अमरनाथ यात्रा 28 जून से, रेडियो फ्रीक्वेंसी से श्रद्धालुओं पर दृष्टि
अमरनाथ यात्रा : 1 अप्रैल से 446 बैंक ब्रांचों में रजिस्ट्रेशन
देवाधिदेव शिव के अद्भुत, विशाल, रहस्यमय शिवलिंग के दर्शन करने वार्षिक "श्री अमरनाथ यात्रा" अनंतनाग जिले में 36 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग पर और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबे छोटे रास्ते पर जून-जुलाई में शुरू होती है एवं अगस्त में रक्षा बंधन तक चलती है.
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इस वर्ष की 56 दिन की अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 28 जून से होगी. इसके साथ ही श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने रोजाना बालटाल और पहलगाम के रास्ते 10000 यात्रियों को बाबा भोलेनाथ के दर्शनों के लिए जाने की अनुमति दी है. देशभर के बर्फानी बाबा के भक्तों की प्रतीक्षा समाप्त हो गई. इस वर्ष श्री अमरनाथ यात्रा 28 जून 2021 से आरम्भ होकर 22 अगस्त 2021 (रक्षाबंधन) तक चलेगी। यात्रा के लिए एडवांस रजिस्ट्रेशन 1 अप्रैल से शुरू होगा, जिसे PNB, जम्मू एंड कश्मीर बैंक के अलावा YES बैंक की देशभर में मौजूद 446 ब्रांचों से करवाया जा सकता है।
बोर्ड की शनिवार (13 मार्च) को सम्पन्न बैठक में ये निर्णय लिए गए। सुरक्षा को ध्यान रखते हुए इस बार यात्रा 56 दिन तक चलेगी। आषाढ़ चतुर्थी से लेकर रक्षा बंधन तक श्रद्धालु बाबा अमरनाथ के दर्शन कर सकेंगे। इस बार यात्रा सिर्फ बालटाल रूट से कराई जा सकती है। यद्यपि यात्रा का पारंपरिक मार्ग पहलगाम, चंदनवाड़ी, शेषनाग, पंचतरणी से होकर जाता है।
अमरनाथ गुफा तक जाने के लिए इस साल केवल बालटाल रूट का ही प्रयोग किया जा सकता है। दूसरे पारंपरिक रूट से यात्रा को लेकर कोई जानकारी नहीं है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के चेयरमैन और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को राजभवन में बोर्ड सदस्यों की बैठक की। इसमें यात्रा के शेड्यूल के साथ ही कई आवश्यक बिंदुओं पर चर्चा हुई। कई राज्यों में कोरोना संक्रमण की वापसी के कारण यात्रा के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जाएगा। बैठक में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने पुजारियों की सैलरी 1000 से बढ़ाकर 1500 रुपए रोजाना करने का निर्णय किया है।
पिछले वर्ष कोरोना के कारण रद्द हुई थी यात्रा-
कोरोना के कारण पिछले साल अमरनाथ यात्रा को लेकर काफी खींचतान हुई थी। जम्मू के राजभवन में 22 अप्रैल को हां-ना-हां-ना का दौर चला था। पहले राजभवन ने अमरनाथ यात्रा निरस्त करने की जानकारी दी, लेकिन बाद में उस प्रेस रिलीज को ही कैंसिल कर दिया। घंटेभर बाद एक और प्रेस रिलीज में सफाई देते हुए कहा गया कि कोरोना के चलते तय तारीखों में यात्रा करवाना संभव नहीं है। हालांकि तब भी यात्रा होगी या नहीं, इस पर बाद में निर्णय करने की बात कही गई थी। परिस्थितियों को देखते हुए आखिरकार यात्रा रद्द कर दी गई थी।
अधिकारियों ने कहा कि 37 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू-कश्मीर बैंक और यस बैंक की 446 चयनित शाखाओं में एक अप्रैल को पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी। पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के चलते कुछ साधुओं ने ही यात्रा की थी जबकि साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने से तीन दिन पहले, यानी दो अगस्त को ''आतंकवाद के खतरे'' के मद्देनजर यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था। वर्ष 2019 में 3.42 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अमरनाथ गुफा में हिमलिंग के दर्शन किये थे। वहीं भारतीय सेना (Indian Army) ने भी अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा प्लान तैयार कर लिया है। इस बार यात्रा के मार्ग पर बलों की तैनाती का ध्यान रखा जाएगा और जहां जरूरत होगी वहां अतिरिक्त बल लगाए जाएंगे।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इस साल 28 जून से दोनों मार्गों- अनंतनाग जिले के पहलगाम में 46 किलोमीटर लंबे पारंपरिक मार्ग और गंदेरबल जिले के बालटाल में 12 किलोमीटर लंबे रास्ते-- से एक साथ यात्रा शुरू करने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा, ''इस साल सरकार द्वारा जारी कोविड-19 मानक संचालन प्रकिया (एसओपी) के तहत यात्रा होगी। 13 साल से कम और 75 वर्ष से अधिक आयु के किसी व्यक्ति को यात्रा की अनुमति नहीं होगी।''
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प्रवक्ता ने कहा, कि बोर्ड ने मार्गों के अनुसार यात्रियों की दैनिक संख्या को 7,500 से बढ़ाकर 10 हजार करने का भी निर्णय लिया है। इनमें हेलीकॉप्टरों से यात्रा करने वाले यात्री शामिल नहीं होंगे। प्रवक्ता ने कहा कि इस साल की यात्रा की खास बात बालटाल से डोमेल के बीच के 2.75 किलोमीटर लंबे हिस्से में आवाजाही के लिये बैटरी से चलने वाली कार की सेवा निशुल्क उपलब्ध कराना है।
बैठक में बोर्ड ने अगले तीन साल के लिये पुजारियों का दैनिक वेतन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 1,500 रुपये करने का निर्णय लिया है। प्रवक्ता ने कहा कि इसके अलावा पांच जनवरी को यात्रा की तैयारियों के लिये हुई बैठक में उपराज्यपाल द्वारा दिये गए निर्देश के अनुसार यात्रियों और सेवा प्रदाताओं के सामूहिक दुर्घटना बीमा कवर की राशि को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये जबकि खच्चरों का बीमा कवर 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया है।
अमरनाथ यात्रा में इस बार श्रद्धालुओं की सुरक्षा सरकार की पहली और अहम प्राथमिकता है। इस बार यात्रा मार्ग पर रेडियो फ्रीक्वेंसी से श्रद्धालुओं की निगरानी की जाएगी। इसके लिए सरकार की ओर से आधार शिविरों, बालटाल और पहलगाम में आवश्यक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा। यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालुओं को टैग दिए जाएंगे। इनकी मदद से यात्रा मार्ग के दौरान उन पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं से जुड़ी हरेक जानकारी का डाटा एकत्रित किया जा सके। अगर किसी आपात स्थिति में श्रद्धालु को कोई मदद चाहिए होगी तो तुरंत उस तक मदद और उपस्थिति की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
हजारों वर्ष प्राचीन पुराना है गुफा का इतिहास-
अमरनाथ गुफा का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। अन्य अति प्राचीन धर्म-स्थलों, तीर्थ-स्थलों की भाँती श्री अमरनाथ गुफा को लेकर हिन्दुओं को भ्रमित करने झूठी कहानी गढ़ दी गई. षड्यंत्र के अंतर्गत ये झूठा प्रचार किया, कि गुफा की खोज किसी मुस्लिम चरवाहे ने की। विशालकाय गुफा में बर्फ की टपकती बूंदों से 10-12 फीट ऊंचा शिवलिंग हर साल बनता है। अमरनाथ शिवलिंग की ऊंचाई चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ घटती-बढ़ती रहती है। पूर्णिमा पर शिवलिंग अपने पूरे आकार में होता है, जबकि अमावस्या पर शिवलिंग का आकार कुछ छोटा हो जाता है। अमरनाथ गुफा से जुड़ी धार्मिक मान्यता ये है कि इसी जगह पर शिवजी ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। उस समय देवी पार्वती तो सो गई थीं, लेकिन एक कबूतर ने छिपकर शिवजी से अमरत्व का रहस्य सुन लिया था। इसके बाद वह कबूतर अमर हो गया।
ऐसी है बाबा अमरनाथ की गुफा-
श्रीनगर से लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा स्थित है। यह गुफा लगभग 150 फीट ऊंची और लगभग 90 फीट लंबी है। ये गुफा करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर है। गुफा में शिवलिंग पूरी तरह प्राकृतिक रूप से निश्चित समय के लिए ही बनता है। यहां श्रीगणेश, पार्वती और भैरव के हिमखंड भी बन जाते हैं।
ऐसे पहुंचते हैं श्री अमरनाथ गुफा -
बाबा अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक पहलगाम से और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से है। देश के किसी भी क्षेत्र से पहले पहलगाम या बालटाल पहुंचना होता है। इसके बाद की यात्रा पैदल होती है। पहलगाम से अमरनाथ जाने का रास्ता सुविधाजनक समझा जाता है। इसकी दूरी 48 किमी है। बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी 14 किलोमीटर है, लेकिन ये मार्ग कठिनाइयों मुश्किलों से भरा है, दुर्गम मार्ग है। इस कारण अधिकंश श्रद्धालु पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाते हैं।
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