पितृ पक्ष : "पितृ-सूक्तम्" के पाठ से जुड़ा है आपकी प्रगति-समृद्धि, सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या करें ?
पितरों की आरती का है महत्व
आरती में पितरों की महिमा का गुणगान से होते हैं प्रसन्न
-रा.पाठक अवैतनिक संपादक 9752404020
मान्यता है, श्रद्धापूर्वक पितृ-सूक्तम् का पाठ करने से पितृ-दोष का प्रभाव कम होता है या दोष से मुक्ति मिल जाती है। वैसे भी, शास्त्रानुसार पितृ पक्ष पितरों की पूजा-अर्चना और उनके स्मरण के लिए निर्धारित है। हम पितरों को इसलिए तृप्त करते हैं, ताकि वे प्रसन्न होकर आशीष दें और स्वयं को भी मोक्ष को प्राप्त हों। कर्मकांडी विद्वानों, वैदिक ब्राह्मणों एवं ज्योतिषाचार्य बताते हैं, पितरों के श्राप के कारण दुख, दरिद्रता, धन हानि, मानसिक कष्ट, बीमारी आदि की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इन कारणों से पितरों को तृप्त करने के लिए पितृ पक्ष है।
शाम के समय तेल का दीपक जलाकर इस पाठ को करें। पाठ संपन्न करने के बाद पीपल में जल अवश्य चढ़ाएं।
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पितृ-सूक्तम् Pitra Dosh Nivaran Stotra
उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥
अंगिरसो नः पितरो नवग्वा अथर्वनो भृगवः सोम्यासः।
तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम् अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥2॥
ये नः पूर्वे पितरः सोम्यासो ऽनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठाः।
तेभिर यमः सरराणो हवीष्य उशन्न उशद्भिः प्रतिकामम् अत्तु॥3॥
त्वं सोम प्र चिकितो मनीषा त्वं रजिष्ठम् अनु नेषि पंथाम्।
तव प्रणीती पितरो न देवेषु रत्नम् अभजन्त धीराः॥4॥
त्वया हि नः पितरः सोम पूर्वे कर्माणि चक्रुः पवमान धीराः।
वन्वन् अवातः परिधीन् ऽरपोर्णु वीरेभिः अश्वैः मघवा भवा नः॥5॥
त्वं सोम पितृभिः संविदानो ऽनु द्यावा-पृथिवीऽ आ ततन्थ।
तस्मै तऽ इन्दो हविषा विधेम वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥6॥
बर्हिषदः पितरः ऊत्य-र्वागिमा वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।
तऽआगत अवसा शन्तमे नाथा नः शंयोर ऽरपो दधात॥7॥
आहं पितृन्त् सुविदत्रान् ऽअवित्सि नपातं च विक्रमणं च विष्णोः।
बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त पित्वः तऽ इहागमिष्ठाः॥8॥
उपहूताः पितरः सोम्यासो बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।
तऽ आ गमन्तु तऽ इह श्रुवन्तु अधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥9॥
आ यन्तु नः पितरः सोम्यासोऽग्निष्वात्ताः पथिभि-र्देवयानैः।
अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तो ऽधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥10॥
अग्निष्वात्ताः पितर एह गच्छत सदः सदः सदत सु-प्रणीतयः।
अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्य-था रयिम् सर्व-वीरं दधातन॥11॥
येऽ अग्निष्वात्ता येऽ अनग्निष्वात्ता मध्ये दिवः स्वधया मादयन्ते।
तेभ्यः स्वराड-सुनीतिम् एताम् यथा-वशं तन्वं कल्पयाति॥12॥
अग्निष्वात्तान् ॠतुमतो हवामहे नाराशं-से सोमपीथं यऽ आशुः।
ते नो विप्रासः सुहवा भवन्तु वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥13॥
आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।
मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो यद्व आगः पुरूषता कराम॥14॥
आसीनासोऽ अरूणीनाम् उपस्थे रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।
पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत तऽ इह ऊर्जम् दधात॥15॥
॥ ॐ शांति: शांति:शांति:॥
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पितरों को संतुष्ट करें-
स्वाभाविक है, जब हम किसी अपने को संतुष्ट नहीं कर पाते या कोई हमारा अपना हमसे संतुष्ट नहीं होता, तो वह दुःखी ही होता है. इसी प्रकार यदि हम अपने पितरों को प्रसन्न नहीं कर पाते हैं या उनकी आत्माओं को तृप्त नहीं करते हैं, तो उनका दु:खी होना स्वाभाविक हैं. मान्यतानुसार, वे सोचते हैं, कि हमारी संतान हमे तृप्त नहीं कर सकती तो फिर इसे संतान की क्या आवश्यकता है। फिर वही पितर अतृप्त होने पर आपको आशीर्वाद नहीं देते (श्राप देकर) और चले जाते हैं। इससे पितृ दोष लगता है, जिससे जीवन में दु:ख, असफलताएं, क्लेश, अशांति, संतानहीनता जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए जब भी आप पितरों के लिए पूजन करें, तो उनकी आरती जरूर करें। आरती में पितरों की महिमा का गुणगान किया गया, इससे वे प्रसन्न होते हैं।
स्वाभाविक है, जब हम किसी अपने को संतुष्ट नहीं कर पाते या कोई हमारा अपना हमसे संतुष्ट नहीं होता, तो वह दुःखी ही होता है. इसी प्रकार यदि हम अपने पितरों को प्रसन्न नहीं कर पाते हैं या उनकी आत्माओं को तृप्त नहीं करते हैं, तो उनका दु:खी होना स्वाभाविक हैं. मान्यतानुसार, वे सोचते हैं, कि हमारी संतान हमे तृप्त नहीं कर सकती तो फिर इसे संतान की क्या आवश्यकता है। फिर वही पितर अतृप्त होने पर आपको आशीर्वाद नहीं देते (श्राप देकर) और चले जाते हैं। इससे पितृ दोष लगता है, जिससे जीवन में दु:ख, असफलताएं, क्लेश, अशांति, संतानहीनता जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए जब भी आप पितरों के लिए पूजन करें, तो उनकी आरती जरूर करें। आरती में पितरों की महिमा का गुणगान किया गया, इससे वे प्रसन्न होते हैं।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हूँ तुम्हारी,
शरण पड़ा हूँ तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या करें
सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष के अंतिम दिन- आश्विन कृष्ण अमावस्या को होता है, जो इस बार रविवार 25 सितंबर, 2022 को है। इस दिन आप निम्न कार्य कर सकते हैं-
(इन उपाय करने के बाद इसका प्रभाव या परिणाम भी हमें "धर्म नगरी" को अवश्य बताएं, जो हमारे पितृ पक्ष के वैज्ञानिक/व्यावहारिक पक्ष के शोध में बहुत उपयोगी होगा )-
- इस दिन भूखे लोगो को भोजन अवश्य कराएं। इस दिन आप भूखे लोगो में मीठे चावल बांटते हैं, तो आपको कभी भी धन की कमीं नही होगी।
- इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं और किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। ऐसा करने से करने से आपकी सभी परेशानियों का अंत होगा।
- काली चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पापों का प्रभाव कम होगा/ पापों से मुक्ति मिलेगी।
- यदि आप कालसर्प दोष से पीड़ित है तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन चांदी के नाग नागिन की पूजा करें और इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें।
- यदि रोजगार में आपको किसी प्रकार की समस्या आ रही है, तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने घर में एक नीबूं ले आएं और इसे सारा दिन अपने घर में रखकर रात के समय 7 बार अपने ऊपर से उतारकर चार भागों में बांटकर किसी चौराहे पर फेंक दें।
- इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपको सुखों की प्राप्ति होगी।
- रात के समय 5 लाल फूल 5 जलते हुए दीए बहती नदी में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- अपने शत्रुओं से यदि आप अत्याधिक परेशान हैं, तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी अवश्य खिलाएं।
- सर्व पितृ अमावस्या के दिन गाय, कुते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए। ऐसा करने से आपके पितरों को शांति प्राप्त होगी।
- इस दिन आपको किसी ब्राह्मण को आदर सहित अपने घर पर बुलाकर उसे भोजन कराकर दक्षिणा देकर पैर छूने चाहिए। ऐसा करने से न केवल आपके पितृ प्रसन्न होंगे। बल्कि आपको उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
- इस दिन भूखे लोगो को भोजन अवश्य कराएं। इस दिन आप भूखे लोगो में मीठे चावल बांटते हैं, तो आपको कभी भी धन की कमीं नही होगी।
- इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं और किसी तालाब या नदी के किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। ऐसा करने से करने से आपकी सभी परेशानियों का अंत होगा।
- काली चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पापों का प्रभाव कम होगा/ पापों से मुक्ति मिलेगी।
- यदि आप कालसर्प दोष से पीड़ित है तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन चांदी के नाग नागिन की पूजा करें और इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें।
- यदि रोजगार में आपको किसी प्रकार की समस्या आ रही है, तो आप सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने घर में एक नीबूं ले आएं और इसे सारा दिन अपने घर में रखकर रात के समय 7 बार अपने ऊपर से उतारकर चार भागों में बांटकर किसी चौराहे पर फेंक दें।
- इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपको सुखों की प्राप्ति होगी।
- रात के समय 5 लाल फूल 5 जलते हुए दीए बहती नदी में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- अपने शत्रुओं से यदि आप अत्याधिक परेशान हैं, तो आप सर्व पितृ अमावस्या पर काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी रोटी अवश्य खिलाएं।
- सर्व पितृ अमावस्या के दिन गाय, कुते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए। ऐसा करने से आपके पितरों को शांति प्राप्त होगी।
- इस दिन आपको किसी ब्राह्मण को आदर सहित अपने घर पर बुलाकर उसे भोजन कराकर दक्षिणा देकर पैर छूने चाहिए। ऐसा करने से न केवल आपके पितृ प्रसन्न होंगे। बल्कि आपको उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होगा।
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पितृ पक्ष
पितरों, पुरखों की स्मृति में कथा हेतु सम्पर्क करें-
व्यासपीठ की गरिमा एवं मर्यादा के अनुसार श्रीराम कथा, वाल्मीकि रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिव महापुराण या अन्य पौराणिक कथा करवाने हेतु संपर्क करें। कथा आप अपने बजट या आर्थिक क्षमता के अनुसार शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में अथवा विदेश में करवाएं, हमारा कथा के आयोजन की योजना, मीडिया-प्रचार आदि में भी सहयोग रहेगा। -प्रसार प्रबंधक "धर्म नगरी / DN News" मो.9752404020, 8109107075-वाट्सएप ट्वीटर / Koo / इंस्टाग्राम- @DharmNagari ईमेल- dharm.nagari@gmail.com यूट्यूब- #DharmNagari_News
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ये कुटुम्ब है आपका...
प्यार दे कर जो हमें
विदा हुए संसार से,
आओ उनका करें स्मरण
हम सभी आज से !
वो हुए पुरखो में शामिल
जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे
हम उन्हें मन के द्वार में !
पितर चरण में नमन करें,
ध्यान धरें दिन रात।
कृपा दृष्टि हम पर करें,
सिर पर धर दें हाथ !
ये कुटुम्ब है आपका,
आपका है परिवार।
आपके आशिर्वाद से,
फले - फूले संसार।
भूल-चूक सब क्षमा करें,
करें महर भरपूर।
सुख सम्पति से घर भरें,
कष्ट करें सब दूर।
आप हमारे हृदय में,
आपकी हम संतान।
आपके नाम से जुड़ी है,
हम सबकी पहचान।
विदा हुए संसार से,
आओ उनका करें स्मरण
हम सभी आज से !
वो हुए पुरखो में शामिल
जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे
हम उन्हें मन के द्वार में !
पितर चरण में नमन करें,
ध्यान धरें दिन रात।
कृपा दृष्टि हम पर करें,
सिर पर धर दें हाथ !
ये कुटुम्ब है आपका,
आपका है परिवार।
आपके आशिर्वाद से,
फले - फूले संसार।
भूल-चूक सब क्षमा करें,
करें महर भरपूर।
सुख सम्पति से घर भरें,
कष्ट करें सब दूर।
आप हमारे हृदय में,
आपकी हम संतान।
आपके नाम से जुड़ी है,
हम सबकी पहचान।
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