PM मोदी की सुरक्षा में चूक पर... दो PM खोने वाली कांग्रेस की स्तरहीन प्रतिक्रिया !


बदकिस्मती से अगर कोई छोटा-मोटा अटैक होता, तो SPG गोली चलाती, फिर दंगे होते !
धर्म नगरी / DN News 
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- राजेश पाठक*  
क्या आज (5 जनवरी) जो राज्य सरकार देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षित रास्ता नहीं दे कर सका, पाकिस्तान की सीमा से सटे "उस राज्य की सरकार" को एक क्षण भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं हैं ? क्या जिस पार्टी के दो बड़े नेताओं की हत्या हुई हो, उस पार्टी की यह साजिश अक्षम्य व शर्मनाक है ? PM की सुरक्षा के बाद भारत की छवि दुनिया में कैसी बनी है या बनेगी, ये मेरा व्यक्तिगत प्रश्न है आपसे (नीचे प्रतिक्रिया में अवश्य लिखिएगा) ! वैसे PM मोदी के जीवन पर किताब "कॉमन मैन नरेंद्र मोदी" लिखने वाले किशोर मकवाना कहते हैं, ऐसी परिस्थितियों में मोदीजी बहुत शांत हो जाते हैं
 अगस्त 2018 में बीते वर्ष 28 दिसंबर को जब नोएडा (उप्र) में प्रधानमंत्री  भटक गया, लगभग दो घंटे तक, तब ही मोदीजी ने अपने ऊपर संयम बिलकुल नहीं खोया।

आधुनिक भारत का इतिहास (1947 से पहले क्रांतिकारियों का हो या बटवारे के समय या उसके बाद) साक्षी है और आप भी इसे मानते होंगे, कि कांग्रेस के ऊपर हर उस महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या का कलंक है, जिससे उसे खतरा हुआ है, चाहे चंद्रशेखर आजाद हों, सुभाषचंद्र बोस हों, लाल बहादुर शास्त्री हो, ललित नारायन मिश्रा या अन्य हों। हत्या और साजिश का कांग्रेस का पुराना इतिहास है। स्वयं कांग्रेस के भी दो बड़े नेताओं की हत्या हुई। संजय गांघी की मृत्यु को लेकर आज भी उतना संसय है, जितना राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया की मृत्यु पर हुआ था और आज भी है।

PM मोदी की सुरक्षा चूक एक बहुत बड़ी साजिश का हिस्सा है। यह इसलिए स्वाभाविक लगता है, जब सीमा से लगे पंजाब में इमरान खान के दोस्त की सरकार हो। सबसे बड़ी बात, यह घटना पाक सीमा से लगभग 30 किमी. दूर हुई, जब प्रधानमंत्री के काफिले को ओवर ब्रिज पर रोक दिया गया। काफिले के रूट की जानकारी केवल पंजाब पुलिस और एसपीजी को थी। आप भी सोचिये, सूचना कहाँ से लीक हुई ?

कुछ फोटो देखिये, जिससे पता चलता है कि पंजाब सरकार ने क्या किया ?
प्रधानमंत्री बचकर वापस भटिंडा एअरपोर्ट आ गए और वो बात कही, जिसका शायद कभी किसी भारतीय ने कल्पना नहीं की होगी। उन्होंने दु:खी मन से बहुत बड़ी बात कही- 

10 मिनट पहले प्रदर्शनकारियों को कैसे पता चला ?
पूरे घटनाक्रम पर विचार करने पर ये स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री की यात्रा को बहुत हल्के से लिया। प्रधानमंत्री के रूट को क्लीयरेंस देने के बाद रूट को क्यों नहीं सुरक्षित नहीं किया ? उस रूट पर प्रदर्शनकारी को कैसे आने दिया गया ? क्या जानबूझकर ऐसा किया गया ? केवल इसलिए कि पंजाब में कांग्रेस सरकार है और उनको प्रधानमंत्री (जो भारतीय जनता पार्टी के हैं) को नीचा दिखाना था। 

यह बहुत खतरनाक प्रयोग था, वह भी पंजाब जैसे राज्य में जो पाकिस्तान की सीमा के पास है और आंतकवाद कभी भी सर उठा सकता है। इसका एक दूसरा पक्ष यह है, अगर बदकिस्मती से कोई छोटा-मोटा अटैक होता, तो SPG गोली चलाती। फिर दंगे होते !  दूसरी संभावना थी, कि अटैक होता ! तो प्रधानमंत्री को कुछ भी हो सकता था ! जिससे पूरे देश में दंगे फैलते फिर वही होता, जो 1984 में हुआ था। कांग्रेस हमेशा की तरह आंदोलन की आड़ में सिखों की छवि (image) खराब कर रही है। कांग्रेस पार्टी हमेशा आग से खेलती है, जिसका भुगतान आम आदमी को अपनी जान देकर करना पड़ता। कांग्रेस अधिकांश भोले-भाले सिखों का इस्तेमाल कर रही है, और कुछ नहीं। भोले-भाले इसलिए लिख रहा हूँ, कि जिस सिख ने 1984 का भीषण दंगा झेला, हजारों लोगों को खोया और बेदर्दी से मौत के मुँह में जाते देखा हो (पढ़ें- http://www.dharmnagari.com/2020/11/1984-me-Jab-Apane-Husband-Bete-ki-Body-ko-Ghar-me-Ghar-ke-Furniture-se-Jalaya.html )...
 करोड़ों-अरबों की संपत्ति, व्यापार, घर-परिवार खोया हों, जिस प्रकार सात लाख से अधिक कश्मीरी हिन्दुओं ने (पढ़ें- http://www.dharmnagari.com/2021/01/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Tuesday-19-Jan-2021.html) और उसी कांग्रेस पार्टी के बहकावे मेंhttp://www.dharmnagari.com/2021/10/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Sunday-20211017.html) आज भी आ जाती है, एकजुट होकर कोई विद्रोह षड्यंत्रकारियों / दोषी नेताओं व पार्टी के विरुद्ध नहीं किया ! कितनी सहनशक्ति है वास्तविक सिखों और कश्मीरियों में ?      
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PM नरेंद्र मोदी क्या हैं, कैसे हैं, सुने एक सच्चे सिख से सुने-
Modi's Love for Sikhs, explained by a true Sikh- A True Sikh can never be a Khalistani & A Khalistani can Never be a Sikh

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एक वीडियो जिससे घटना की गंभीरता का पता चलता है-

यह अत्यंत दुःखद है, बेहद शर्मनाक है, कि वाड्रा कांग्रेस ने देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा को गंभीर ख़तरे में डालने की कोशिश की। PM को रिसीव करने का समय CM के पास नहीं था ? यह तो नीचता की पराकाष्ठा है। कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री के वापस लौटने पर उत्सव के रूप में मनाया, वो अत्यंत फूहड़ और बहुत ही शर्मनाक है।

देखिये पंजाब की पुलिस प्रदर्शनकारियों के साथ उनकी चाय पी रही है- 
अब कल अगर पकिस्तान कह दे, कि उन्हें मोदी को मरने के लिए सेना भेजनी है, तो पंजाब सरकार शायद सेफ रूट देने का षड्यंत्र भी कर सकती है क्या !
 PM की सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया में इस फोटो के साथ "ये संयोग नहीं प्रयोग है" लिखकर नागरिक प्रतिक्रिया दे रहे हैं....
PM की सुरक्षा, Ex SPG अधिकारी के अनुसार-
जब लोकल पुलिस से पीएम के काफिले को लेकर रोड क्लीयरेंस के बारे में पूछा जाता है, तो वह सूचना साझा होती है मुख्य सचिव (CS), डीजीपी (DGP) और सीएमओ कार्यालय। आईबी के पास इस तरह की जानकारी रहती है। यदि पीएम के कार्यक्रम वाले इलाके में पहले से कोई गतिरोध या आंदोलन चल रहा है, तो आईबी अलग से अपनी रिपोर्ट एकत्रित करती है। वह रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय, एसपीजी और राज्य पुलिस के साथ साझा करते हैं। 

प्रायः PM के कार्यक्रम को लेकर राज्य पुलिस किसी तरह की लापरवाही बरते, इसकी संभावना बहुत कम होती है। प्रदेश के CS और DGP इस तरह की लापरवाही का मतलब समझते हैं ? यहां आईबी की भूमिका देखने वाली है। जब किसानों ने, कई दिन पहले से ही पीएम की रैली को लेकर चेतावनी दे रखी थी, तो केंद्रीय एजेंसियां पल-पल की जानकारी जुटाती हैं। जिस रूट से पीएम को गुजरना होता है, वहां पर कहां और किस जगह पर विरोध हो सकता है, ये सब पीएम के लिए एडवांस सुरक्षा सर्वे में देखा जाता है। वह सर्वे रिपोर्ट राज्य पुलिस के साथ शेयर करते हैं। अगर यह रिपोर्ट साझा नहीं होती तो सुरक्षा चूक हो सकती है।

पूर्व अधिकारी के मुताबिक, पीएम के रूट पर हर 50 मीटर पर एक पुलिसकर्मी तैनात रहता है। जहां पर PM का रूट बाधित होने की बात कही जा रही है, वह सघन आबादी वाला क्षेत्र नहीं था। अगर वहां पर एकाएक किसान आए होते, तो वह संदेश सुरक्षा एजेंसियों के बीच में शेयर होते। हालांकि, वहां पर पहले से ही किसान जमे हुए थे, ऐसा बयानों में कहा जा रहा है। जिस तरह से किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रतिनिधि कह रहे हैं कि उन्होंने पहले से ही फिरोजपुर के सारे रास्ते बंद कर रखे हैं, तो लोकल पुलिस को एसपीजी व पीएमओ को यह बात बतानी चाहिए थी। ये सब जांच का विषय है। हालांकि ये सब जानकारी केंद्रीय एजेंसियों के पास होती हैं। कई बार यह होता है कि केंद्रीय एजेंसियां पीएम के लिए तय हेलीकॉप्टर रूट को राज्य पुलिस के साथ साझा नहीं करती। अगर ऐसा होता है तो सुरक्षा मामले में बड़ी चूक होने की गुंजाइश बनी रहती है।

पंजाब के CM की सफाई-
पंजाब के CM चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा, उनके पास केंद्रीय गृह मंत्री का एक दिन पहले फोन आया था, कि पीएम की रैली के स्थल के निकट से किसानों को उठाया जाए। केंद्रीय एजेंसियां पांच दिन से इलाके में डेरा डाले हुए थीं। बीती रात दो-तीन बजे तक हम लोग रास्ता खाली कराने के लिए लगे रहे। रात को किसानों को यह भरोसा देकर, कि उनकी बात पीएम से कराई जाएगी, रास्ता खाली कराने का प्रयास किया। इसके बाद आईबी निदेशक को यह बताने के लिए फोन किया, कि हालात ठीक हैं। रात को फोन नहीं उठा। सुबह आईबी निदेशक का फोन आया कि सब कुछ ठीक हो गया है। राज्य सरकार के पास PMO से जो कार्यक्रम आया, उसमें राज्य सरकार का हस्तक्षेप नहीं था। बैठने से लेकर और रूट तक, ये सभी योजना केंद्रीय एजेंसियों ने तैयार की थी। पंजाब सरकार को कहा गया, कि पीएम हेलीकॉप्टर के जरिए कार्यक्रम में पहुंचेंगे। इसके बाद भी सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है। ये पूरी तरह गलत है।

PM की सुरक्षा चूक पर कांग्रेस में अलग अलग मत (opinion)- 
CM चन्नी
- कोई थ्रेट नहीं था
मनीष तिवारी - PM को पाकिस्तान की Artillery का थ्रेट था
सिद्धू - ड्रामा था
भूपेश बघेल - पत्थरबाज़ी हुई क्या
हरीश रावत - कौन सा बम फट गया
सुनील जाखड़
PM को पूर्ण सुरक्षा देनी चाहिए थी।
इन पर घिरेगी पंजाब पुलिस !

प्रोटोकॉल के अंतर्गत राज्य के DGP और मुख्य सचिव दोनों को PM के काफिले के साथ रहना जरूरी है। जबकि, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ये दोनों उस समय प्रधानमंत्री के काफिले के साथ नहीं थे। प्रश्न स्वाभाविक  हैप्रोटोकॉल का पालन क्‍यों नहीं किया गया ?
- गृह मंत्रालय के अनुसार, DGP की ओर से रूट क्लियर होने का का ग्रीन सिग्नल मिला था, उसके बाद ही PM सड़क मार्ग से रवाना हुए, लेकिन आगे सड़क को प्रदर्शनकारियों ने जाम कर रखा था।आखिर DGP ने गलत जानकारी क्‍यों और कैसे दी ?
- प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले पूरा प्लान तैयार हो जाता है। हर जगह से पीएम को सुरक्षित निकालने के लिए कंटीन्जेंसी प्लान भी होता है। एक वैकल्पिक रास्ता भी तय होता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं था. पंजाब पुलिस ने आखिर ऐसा क्‍यों किया ?
- अगर प्रदर्शनकारियों ने रास्ता ब्लॉक कर दिया था, तो उन्हें हटाया क्यों नहीं क्यों नहीं गया ? पीएम का काफिला फ्लाईओवर पर 20 मिनट तक फंसा था। इतनी देर में अतिरिक्त फोर्स क्यों नहीं बुलाई गई ? पंजाब पुलिस का रवैया आखिर ऐसा कैसे हो सकता है ?
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय (7 जनवरी सुबह) केंद्र की ओर से पेश हुए एसजी तुषार मेहता ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने ये भी कहा, पुलिस वाले स्वयं प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रहे थे। फिर क्‍या पंजाब पुलिस ही सुरक्षा में चूक की जिम्‍मेदार है ?
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