श्रीराम मंदिर शिखर पर धर्मध्वजा से मंदिर में दैवीय ऊर्जा का प्रवेश, ध्वज पर तीन विशेष चिन्हों का है...


...विशेष धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व 
- 22 फिट लंबे, 11 फीट चौड़ा है ध्वज
- ध्वज का वजन है 2.5 किलो
- 30 फिट लम्बे दंड पर ध्वज
- जमीन से ध्वज की ऊंचाई 191 फिट
- ध्वजारोहण के ऊपर लगा हैं सेंसर
- पैराशूट फेब्रिक एवं रेशम से बना है ध्वज
- त्रेता युग के ध्वज से प्रेरित
- अयोध्या नगरी लगभग 1000 टन फूलों से सजाई गई  


धर्म नगरी
DN News
(वा.एप- 8109107075 ('धर्म नगरी' की कॉपी फ्री मंगवाने या अपने नाम से देशभर में भिजवाने हेतु) 
आचार्य नित्यानंद गिरी*

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर "विवाह पंचमी" के दिन मंगलवार (25 नवंबर) भव्य ध्वजारोहण नवनिर्माणाधीन श्रीराम मंदिर के निर्माण की पूर्णता का प्रतीक है। मंदिर के शिखर पर धर्म-ध्वज को शास्त्रों और भगवान राम की सूर्यवंशी परंपरा के अनुरूप निर्मित है। केसरिया (भगवा) रंग के ध्वज का ज्योतिषीय पक्ष भी है। ध्वज पर तीन विशेष चिन्ह अंकित हैं- ॐ, सूर्यदेव और कोविदार वृक्ष। इस 22 फिट लंबे और 11 फुट चौड़े ध्वज का विधि-विधान से अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण होगा। अहमदाबाद (गुजरात) में यह विशेष केसरिया ध्वज बना है। ध्वजारोहण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा होगा।   
 
देखें- श्रीराम मंदिर शिखर पर स्थापित होने वाला धर्मध्वज जिसे ध्वजानंद भी कहा जा रहा है 

ऐसा है ध्वज... 
श्रीराम मंदिर के शिखर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापित होने (फहराया जाने) वाला ध्वज भगवा या केसरिया रंग का है। यह 22 फिट लंबा एवं 11 फिट चौड़ा है। उल्लेखनीय है, श्रीराम मंदिर में एक ध्वज नहीं, बल्कि राम मंदिर के परकोटा के छह मंदिरों में भी ध्वज फहराया जाएगा।

श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित हो रहे ध्वज पर बने इन चिन्हों का विशेष धार्मिक महत्व है, जिसमें ज्योतिषीय पक्ष भी हैं। ध्वज पर ॐ, सूर्यदेव और कोविदार वृक्ष के चिन्ह अंकित हैं। इनमें ॐ सनातन धर्म में अत्यंत शुभ है। यह सनातन हिंदू धर्म के शुभ प्रतीकों में से एक है, जिसे लेकर मान्यता है, कि इसके प्रभाव से विशेष सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। सनातन धर्म में मंत्रों में भी ॐ का उच्चारण किया जाता है। ॐ को सभी भगवानों का संयुक्त रूप माना जाता है।
-----------------------------------------------  
प्रयागराज माघ मेला-2026 विशेषांक   
शिविर का आयोजन एवं माघ मेले पर केंद्रित "धर्म नगरी माघ मेला-2026" के चार विशेषांक निकाले जाएंगे। विशेषांकों का वितरण मेले में शिविरों में (सन्तों धर्माचार्यों आदि को), मेला क्षेत्र में स्थित विभिन्न कार्यालयों, सरकारी एवं निजी प्रदर्शनियों आदि को फ्री या "सौजन्य से..." होगा। इसके साथ मेला क्षेत्र में कार, बस आदि निजी वाहनों से आने वाले तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को दिया जाएगा, जिस प्रकार प्रयागराज महाकुंभ-2025 पर "धर्म नगरी" के तीन विशेषांकों को बांटा या सम्मान के साथ दिया गया।
विशेषांक में आप भी संगम क्षेत्र के आयोजित 
अपने शिविर (कैम्प) की जानकारी, शिविर में होने वाले कार्यक्रम (यदि कोई हो) प्रकाशित करवा सकते हैं। अथवा अपनी शुभकामना आदि के साथ अपने नाम से विशेषांक बटवा सकते हैं (देखें ऊपर बायीं कोने में)। यदि आप इच्छुक हों, तो संपर्क करें +91 8109107075 वाट्सएप ईमेल- dharm.nagari@gmail.com 
-----------------------------------------------

देखें- ध्वजारोहण के पूर्व रात्रि पर श्रीराम मंदिर का ड्रोन से लिया गया विहंगम चित्र #Dharm_Nagari_  (चित्र साभार संसद टीवी)

सूर्य 
ध्वज पर सूर्य का चिन्ह श्रीराम के सूर्यवंशी होने की शाश्वत ऊर्जा और महिमा का प्रतिनिधित्व करता है। ध्वज पर सूर्य का चिन्ह भी बनाया गया है, क्योंकि भगवान राम सूर्यवंशी थे। सूर्य देव के पुत्र वैवस्वत मनु से यह सूर्यवंश का प्रारंभ हुआ था। ऐसा कहा जाता है, जिस समय भगवान राम का जन्म हुआ था, उस समय सूर्यदेव का रथ रुक गया था। उस समय एक महीने तक रात ही नहीं हुई थी। श्रीराम सूर्य देव की साधना करते थे। रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए भी भगवान राम ने महर्षि अगस्त्य के कहने पर सूर्यदेव की विशेष पूजा की थी।

कोविदार वृक्ष  
कोविदार वृक्ष का पौराणिक ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। यह अयोध्या का पावन वृक्ष था। यह उस समय ध्वज पर अंकित किया जाता था। सनातन के विद्वानों के अनुसार, 
ध्वज पर अंकित कोविदार वृक्ष को कश्यप जी ने मंदार एवं परिजात वृक्ष को मिलाकर (क्रॉस ब्रीडिंग) करके कोविदार वृक्ष को बनाया था। 

मान्यताओं के अनुसार, भगवान भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के लिए जा रहे थे, तब भरत उन्हें रोकने के लिए सेना के साथ जाते हैं। सेना का शोर सुनकर जब श्रीराम लक्ष्मण से पूछते हैं-  यह शोर कैसा है ? तब वह उत्तर की तरफ से आ रही सेना तो देखते हैं। वह सेना के ध्वज पर बने कोविदार वृक्ष को देखकर पहचानते हैं, कि सेना अयोध्या की है। इसलिए इन तीन चिन्हों को ध्वज के ऊपर अंकित किया गया है।

शिखर पर ध्वज से मंदिर में दैवीय ऊर्जा का प्रवेश
शास्त्रों एवं सनातन परंपरा में ध्वजारोहण को कई अर्थों में अत्यंत पवित्र माना गया है। किसी भी मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज स्थापित करना मात्र एक रस्म नहीं, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। सनातन मान्यताओं के अनुसार, मंदिर का शिखर वह सर्वोच्च बिंदु होता है, जहां से दैवीय ऊर्जा मंदिर में प्रवेश करती है। यह ध्वज, जिसे मंदिर के ऊपर स्थापित किया (फहराया जाता) है, एक तरह से ब्रह्मांडीय ऊर्जा और मंदिर के गर्भगृह के बीच एक संपर्क सूत्र का कार्य करता है। यह उस स्थान पर भगवान की उपस्थिति का सबसे स्पष्ट संकेत देता है।

-----------------------------------------------
देखें- अयोध्या में आज ध्वजारोहण समारोह संपन्न 

 
आज विवाह पंचमी है : ''दिव्य वैवाहिक सिद्धि दिवस'' श्रीराम-सीता के विवाह का दिन, लेकिन इस दिन...
पढ़ें-
http://www.dharmnagari.com/2025/11/Vivah-Panchami-2025-Sri-Ram-Sita-vivah-muhurat-pujan-vidhi.html
 
प्रयागराज महाकुंभ-2025 के बाद मार्च 2025 से "धर्म नगरी" सदस्य नहीं बनाए जाते। नियमित कॉपी पाने हेतु वर्ष में केवल एकबार अपने सामर्थ्य के अनुसार "धर्म नगरी" के नाम सहयोग करें, इसके बैंक खाते या ऑनलाइन 8109107075 पर सहयोग दें। आपके सहयोग से आपका शुभकामना आदि प्रकाशित कर हम आपको एवं आपके परिचितों को (आपके ही नाम से) प्रतियां भेजी जाती हैं।
देखें-
-----------------------------------------------

मंदिर शिखर पर ध्वज लगाने का रहस्य
हिन्दू धर्म में मंदिर के शिखर पर ध्वज चढ़ाने की परंपरा बहुत प्राचीन है,  जब दुनिया में इस्लाम और ईसाई का कोई अस्तित्व नहीं था। प्राचीन शास्त्रों में कहा गया है- ध्वज देवता की महिमा और शक्ति का प्रतीक होता है। यह मंदिर की ऊंचाई के साथ श्रद्धा की ऊंचाई को भी दर्शाता है। किसी मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया जाता है, तो माना जाता है वहां, उस मंदिर के क्षेत्र में दिव्य ऊर्जा का संचार होता है। 

गरुड़ पुराण में उल्लेख है, कि मंदिर पर फहराया गया ध्वज भगवान की उपस्थिति को दर्शाता है और उससे आसपास का क्षेत्र पवित्र हो जाता है। यही कारण है, कि मंदिरों में ध्वज लगाने का कार्य अत्यंत शुभ माना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से मन्दिर को ध्वज चढ़ाने से ग्रह दोष का प्रभाव कम होता है या ध्वज चढ़ाने से पुण्य, सौभाग्य में वृद्धि होती है।

मंदिर का रक्षक, निर्माण की पूर्णता
"धर्म-ध्वज" को मंदिर का ‘रक्षक’ भी माना जाता है। ध्वज मंदिर एवं उसके आस-पास के क्षेत्र को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों, बाधाओं, और बुरी ऊर्जाओं से सुरक्षित रखता है, जिससे वातावरण में हमेशा सकारात्मकता और शुभता बनी रहती है। इसके साथ सबसे महत्वपूर्ण बात, ध्वजारोहण किसी भी मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता का प्रतीक होता है। यह दर्शाता है, कि मंदिर पूर्ण रूप से निर्मित हो गया है और भक्तों के लिए दैवीय चेतना का केंद्र बन गया है। 

अयोध्या में, यह भव्य ध्वजारोहण करोड़ों राम भक्तों की अटूट आस्था एवं 493 सदियों के संघर्ष एवं लाखों सनातनियों के सर्वस्व बलिदान के बाद हिन्दुओं की समर्पण राशि या दान (सरकार द्वारा नहीं) से भव्य मंदिर का    
का निर्माण हुआ। मंदिर के शिखर पर लहराता भगवा-ध्वज सत्य की विजय, धर्म की जय और राम-भक्तों की भावनाओं के सम्मान का सबसे बड़ा प्रतीक है।
----------------------------------------------

*आचार्य नित्यानंद गिरी
मो. 9216745145 
----------------------------------------------
 
#सोशल मीडिया से...

-

No comments