नवरात्रि : सप्तमी माँ कालरात्रि का मंत्र, पूजा, दान, आरती... माँ कालरात्रि की पूजा से...
सप्तमी की पूजा- विशेषरूप से गुड़ का नैवेद्य माँ को अर्पण करें। गुड़ या गुड़ से बनी वस्तु का भोग लगाए। गुड़ चढ़कार किसी ब्राह्मण को दान करने से जीवन के शोक, रोग दूर होते हैं, आकस्मिक विपत्ति से रक्षा होती है।
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मान्यता हैं, इस दिन देवी कालरात्रि दुश्मनों का नाश करती है, भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। अतः इस दिन देवी की उपसाना में साधक को अपना चित्त भानु चक्र (मध्य ललाट) में स्थिर कर साधना करनी चाहिए। देवी के इस स्वरूप के बारें में शास्त्रों में वर्णन है, माँ कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को हमेशा शुभ फल प्रदान करती हैं। इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा गया है।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलता कण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
अर्थात, इनके शरीर का रंग घने अंधकार के समान पूर्णतः काला है। बाल बिखरे हुए हैं। गले में बिजली की भाँति चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। इनकी नाक से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ अर्थात गधा है।
वस्त्र- नवरात्रि का 7वां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करने से व्यक्ति शांत रहता है।
नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात मां कालरात्रि की पूजा आरंभ करने से पहले कुमकुम, लाल पुष्प, रोली लगाएं। माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं। उनके आगे तेल का दीपक जलाएं। मां को लाल फूल अर्पित करें।
मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। सभी राक्षसों के लिए कालरूप बनकर आई माँ दुर्गा कालरात्रि रूप में प्रकट हुई थीं। मान्यता है, कि मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं। अर्थात माँ के उपासक की अकाल मृत्यु नहीं होती एवं उन्हें भूत, प्रेत या बुरी शक्तियों का भय नहीं सताता। मां कालरात्रि को आप गुड़ से बने मालपुआ का भोग लगा सकते हैं. मालपुआ एक पॉपुलर रेसिपी है, जिसे विशेषरूप से पर्व-त्यौहारों पर बनाया जाता है।
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कालरात्रि प्रार्थना मंत्र-
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
कालरात्रि स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कालरात्रि ध्यान मंत्र-
करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
कालरात्रि स्तोत्र पाठ-
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
माँ कालरात्रि कवच-
ॐ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि।
ललाटेसततंपातु दुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनांपातु कौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम।
कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी।।
वाजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि।
तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥
माँ कालरात्रि की आरती-
कालरात्रि जय-जय महाकाली। काल के मुंह से बचानेवाली ।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा ।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा ।।
खड्ग खप्पर रखनेवाली। दुष्टों का लहू चखनेवाली ।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।।
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी ।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली मां जिसे बचावे ।।
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय ।।
Disclaimer- उक्त लेख जानकारियां और सूचना ज्योतिर्विदों एवं पुस्तकों से साभार लिया गया है। इनको करने से पूर्व कर्मकांडी ब्राह्मण या विद्वान से संपर्क करें।
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नवरात्रि पर विशेष आग्रह अपील आपसे- ब्राह्मण या वैदिक विद्वान से नवरात्रि या कभी भी, किसी भी पूजा-पाठ के लिए यथासंभव सम्मानपूर्वक दक्षिणा देकर संतुष्ट करें, क्योंकि उसने कर्मकांड की शिक्षा ली है, आपके पूजा-पाठ के लिए समय-ऊर्जा दे रहा है, यह उसकी आजीविका है या परिवार के भरण-पोषण का माध्यम भी है -रा.पाठक 6261868110
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Om Devi Kalaratryai Namah (ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥)
On Navratri’s seventh day worshipped is Ma Kalratri,
She seems reserved, dark complexioned and is fiery,
Her name reveal that she form of darkness, time be,
Riding ass, with torch, sword, boon giving, protecting be.
A violent, ferocious form of Ma Durga is called Kalratri,
When shedding golden skin to slay demons was Parvati,
Kalratri appears dark and terrible, she vanquisher but be,
Of all evil, ghosts, all negative forces and fears completely.
But she is very benign in blessing, protecting her devotees,
She ever blesses her devotees with joy and fulfilment totally,
Therefore, she is also called and known as Devi Shubankari,
Who bestow auspiciousness, loves the jasmine flower clearly.
Loves colour of day, white, dressed in white attire evidently,
With rage in her fiery eyes, her skin turns black completely,
White colour portrays prayer and peace, ensures devotees,
That the Goddess will protect them from all harm unfailingly.
Worship
Ma Kalratri rules over the planet Saturn or ‘Shani’ surely,
Dispenses rewards of good or bad deeds by people clearly,
She never fails to recognize hard work done and sincerity,
She way to escape afflictions caused unfavourable Shani.
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