करवा चौथ पर विशेष : मुहूर्त, महात्म्य, पूजन सामग्री, व्रत की विधि, कथा, इस मंत्र से करें व्रत प्रारंभ...
"मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये"
- पूर्ण श्रद्धा से रखें निर्जला व्रत
करवा चौथ तिथि-2024
तिथि आरम्भ- रविवार (20 अक्तूबर) प्रातःकाल 6:46 बजे
तिथि आरम्भ- रविवार (20 अक्तूबर) प्रातःकाल 6:46 बजे
चौथ तिथि समाप्त- सोमवार (21 अक्तूबर) प्रातः 4:16 बजे
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायंकाल 6:04 से 7:19 बजे तक
उपवास समय- प्रातःकाल 6:40 से 8:52 बजे तक
उपवास समय- प्रातःकाल 6:40 से 8:52 बजे तक
धर्म नगरी / DN News
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सुहागिन महिलाओं का महापर्व करवा चौथ के व्रत का सनातन हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है,'करवा' यानि कि मिट्टी का बर्तन व 'चौथ' यानि गणेशजी की प्रिय तिथि चतुर्थी। करवा चौथ पर पूजा की थाली में कई तरह की सामग्री होती हैं।
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (कार्तिक कृष्ण चतुर्थी) को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है, जो रविवार (20 अक्तूबर 2024) को है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए अपने पति दीर्घायु, सुख-समृद्धि एवं अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। सुहागन महिलाओं के लिए चौथ महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस तिथि को पति की लंबी आयु के साथ संतान सुख की मनोकामना भी पूर्ण हो सकती है।
महिलाएं करवा चौथ पर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं, फिर रात को चंद्रमा के निकलने पर अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत सुबह से लेकर रात को चन्द्रमा के दर्शन और पूजन के बाद समाप्त हो जाता है। करवा चौथ पर चौथ माता का आरती पूजन के बाद अवश्य करनी चाहिए। इसके साथ चंद्रमा के दर्शन करने के बाद पूजा और जल अर्पित करते हुए चंद्रदेव से जुड़े मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ व फलदायी होता है।
करवा चौथ महात्म्य
छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार-
छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार-
चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है,
करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर पूजा होती है। पूजा के पश्चात मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार, पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं- यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि-विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार, पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं- यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि-विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।
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करवा चौथ की पूजा विधि-
महत्त्व के बाद बात आती है कि करवा चौथ की पूजा विधि क्या है ? किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
पूजन सामग्री-
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
उक्त सम्पूर्ण सामग्री को एक दिन पहले ही एकत्रित कर लें। व्रत वाले दिन ब्रह्म-मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है, क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
करवा चौथ पूजन विधि
प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
प्रातःकाल पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है-
"मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।"
अथवा
ॐ शिवायै नमः से पार्वती का,
ॐ नमः शिवाय से शिव का,
ॐ षण्मुखाय नमः से स्वामी कार्तिकेय का,
महत्त्व के बाद बात आती है कि करवा चौथ की पूजा विधि क्या है ? किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
पूजन सामग्री-
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
उक्त सम्पूर्ण सामग्री को एक दिन पहले ही एकत्रित कर लें। व्रत वाले दिन ब्रह्म-मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है, क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।
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प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।
व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-
प्रातःकाल पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है-
"मम सुख सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।"
अथवा
ॐ शिवायै नमः से पार्वती का,
ॐ नमः शिवाय से शिव का,
ॐ षण्मुखाय नमः से स्वामी कार्तिकेय का,
ॐ गणेशाय नमः से गणेश का तथा
ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें।
व्रत के दिन निर्जला रहे अर्थात कुछ भी न खाने, न ही पानी की पिएँ।
ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें।
व्रत के दिन निर्जला रहे अर्थात कुछ भी न खाने, न ही पानी की पिएँ।
सायंकाल माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसार पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर नाड़ा बाँधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। पश्चात माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।
भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें। सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें। चंद्रोदय के बाद चाँद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खाकर व्रत खोले।
करवा चौथ माता की आरती
ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ॐ जय करवा मैया...
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे, दुख सारे हरती।।
ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ॐ जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा चौथ पर रविवार (20 अक्टूबर) रात्रि आपके शहर में कब निकलेगा चन्द्रमा
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
दिनभर निर्जला व्रत, शाम को सोलह श्रृंगार
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को सोलह श्रृंगार करते हुए एक खास जगह पर एकत्रित होकर करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं। वैदिक पंचांग की गणनानुसार, रविवार 20 अक्तूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय सायंकाल 7:53 बजे होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चन्द्रमा के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है। पंचांग के अनुसार, करवा चौथ पर चंद्र देव (चन्द्रमा) के निकलने का समय अधिकांशतः देश की राजधानी दिल्ली शहर को मानक माना जाता है, जो दिल्ली के साथ गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में शाम लगभग 7:53 बजे के निकलेंगे। परन्तु अलग-अलग शहरों में चन्द्रमा के निकलने के समय में कुछ मिनट का अंतर होता है।
करवा चौथ पर रविवार (20 अक्टूबर) रात्रि आपके शहर में कब निकलेगा चन्द्रमा
शहर - समय
दिल्ली - 7:53
नोएडा - 7:52
मुंबई - 8:36
कोलकाता- 7:22
चंडीगढ़ - 7:48
पंजाब - 7:48
जम्मू - 7:52
लुधियाना - 7:52
देहरादून - 7:24
शिमला - 7:47
पटना - 7:29
लखनऊ - 7:42
कानपुर - 7:47
प्रयागराज- 7:42
देहरादून - 7:24
जयपुर - 8:03
मुंबई - 8:36
बेंगलुरु- 8:30
रांची - 7:33
भोपाल - 8:07
इंदौर - 8:15
ग्वालियर - 7:56
अहमदाबाद - 8:27
दिल्ली - 7:53
नोएडा - 7:52
मुंबई - 8:36
कोलकाता- 7:22
चंडीगढ़ - 7:48
पंजाब - 7:48
जम्मू - 7:52
लुधियाना - 7:52
देहरादून - 7:24
शिमला - 7:47
पटना - 7:29
लखनऊ - 7:42
कानपुर - 7:47
प्रयागराज- 7:42
इंदौर - 8:15
भोपाल - 8:07
अहमदाबाद - 8:27
भोपाल - 8:07
अहमदाबाद - 8:27
चेन्नई - 8:18
बंगलूरू - 8:30
बंगलूरू - 8:30
जयपुर - 8:05
रायपुर - 7:43
रायपुर - 7:43
दिल्ली-NCR व निकट के शहर-
दिल्ली - 7:53
नोएडा - 7:52
गुरुग्राम - 7:55
गाजियाबाद-7:52
चंडीगढ़ - 7:48
लुधियाना - 7:52
अमृतसर - 7:55
शिमला - 7:47
उत्तर प्रदेश में-
मेरठ - 7:51
आगरा - 7:53
लखनऊ - 7:42
कानपुर - 7:47
प्रयागराज- 7:42
दिल्ली - 7:53
नोएडा - 7:52
गुरुग्राम - 7:55
गाजियाबाद-7:52
चंडीगढ़ - 7:48
लुधियाना - 7:52
अमृतसर - 7:55
शिमला - 7:47
उत्तर प्रदेश में-
मेरठ - 7:51
आगरा - 7:53
लखनऊ - 7:42
कानपुर - 7:47
प्रयागराज- 7:42
बनारस - 7:38
पटना - 07:29
देहरादून - 7:24
जयपुर - 8:03
मुंबई - 8:36
बेंगलुरु- 8:30
रांची - 7:33
भोपाल - 8:07
इंदौर - 8:15
ग्वालियर - 7:56
अहमदाबाद - 8:27
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