अक्षय तृतीया : कोई भी नया या शुभ कार्य आरम्भ करें, खरीदारी करें, सबके लिए अनुकूल दिन
कई दशक पश्चात ग्रहों के विशेष योग से बन रहा है अद्भुत संयोग
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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि "अक्षय तृतीया" या "आखा तीज" के नाम से प्रसिद्ध है। यह "अक्षय तृतीया" अत्यंत शुभ तिथि होती है। इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है, अर्थात इस दिन आप विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार सहित किसी भी नए कार्य या कोई भी शुभ काम बिना मुहूर्त देखे कर सकते हैं। इस साल अक्षय तृतीया 3 मई (मंगलवार) को मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही माना जाता है कि इसी दिन भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था। इस साल अक्षय तृतीया मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में है, जो तैतिल करण और वृष राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है। इस दिन शोभन योग अक्षय तृतीया को शुभ बना रहा है।
अक्षय तृतीया पर विशेष योग-
- ज्योतिर्विदों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन शुक्र के अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य-राजयोग, गुरु के मीन राशि में होने से हंस-राजयोग और शनि के अपने घर में विद्यमान होने से शश-राजयोग बन रहा है। वहीं, सूर्य और चंद्रमा अक्षय तृतीया के दिन अपनी उच्च राशि में स्थित रहेंगे।ऐसा संयोग कई दशक पश्चात बना है, जब दो ग्रह उच्च राशि में और दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में स्थित रहेंगे।
- अक्षय तृतीया पर इन ग्रहों के योग से बने अद्भुत संयोग में दान करना बहुत ही पुण्यकारी होगा।
- अक्षय तृतीया के दिन चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अक्षय तृतीया को और भी विशेष बनाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होगा। इस दिन शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है।
अक्षय तृतीया का महत्व-
- अक्षय तृतीया की तिथि को भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलते हैं, पूजा अर्चना आरंभ होती है।
- इसी दिन वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन कर सकते हैं। वर्ष में केवल यह एक अवसर होता है, कि आप ऐसा दर्शन कर सकते हैं।
- भगवान विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान श्री परशुराम जीअक्षय तृतीया को परशुराम प्रकटोत्सव (जयंती) मनाई जाती है। भगवान विष्णु ने वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम अवतार धारण किया था।
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही माना जाता है कि इसी दिन भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था। इस साल अक्षय तृतीया मंगल रोहिणी नक्षत्र के शोभन योग में है, जो तैतिल करण और वृष राशि के चंद्रमा के साथ आ रही है। इस दिन शोभन योग अक्षय तृतीया को शुभ बना रहा है।
कई दशक के पश्चात ग्रहों के विशेष योग से अद्भुत संयोग भी बन रहा है, जिससे अक्षय तृतीया पर बनने वाले शुभ योग का महत्व और भी बढ़ रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है।
शुभ मुहूर्त (अक्षय तृतीया 2022)-
3 मई 2022 (मंगलवार) सुबह 05:19 बजे से 4 मई सुबह 07:33 बजे तक रहेगी. इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा. रोहिणी नक्षत्र सुबह 12:34 बजे से 04 मई के तड़के 03:18 बजे तक रहेगा।
शुभ मुहूर्त (अक्षय तृतीया 2022)-
3 मई 2022 (मंगलवार) सुबह 05:19 बजे से 4 मई सुबह 07:33 बजे तक रहेगी. इस दिन रोहिणी नक्षत्र रहेगा. रोहिणी नक्षत्र सुबह 12:34 बजे से 04 मई के तड़के 03:18 बजे तक रहेगा।
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- ज्योतिर्विदों के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन शुक्र के अपनी उच्च राशि में होने से मालव्य-राजयोग, गुरु के मीन राशि में होने से हंस-राजयोग और शनि के अपने घर में विद्यमान होने से शश-राजयोग बन रहा है। वहीं, सूर्य और चंद्रमा अक्षय तृतीया के दिन अपनी उच्च राशि में स्थित रहेंगे।ऐसा संयोग कई दशक पश्चात बना है, जब दो ग्रह उच्च राशि में और दो प्रमुख ग्रह स्वराशि में स्थित रहेंगे।
- अक्षय तृतीया पर इन ग्रहों के योग से बने अद्भुत संयोग में दान करना बहुत ही पुण्यकारी होगा।
- अक्षय तृतीया के दिन चार ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना अक्षय तृतीया को और भी विशेष बनाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना उत्तम फल प्रदान करने वाला होगा। इस दिन शुभ कार्य के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है।
अक्षय तृतीया का महत्व-
- अक्षय तृतीया की तिथि को भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलते हैं, पूजा अर्चना आरंभ होती है।
- इसी दिन वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर में श्री विग्रह के चरण दर्शन कर सकते हैं। वर्ष में केवल यह एक अवसर होता है, कि आप ऐसा दर्शन कर सकते हैं।
- भगवान विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान श्री परशुराम जीअक्षय तृतीया को परशुराम प्रकटोत्सव (जयंती) मनाई जाती है। भगवान विष्णु ने वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम अवतार धारण किया था।
- अक्षय तृतीया अत्यंत ही शुभ मानी जाती है, इसलिए इस दिन विवाह, सगाई करने सहित भवन, वाहन, वस्त्र, आभूषण आदि की खरीदारी भी करना शुभ होता है।
- अक्षय तृतीया पर दान से सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है और पुण्य लाभ भी होता है।
इनके दान का विशेष महत्व-
सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन कुछ चीजों का दान बहुत ही लाभप्रद माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि अक्षय तृतीया को एवं पूरे वैशाख मास में जलदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। किसी मंदिर या सार्वजनिक स्थान पर जलपात्र का भी आप दान कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन वृक्षारोपण करना, यात्रियों या राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाना, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना, पंखे अथवा छाते का दान आदि से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इन चीजों के दान से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों की खास कृपा प्राप्त होती है।
मान्यता है, विष्णु भगवान को समर्पित वैशाख मास में पादुका के दान से मनुष्य को मृत्यु पश्चात विष्णु लोक में स्थान मिलता है। इसके अलावा शिवलिंग पर जल की मटकी लटकाना भी विशेष पुण्य का काम है।
खरीदारी के शुभ मुहूर्त-
अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 5:39 बजे से अगले दिन सुबह 5:38 बजे तक रहेगा। अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है, शुभ मुहूर्त में इन चीजों की खरीदारी से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा वाहन और संपत्ति जैसी चीजों की खरीदारी के लिए भी अक्षय तृतीया का दिन विशेष होता है।
- अक्षय तृतीया पर दान से सुख-संपत्ति में वृद्धि होती है और पुण्य लाभ भी होता है।
इनके दान का विशेष महत्व-
सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन कुछ चीजों का दान बहुत ही लाभप्रद माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माना गया है कि अक्षय तृतीया को एवं पूरे वैशाख मास में जलदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। किसी मंदिर या सार्वजनिक स्थान पर जलपात्र का भी आप दान कर सकते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन वृक्षारोपण करना, यात्रियों या राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाना, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना, पंखे अथवा छाते का दान आदि से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इन चीजों के दान से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों की खास कृपा प्राप्त होती है।
मान्यता है, विष्णु भगवान को समर्पित वैशाख मास में पादुका के दान से मनुष्य को मृत्यु पश्चात विष्णु लोक में स्थान मिलता है। इसके अलावा शिवलिंग पर जल की मटकी लटकाना भी विशेष पुण्य का काम है।
खरीदारी के शुभ मुहूर्त-
अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 5:39 बजे से अगले दिन सुबह 5:38 बजे तक रहेगा। अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है, शुभ मुहूर्त में इन चीजों की खरीदारी से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा वाहन और संपत्ति जैसी चीजों की खरीदारी के लिए भी अक्षय तृतीया का दिन विशेष होता है।
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