यटक इस अवसर पर एक अनोखे दृश्य के साक्षी बनेंगे। भव्य "काशी-कथा 3-D प्रोजेक्शन मैपिंग व लेजर शो" का आयोजन किया जाएगा।
तीन बार होगा शो
पर्यटन विभाग के अनुसार, 8 मिनट के भव्य एवं विशेष लेजर शो (वाराणसी में) होगा, जो दर्शकों को दिव्यता और आधुनिकता के संगम का अनुभव कराएगा। पर्यटकों के लिए 3-D प्रोजेक्शन मैपिंग शो का मुफ्त प्रदर्शन 3 बार किया जाएगा। रात 8:15, 9 बजे और 9:35 बजे यह शो होगा।
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अद्वितीय प्रस्तुति में काशी के प्राचीन गौरव, गंगा की महिमा और भगवान विश्वनाथ की नगरी की आस्था को आधुनिक तकनीक से दर्शाया जाएगा। 3-D प्रोजेक्शन व लेजर शो में-
भगवान शिव-पार्वती विवाह का पवित्र दृश्य,
भगवान विष्णु के चक्र पुष्करिणी कुंड की कथा,
भगवान बुद्ध के धर्मोपदेश,
संत कबीर और गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति परंपरा और
आधुनिक युग में महामना मदन मोहन मालवीय के स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय की गौरवशाली यात्रा को आकर्षक दृश्यों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। पूरा शो काशी की आत्मा, उसकी परंपरा और आध्यात्मिकता को एक सूत्र में पिरोते हुए 'कण-कण में काशी और रस-रस में बनारस' का संदेश देगा।
तीन बार होगा शो
पर्यटन विभाग के अनुसार, 8 मिनट के भव्य एवं विशेष लेजर शो (वाराणसी में) होगा, जो दर्शकों को दिव्यता और आधुनिकता के संगम का अनुभव कराएगा। पर्यटकों के लिए 3-D प्रोजेक्शन मैपिंग शो का मुफ्त प्रदर्शन 3 बार किया जाएगा। रात 8:15, 9 बजे और 9:35 बजे यह शो होगा।
कथा हेतु- व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप
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