धनतेरस : सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य के आगमन का दिन, इस दिन क्या और क्यों खरीदें ? धन तेरस का...
...महत्व, इस दिन करें विशेष उपाय, जिससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि स्वास्थ्य रहे
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धन्वंतरि |
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राजेशपाठक (अवैतनिक संपादक)
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस या धन-त्रयोदशी है। इसी पर्व (धनतेरस) से पांच पर्वों के महापर्व- दीपावली का शुभारंभ होता है। अर्थात धनतेरस दीपावली महापर्व का पहला पर्व होता है। इस वर्ष 29 अक्तूबर 2024, मंगलवार को धनतेरस है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, यमराज और कुबेर देव की पूजा की जाती है। ज्योतिष गणना के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस पर "त्रिग्रही योग" अर्थात त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग एवं उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। इन योगों के शुभ प्रभाव के साथ कुछ चीजों की खरीदारी से साधक की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है।
धनतेरस के दिन समुद्र मंथन के समय धन्वंतरि देव अमृत का कलश लेकर एवं माँ लक्ष्मी सोने का घढ़ा लेकर प्रकट हुई थी। अत: इस दिन दोनों की पूजा का महत्व है। धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त जहां दीपदान किया जाता है। दीपावली महापर्व का पहला पर्व- धनतेरस सनातन हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन आदि की खरीदारी करना शुभ मानते हैं। ऐसा करने से घर में सुख, समृद्धि आती व अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। धनतेरस -पूजा को धन-त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, कुबेर धन के अधिपति हैं अर्थात कुबेर देव को धन का देवता माना जाता है। वह देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा के भी एकमात्र वही स्वामी हैं। कुबेर भगवान शिव के भी परमप्रिय सेवक हैं। इनकी कृपा से किसी को भी धन प्राप्ति के योग बन जाते हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करके आप भी अपार धन सम्पदा के मालिक बन सकते हैं। कुबेर को प्रसन्न करने एवं उनकी कृपा पाने का प्रभावी मंत्र है-
कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है। यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का अमोघ मंत्र है। इस मंत्र का (धनतेरस से आरंभ करना बहुत उत्तम बताया गया है) तीन माह तक प्रतिदिन 108 बार जप करें। मंत्र का जप करते समय अपने सामने धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस कौड़ी को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका तिजोरी / लॉकर कभी खाली नहीं होगी। सदैव उसमें धन भरा रहेगा। एक अन्य कुबेर देव का अति दुर्लभ मंत्र है-
ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:
भगवान कुबेर जिन्हें धन-सम्पत्ति का कोषाध्यक्ष और माँ लक्ष्मी जिन्हें धन-सम्पत्ति की देवी माना जाता है, की पूजा साथ में करते हैं। धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजा काे प्रदोष काल की अवधि में किया जाना चाहिए। यह सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग 2 घण्टे 24 मिनट तक रहता है। मान्यता है, धनतेरस पर जलाए जाने वाले तेल और बाती के दीपकों के जरिए घर से नकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह से समाप्त की जाती है।
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सर्वोत्तम है धनतेरस को चांदी खरीदना-
सोने के आभूषण धनतेरस के दिन खरीदने की परंपरा भी है। सोना भी लक्ष्मी और वृहस्पति का प्रतीक है, इसलिए सोना खरीदने की परंपरा है। यद्यपि, धनतेरस को चांदी खरीदना सर्वोत्तम है, क्योंकि चांदी धन के देव की धातु है, जबकि सोने में कलयुग का वास (द्वापर से कलयुग लगने के समय श्रीमद भागवत के अनुसार जन्मेजय ने कलयुग की प्रार्थना पर मदिरा, जुवां Gambling सहित सोने Gold में भी रहने की अनुमति दी थी) माना जाता है। इस दिन चांदी (silver) खरीदने से घर में यश-कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है। चाँदी चंद्र (चन्द्रमा) की धातु है, जो जीवन में शीतलता और शांति लाती है।
सोने के आभूषण धनतेरस के दिन खरीदने की परंपरा भी है। सोना भी लक्ष्मी और वृहस्पति का प्रतीक है, इसलिए सोना खरीदने की परंपरा है। यद्यपि, धनतेरस को चांदी खरीदना सर्वोत्तम है, क्योंकि चांदी धन के देव की धातु है, जबकि सोने में कलयुग का वास (द्वापर से कलयुग लगने के समय श्रीमद भागवत के अनुसार जन्मेजय ने कलयुग की प्रार्थना पर मदिरा, जुवां Gambling सहित सोने Gold में भी रहने की अनुमति दी थी) माना जाता है। इस दिन चांदी (silver) खरीदने से घर में यश-कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है। चाँदी चंद्र (चन्द्रमा) की धातु है, जो जीवन में शीतलता और शांति लाती है।
आर्थिक समस्या / तंगी दूर करने, समृद्धि प्राप्ति हेतु कुछ सरल व प्रभावी उपाय भी धनतेरस पर किए जाते हैं। इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर, यमराज, गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ गाय और गौ-वंश की पूजा करते हैं। गाय को माता लक्ष्मी के अवतार के रूप में मानते हैं इसलिए वहां के लोग गाय का विशेष सम्मान करते हैं। धनतेरस के दिन श्रद्धा-विश्वास के साथ करने योग्य कुछ शुभ, सरल एवं प्रभावी उपाय इस प्रकार हैं-
मत्स्य पुराण के अनुसार, धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में समृद्धि आती है। हिंदू धर्म में झाडू़ को लक्ष्मीजी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे पैर से नहीं छूटे और उपयोग के बाद छिपाकर (जहाँ सामान्यतः लोगों की दृष्टि न पड़े) रखते हैं। इसकी खरीदारी से आर्थिक लाभ की संभावना बनी रहती हैं। धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदकर उसकी पूजा करते हैं। घर में नई झाड़ू लाने के साथ आप चाहें, तो किसी मंदिर में या सफाईकर्मी को अच्छी वाली झाड़ू खरीदकर दान कर सकते हैं। मान्यता है, ऐसा करने से लक्ष्मी माता आप पर प्रसन्न होंगी। मान्यता है, झाड़ू घर से दरिद्रता हटाती है, दरिद्रता का नाश होता है। धनतेरस के दिन घर में नई झाड़ू लाने के बाद इस पर एक सफेद रंग का धागा बांध देना चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, घर की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। माना जाता है कि, कर्ज से परेशान लोगों को धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से ऋण से राहत मिलती है। झाड़ू को कभी भी खुले में न रखें, इसे सबसे छिपाकर कहीं रखें एवं सूर्यास्त के बाद झाड़ू न लगाएं, क्योंकि सूर्य डूबने के बाद झाड़ू लगाने से लक्ष्मी घर से चली जाती हैं ।
धनतेरस को झाड़ू के अतिरिक्त यदि आप चीनी, बताशा, खीर, चावल, सफेद कपड़ा आदि अन्य श्वेत वस्तुएं दान करते हैं, तो आपको आर्थिक कष्ट या तंगी दूर होती है। जमा-पूंजी बढ़ने के साथ कार्यों में आ रहीं बाधाएं भी दूर होती है। धनतेरस को यदि आपके घर, द्वार पर कोई भिक्षुक (भिखारी), जमादार या गरीब व्यक्ति आए, तो उसे खाली हाथ न भेजें। कुछ न कुछ उसे अवश्य दें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपको समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं और आपको आपके कार्यों में सफलता मिलती है।
खड़ी धनिया (खड़ी)- धनतेरस के दिन सोना नहीं खरीद सकते हैं, तो पीतल का बर्तन खरीदें। वैसे चाँदी में लक्ष्मीजी का वास होने से सर्वोत्तम माना जाता है। अब चाँदी, सोना, बर्तन न खरीद सकें, तो धनिया खरीदें। धनिया को खरीदकर माँ लक्ष्मी को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में धनिए के नए बीज खरीदते हैं, वहीं शहरी क्षेत्र में पूजा के लिए साबुत या खड़ी धनिया खरीदते हैं। धनिया भी वृहस्पति ग्रह का कारक है। इस दिन सूखे धनिया के बीज को पीसकर गुड़ के साथ मिलकर एक मिश्रण बनाकर 'नैवेद्य' तैयार करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है। धनिया को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए धनतेरस को थोड़ी सी धनिया जरूर खरीदें। किवदंति के अनुसार, (ऐसी मान्यता है) धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी को धनिया अर्पित करने और भगवान धनवंतरि के चरणों में धनिया चढ़ाने के बाद उनसे प्रार्थना करने से परिश्रम का फल मिलता है और व्यक्ति प्रगति करता है। पूजा के बाद आप धनिया का प्रसाद बनता है, जिसे सब लोगों के बीच वितरित किया जाता है। ऐसी प्राचीन मान्यता है, ऐसा करने से धन हानि नहीं होती।
कौड़ियां, हल्दी की गांठ- धन-समृद्धि में वृद्धि हेतु धनतेरस पर कौड़ियां खरीदकर उसकी पूजा करें, फिर उसे तिजोरी में रखते हैं। कौड़ीयां यदि पीली ना हों, तो उन्हें हल्दी के घोल में पीला कर लें। बाद में इनकी पूजा करके अपनी तिजोरी या लॉकर (या जहाँ धन रखते हों) वहाँ रखें।
तीसरी वास्तु है, हल्दी की गांठ। धनतेरस के दिन कुछ खड़ी हल्दी खरीदना भी शुभ होता है। शुभ-मुहूर्त में बाजार से गांठ वाली पीली हल्दी या काली हल्दी घर लाएं। इसे कोरे कपड़े पर रखकर स्थापित कर षोडशोपचार से पूजन करने से भी धन-समृद्धि बढ़ती है।दक्षिणावर्ती शंख एवं
तीसरी वास्तु है, हल्दी की गांठ। धनतेरस के दिन कुछ खड़ी हल्दी खरीदना भी शुभ होता है। शुभ-मुहूर्त में बाजार से गांठ वाली पीली हल्दी या काली हल्दी घर लाएं। इसे कोरे कपड़े पर रखकर स्थापित कर षोडशोपचार से पूजन करने से भी धन-समृद्धि बढ़ती है।दक्षिणावर्ती शंख एवं
चावल के दाने- धनतेरस को साबूत चावल के 21 दाने लें, उनकी पूजा करके उन्हें लाल कपड़े में बांधकर घर की तिजोरी में रखें। इससे आर्थिक समस्या का निदान होता है, कम होती है। धनतेरस-पूजा से पूर्व एवं पश्चात दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर घर में चारों तरफ थोड़ा-थोड़ा छिड़कें। इससे घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
दीपदान- धनतेरस को यमराज के निमित्त घर में दीपदान करते हैं। धनतेरस की सायंकाल मुख्य द्वार एवं घर के अंदर 13-13 दीप जलाएं। इसके साथ (यदि चाहें) इस दिन 13 दीपक और दीपक जलाकर घर के सभी कोने में रखें। आधी रात के बाद सभी दीपकों के पास एक एक पीली कौड़ियां रख दें। बाद में इन कौड़ियों को जमीन में गाड़ दें। इससे आपके जीवन में अचानक से धनवृद्धि होगी।
अन्य उपाय- धनतेरस के दिन आप किसी मंदिर या उचित स्थान पर जाकर केले का पौधा या कोई सुगंधित पौधा लगाएं। जैसे-जैसे यह हरा-भरा और बड़ा होता जाएगा, मान्यता है, आपके जीवन में भी समृद्धि और सफलताएं बढ़ेंगी। यदि आपके पास धन नहीं रुकता (बचता), तो इस धनतेरस से दीपावली के दिन तक (तीन दिनों तक) आप मां लक्ष्मी को पूजा के दौरान एक जोड़ा लौंग चढ़ाएं।
धनतेरस की शाम अवश्य करें दीपदान-
धनतेरस की सायंकाल दीपदान के महत्व का उल्लेख स्कंद पुराण और पद्मपुराण में भी है। ये दीपदान यमदेवता के नाम पर किया जाता है, जिससे परिवार के लोगों की रक्षा होती है। इस दीपक को घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। सूर्यास्त के पश्चात जब घर पर सभी सदस्य उपस्थित हों, तब इस दीपक को घर के अंदर से जलाकर लाएं और घर से बाहर उसे दक्षिण की ओर मुख करके नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दें। इसके बाद
‘मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह,
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।’ मंत्र बोलें और दीपक पर जल छिड़कें। इसके बाद दीपक को बिना देखे घर में आ जाएं।
दीपदान हेतु शुभ काल (धनतेरस के दिन) सायंकाल 5 बजे से 6:30 बजे तक रहेगा। इसके अतिरिक्त सायंकाल 6:30 बजे से रात्रि 8:11 बजे का समय पूजा एवं दीपदान के लिए शुभ है।
धनतेरस को न खरीदें (इसे घर न लाएं)-
लोहा, एल्युमिनियम लोहा शनि का कारक माना जाता है, इसलिए इस दिन इस तरह की चीजें लाने से आप शनि के प्रकोप में आ सकते हैं।प्रायः धनतेरस के दिन लोग स्टील या एल्युमिनियम के बर्तन खरीदते हैं। जबकि यह धातु राहु का कारक होती है। धनतेरस के दिन ऐसी वस्तु घर लाना चाहिए। अत: इसे घर में लाना और सजाकर रखना शुभ नहीं मानते है। इसी तरह लोहे की वस्तुए नहीं खरीदनी चाहिए।
कांच- कांच संबंध राहु से होता है। इसलिए धनतेरस के दिन कांच न खरीदें। घर में कहीं, कोई टूटा-चिटका कांच भी न रखे। यहाँ आपकी गाडी में ऐसे कांच (mirror) हों, तुरंत फेक दें, क्योंकि टूटे चिटके काँच में कभी नहीं देखना चाहिए।
कांच- कांच संबंध राहु से होता है। इसलिए धनतेरस के दिन कांच न खरीदें। घर में कहीं, कोई टूटा-चिटका कांच भी न रखे। यहाँ आपकी गाडी में ऐसे कांच (mirror) हों, तुरंत फेक दें, क्योंकि टूटे चिटके काँच में कभी नहीं देखना चाहिए।
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