यूक्रेन ने कभी नही दिया भारत का साथ ! "स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण और बहुत अनिश्चित है"
"स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण और बहुत अनिश्चित है, हवाई क्षेत्र बंद है, सड़कें भरी हुई है": यूक्रेन में भारतीय राजदूत
- कश्मीर मुद्दे, परमाणु परीक्षण, UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ यूक्रेन ने किया वोट
धर्म नगरी / DN News
दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट-
रूस की यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के बाद भारतीय समयानुसार गुरुवार (24 फरवरी) दोपहर यूक्रेन सहित दुनिया के कई शेयर बाजारों में अत्यधिक गिरावट आई जबकि कच्चे तेल के दाम में वृद्धि रिकॉर्ड की गई।
पिछली सदी के 90 के दशक में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद नाटो का विस्तार पूर्व की तरफ हुआ और इसमें वे भी देश शामिल हुए जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे। रूस ने इसे खतरे के रूप में देखा। यूक्रेन अभी इसका हिस्सा तो नहीं है लेकिन यूक्रेन द्वारा नाटो देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और अमेरिकी एंटी-टैंक मिसाइल्स जैसे हथियारों के हासिल करने से रूस सतर्क हो गया।
यूक्रेन से भारत का संबंध-
भारत में यूक्रेन के दूतावास (Ukraine Embassy in India) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों देश के बीच 2.69 बिलियन डॉलर का व्यापार (India Ukraine Bilateral Trade) हुआ था. इसमें भारत ने यूक्रेन से 1.97 बिलियन डॉलर की खरीदारी की, जबकि यूक्रेन ने भारत से 721.54 मिलियन डॉलर के सामान खरीदे. यूक्रेन भारत को खाने वाले तेल (Fat&Oil of Veg Origin), खाद (Fertiliser) समेत न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर (Nuclear Reactor & Boiler) जैसी आवश्यक मशीनरी सप्लाई करता है। वहीं, यूक्रेन भारत से दवाएं और इलेक्ट्रिकल मशीनरी जैसे सामान खरीदता है।
रूस और भारत-यूक्रेन व्यापार
रूस के साथ संबंधों के अनुसार भारत और यूक्रेन का आपसी व्यापार घटता-बढ़ता रहा है। पिछले कुछ साल के ट्रेंड से यह साफ पता चलता है। साल 2014 में क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रूस के बीच तनाव बढ़ने से पहले दोनों देशों का आपसी व्यापार 3 बिलियन डॉलर से अधिक का था। तनाव के बाद 2015 में यह केवल 1.8 बिलियन डॉलर पर आ गया। इसके बाद यूक्रेन के साथ आपसी व्यापार कुछ सुधरा भी, लेकिन अभी भी यह पुराने स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। अभी तनाव फिर से चरम पर पहुंच गया है। निश्चित ही इससे आयात-निर्यात पर बुरा असर पड़ने वाला है।
इन आवश्यक वस्तुओं के लिए यूक्रेन है विशेष-
ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में भारत ने यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाने वाले तेल की खरीद की। इसी तरह भारत ने यूक्रेन से लगभग 210 मिलियन डॉलर का फर्टिलाइजर और लगभग 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर मंगाया। न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर के मामले भारत के लिए रूस के बाद यूक्रेन सबसे बड़े सप्लायर में से एक है। युद्ध होने पर इसकी आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे न्यूक्लियर एनर्जी पर भारत का काम धीमा हो सकता है।
- पाकिस्तान को हथियार सप्लाई और अल-कायदा को समर्थन देता है यूक्रेन
#सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया... Reactions in #Social_Media...
- वंस अपान ए टाइम देयर वाज... (व्यंग)
(W.app- 8109107075 -न्यूज़, कवरेज, विज्ञापन व सदस्यता हेतु)
-राजेश पाठक
यूक्रेन संकट का समाधान निकालने रूस और अमेरिका पहले बैठक करने वाले थे, लेकिन यह प्रस्तावित बैठक अधर में लटक गई। मंगलवार (22 फरवरी) की भोर में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के दो इलाकों- Donetsk और Lugansk को अलग देश की मान्यता दे दी। अमेरिका ने इसके उत्तर में रूस के ऊपर आर्थिक पाबंदियां लगाने की घोषणा की। इन आक्रामक गतिविधियों ने युद्ध के खतरे को इतना बढ़ा दिया है, कि अब तीसरे विश्व युद्ध (3rd World War) का डर सताने लगा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी उपस्थित थे।
यूक्रेन में रह रहे भारतीय से अनुरोध-
इस बीच यूक्रेन में भारत के राजदूत पार्थ सत्पथी ने वहां रह रहे भारतीय से शांत रहने और यूक्रेन मे बदलती स्थिति का दृढ़ता से सामना करने का अनुरोध किया है। सत्पथी ने अपने संदेश में कहा, कीव में भारतीय दूतावास खुला है और काम कर रहा है। स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण और बहुत अनिश्चित है। हवाई क्षेत्र बंद है, और सड़कें भरी हुई है। उन्होंने कहा, भारत सरकार, विदेश मंत्रालय और कीव स्थित दूतावास इस कठिन परिस्थिति से निपटने के लिए मिशन मोड में काम कर रहे हैं।
पार्थ सत्पथी ने कहा, यूक्रेन की वर्तमान स्थिति को लेकर दो परामर्श जारी किए गए हैं। लोगों से अपनी मौजूदा जगहों पर रुके रहने या परिचित स्थानों पर जाने को कहा गया है। कीव में फंसे भारतीयों से अपने मित्रों और सहकर्मियों, विश्वविद्यालयों और समुदाय के अन्य सदस्यों से संपर्क करने को कहा। उन्होंने कहा, दूतावास मदद करने का पूरा प्रयास कर रहा है। उन्होंने लोगों से उपलब्ध आपातकालीन फोन लाइनों पर उनसे संपर्क करने को कहा।
रूस की यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के बाद भारतीय समयानुसार गुरुवार (24 फरवरी) दोपहर यूक्रेन सहित दुनिया के कई शेयर बाजारों में अत्यधिक गिरावट आई जबकि कच्चे तेल के दाम में वृद्धि रिकॉर्ड की गई।
बम्बई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक दो हजार अंकों की गिरावट के साथ 55,300 पर पहुंच गया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी पचास अंकों की गिरावट के साथ 16,500 पर आ गया।
अमरीका के संवेदी सूचकांक एस एंड पी पांच सौ में, 2.3%, नेस्डेक में 2.8% और जर्मनी के डेक्स फ्यूचर में 3.5% की गिरावट दर्ज की गई।
रूस का निर्यात बाधित होने की आशंका को देखते हुए लंदन का ब्रेंट क्रूड कच्चे तेल का मूल्य 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी पचास अंकों की गिरावट के साथ 16,500 पर आ गया।
अमरीका के संवेदी सूचकांक एस एंड पी पांच सौ में, 2.3%, नेस्डेक में 2.8% और जर्मनी के डेक्स फ्यूचर में 3.5% की गिरावट दर्ज की गई।
रूस का निर्यात बाधित होने की आशंका को देखते हुए लंदन का ब्रेंट क्रूड कच्चे तेल का मूल्य 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
यूक्रेन का व्यवहार भारत के प्रति अच्छा नहीं रहा, जैसा कि इन बिंदुओं से स्पष्ट होता है-
1- यूक्रेन ने कश्मीर मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
2- यूक्रेन ने परमाणु परीक्षण मुद्दे पर UNO में भारत के खिलाफ वोट दिया था।
3- यूक्रेन ने UNO की सिक्योरिटी कौंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ वोट किया था।
4- यूक्रेन पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करता है।
5- यूक्रेन अल कायदा को समर्थन देता है।
यूक्रेन से भारतीय होने के नाते मुझे कोई भी सहानुभूति नही है और उसका कारण भी है। यूक्रेन ने भारत का कभी भी साथ नही दिया। जब हमारे उपर प्रतिबन्ध लगा तो UNO मे उसने प्रतिबन्ध के पक्ष मे वोट किया।
इसके पास यूरेनियम का भंडार था, बार-बार मांगे जाने पर भी इसने कभी भी देना तो दूर, हमारे तत्कालीन PM को दूरदूरा दिया। सीधे मुँह बात तक नही किया, जबकि भारत अपनी ऊर्जा के लिए यूरेनियम खोज रहा था।
अब उसका क्या होता है, इसपर मेरा कोई भी मत नही है। हां, उसके नागरिको के साथ सहानुभूति अवश्य है। कमज़ोर युक्रेन (जो कि अपने आप बना) के साथ वही हो रहा है, तो नेहरू के समय 1947 से पहले और उसके बाद हुआ। अर्थात विभाजन और देश के सीमा पर अतिक्रमण। इसलिए जो लोग यूक्रेन के समर्थन में दुबले हो रहे है, उनको समझना चाहिए कि यूक्रेन हमारा एक दुश्मन है जिसने कभी भारत का साथ नही दिया #साभार
रूस और यूक्रेन में विवाद
पिछले साल दिसंबर 2021 के मध्य में रूस ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को अपनी मांगों के बारे में बताया था। रूस पश्चिमी देशों से लिखित आश्वासन चाहता था कि नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के पूर्व की तरफ न बढ़ें। इसके अलावा रूस ने पोलैंड व बाल्टिक राज्यों से नाटो की सेनाओं को हटाने और यूरोप से अमेरिकी नाभिकीय हथियार हटाने की मांग की थी। इन मांगों में सबसे अहम रहा कि यूक्रेन को कभी नाटो में सम्मिलित होने की स्वीकृति न दी जाए। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
3- यूक्रेन ने UNO की सिक्योरिटी कौंसिल में भारत की स्थायी सदस्यता के खिलाफ वोट किया था।
4- यूक्रेन पाकिस्तान को हथियार सप्लाई करता है।
5- यूक्रेन अल कायदा को समर्थन देता है।
यूक्रेन से भारतीय होने के नाते मुझे कोई भी सहानुभूति नही है और उसका कारण भी है। यूक्रेन ने भारत का कभी भी साथ नही दिया। जब हमारे उपर प्रतिबन्ध लगा तो UNO मे उसने प्रतिबन्ध के पक्ष मे वोट किया।
इसके पास यूरेनियम का भंडार था, बार-बार मांगे जाने पर भी इसने कभी भी देना तो दूर, हमारे तत्कालीन PM को दूरदूरा दिया। सीधे मुँह बात तक नही किया, जबकि भारत अपनी ऊर्जा के लिए यूरेनियम खोज रहा था।
अब उसका क्या होता है, इसपर मेरा कोई भी मत नही है। हां, उसके नागरिको के साथ सहानुभूति अवश्य है। कमज़ोर युक्रेन (जो कि अपने आप बना) के साथ वही हो रहा है, तो नेहरू के समय 1947 से पहले और उसके बाद हुआ। अर्थात विभाजन और देश के सीमा पर अतिक्रमण। इसलिए जो लोग यूक्रेन के समर्थन में दुबले हो रहे है, उनको समझना चाहिए कि यूक्रेन हमारा एक दुश्मन है जिसने कभी भारत का साथ नही दिया #साभार
रूस और यूक्रेन में विवाद
पिछले साल दिसंबर 2021 के मध्य में रूस ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को अपनी मांगों के बारे में बताया था। रूस पश्चिमी देशों से लिखित आश्वासन चाहता था कि नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के पूर्व की तरफ न बढ़ें। इसके अलावा रूस ने पोलैंड व बाल्टिक राज्यों से नाटो की सेनाओं को हटाने और यूरोप से अमेरिकी नाभिकीय हथियार हटाने की मांग की थी। इन मांगों में सबसे अहम रहा कि यूक्रेन को कभी नाटो में सम्मिलित होने की स्वीकृति न दी जाए। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
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न्यूयॉर्कर के एडिटर डेविड़ रैमनिक 1987-1991 के बीच वाशिंगटन पोस्ट करेस्पोंडेंट थे। उन्होंने अपनी पुस्तक Lenin’s Tomb: Last Days of the Soviet Empire में लिखा- लेनिन के लिए यूक्रेन को खोना रूस का सिर कटने जैसा है। पुतिन भी सोवियत संघ के विघटन को पिछली सदी की सबसे बड़ी त्रासदी कह चुके हैं और वह लगातार सोवियर संघ से अलग हुए देशों में रूस के प्रभाव को फिर से कायम रखने की कोशिश में हैं। पुतिन के अनुसार, रूस और यूक्रेन एक ही इतिहास और आध्यात्मिक विरासत साझा करते हैं।
पिछली सदी के 90 के दशक में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद नाटो का विस्तार पूर्व की तरफ हुआ और इसमें वे भी देश शामिल हुए जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा थे। रूस ने इसे खतरे के रूप में देखा। यूक्रेन अभी इसका हिस्सा तो नहीं है लेकिन यूक्रेन द्वारा नाटो देशों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास और अमेरिकी एंटी-टैंक मिसाइल्स जैसे हथियारों के हासिल करने से रूस सतर्क हो गया।
पुतिन के अनुसार, नाटो रूस पर मिसाइल के हमले के लिए यूक्रेन का लॉन्चपैड के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। नाटो की वेबसाइट पर टारस कुजियो के लेख के अनुसार, वर्तमान संकट की सबसे बड़ा कारण ये है कि रूस वापस यूक्रेन को अपने प्रभाव में शामिल करना चाहता है। इस विवाद का एक कारण आर्थिक है, क्योंकि रूस यूनियन का खर्च अपनी दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी यानी यूक्रेन के बिना नहीं उठा सकता है।
रूस की भौगोलिक स्थिति भी इस विवाद का एक कारक है। रूस के बाद यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन के पास काला सागर के पास अहम पोत हैं और इसकी सीमा चार नाटो देशों से मिलती है। यूरोप की जरूरत का एक-तिहाई प्राकृतिक गैस (Natural gas) रूस सप्लाई करता है और एक प्रमुख पाइपलाइन यूक्रेन से होकर गुजरता है। ऐसे में यूक्रेन पर कब्जे से पाइपलाइन की सुरक्षा मजबूत होगी।
रूस की भौगोलिक स्थिति भी इस विवाद का एक कारक है। रूस के बाद यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यूक्रेन के पास काला सागर के पास अहम पोत हैं और इसकी सीमा चार नाटो देशों से मिलती है। यूरोप की जरूरत का एक-तिहाई प्राकृतिक गैस (Natural gas) रूस सप्लाई करता है और एक प्रमुख पाइपलाइन यूक्रेन से होकर गुजरता है। ऐसे में यूक्रेन पर कब्जे से पाइपलाइन की सुरक्षा मजबूत होगी।
यूक्रेन से भारत का संबंध-
भारत में यूक्रेन के दूतावास (Ukraine Embassy in India) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों देश के बीच 2.69 बिलियन डॉलर का व्यापार (India Ukraine Bilateral Trade) हुआ था. इसमें भारत ने यूक्रेन से 1.97 बिलियन डॉलर की खरीदारी की, जबकि यूक्रेन ने भारत से 721.54 मिलियन डॉलर के सामान खरीदे. यूक्रेन भारत को खाने वाले तेल (Fat&Oil of Veg Origin), खाद (Fertiliser) समेत न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर (Nuclear Reactor & Boiler) जैसी आवश्यक मशीनरी सप्लाई करता है। वहीं, यूक्रेन भारत से दवाएं और इलेक्ट्रिकल मशीनरी जैसे सामान खरीदता है।
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पुतिन ने यूक्रेन पर पूरी क्षमता से किया हमला, एयर इंडिया का विमान यूक्रेन से वापस लौटा
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रूस के साथ संबंधों के अनुसार भारत और यूक्रेन का आपसी व्यापार घटता-बढ़ता रहा है। पिछले कुछ साल के ट्रेंड से यह साफ पता चलता है। साल 2014 में क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रूस के बीच तनाव बढ़ने से पहले दोनों देशों का आपसी व्यापार 3 बिलियन डॉलर से अधिक का था। तनाव के बाद 2015 में यह केवल 1.8 बिलियन डॉलर पर आ गया। इसके बाद यूक्रेन के साथ आपसी व्यापार कुछ सुधरा भी, लेकिन अभी भी यह पुराने स्तर तक नहीं पहुंच पाया है। अभी तनाव फिर से चरम पर पहुंच गया है। निश्चित ही इससे आयात-निर्यात पर बुरा असर पड़ने वाला है।
इन आवश्यक वस्तुओं के लिए यूक्रेन है विशेष-
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वंस अपान ए टाइम देयर वाज... (व्यंग)
यूक्रेन के साथ एक समस्या थी।
उसमे आधे लोग खुद को रूसी मानते रूसी भाषा, रहन सहन खान-पान, Culture, सभ्यता, संस्कृति सब रूसी ही थी। बाकी आधे यूक्रेनी थे।
मने, ऊ सब यही decide नही कर पाए कि ऊ सब रूसी हैं या यूक्रेनी।
चलो, ऐसी जनता एक फंतासी की दुनिया मे जीती है, Utopian World में... कल्पना लोक में... एक राजकुमार घोड़े पे सवार हो के आएगा और राजकुमारी सिंड्रेला को छुड़ा के ले जाएगा।
सो 2015 में यूक्रेन में एक TV धारावाहिक शुरू हुआ।
उसका नाम था Servant Of The People
वो धारावाहिक 2015 से 2019 तक लगातार चला और यूक्रेन में अत्यधिक पॉपुलर हुआ।
मने, लोगबाग उंस सीरियल के दीवाने थे। सीरियल में Volodymyr Zelensky नामक एक कॉमेडियन actor यूक्रेन के राष्ट्रपति का रोल करता था।
2019 में सीरियल की लोकप्रियता को भुनाने के लिये उसने उसी नाम- Servant of the People नाम की एक political पाल्टी बनाई और घोषणा कर दी कि वो राष्ट्रपति का चुनाव लड़ेगा। उसने ये भी दावा किया कि वो बेहद ईमानदार है और देश से Corruption दूर कर देगा।
उसने बाकायदे चुनाव लड़ा। जनता ने उसे 73%से भी ज़्यादा मत दे के चुनाव जिता दिया ।
इस तरह Volodymyr Zelensky यूक्रेन का राष्ट्रपति बन गया।
कालांतर में Feb 2022 में यूक्रेन का पतन शुरू हो गया।
आज यूक्रेन के हर नागरिक को जान के लाले पड़े हुए हैं।
जिस देश के नागरिकों को नेता चुनना नही आता न , उनका ऐसा ही हाल होता है।
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व्यंग / मीम -
"जो जिस भाषा मे समझेगा उसे उसी भाषा मे समझाया जाएगा, और पुरे NATO देशों की गर्मी शांत कर दी जाएगी। - बाबा बलदेवराम पुतिन जी (रसिया वाले)
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नास्त्रेदमस की एक भविष्यवाणी ये भी है कि जब दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध से तबाही के कगार पे खड़ी होगी
तो साउथ एशिया का एक प्रभावशाली आदमी इस तबाही को रोकेगा।
मुझे तो वो आदमी राहुल गाँधी लगता है
आपको वो पक्का मोदी लग रहा होगा ?
है ना ?
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Coloum to be updated
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