Social_Media : सप्ताह का एक दिन हो पत्थर वार...! पूरे देश में गिरफ्तार किए दंगाइयों के...
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आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, वीडियो, कमेंट्स, वायरल...202206011
- कानपुर नगर महापौर प्रमिला पांडे जी को साधुवाद, इसलिए... बाकी कब करेंगे ऐसा ?
- भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को लेकर ये कहा सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने...- कांग्रेस रणदीप सुरजेवाला: "सीता मैया" का था चीरहरण"
- सुनें नूपुर शर्मा के बयान और वास्तविकता पर इन मुस्लिम भाई को...
- बंगाल से जिहादी आतंक के डरावने दृश्य !- धर्मों रक्षति रक्षितः
- #सोशल_मीडिया ट्रेंड...
- बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए...
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कानपुर नगर महापौर प्रमिला पांडे जी को साधुवाद, इसलिए... बाकी कब करेंगे ऐसा ?
आज इन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ 7 ऐसे प्राचीन मंदिरों का दौरा किया जिन्हें मुसलमानों ने कब्जा कर के बन्द कर दिया गया था एवं घर और दुकान बना ली गयी थी
अब उन्हें खाली करा कर उसमे प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगा
आज इन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ 7 ऐसे प्राचीन मंदिरों का दौरा किया जिन्हें मुसलमानों ने कब्जा कर के बन्द कर दिया गया था एवं घर और दुकान बना ली गयी थी
अब उन्हें खाली करा कर उसमे प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगा
ऐसा ही भाजपा के अन्य महापौर, विधायक, सांसद, सरपंच, जिला से लेकर पंचायत के अध्यक्ष व सदस्य आदि आदि जनप्रतिनिधि क्यों नहीं करते ? इसके लिए अपने-अपने क्षेत्र के हिन्दू भाई आवाज क्यों नहीं उठाते, ज्ञापन क्यों नहीं देते अपने जनप्रतिनिधियों को ?
सड़क किनारे, चौराहे, तिराहे आदि पर जबरन अतिक्र्रमण कर मीट आदि की दूकान हटवाने के विरुद्ध हिन्दू कब उठाएंगे अपनी आवाज ?
सप्ताह का एक दिन हो पत्थर वार... !
यह वीडियो ग्रुप में डाल कर बहुत अच्छा किया है और सभी को देखना चाहिए और सीखना भी चाहिए और अब इतने भी नहीं सीखेंगे तो अपना अपना सब देखें यदि किसी के साथ कुछ हो तो इसके जिम्मेवारी खुद अपने आप को ही महसूस करना होगा
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भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को लेकर,
ये कहा सुप्रसिद्ध राष्ट्रवादी विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने...
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कांग्रेस रणदीप सुरजेवाला: "सीता मैया" का चीरहरण"
एक मुसलमान भी जानता है कि चीर हरण मां सीता का नहीं बल्कि द्रौपदी का हुआ था! श्री राम के अस्तित्व को नकार देने वाली कांग्रेस का नया कारनामा !
आप कोट पर जनेऊ पहन सकते हैं लेकिन आपके अंदर जो है वह हमेशा बाहर आएगा!
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सप्ताह का एक दिन हो पत्थर वार... !
सोमवार
मंगलवार
बुधवार
गुरुवार
पत्थर वार
शनिवार
रविवार
अगर इन पत्थर-बाजो का सर्व कराया जाए
तो सारे के सारे पत्थर-बाज
या तो कांग्रेस को
या गेर भाजपा को वोट करते है
ये पत्थर-बाज हमेशा BJP को हराने के लिए वोट करते है
वो भी शत प्रतिशत
अब आपका क्या फर्ज बनता है
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मंगलवार
बुधवार
गुरुवार
पत्थर वार
शनिवार
रविवार
अगर इन पत्थर-बाजो का सर्व कराया जाए
तो सारे के सारे पत्थर-बाज
या तो कांग्रेस को
या गेर भाजपा को वोट करते है
ये पत्थर-बाज हमेशा BJP को हराने के लिए वोट करते है
वो भी शत प्रतिशत
अब आपका क्या फर्ज बनता है
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पूरे देश में गिरफ्तार किए दंगाइयों के...
मुफ्त राशन कार्ड,
आयुष्मान कार्ड,
प्रधानमन्त्री आवास,
किसान सम्मान निधि व अन्य योजनाओं को तत्काल प्रभाव से बन्द करना चाहिए। भविष्य में भी इनको किसी योजना का लाभ न मिले ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। अगर आपको यह सुझाव अच्छा लगता है तो इसे आगे जरूर भेजें। सहमत हों तो सरकार एवं जनप्रतिधियों से इसकी मांग करें, आप भी सोशल_मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर लिखते रहें। ...जब पाकिस्तान 1991 में इस्लामिक एस्टेट बन गया, पाकिस्तान के 27 % से अधिक हिन्दू (बटवारे के समय) में अब केवल 1% या उससे भी कम बचें हैं, क्यों ? कैसे ? भारत भी हिन्दू राष्ट्र होना ही चाहिए।
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Disclaimer : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत हमारा संविधान हमे अपनी बात या पक्ष कहने की अनुमति देता है। इस कॉलम "आज के चुनिंदा पोस्ट्स, ट्वीट्स, कमेंट्स..." में कमेंट व पोस्ट SOCIAL MEDIA से ली गई है, यह जरूरी नहीं की सभी पोस्ट या पोस्ट की जानकारी अक्षरशः सत्य हों, हम यथासंभव हर पोस्ट की सत्यता परख कर इस कॉलम में लेते हैं, फिर भी हम सभी पोस्ट एवं उनकी सभी तथ्यों से पूर्ण सहमत नहीं हैं -सम्पादक
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☝ ऐसे हम हिन्दू क्या कभी संगठित होकर अपने देश को बचने और अपने बच्चोने के भविष्य के लिए एकसाथ देश के 2-3 सौ शहर में निकल सकते हैं क्या ? या केवल कमाते और टैक्स भरने के साथ रायचंद बनकर फोकट में सलाह सुझाव ही देते हरेंगे...? -राष्ट्रवादी पत्रकार
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सुनें-
नूपुर शर्मा के बयान और वास्तविकता पर इन मुस्लिम भाई को...
बिना किसी डर के, निष्पक्ष होकर इन्होंने उस हकीकत हो बयान किया है, जिसे दुनियभर के करोड़ों मजहबी उन्मादी नहीं मान रहे... (जबरन देश में दंगा-फसाद, जुलूस-प्रदर्शन और करोड़ों बहुसंख्यक हिन्दुओं को उनके ही देश भारत (जो 1947 में मजहब/धर्म के आधार पर मिला) में रहते हुए हिन्दुओं का बार-बार, हर बार मजाक उड़ाते हैं... हिन्दुओं के सहनशक्ति की बार-बार परीक्षा ले रहे हैं....)
Nupur Sharma is correct.
Narrating of fact is no crime.
She just narrated a Hadith.
Proved with proofs in this program
Nupur Sharma is correct. Narrating of fact is no crime. She just narrated a Hadith. Proved here
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https://www.youtube.com/watch?v=4HKV0EuQBIQ
सुनें-
वसीम रिज़वी को-
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बंगाल से जिहादी आतंक के डरावने दृश्य !
बंगाल में आज मुसलामानों ने खूब आतंक मचाया। गिन-गिन कर हिंदूओं के दुकानें, गाड़ियां, घर सब जला दिया गया और किसी भी समाचार चैनल को इसे कवर करने की अनुमति नहीं दी गई।
Horror pictures of Jihadi terror from Bengal !
Today in Bengal the Muslims created a lot of terror. Countless shops, vehicles, houses of Hindus were burnt and no news channel was allowed to cover it. #social_media
बंगाल में आज मुसलामानों ने खूब आतंक मचाया। गिन-गिन कर हिंदूओं के दुकानें, गाड़ियां, घर सब जला दिया गया और किसी भी समाचार चैनल को इसे कवर करने की अनुमति नहीं दी गई।
Horror pictures of Jihadi terror from Bengal !
Today in Bengal the Muslims created a lot of terror. Countless shops, vehicles, houses of Hindus were burnt and no news channel was allowed to cover it. #social_media
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धर्मों रक्षति रक्षितः
भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव... ?
उनका ध्यान रखना, परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है"!
कृष्ण चुप रहे...!
भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ?
बड़े अच्छे समय से आये हो .... !
सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!
कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....!
एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ?
कृष्ण ने बीच में ही टोका, "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."
भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "
कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले... "कहिये पितामह... !"
भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?"
"किसकी ओर से पितामह .... ? पांडवों की ओर से .... ?"
" कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं* कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था .... ? आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार , दुःशासन की छाती का चीरा जाना , जयद्रथ और द्रोणाचार्य के साथ हुआ छल , निहत्थे कर्ण का वध , सब ठीक था क्या .... ? *यह सब उचित था क्या .... ?"
इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह .... !
*इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया ..... !!
उत्तर दें दुर्योधन, दुःशाशन का वध करने वाले भीम , उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन .... !!
मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !!
"अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ?
अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... !
मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !"
"तो सुनिए पितामह .... !
कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ .... !*
वही हुआ जो हो होना चाहिए .... !"
"यह तुम कह रहे हो केशव .... ?
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ....? यह छल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ..... ? "
"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... !
हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !!
राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... !
*हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!"
नहीं समझ पाया कृष्ण ! तनिक समझाओ तो .... !"
" राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... !
*राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !!
*तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण, मंदोदरी, माल्यावान जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !!
इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस ,जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है*पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!"
"तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ?
क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ?
और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??"
ॐॐॐॐॐॐॐ
"भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह...!
कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा...!
वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !
जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह... !
तब महत्वपूर्ण होती है धर्म की विजय , केवल धर्म की विजय .... !
भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह..... !!"
"क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ?
और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?"
"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !
ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... ! केवल मार्ग दर्शन करता है
सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है .... !
आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... !
तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ?
सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ?
यही प्रकृति का संविधान है .... !
युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से .... ! यही परम सत्य है ..... !!"
भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे......उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... !
उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो ... अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !"
कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था .... !
जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है...।।
धर्मों रक्षति रक्षितः
उनका ध्यान रखना, परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है"!
कृष्ण चुप रहे...!
भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ?
बड़े अच्छे समय से आये हो .... !
सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!
कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....!
एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ?
कृष्ण ने बीच में ही टोका, "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."
भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "
कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले... "कहिये पितामह... !"
भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?"
"किसकी ओर से पितामह .... ? पांडवों की ओर से .... ?"
" कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं* कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था .... ? आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार , दुःशासन की छाती का चीरा जाना , जयद्रथ और द्रोणाचार्य के साथ हुआ छल , निहत्थे कर्ण का वध , सब ठीक था क्या .... ? *यह सब उचित था क्या .... ?"
इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह .... !
*इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया ..... !!
उत्तर दें दुर्योधन, दुःशाशन का वध करने वाले भीम , उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन .... !!
मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !!
"अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ?
अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... !
मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !"
"तो सुनिए पितामह .... !
कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ .... !*
वही हुआ जो हो होना चाहिए .... !"
"यह तुम कह रहे हो केशव .... ?
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ....? यह छल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ..... ? "
"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... !
हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !!
राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... !
*हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!"
नहीं समझ पाया कृष्ण ! तनिक समझाओ तो .... !"
" राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... !
*राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !!
*तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण, मंदोदरी, माल्यावान जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !!
इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस ,जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है*पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!"
"तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ?
क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ?
और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??"
ॐॐॐॐॐॐॐ
"भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह...!
कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा...!
वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !
जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह... !
तब महत्वपूर्ण होती है धर्म की विजय , केवल धर्म की विजय .... !
भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह..... !!"
"क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ?
और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?"
"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !
ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... ! केवल मार्ग दर्शन करता है
सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है .... !
आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... !
तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ?
सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ?
यही प्रकृति का संविधान है .... !
युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से .... ! यही परम सत्य है ..... !!"
भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे......उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... !
उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो ... अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !"
कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था .... !
जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है...।।
धर्मों रक्षति रक्षितः
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...तो अरेस्ट हों और उस मस्जिद के....
जिस मस्जिद से जुमे की नमाज के बाद पत्थरबाज निकलते हैं, उस मस्जिद के इमाम / मौलवी को गिरफ्तार करना चाहिए और मस्जिद को सील करना चाहिए #Copy
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विश्व में भारत के खिलाफ जहर उगल रहे
गद्दार भारतीयों के खिलाफ भी कार्रवाई हो...
![]() |
भारत के सूचना आयुक्त उदय माहूरकर |
भारत के सूचना आयुक्त उदय माहूरकर की इस टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण की पिछवाड़े पर मिर्ची लग गई! प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि, केन्द्र सरकार द्वारा वैधानिक और संवैधानिक निकायों को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है !! यह वही प्रशांत भूषण है, जो भारतवर्ष में रोहिंग्या मुसलिमों के लिए वकालत करता है, आधी रात को आतंकवादी मेमन को फांसी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाता है इन जैसे देश विरोधी विश्वासघाती लोगों को अपने बिरादरी की इस तरह फजीहत होना नागवार लगता है।
पारदर्शिता निगरानी संस्था केंद्रीय सूचना आयोग में नियुक्त पूर्व पत्रकार माहुरकर अपने ने एक ट्वीट में कहा कि, “देश ने पैगंबर विवाद पर कदम उठाए हैं ! अब उन भारतीय नागरिकों की सूची बनाने का समय आ गया है, जिन लोगों ने इस्लामिक राष्ट्रों को उकसाया है ! अब उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया जाए.” वह देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है ! यहाँ तक कि ऐसे लोगों के खिलाफ संसद में कानून बनाकर, उनकी संपत्ति को भी कुर्क किया जाए।
सूचना आयुक्त उदय माहूरकर जी ने कहा कि पैन-इस्लामवादियों और वामपंथियों ने मेरे ट्वीट पर सवाल उठाए हैं ? क्या उन्होंने कभी नफरत फैलाने वाले ज़ाकिर नाइक और एमएफ हुसैन को उनकी ईशनिंदा के लिए उनका निंदा किया है ? उन्होंने आगे कहा, “सावधान रहें, एक तरफा धर्म निरपेक्षता और हिन्दुओं की कीमत पर..... हिन्दू-मुस्लिम एकता के दिन अब राष्ट्रीय जागरण के इस नए युग में चले गए हैं, समाप्त हो गए हैं।
सूचना आयुक्त की इस बयान पर तंज कसते हुए हिन्दू विरोधी प्रशांत भूषण ने कहा, यह सज्जन खुद को एक पत्रकार बताते हैं, जिन्हें केंद्रीय सूचना आयोग में कहीं से उठाकर यहां बैठा दिया गया. प्रशांत भूषण ने आगे और जहर उगलते हुए कहा- आप लोग देख सकते हैं कि, कैसे मोदी सरकार द्वारा वैधानिक और संवैधानिक निकायों को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए माहुरकर जी ने कहा- उस व्यक्ति से सलाह की आवश्यकता नहीं है, जिसने लगातार राष्ट्रीय हित के विरुद्ध वैचारिक पदों पर कब्जा किया है. एक लेखक, पूर्व पत्रकार और देशभक्त नागरिक के रूप में मुझे राष्ट्रीय सुरक्षा और इतिहास पर, अपने विचारों को दुनिया के सामने प्रसारित करने का अधिकार है... सूचना आयुक्त के के रूप में मुझे मेरे उन आदेशों से आँका जाता है, जो बिना किसी पक्षपात या भय से मुक्त हैं...।
उदय माहूरकर जी ने जो कुछ कहा वह बिल्कुल भारतवर्ष के वर्तमान परिस्थिति में सही बैठता है. भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने वाले देशद्रोही गद्दारों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए नहीं तो एक दिन यह लोग देश के लिए नासूर बन जाएंगे...।
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- Coloum to be updated later
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पैगम्बर साहब पर टिप्पणी, इस्लामिक पेट्रो डिप्लोमेसी, भारत का रूस से तेल आयात...
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http://www.dharmnagari.com/2022/06/Aaj-ke-selected-Posts-Tweets-Comments-Wednesday-08-June.html
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#सोशल_मीडिया ट्रेंड...
So Called Muslims. They Know violence only nothing other than this.
#Encounter #ProphetMuhammad #HindusUnderAttackInIndia -@Nikku_gurjar_07
बेशर्मी और निर्लज्जता की हद देखिए...
एक हिन्दू महिला के विरुद्ध लगातार आग उगल रहे हैं, जान से मारने के फतवे दे रहे हैं, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं और ये हाल तब है जब ये मात्र 20% हैं.
गम्भीरता से सोचिए ! आपके सामने आपकी महिला को कट्टरपंथी खुलेआम गर्दन काटने, बलात्कार की धमकी दे रहे हैं, पोस्टर चिपका रहे हैं जहां आप बाहुल्य समाज है.
उनका दुस्साहस देखिए ! आपके इलाके में जाकर आपकी महिला संबंधी के विरुद्ध प्रदर्शन में आपकी दुकानें बंद करवाने पहुंच गए. नहीं माने तो पत्थरबाज़ी कर दंगा कर दिया...
ये हाल तब है जब वे 20 दिनों से लगातार ’फव्वारा’ चिल्ला रहे हैं.
यहां मसला केवल एक महिला का नहीं, बल्कि गर्दन काटने को उतारू उस कट्टरपंथ मानसिकता का है जिसका प्रतिकार बहुत आवश्यक है. समय रहते इसे बढ़ने से रोकना बहुत आवश्यक है वरना देश में जंगलराज हो जाएगा.
इसे यहीं रोकिए, हल्के में मत लीजिए...
मानवता वाली भूमि को रेगिस्तान बनने से रोक लीजिए...
आप घिर चुके हैं...
...ठीक उसी प्रकार जैसे शतरंज में राजा को प्यादे,
जंगल में शेर को भेड़िए
और चक्रव्यूह में अभिमन्यु...
शरजील इमाम ने ’चिकेन नेक’ की बात की. आप जानते हैं हर शहर का एक चिकन नेक होता है ! हर बाजार का एक चिकेन नेक होता है और सभी चिकन नेक पर उनका कब्जा है.
आप अपने शहर के मार्केट निकल जाइए. अपना लैपटाप बनवाने, मोबाईल बनवाने या कपड़े सिलवाने. आप को अंदाजा नहीं है कि चुपचाप ’बिज़नेस जिहाद’ कितना हावी हो चुका है.
गुजरात का जामनगर हो, लखनऊ का हजरतगंज, मुम्बई का हाजी अली, गोरखपुर का हिंदी बाजार या दिल्ली का करोलबाग, ’चेक मेट’ हो चुके हैं आप. हर जगह इनका कब्जा हो चुका है !
उतने जमीन पर आप के मंदिर नहीं हैं जितनी जमीनें उनके पास ’कब्रिस्तान’ के नाम पर रसूल की हो चुकी हैं ! एक दर्जी की दुकान पर सिलाई करने वाले सभी उनके हम मज़हब हैं, चेन से लेकर बटन तक के सप्लायर नमाजी हैं ! ढाबे उनके, होटल उनके, ट्रांसपोर्ट का बड़ा कारोबार हो या ओला उबर का ड्राइवर, सब जुमा वाले हैं.
आप शहर में चंदन जनेऊ ढूढते रहिए. नहीं पाएंगे. वहीं हर चौराहे पर एक कसाई बैठा है.
घिर चुके हैं आप !
उपाय इसका इतना आसान नहीं है. गहराई से काम करना होगा. अपनी दुकानें बनानी होंगी. अपना भाई हर जगह बैठाना होगा.
वरना #गजवा-ए-हिंद चुपचाप पसार चुका है अपना पांव, बस घोषणा होनी बाकी है !
शेर दहाड़ते ही रह गया, भेड़िए जंगल पर कब्ज़ा बना कर बैठ चुके हैं.
आँखे बंद करिए और ध्यान दीजिए. हर जगह आप को ’नारा ए तकबील, अल्ला हू अकबर’ सुनाई देगा...
और अगर नहीं सुनाई दे रहा है तो मुगालते मे हैं आप।
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