मार्गशीर्ष या अगहन माह में करें विशेष उपाय, शनि के मार्गी होने से...


...पांच राशियों के जातक को होगा लाभ  
- पढ़ें अगहन (मार्गशीर्ष) माह के प्रमुख व्रत पर्व त्यौहार
- साढ़े-साती या शनि ढैय्या पीड़ित 5 राशि के लिए विशेष दिन है अगहन अमावस्या दिन

धर्म नगरी / DN News

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आचार्य नित्यानंद गिरी  

हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का नवां महीना मार्गशीर्ष या अगहन माह छह नवंबर (गुरुवार) 2025 से आरंभ होगा, जो श्रीकृष्ण भक्ति के लिए अति विशेष माना जाता है। धार्मिक मान्यतानुसार, मार्गशीर्ष माह में कृष्ण भगवान की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मोक्षदा एकादशी, विवाह पंचमी और अन्नपूर्णा जयंती के साथ ही कई अन्य प्रमुख व्रत त्यौहार आते हैं। यह माह विवाह, मुंडन और गृह-प्रवेश जैसे कार्यों के लिए भी शुभ माना जाता है। इस माह आप भी कुछ विशेष उपाय कर अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

अगहन (मार्गशीर्ष) का संपूर्ण मास धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना गया है। गीता में स्वयं भगवान ने कहा है-
मासाना मार्गशीर्षोऽयम्।

अगहन (मार्गशीर्ष) की विशेषता 
सतयुग में देवों ने मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया।

➤ मार्गशीर्ष मास में तीन पावन पाठ की अत्यंत महिमा है- विष्णु सहस्त्रनाम, भगवद्‍गीता एवं गजेन्द्र मोक्ष। इन्हें दिन में 2-3 बार अवश्य पढ़ना चाहिए।

➤ अगहन में तुलसी की पूजा करें, तुलसी जी के पास दीपक जलाएं, जल अर्पित करें और तुलसी स्तोत्र का पाठ करें। इससे माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

➤ मार्गशीर्ष माह केले के वृक्ष की पूजा से प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु, इस वृक्ष में देव गुरु बृहस्पति का भी वास होता है। केले के वृक्ष  में हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें, जड़ में फूल, चंदन और जल चढ़ाकर विधि-विधान से, वृक्ष की परिक्रमा करें और क्षमा प्रार्थना करें। 

मार्गशीर्ष के पीछे अनेक तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है, जिनमें एक मार्गशीर्ष भी श्रीकृष्ण का रूप है। 
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अमावस्या : साढ़े-साती या शनि ढैय्या पीड़ितों हेतु विशेष दिन    
शनि की साढ़े-साती या शनि ढैय्या से प्रभावित या पीड़ित जातकों के लिए मार्गशीर्ष अमावस्या (20 नवंबर) का दिन अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन कुछ विशेष उपाय करके शनि के प्रतिकूल प्रभाव से राहत पा सकते हैं, शनि कृपा से उनमे कमी हो सकती हैं। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से साढ़े-साती और ढैय्या से भी राहत मिल सकती है।   

वर्तमान में कुंभ, मीन और मेष राशि वालों पर शनि साढ़े-साती चल रही है, तो सिंह एवं धनु वालों पर शनि ढैय्या का साया है। ऐसे में अगहन अमावस्या को कुछ विशेष उपाय कर राशि (साढ़े साती व शनि ढैय्या से पीड़ित) के जातक शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं-

✔ अगहन अमावस्या पर शनि स्रोत का पाठ अवश्य करें। इससे शनि की प्रतिकूल प्रभाव या बुरे असर को कम हो सकती हैं, 
✔ इस दिन स्‍नान के बाद पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें, दीपक भी जलाएं।  
✔ इस दिन शं ह्रीं शं शनैश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे शनि का बुरा प्रभाव कम सकता है।  
✔ घर में शमी का पौधा (इस दिन) लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है, शमी की पूजा से शनि देव का भय नहीं रहता। ऐसे में मार्गशीर्ष अमावस्या पर गमले में शमी का पौधा लगायें। फिर उसके चारों तरफ काले तिल डालें और उसके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि देव के किसी भी मंत्र का 11 बार जप करें।  
✔ इसके अतिरिक्त भगवान शिव एवं हनुमानजी की पूजा करने से भी शनि दोष से छुटकारा मिलता है। आठ इस दिन इनकी पूजा अवश्य करें।

मार्गशीर्ष या अगहन में करें ये उपाय  
➤ मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी को उपवास प्रारंभ कर प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करना चाहिए। प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए। इससे पूजक 'जातिस्मर' पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुंच जाता है, जहां फिर से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

अगहन पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा अवश्य करना चाहिए, क्योंकि इसी दिन (अगहन पूर्णिमा) चंद्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था। इस तिथि को 'दत्तात्रेय जयंती' मनाई जाती है। इस दिन माता, बहन, पुत्री और परिवार की अन्य स्त्रियों को एक-एक जोड़ा वस्त्र प्रदान कर सम्मानित करना चाहिए। इस मास में नृत्य-गीत आदि का आयोजन कर उत्सव मनाया जाता है।  

➤ मार्गशीर्ष में गीता जयंती (अगहन कृष्ण एकादशीभी मनाई जाती है। इस माह में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें। इससे आत्मिक शांति मिलती है। इस मास में 'श्रीमद्‍भागवत' ग्रंथ को देखने भर की विशेष महिमा है। स्कंद पुराण में लिखा है- घर में अगर भागवत हो, तो अगहन मास में दिन में एक बार उसको प्रणाम करना चाहिए। इसके साथ अपने गुरु को, इष्ट को ॐ दामोदराय नमः कहते हुए प्रणाम करने से जीवन के अवरोध समाप्त होते हैं।

➤ इस माह में शंख में तीर्थ का पानी भरें, घर में जो पूजा का स्थान है उसमें भगवान के ऊपर से शंख मंत्र बोलते हुए घुमाएं, बाद में यह जल घर की दीवारों पर छीटें। इससे घर में शुद्धि बढ़ती है, शांति आती है, क्लेश दूर होते हैं। 

अगहन में कश्यप ऋषि ने सुंदर कश्मीर प्रदेश की रचना की। अगहन मास में महोत्सवों का आयोजन होना चाहिए। यह अत्यं‍त शुभ होता है।

न्याय के देवता शनि 28 नवंबर 2025 को शनि मीन राशि में मार्गी होने जा रहे हैं। शनि देव जब अपनी वक्री चाल छोड़कर सीधा चलना शुरू करते हैं, तो उसे ही शनि का मार्गी होना कहते हैं। शनि के मार्गी होने का सभी राशियों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। शनि की चाल बदलते ही कर्मों का फल तेजी से मिलने लगता है। शनि देव जब भी मार्गी होते हैं, तो किसी न किसी का भाग्य अवश्य चमकता है। शनि का मार्गी होना पाँच राशियों के जातकों के लिए विशेष रूप से अनुकूल होगा। 

मार्गशीर्ष या अगहन माह में जप, तप और साधना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष में अगर आप ध्यान साधना करते हैं, तो आपको आलौकिक अनुभव प्राप्त हो सकते हैं। दान करने से कई अन्य महीनों की तुलना में कई गुना अधिक शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। इस माह में मंत्रों का जप करने से आप सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं

मार्गशीर्ष या अगहन माह के व्रत पर्व त्यौहार  
(माह आरंभ होगा- 6 नवंबर, गुरुवार 2025) 

रोहिणी व्रत- 7 नवंबर, शुक्रवार

संकष्टी चतुर्थी- 8 नवंबर, शनिवार

कालभैरव जयंती- 12 नवंबर, बुधवार

उत्पन्ना एकादशी- 15 नवंबर, शनिवार

वृश्चिक संक्रांति- 16 नवंबर, रविवार

सोम प्रदोष व्रत- 17 नवंबर, सोमवार

मासिक शिवरात्रि- 18 नवंबर, मंगलवार

मार्गशीर्ष अमावस्या- 20 नवंबर, गुरुवार

विवाह पंचमी- 25 नवंबर, मंगलवार

स्कन्द षष्ठी, चम्पा षष्ठी- 26 नवंबर, बुधवार

दुर्गाष्टमी व्रत- 28 नवंबर, शुक्रवार

मोक्षदा एकादशी, गीता जयन्ती- 1 दिसंबर, सोमवार

भौम प्रदोष व्रत, मत्स्य द्वादशी- 2 दिसंबर, मंगलवार

अन्नपूर्णा जयन्ती, अगहन पूर्णिमा, दत्तात्रेय जयन्ती- 4 दिसंबर, गुरुवार

शनि के मार्गी होने से इन राशियों को लाभ  
न्याय के देवता शनि जब भी मार्गी होते हैं, तो किसी न किसी का भाग्य अवश्य चमकता है। 28 नवंबर 2025 को शनि मीन राशि में मार्गी होने जा रहे हैं। इस बार शनि के मार्गी होने से कुछ राशियों को धन, करियर और प्रतिष्ठा में प्रबल वृद्धि के योग बन रहे हैं।

वृषभ (Taurus)- शनि के मार्गी होने से वृषभ राशि के जातकों के लिए धन लाभ के प्रबल योग बनेंगे। पुराने अटके हुए पैसे वापस मिल सकते हैं। बिजनेस में प्रगति होगी और निवेश से लाभ मिलेगा। नौकरीपेशा जातकों को उन्नति (promotion) प्रमोशन मिलेगा। अनेक माध्यमों से धन प्राप्त होने के भी योग बन रहे हैं।

कन्या (Virgo)- कन्या राशि के लिए शनि देव सौभाग्य और स्थिरता लेकर आ रहे हैं। आपको आपके परिश्रम का उचित फल मिलेगा। रुके हुए काम पूरे होंगे। घर-परिवार का माहौल सकारात्मक रहेगा। नई नौकरी मिलने की संभावना है।

मकर (Capricorn)- शनि का मार्गी होना 
मकर राशि वालों के लिए शुभ होगा। आपके अटके काम पूरे होंगे। लंबे समय से चल रही समस्याओं का निदान निकलेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा या वित्तीय स्थिति मजबूत होगी। नया व्यवसाय शुरू करने के लिए अनुकूल समय है।

कुंभ (Aquarius)- शनि के मार्गी होते ही कुंभ राशि वालों का भाग्योदय होगा। आपको तरक्की, मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। नौकरी जॉब में या उन्नति (प्रमोशन) के योग बन रहे हैं। निवेश और बचत के नए अवसर बनेंगे। साहसिक या रिस्क के कार्यों से अच्छा पैसा कमाएंगे।

धनु (Sagittarius)- धनु वालों को 
शनि के मार्गी होने के साथ आर्थिक लाभ के प्रबल योग बनेंगे। नए कार्य को आरंभ करने के योग भी बनेंगे। किसी पुराने निवेश या सरकारी योजना से आपको अच्छा लाभ मिल सकता है। रुका हुआ काम पूरा होगा।

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लेखक- 

आचार्य नित्यानंद गिरी 
मो. 9216745145 
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पितरों का आशीर्वाद पाने करें उपाय
अगहन माह में आप भी कुछ विशेष उपाय करके अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं अथवा इस माह पितरों को प्रसन्न करने के कुछ उपाय-

अन्न दान- अमावस्या के दिन दान का अधिक महत्व बताया गया है। ऐसे में आप इस दिन अन्न दान कर सकते हैं। इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है। अन्न दान को सबसे महान दान माना गया है। इसमें दो तरह के दान किए जा सकते हैं- कच्चा अन्न दान- तर्पण के बाद चावल, दाल, गेहूं आदि दान करें।
भोजन का दान- सात्विक भोजन बनाकर गाय, कौआ, या कुत्ते को खिलाएं। इसे पंचबलि कर्म कहा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इन जीवों के माध्यम से अन्न पितरों तक पहुंचता है।

दीप दान- शाम के समय मिट्टी का दीपक जलाकर उसमें सरसों का तेल डालें और इसे दक्षिण दिशा में रख दें। माना जाता है, दीपक के प्रकाश से पितरों का मार्ग प्रकाशित होता है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

गौसेवा व तुलसी पूजा- 
अमावस्या के दिन गाय की सेवा और तुलसी की पूजा करें। इससे न केवल पितरों को संतुष्ट मिलती है, बल्कि यह परिवार में सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि भी करता है।

गरुड़ पुराण का पाठ- यदि परिवार में पितृ दोष है, तो अमावस्या के दिन गरुड़ पुराण का पाठ अवश्य करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष प्राप्त करते हैं। इन उपायों को करके पितरों की कृपा प्राप्त की जा सकती है, जिससे परिवार में सुख-शांति और उन्नति होती है।

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