अनन्त चतुर्दशी एक सितंबर को, विशेष संयोग
अनन्त चतुर्दशी पर पूजा का मिलेगा पांच गुना फल
भोपाल (धर्म नगरी / DN News W.app- 6261868110)
अनन्त चतुर्दशी पर इसबार एक विशेष संयोग बन रहा है, जिससे इस दिन पूजा करने का पांच गुना फल मिलेगा। "अनन्त चतुर्दशी" पर्व मंगलवार (एक सितंबर) को मनाई जा रही है।
पर्व का निर्धारण-अनन्त चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। स्कन्द, ब्रह्म एवं भविष्यादि पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं कथा होती है। इसमें उदय व्यापिनी तिथि ग्रहण की जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। ज्योतिर्विदों के अनुसार, यदि मध्यान्ह काल तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा अच्छा होता है। इस दिन 1 सितम्बर 2020 को सूर्योदय से प्रातः 9:39 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी तदुपरांत पूर्णिमा लगेगी, जो 2 सितम्बर 2020 तक रहेगी।
पंचक लगने से पांच गुना फल-चतुर्दशी तिथि के साथ पूर्णिमा का यह योग एक सितम्बर 2020 (मंगलवार) को हो रहा है। इस दिन पंचक भी है। पंचक किसी भी फल को 5 गुणा अधिक देने में सहायक होती है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र सांय 4:38 बजे तक रहेगा, जो शुभफल देने वाला 23वां नक्षत्र होता है। अत: इस योग में पूजा-पाठ का पांच गुणा अधिक फल प्राप्त होगा। इस विशिष्ट योग में अनन्त चतुर्दशी व्रत के साथ विष्णुजी की पूजा का कई गुना फल प्राप्त होगा।
व्रत के नाम से प्रतीक होता है, कि यह दिन "अन्त न होने वाले" सृष्टि के कर्ता, निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का दिन है। यह व्रत पुरुषों द्वारा किया जाता है, व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।
ऐसे करें पूजा-व्रत करने वाले को चाहिए, कि कलश की स्थापना करके, उस पर अष्टदल कमल के समान बर्तन में कुश से निर्मित अनन्त की स्थापना करे। इसके साथ कुमकुम, केसर अथवा हल्दी से रंगे कच्चे डोरे को रखकर उसकी गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध से पूजन करें। तत्पश्चात् अनन्त भगवान का ध्यान कर शुद्ध अनन्त को अपनी दाहिनी भुजा पर बांधना चाहिए।
यह धागा अनन्त-फल देने वाला होता है। अनन्त की 14 गांठे, 14 लोकों की प्रतीक हैैं, उनमें अनन्त भगवान विद्यवान हैं, यह दिन उस अन्त न होने वाले सृष्टिकर्ता भगवान विष्णु की भक्ति का दिन है। निम्नलिखित मंत्र पढ़कर पूजा करनी चाहिए। ये विष्णु कृपा रूप है और शेषनाग काल में विद्यमान होने से दोनों की सम्मिलित पूजा हो जाती है।
मंत्र-
अनन्त सर्व नागानामधिप: सर्वकामद:।
सदा भूयात् प्रसन्नोमे यक्तानाम भयंकर:।।
यह व्रत धन, पुत्रादि की कामना से विशेष किया जाता है।
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पर्व का निर्धारण-अनन्त चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। स्कन्द, ब्रह्म एवं भविष्यादि पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं कथा होती है। इसमें उदय व्यापिनी तिथि ग्रहण की जाती है। पूर्णिमा का सहयोग होने से इसका बल बढ़ जाता है। ज्योतिर्विदों के अनुसार, यदि मध्यान्ह काल तक चतुर्दशी हो तो ज्यादा अच्छा होता है। इस दिन 1 सितम्बर 2020 को सूर्योदय से प्रातः 9:39 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी तदुपरांत पूर्णिमा लगेगी, जो 2 सितम्बर 2020 तक रहेगी।
पंचक लगने से पांच गुना फल-चतुर्दशी तिथि के साथ पूर्णिमा का यह योग एक सितम्बर 2020 (मंगलवार) को हो रहा है। इस दिन पंचक भी है। पंचक किसी भी फल को 5 गुणा अधिक देने में सहायक होती है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र सांय 4:38 बजे तक रहेगा, जो शुभफल देने वाला 23वां नक्षत्र होता है। अत: इस योग में पूजा-पाठ का पांच गुणा अधिक फल प्राप्त होगा। इस विशिष्ट योग में अनन्त चतुर्दशी व्रत के साथ विष्णुजी की पूजा का कई गुना फल प्राप्त होगा।
व्रत के नाम से प्रतीक होता है, कि यह दिन "अन्त न होने वाले" सृष्टि के कर्ता, निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का दिन है। यह व्रत पुरुषों द्वारा किया जाता है, व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।
ऐसे करें पूजा-व्रत करने वाले को चाहिए, कि कलश की स्थापना करके, उस पर अष्टदल कमल के समान बर्तन में कुश से निर्मित अनन्त की स्थापना करे। इसके साथ कुमकुम, केसर अथवा हल्दी से रंगे कच्चे डोरे को रखकर उसकी गन्ध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध से पूजन करें। तत्पश्चात् अनन्त भगवान का ध्यान कर शुद्ध अनन्त को अपनी दाहिनी भुजा पर बांधना चाहिए।
यह धागा अनन्त-फल देने वाला होता है। अनन्त की 14 गांठे, 14 लोकों की प्रतीक हैैं, उनमें अनन्त भगवान विद्यवान हैं, यह दिन उस अन्त न होने वाले सृष्टिकर्ता भगवान विष्णु की भक्ति का दिन है। निम्नलिखित मंत्र पढ़कर पूजा करनी चाहिए। ये विष्णु कृपा रूप है और शेषनाग काल में विद्यमान होने से दोनों की सम्मिलित पूजा हो जाती है।
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